मंगलवार, 9 जून 2020

सिंधिया की मां में वायरस के लक्षण मिले

नई दिल्ली। भाजपा नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया और उनकी मां का स्वास्थ्य खराब होने पर दिल्ली के साकेत स्थित मैक्स हास्पिटल में भर्ती कराया गया है। उनमें कोविड 19 जैसे लक्षण मिले हैं। दोनों लोगों की हालत सामान्य बताई जाती है। अभी उनकी कोविड 19 की रिपोर्ट नहीं आई है।


ज्योतिरादित्य सिंधिया के करीबी लोगों ने बताया कि गले में खराश और बुखार की चपेट में वह और उनकी मां आ गईं। जिसके बाद सोमवार को ही साकेत स्थित अस्पताल में डॉक्टरों के कहने पर ज्योतिरादित्य सिंधिया और उनकी मां भर्ती हो गईं। आज दूसरे दिन उनके स्वास्थ्य में सुधार हो रहा है। हालांकि अभी कोविड-19 की टेस्टिंग रिपोर्ट नहीं आई है। जिससे यह कन्फर्म नहीं हो सका है कि उन्हें कोरोना वायरस है या नहीं।


चार्जशीट में कपिल मिश्रा का नाम नहीं

दिल्ली दंगो की चार्जशीट में जामिया और नागरिकता बिल का विरोध कर रहे लोगो को आरोपी बनाया, भाजपा नेता कपिल मिश्रा का चार्जशीट में ज़िक्र ही नही

श़ेख़ नसीम 

नई दिल्ली। देश के बहुचर्चित दिल्ली दंगा कांड में पुलिस ने चार्जशीट दाखिल कर दी। पुलिस की जांच के बाद जो चार्जशीट बनाई गई हैं उसमें जामिया और नागरिकता बिल का विरोध कर रहे लोगो को ही आरोपी बनाया गया हैं और भाजपा नेता कपिल मिश्रा का कही भी ज़रा सा ज़िक्र तक नही हैं।

मोदी सरकार के नागरिकता कानून बिल के खिलाफ दिल्ली में विरोध प्रदर्शन चल रहा था उसी दौरान भाजपा के नेता कपिल मिश्रा ने भड़काऊ भाषण देते हुए कहा था रास्ता तो हम खाली करवा कर रहेंगे। उसके बाद से ही दिल्ली में दंगे हुए थे। पुलिस ने अपनी जांच में कपिल मिश्रा को तो छोड़ दिया लेकिन चार्जशीट में जामिया और नागरिकता बिल का विरोध कर रहे लोगो को आरोपी बना दिया और कहा इन्ही लोगो की वजह से दिल्ली में दंगा हुआ था दिल्ली पुलिस की ये एकतरफा कार्यवाही शक के दायरे में हैं। दिल्ली पुलिस को भाजपा नेता कपिल मिश्रा का न भड़काऊ बयान सुनाई दिया और न ही कपिल मिश्रा का इसमे कोई रोल नज़र आया।

हाईटेक पुलिस की उड़ रही है खिल्लियां

यूपी की हाईटेक पुलिस की सोशल मीडिया पर जमकर उड़ रही खिल्लियां

यूपी पुलिस को हाईटेक करने की कोशिश प्रदेश सरकार समय-समय पर करती रहती है, लेकिन हाईटेक करने के साथ-साथ पुलिस अपने पुराने ढर्रे पर ही चलती नजर आ रही है। एक तरफ देश में मेट्रो, बुलेट ट्रेन चलने की बात की जाती है, तो वहीं दूसरी तरफ अपराध रोकने वाली पुलिस अब गाड़ियों को धक्का मारते नजर आती है। 

कौशांबी पुलिस की खिल्ली उड़ाने वाली कुछ ऐसी ही तस्वीरें सामने आई हैं, जहां मुलजिम को पकड़ने वाली कौशांबी पुलिस खुद अपनी सरकारी गाड़ी में धक्का लगाती हुई नजर आ रही हैं। अब सोचने वाली बात यह है कि अगर अपराधियों की सूचना मिलती है तो क्या पुलिस इन गाड़ियों से समय पर पहुंच पाएगी.?

 

पुलिस की खिल्ली उड़ाती इन तस्वीरों में साफ देखा जा सकता है कि किस तरीके से पुलिस अपनी गाड़ियों में धक्का लगाती नजर आ रही है। इसका साफ कारण यही है कि पुलिस को मिलने वाली गाड़ियों का अच्छे से रख रखाव नहीं किया जाता। जिस कारण वह समय-समय पर खराब हो जाती हैं और मुलजिम की सूचना या किसी घटना की सूचना आने पर पुलिस मौके पर पहुंचने में असमर्थ होती है। सोशल मीडिया पर वायरल हुए इस वीडियो की पड़ताल की गई तो पता चला यह गाड़ी कोखराज थाना इलाके के रिपोर्टिंग पुलिस चौकी भरवारी की है। बताया जाता है कि मुल्जिमो को लेकर चौकी प्रभारी जिला कारागार गए थे। वापस लौटते समय ओसा चौराहे के पास उनकी सरकारी गाड़ी ने धोखा दे दिया। जिसके बाद हमराही पुलिस लोगो की मदद से गाड़ी की धक्का लगाते हुए दिखे है।

ऐसे में सवाल उठना लाजिमी है कि प्रदेश सरकार यूपी पुलिस को हाईटेक बनाने के साथ-साथ बजट गाड़ियों को सुधारने के लिए आता तो है लेकिन वो धन कहाँ चला जाता है, जो पुलिस को ड्यूटी के दौरान धक्का मारने पर मजबूर करता है.?

डीएस यादव

लापरवाही नहीं की जाएगी बर्दाश्तः त्रिवेंद्र

कार्य के प्रति लापरवाही नहीं की जायेगी बर्दाश्त : मुख्यमंत्री


जल जीवन मिशन के तहत होने वाले कार्यों के लिए केन्द्र को प्रस्ताव भेजें


डोईवाला विधानसभा क्षेत्र में सीएम की 70 प्रतिशत घोषणाएं पूर्ण


देहरादून। प्रदेश के मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने अधिकारियों को निर्देश दिये कि प्रदेश में मुख्यमंत्री घोषणाओं को निर्धारित समयावधि में पूर्ण किया जाये। कार्य के प्रति किसी भी प्रकार की लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जायेगी। जल जीवन मिशन के तहत होने वाले कार्यों के लिए केन्द्र को प्रस्ताव बनाकर भेजें। केन्द्र सरकार द्वारा विभिन्न जन कल्याण योजनाओं के लिए राज्य सरकार को भरपूर सहयोग मिल रहा है।


मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र रावत ने सोमवार को सचिवालय में डोईवाला विधानसभा की घोषणाओं के सबंध में बैठक ली। ज्ञातव्य है कि पिछली बैठकों में अन्य विधानसभाओं की समीक्षा हो गई थी। डोईवाला विधानसभा में मुख्यमंत्री की 132 घोषणाओं में से 93 घोषणाएं पूर्ण हो चुकी हैं। लोक निर्माण विभाग की समीक्षा करते हुए मुख्यमंत्री ने रेलवे ओवर ब्रिज से भानियावला तक डबल लेन के निर्माण एवं बाईपास के किनारे फुटपाथ निर्माण तथा सौन्दर्यीकरण के कार्य में विलम्ब पर नारजगी व्यक्त की। उन्होंने 30 जून तक इसका इस्टीमेट शासन को भेजने के निर्देश दिये। नागल ज्वालापुर से डोईवाला के मध्य सड़क चौड़ीकरण का कार्य, डोईवाला विधानसभा क्षेत्र के अन्तर्गत अन्य सड़कों का निर्माण एवं चौड़ीकरण के अवशेष कार्यों को जल्द पूर्ण करने के निर्देश दिये। राजकीय इण्टर कॉलेज रानीपोखरी में स्व. राजेन्द्र सिंह शाह की मूर्ति जल्द स्थापित करने के निर्देश दिये। वहीं पेयजल विभाग की समीक्षा के दौरान जानकारी दी गई कि जौलीग्रान्ट पेयजल योजना के सुदृढ़ीकरण का कार्य चल रहा है। डोईवाला नगरीय पेयजल योजना का कार्य भी प्रगति पर हैं वैभव विहार नवादा में जलाशय  एवं डोईवाला विधानसभा के विभिन्न वार्डों के मौहल्लों में पाईप लाईन बिछाने के कार्य के लिए एस्टीमेट बनाया जा रहा है। सौडा सरोली, बड़ासी ग्रान्टएवं थानों चकताई पेयजल योजना के सुदृढ़ीकरण का कार्य जल जीवन मिशन के तहत किया जायेगा।


सिंचाई विभाग की समीक्षा के दौरान जानकारी दी गई की इन्दरपुर में नवादा नाले की जल निकासी एवं माजरी नहर के दोनों ओर वाकिंग ट्रेक तथा शैडेड सिटिंग एरिया निर्माण का कार्य गतिमान है। डोईवाला में बस अड्डे के निर्माण के लिए रेशम विभाग की भूमि चिन्हित की गई है, इसके लिए अभी विभाग की सहमति नहीं मिली है। मुख्यमंत्री ने कहा कि इसके लिए विभाग से बात की जाये। उनको अन्य स्थान पर भूमि की व्यवस्था भी जाये। विद्यालयी शिक्षा की समीक्षा करते हुए मुख्यमंत्री ने निर्देश दिये कि राजकीय इण्टर कॉलेज इठारना के लिए नवीन भवन, राजकीय इण्टर कॉलेज दूधली में बहुद्देशीय हॉल एवं राजकीय इण्टर कॉलेज रानीपोखरी के कक्षा कक्षों के जीर्णोद्धार की कार्यवाही जल्द पूर्ण की जाये।


युवा कल्याण विभाग की समीक्षा के दौरान जानकारी दी गई कि मिनी स्टेडियम के लिए अठूरवाला में जमीन चिन्हित की गई है। दुधली, भानियावाला, लालतप्पड़ व थानों में छोटे छोटे खेल मैदानों की स्थापना की कार्यवाही गतिमान है। राज्य स्तरीय शहीद स्मारक का निर्माण कार्य शहरी विकास विभाग द्वारा किया जायेगा। इसके लिए सहस्त्रधारा रोड पर भूमि चिन्हित की गई है। पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए इठारना में सौन्दर्यीकरण का कार्य किया गया है। डोईवाला में एक फायर यूनिट स्थापित की गई, फायर स्टेशन की कार्यवाही गतिमान है। डोईवाला सुगरमिल के आधुनिकीकरण का कार्य प्रगति पर है।


बैठक में अपर मुख्य सचिव ओम प्रकाश, मुख्यमंत्री के विशेष कार्याधिकारी धीरेन्द्र सिंह पंवार, सचिव आर.के सुधांशु, आर.मीनाक्षी सुंदरम, शैलेष बगोली, दिलीप जावलकर, बृजेश कुमार संत एवं सबंधित विभागीय अधिकारी उपस्थित थे।


छत्तीसगढ़ से केंद्र को मिले 2230 करोड़

जीएसटी व योजनाओं से मिले 2230 करोड़ रुपये
रायपुर। केंद्र सरकार के 20 लाख करोड़ के आत्मनिर्भर भारत पैकेज से छत्तीसगढ़ के लोगों को सीधे कोई लाभ नहीं हुआ, लेकिन इस बीच जीएसटी और अन्य योजनाओं के जरिए मिले 2230 करोड़ रुपए ने कोरोना संकट के दौर में बड़ी भूमिका निभाई है। जीएसटी के अंतर्गत ही 1117 करोड़ मिले हैं। इस राशि से राज्य सरकार ने शहरों को कोरोना की रोकथाम के लिए जरूरी मदद दी है। केंद्र सरकार ने पीएम किसान सम्मान निधि में 432 करोड़, पीएम जन धन योजना में 393 करोड़, पेंशन की एनएसएपी योजना में 43 करोड़, ईपीएफ विड्राल में 17 करोड़, स्टेट डिजास्टर रिस्पांस फंड में 216 करोड़, 24 प्रतिशत ईपीएफ में 12 करोड़ दिए हैं। इसी तरह पहली किस्त के रूप में सेंट्रल टैक्स व ड्यूटी का वर्ष 2020-21 का 1574 करोड़ दिया गया है। पीएम गरीब कल्याण अन्न योजना, मास्क, पीपीई किट, टेबलेट, सरकारी व निजी लैब को भी मंजूरी दी गई है। इस बीच केंद्र सरकार ने जीएसटी का 36400 करोड़ रुपए जारी किया है। इसमें से राज्यों का हिस्सा उन्हें भेजा जा रहा है। छत्तीसगढ़ के हिस्से में करीब 1600 करोड़ रुपए मिल सकते हैं। ये दिसंबर से फरवरी तक का आबंटन है। इसके पहले की राशि दी जा चुकी है।कर्मकार मंडल में 400 करोड़ रुपए जमा हैं। इसे केंद्र ने मजदूरों को बांटने कहा था। इस संबंध में केंद्रीय श्रम एवं रोजगार राज्यमंत्री संतोष गंगवार ने राज्यों को पत्र लिखकर पंजीकृत श्रमिकों के खातों में बिल्डिंग एंड अदर्स कंस्ट्रक्शन वर्कर्स वेलफेयर का पैसा जमा करने का आग्रह किया था। प्रदेश के लगभग 15 लाख संगठित कुशल मजदूरों को इसका फायदा होगा। दरअसल प्रदेश का सन्निर्माण कर्मकार मंडल पूर्व में इन पैसों से मजदूरों को सिलाई मशीन, साइकिल, टिफिन आदि बांटता रहा है। मजदूरों के घर बनाने व बच्चों की पढ़ाई में खर्च किया जाता है। ईएसआई अस्पताल भी बनाए जाते हैं। दरअसल हर राज्य में कंस्ट्रक्शन वर्क पर दो फीसदी श्रमिक कल्याण उपकर लिया जाता है। यह सड़क, भवन आदि निर्माण करने वाले ठेकेदारों से वसूला जाता है। यह केंद्र सरकार के पास जमा होता है। राज्य में श्रममंत्री इस मंडल के अध्यक्ष हैं। उन्हीं के ओएसडी मंडल के सचिव है। पूर्व में श्रम विभाग के उच्च पदाधिकारी इस मंडल के सचिव नियुक्त होते थे। केंद्रीय श्रम मंत्री ने इस पत्र के माध्यम से राज्य सरकार से आग्रह किया है कि बीओसीडब्लू वेलफेयर फंड में जमा राशि का उपयोग पंजीकृत श्रमिकों के खातों में आर्थिक सहायता के रूप में जमा किया जाए।


प्राधिकृत प्रकाशन विवरण

यूनिवर्सल एक्सप्रेस    (हिंदी-दैनिक)


 जून 10, 2020, RNI.No.UPHIN/2014/57254


1. अंक-302 (साल-01)
2. बुधवार, जूूून 10, 2020
3. शक-1943, अषाढ़, कृष्ण-पक्ष, तिथि- पंचमी, विक्रमी संवत 2077।


4. सूर्योदय प्रातः 05:39,सूर्यास्त 07:24।


5. न्‍यूनतम तापमान 22+ डी.सै.,अधिकतम-41+ डी.सै.।


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सोमवार, 8 जून 2020

किस ब्लड ग्रुप में फैल रहा है संक्रमण ?

कविता गर्ग


नई दिल्ली। दुनियाभर में कोरोना वायरस के बढ़ते संक्रमण के बीच अलग-अलग देशों में कई रिसर्च हो रही हैं। भारतीय वैज्ञानिक समेत दुनियाभर के शोधकर्ता और विशेषज्ञ कोरोना के लक्षणों, इसकी संरचना, प्रभाव, इलाज, दवा, वैक्सीन आदि को लेकर शोधरत हैं। शुरुआत से ही कई शोधों के आधार पर यह बात बताई जा चुकी है कि कमजोर इम्यूनिटी वालों को कोरोना का ज्यादा खतरा रहता है। इसके अलावा बुजुर्गों या पहले से गंभीर बीमारियों से जूझ रहे लोगों को संक्रमण का खतरा ज्यादा रहता है। लेकिन क्या कोरोना संक्रमण का ब्लड ग्रुप से भी गहरा संबंध है? बीते मार्च में इसको लेकर चीन के हुबेई प्रांत के झोंगनान अस्पताल में एक रिसर्च स्टडी की गई थी। अब एक बार फिर जर्मनी की कील यूनिवर्सिटी ने इस संबंध में अध्ययन किया है, जिसके परिणाम पूर्व में हुई स्टडी से मिलते हैं।


जर्मनी की कील यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने अध्ययन में बताया है कि किस ब्लड ग्रुप के लोगों को कोरोना संक्रमण का ज्यादा खतरा है और किस ग्रुप के लोगों को इसका कम खतरा है। उन्होंने डीएनए के एक खास हिस्से को कोरोना संक्रमण से जोड़ते हुए अध्ययन किया है। बताया है कि ज्यादा जोखिम वाले ब्लड ग्रुप के मरीजों को सांस लेने में तकलीफ बढ़ सकती है और वेंटिलेटर की भी जरूरत पड़ सकती है।


शोधकर्ताओं का दावा


कील यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं का दावा है कि ए ब्लड ग्रुप वाले लोगों को कोरोना संक्रमण का ज्यादा खतरा रहता है। ऐसे लोगों में संक्रमण का स्तर गंभीर हो सकता है और उन्हें वेंटिलेटर तक की जरूरत पड़ सकती है। शोधकर्ताओं के मुताबिक, अन्य ब्लड ग्रुप वालों की अपेक्षा ए ब्लड ग्रुप वालों को संक्रमित होने का खतरा छह फीसदी तक ज्यादा है।


ए ब्लड गुप वालों को खतरा


शोधकर्ताओं ने अपने अध्ययन में पाया है कि ए ब्लड ग्रुप वाले कोरोना पीड़ितों में डीएनए का एक खास हिस्सा ऐसा है, जो ज्यादा जोखिम का कारक हो सकता है। रिसर्च के दौरान इसकी पुष्टि हुई है। इससे पहले चीन के वुहान में हुई रिसर्च स्टडी में भी पता चला था कि जिन लोगों का ब्लड ग्रुप ए है, उन्हें कोरोना के संक्रमण का ज्यादा खतरा है।
वेंटिलेटर की जरूरत


शोधकर्ताओं का कहना है कि ए ब्लड ग्रुप वाले कोरोना मरीजों में 50 फीसदी तक संभावना है कि उन्हें सांस लेने में ज्यादा तकलीफ हो सकती है। उन्हें ऑक्सीजन की ज्यादा जरूरत पड़ सकती है या फिर उन्हें वेंटिलेटर पर भी रखना पड़ सकता है। ब्लड ग्रुप एक ऐसा फैक्टर है, जो कि बुजुर्गों के प्रति युवाओं को कम खतरा होने के समीकरण को प्रभावित करता है।


बड़ी संख्या में युवा भी हो रहे संक्रमित


ब्लड ग्रुप और अन्य कई फैक्टर्स के चलते युवा और स्वस्थ लोग भी कोरोना से संक्रमित हो सकते हैं और उनकी मौत की संभावना भी हो सकती है। चीन में बुजुर्गों की संख्या ज्यादा रही, जबकि अमेरिका में कोरोना के 40 फीसदी मरीज युवा हैं। पिछले कुछ दिनों से कोरोना संक्रमितों में युवाओं की संख्या भी अच्छी खासी है।


अमेरिका में संक्रमण पर भी नजर 


अमेरिकी स्वास्थ्य एजेंसी सेंटर्स फॉर डिसीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन (सीडीसी) के मुताबिक, पिछले हफ्ते अस्पतालों में भर्ती होने वाले कोरोना के 30 फीसदी मरीजों की उम्र 18 से 49 साल के बीच थी। ए ब्लड ग्रुप वालों में किस उम्र वर्ग के लोग सबसे ज्यादा संक्रमण के रिस्क जोन में हैं, शोधकर्ता इसका पता लगा रहे हैं।


रिसर्च स्टडी में क्या सामने आया?


शोधकर्ताओं ने सांस लेने में ज्यादा तकलीफ वाले इटली और स्पेन के कोरोना पीड़ितों के डीएनए सैंपल लिए। दोनों देशों के ऐसे 1610 मरीजों के जीनोम सिक्वेंस की जांच की गई। शोधकर्ताओं के मुताबिक, इनकी डीएनए रिपोर्ट में एक कॉमन पैटर्न दिखा जो जान का खतरा बढ़ाने के लिए जिम्मेदार कारक हो सकता है। सामान्य लक्षणों वाले 2205 मरीजों से इनकी डीएनए रिपोर्ट का मिलान करने पर पाया गया कि 1610 मरीजों में डीएनए के दो जीन उनकी नाजुक हालत के जिम्मेदार थे।


किस ब्लड ग्रुप वालों को कम खतरा?


जर्मनी के शोधकर्ताओं का कहना है कि ओ ब्लड ग्रुप वालों में गंभीर संक्रमण का खतरा कम है। वुहान में मार्च में हुए रिसर्च में भी बताया गया था कि ए ब्लड ग्रुप की तुलना में ब्लड ग्रुप ‘ओ’ वाले लोगों को इसके संक्रमण का खतरा कम है। जर्मनी के शोधकर्ताओं के मुताबिक, ब्लड ग्रुप ए वालों में खतरे की वजह इम्यून सिस्टम भी हो सकती है, जो अधिक सक्रिय होने पर फेफड़ों में सूजन बढ़ाता है और दूसरे अंगों को भी इस तरह प्रभावित करता है कि अंग कोरोना से नहीं लड़ पाते।


जर्मनी के शोधकर्ताओं की इस रिसर्च स्टडी के परिणाम जैसे आए हैं, चीन के वुहान में हुई स्टडी के परिणाम भी ऐसे ही आए थे। दोनों शोध इस बात की तस्दीक करते हैं कि ए ब्लड ग्रुप वालों को कोरोना संक्रमण का ज्यादा खतरा है, जबकि ओ ब्लड ग्रुप वालों को संक्रमण का खतरा अपेक्षाकृत कम है।


जिंदगी चलती जाती है 'कहानी'

जिंदगी चलती जाती हैं

 

जब जूलियो 10 साल का था तो उसका बस एक ही सपना था , अपने फेवरेट क्लब रियल मेड्रिड की ओर से फुटबाल खेलना ! वह दिन भर खेलता, प्रैक्टिस करता और धीरे-धीरे वह एक बहुत अच्छा गोलकीपर बन गया। 20 का होते-होते उसके बचपन का सपना हकीकत बनने के करीब पहुँच गया। उसे रियल मेड्रिड की तरफ से फुटबाल खेलने के लिए साइन कर लिया गया।

खेल के धुरंधर जूलियो से बहुत प्रभावित थे और ये मान कर चल रहे थे कि बहुत जल्द वह स्पेन का नंबर 1 गोलकीपर बन जायेगा। 1963 की एक शाम, जूलियो और उसके दोस्त कार से कहीं घूमने निकले। पर दुर्भाग्यवश उस कार का एक भयानक एक्सीडेंट हो गया, और रियल मेड्रिड व स्पेन का नंबर 1 गोलकीपर बनने वाला जूलियो हॉस्पिटल में पड़ा हुआ था , उसके कमर के नीचे का हिस्सा पैरलाइज हो चुका था। 

डॉक्टर्स इस बात को लेकर भी आस्वस्थ नहीं थे कि जूलियो फिर कभी चल पायेगा, फ़ुटबाल खेलना तो दूर की बात थी। वापस ठीक होना बहुत लम्बा और दर्दनाक अनुभव था. जूलियो बिलकुल निराश हो चुका था, वह बार-बार उस घटना को याद करता और क्रोध और मायूसी से भर जाता. अपना दर्द कम करने के लिए वह रात में गाने और कविताएँ लिखने लगा. धीरे-धीरे उसने गिटार पर भी अपना हाथ आजमाना शुरू किया और उसे बजाते हुए अपने लिखे गाने भी गाने लगा।

18 महीने तक बिस्तर पर रहने के बाद , जूलियो अपनी ज़िन्दगी को फिर से सामान्य बनाने लगा। एक्सीडेंट के पांच साल बाद उसने एक सिंगिंग कम्पटीशन में भाग लिया और ” लाइफ गोज ओन द सेम ” गाना गा कर फर्स्ट प्राइज जीता। वह फिर कभी फ़ुटबाल नहीं खेल पाया पर अपने हाथों में गिटार और होंठों पे गाने लिए जूलियो इग्लेसियस संगीत की दुनिया में Top-10  सिंगर्स में शुमार हुआ ,और अब तक उनके 30 करोड़ से अधिक एल्बम बिक चुके हैं।

उपर्युक्त कहानी से हमें यह शिक्षा मिलती हैं कि हमें परिस्थितियों से घबराना नहीं चाहिए, परिस्थिति चाहे कैसी भी हो, हमे उन्हें अपने अनुकूल बनाकर जिंदगी बितानी चाहिए। हंसती-खेलती जिंदगी में आये संकटों से घबराकर जिंदगी में निराश/हताश न होकर समय व परिस्थिति के अनुरुप अपने आपको एडजस्ट करके जिंदगी जिनी चाहिए।

 

दिल्ली सीएम की तबीयत खराब होगी जांच

नई दिल्‍ली। दिल्‍ली के सीएम अरविंद केजरीवाल की तबीयत खराब हो गई है। सीएम केजरीवाल रविवार से बुखार और गले में खराश की शिकायत बता रहे हैं। कोरोना के लक्षण जैसी शिकायत के कारण अब उनको कोरोना टेस्ट करवाना होगा। अभी तक मिली जानकारी के अनुसार, मंगलवार को केजरीवाल का कोरोना टेस्‍ट होगा। इधर एहतियात के कारण सीएम की कल दोपहर से सारी मीटिंग कैंसिल कर दी गई है। वहीं, सीएम केजरीवाल ने खुद को आइसोलेट कर लिया है।


दिखे शुरुआती लक्षण


बता दें कि कोरोना के लक्षण में बुखार आना और गले में खराश की शिकायत सबसे पहले लक्षणों में एक है। यही लक्षण केजरीवाल में अभी फिलहाल शुरुआती तौर पर दिख रहे हैं। हालांकि, बीमारी के लक्षण के बाद खुद उन्‍होंने अपने को आइसोलेट कर लिया है। अब कोरोना टेस्‍ट के बाद ही पता चल पाएगा कि यह सामान्‍य बुखार है या कोरोना से जुड़ा है। फिलहाल डॉक्‍टरों की एक टीम उनके स्‍वास्‍थ्‍य का ख्‍याल रख रही है।


जल्‍द लौटेंगे काम पर


दिल्ली के डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया ने कहा कि मुख्यमंत्री को कल से थोड़ा बुखार और गले में दर्द है। कल दोपहर से उन्होंने अपने आपको आइसोलेट कर रखा है। डॉक्टर ने सलाह दी है कि कल उनका कोरोना टेस्ट होगा।हम सब ईश्वर से प्रार्थना कर रहे हैं कि वे सकुशल रहें और जल्दी से स्वस्थ होकर वापस काम पर लौटेंं।


संजय सिंह ने कहा जल्‍द होंगे ठीक


इधर आम आदमी पार्टी के नेता संजय सिंह ने अरविंद केजरीवाल की तबीयत पर कहा कि उन्‍हें सात जून से कुछ परेशानी हो रही है। डॉक्‍टरों की सलाह पर वे खुद को घर में ही आइसोलेट कर लिए हैं। प्रभु जल्‍द.से.जल्‍द उन्‍हें स्‍वस्‍थ करे, यह प्रार्थना है मेरी।


मनोज तिवारी ने कहा हनुमान जी करेंगे ठीक


भाजपा नेता मनोज तिवारी ने कहा कि मैंने हनुमान जी से केजरीवाल जी को स्वस्थ रखने की प्रार्थना की हैै। वो स्वस्थ रहें और दिल्ली को स्वस्थ रखने में अपनी जो भूमिका है उसका निर्वाह करें। दिल्ली के अस्पतालों में सिर्फ दिल्लीवालों का इलाजश् इस तरह इंसानियत को शर्मसार करने वाला निर्णय दिल्ली को नहीं लेना चाहिए था।


कुछ दिनों से चल रहा सीमा विवाद


इधर, बता दें कि कोरोना और सीमा विवाद को लेकर पिछले कुछ दिनों से केजरीवाल सुर्खियों में हैं। दिल्‍ली के बॉर्डर खोलने और कोरोना के बेड को लेकर हो उठ रहे विवाद के बाद केजरीवाल ने रविवार को बड़ा फैसला लिया था, जिसमें यह कहा था कि बाहरी मरीजों का इलाज अब राज्य सरकार के अस्पतालों में नहीं होगा। दिल्ली सरकार के अंतर्गत आने वाले अस्पतालों में अब सिर्फ दिल्ली के लोगों का ही इलाज होगा। केंद्र सरकार के अधिकार क्षेत्र वाले अस्पतालों जैसे एम्स समेत अन्य में कोई भी मरीज इलाज करा सकता है। वहीं, सीमा विवाद पर यह तय हुआ था कि दिल्‍ली की सीमा अब हर किसी के लिए खुली रहेगी यह बंद नहीं होगी।


देश की तरक्की का आधार बना 'मनरेगा'

अकाशुं उपाध्याय


नई दिल्ली। महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी कानून, 2005 यानी मनरेगा एक क्रांतिकारी और तर्कसंगत परिवर्तन का जीता जागता उदाहरण है। यह क्रांतिकारी बदलाव का सूचक इसलिए है, क्योंकि इस कानून ने गरीब से गरीब व्यक्ति के हाथों को काम और आर्थिक ताकत दी है। मनरेगा का पैसा सीधे उन लोगों के हाथों में पहुंचता है जिन्हें इसकी सबसे ज्यादा जरूरत है। विरोधी विचारधारा वाली केंद्र सरकार के छह साल में और उससे पहले भी मनरेगा की उपयोगिता साबित हुई है।


अंतत: मोदी सरकार को मनरेगा के लाभ और सार्थकता को स्वीकारना पड़ा


मोदी सरकार ने इसकी आलोचना की, इसे कमजोर करने की कोशिश की, लेकिन अंत में उसे मनरेगा के लाभ और सार्थकता को स्वीकारना पड़ा। कांग्र्रेस सरकार द्वारा स्थापित की गई सार्वजनिक वितरण प्रणाली के साथ-साथ मनरेगा सबसे गरीब और कमजोर नागरिकों को भूख एवं गरीबी से बचाने के लिए अत्यंत कारगर है। खासतौर से कोरोना महामारी के संकट के दौर में यह और ज्यादा प्रासंगिक है।


मनरेगा कानून एक लंबे जन आंदोलन द्वारा उठाई जा रही मांगों का परिणाम है


मनरेगा कानून एक लंबे जन आंदोलन तथा सिविल सोसायटी द्वारा उठाई जा रही मांगों का परिणाम है। कांग्रेस ने जनता की इस आवाज को सुना और अमली जामा पहनाया। यह हमारे 2004 के चुनावी घोषणापत्र का संकल्प बना। इस योजना के क्रियान्वयन के लिए अधिक से अधिक दबाव डालने वाले हर व्यक्ति को गर्व है कि यूपीए सरकार ने इसे लागू कर दिखाया।


मनरेगा का उद्देश्य गरीबी मिटाना है


इसका सार यही है कि गांवों में रहने वाले किसी भी व्यक्ति को अब काम मांगने का कानूनी अधिकार है। सरकार द्वारा उसे न्यूनतम मजदूरी के साथ कम से कम सौ दिनों तक काम दिए जाने की गारंटी होगी। इसकी उपयोगिता बहुत जल्द साबित भी हुई। यह जमीनी स्तर पर काम का अधिकार देने वाला कार्यक्रम है, जो अपने में अभूतपूर्व है। इसका उद्देश्य गरीबी मिटाना है। मनरेगा की शुरुआत के बाद 15 वर्षों में इस योजना ने लाखों लोगों को भूख और गरीबी के कुचक्र से बाहर निकाला है।


मनरेगा को बंद करना व्यावहारिक नहीं


महात्मा गांधी ने कहा था, ‘‘जब आलोचना किसी आंदोलन को दबाने में विफल हो जाती है तो उस आंदोलन को स्वीकृति और सम्मान मिलना शुरू हो जाता है।’’ उनकी इस बात को साबित करने का मनरेगा से ज्यादा अच्छा उदाहरण और कोई नहीं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को भी समझ आया कि मनरेगा को बंद करना व्यावहारिक नहीं। हालांकि उन्होंने आपत्तिजनक भाषा का प्रयोग कर कांग्रेस पर हमला बोला और इस योजना को ‘कांग्रेस की विफलता का एक जीवित स्मारक’ तक कह डाला।


मोदी सरकार ने मनरेगा को खोखला करने की पूरी कोशिश की


पिछले सालों में मोदी सरकार ने मनरेगा को खत्म एवं खोखला करने की पूरी कोशिश की, लेकिन मनरेगा के सजग प्रहरियों, अदालत और विपक्षी दलों के भारी दबाव के चलते उसे पीछे हटने को मजबूर होना पड़ा। इसके बाद केंद्र ने मनरेगा को स्वच्छ भारत तथा पीएम आवास योजना जैसे कार्यक्रमों से जोड़कर इसका स्वरूप बदलने की कोशिश की, जिसे सुधार कहा गया, लेकिन यह कांग्रेस की योजनाओं का नाम बदलने का प्रयास मात्र था। मनरेगा श्रमिकों को भुगतान में देरी की गई और उन्हें काम तक देने से इन्कार किया गया।


आफतः अंतिम संस्कार के बाद आई रिपोर्ट

मनोज सिंह ठाकुर


मुंबई। देश में कोरोना की मार से सबसे ज्यादा महाराष्ट्र प्रभावित हुआ है। यहां कोरोना संक्रमितों की संख्या 85 हजार के पार पहुंच चुकी है। इस सकंट के बीच एक अस्पताल की बड़ी लापरवाही सामने आई है। अस्पताल की ओर से एक 55 साल के व्यक्ति की डेड बॉडी बिना कोरोना रिपोर्ट देखे ही परिजनों को सौंप दी गई। वहीं, परिजनों ने अंतिम संस्कार कर दिया तो पता चला कि मृतक शख्स की कोरोना रिपोर्ट पॉजिटिव है। ऐसे में अब अंतिम संस्कार में शामिल हुए करीब 400 लोगों पर आफत बन आई है। मुंबई के वसई में स्थित The Cardinal Gracious Hospital में अरनाला गांव के रहने वाले 55 साल के व्यक्ति को लीवर की समस्या की वजह से एडमिट कराया गया था। वो 15 दिनों तक अस्पताल में रहे और बीते गुरुवार को इलाज के दौरान उनकी मौत हो गई। इसके बाद डेड बॉडी को कोरोना टेस्ट के लिए भेज दिया गया। वहीं, अस्पताल ने बिना रिपोर्ट आए ही परिजनों को डेड बॉडी सौंप दी।


इधर, मृतक व्यक्ति के अंतिम संस्कार में 400 से अधिक लोग शामिल हुए। अगले दिन परिवार के सदस्यों को अस्पताल से फोन आया कि मृतक व्यक्ति की कोरोना रिपोर्ट पॉजिटिव आई है। इसके बाद अंतिम संस्कार में शामिल होने वाले रिश्तेदारों और पड़ोसियों में दहशत फैल गई। वसई के स्वास्थ्य अधिकारी डॉक्टर बालसाहेब जाधव ने कहा कि अंतिम संस्कार के अगले दिन कोरोना रिपोर्ट आई थी। हमने अस्पताल को नोटिस भेजा है। मामले में पूछताछ जारी है। वहीं, अस्पताल की ओर से कहा गया कि मरीज को 15 दिन पहले भर्ती कराया गया था। पहले कोरोना रिपोर्ट निगेटिव आई थी और कोई लक्षण भी नहीं थे। उनकी मौत लीवर की बीमारी की वजह से हुई है। डेड बॉडी सौंपने से पहले उन्हें वेंटीलेटर और डायलिसिस पर रखा गया था। साथ ही परिजनों को भी कोरोना से जुड़े सभी उचित निर्देश दिए गए थे। शरीर पैक किया गया था. इस वक्त ऐसे आरोप डॉक्टरों और अस्पताल के कर्मचारियों का मनोबल गिराने जैसा है।


हिमाचल: अनियंत्रित वायरस, संक्रमित-413

सोलन। हिमाचल प्रदेश में कोरोना वायरस के मामलों में अभी भी कमी नहीं आई है। जिला सोलन (District Solan) में फिर से कोरोना के दो नए मामले सामने आए हैं। रविवार को कोविड-19 जांच के लिए केंद्रीय अनुसंधान संस्थान कसौली भेजे गए 148 सैंपल में से 146 नेगेटिव और दो लोगों के सैंपल पॉजिटिव (positive) पाए गए हैं। दोनों के सैंपल बरोटीवाला क्वारंटाइन सेंटर (Quarantine Center Barotiwala ) से लिए गए थे।


संक्रमितों में एक व्यक्ति नालागढ़ से है और हावड़ा, कोलकाता (Calcutta) से आया था, जबकि दूसरा उत्तराखंड (Uttrakhand) से है और बरमाणा स्थित सीमेंट कंपनी में कार्य करता है। दोनों दिल्ली से ट्रेन में सफर कर हिमाचल पहुंचे। जिला स्वास्थ्य अधिकारी सोलन डॉ. एनके गुप्ता ने इसकी पुष्टि की है। इसी के साथ सोलन जिला में अब कोरोना संक्रमितों का आंकड़ा 34 पहुंच गया है, जबकि 18 एक्टिव मामले हैं। वहीं हिमाचल में अब कोरोना संक्रमितों की कुल संख्या 413 हो गई है इनमें से 185 एक्टिव केस हैं जबकि 223 स्वस्थ हो गए हैं। प्रदेश में अब तक पांच लोगों की मौत हुई है।


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