तड़पते हुए गर्भवती व दो अजन्मों ने दम तोड़ा
गरौठा विधायक के हस्तक्षेप पर बनी जांच कमेटी, कार्रवाई की मांग
झांसी। प्रदेश सरकार भले ही लाक डाउन के चलते किसी भी तरह की बीमारी से ग्रस्त को इलाज सुविधाएं उपलब्ध कराने का दावा किया जाता रहे पर हकीकत इसके विपरीत है। कोरोना के डर से झांसी महानगर में स्वास्थ्य सेवाएं चरमराई हुई हैं। महानगर में निजी अस्पताल खुल नहीं रहे, सरकारी अस्पताल मरीजों को मेडिकल कॉलेज रेफर कर रहे हैं।गर्भवती, हृदय रोग, ब्लड प्रेशर व अन्य बीमारियों के शिकार मरीजों को भी समय से उपचार नहीं मिल रहा। बुंदेलखंड के प्रमुख एम एल वी मेडिकल कॉलेज में बीमार इलाज के लिए तड़प तड़प कर दम तोड़ रहे हैं, किंतु चिकित्सकों द्वारा अन्य रोगों से ग्रस्त मरीजों को भी कोरोना संक्रमित होने के संदेह के डर से इलाज नहीं कर अपने हाल पर छोड़ दिया जा रहा है। मेडिकल कॉलेज पहुंचने पर मरीजों को पहले कोविड वार्ड भेजा रहा है, किंतु वहां इलाज के लिए तड़पते रहते हैं, इस हालत के चलते शुक्रवार को मेडिकल कॉलेज में चार मरीजों का जिंदगी ने साथ छोड़ दिया। इसमें एक ऐसी गर्भवती भी थी जिसके गर्भ में आठ माह के जुड़वां बच्चे थे। इस प्रकरण में गरौठा विधायक जवाहर लाल राजपूत के हस्तक्षेप के बाद जांच समिति का गठन कर दिया गया है। हालांकि मेडिकल कॉलेज प्रशासन महिला की मौत से पल्ला झाड़ लिया है।
दरसल, थाना समथर के कडूरा गांव निवासी अजीत सिंह राजपूत की पत्नी दीपिका (26) आठ महीने की गर्भवती थी। बृहस्पतिवार को दीपिका प्रसव वेदना से तड़पने लगी। हालत बिगड़ी तो उसे झांसी के एक निजी अस्पताल लाया गया, किंतु वहां डॉक्टर नहीं होने के कारण स्टाफ ने उसे भर्ती करने से इंकार कर दिया। इसके बाद परिजन गर्भवती को लेकर रात लगभग 11 बजे मेडिकल कॉलेज पहुंच गए, किंतु डॉक्टरों ने उन्हें भर्ती नहीं किया। इलाज नहीं मिलने से दीपिका की तबीयत बिगड़ती चली गई और उसे पेट में तेज दर्द शुरू हो गया। बार-बार कहने पर दीपिका को एक इंजेक्शन लगा दिया और स्टाफ ने परिजनों से कहा कि सुबह आठ बजे डॉक्टर आएंगी वो देखकर ही भर्ती करेंगी। शुक्रवार की सुबह सात बजे दीपिका ने इलाज के अभाव में दम तोड़ दिया। इससे परिवार में कोहराम मच गया। मामले की सूचना मिलने पर गरौठा विधायक जवाहर लाल राजपूत ने तत्परता दिखाते हुए मेडिकल कॉलेज प्रशासन व जिलाधिकारी से फोन पर सम्पर्क कर चिकित्सकों द्वारा इलाज में भर्ती गई लापरवाही पर रोष व्यक्त करते हुए कार्रवाई करने के लिए कहा। इसके बाद मामले की जांच के लिए कॉलेज प्रशासन ने तीन सदस्यीय समिति का गठन तो कर दिया, किंतु सफाई देने में समय नहीं लगाया। कॉलेज प्रशासन का कहना है कि डॉक्टर पीपीई किट पहनकर लगातार डिलीवरी करा रही थीं। जैसे ही एक डॉक्टर डिलीवरी के बाद फ्री हुईं तो उन्होंने मरीज को बुलाया तब तक गर्भवती और उसके परिजन चिकित्सालय में नहीं थे।
विधायक के कड़े रुख को देखते हुए बेकफुट पर आए प्रशासन ने गर्भवती के शव को पोस्टमार्टम हाउस भेज दिया गया।पोस्टमार्टम हाउस पहुंचे गरौठा विधायक से परिजनों इलाज न करने वाले डॉक्टर के खिलाफ कार्रवाई की मांग की। विधायक ने उन्हें कार्रवाई कराने का आश्वासन दिया है। इस मामले में मृतका के पति अजीत ने नवाबाद थाने में तहरीर देते हुए बताया कि उसकी पत्नी के पेट में दो बच्चे थे। ऐसे में तीनों की मौत नहीं बल्कि हत्या की गई है। इसके सीधे जिम्मेदार कॉलेज प्रशासन, डॉक्टर और स्टाफ है। विधायक ने भी इस मामले में संवेदनशीलता दिखाते हुए पीड़ित परिवार को न्याय दिलाने का आश्वासन दिया है।इसके अलावा मेडिकल कॉलेज में शुक्रवार को ही एक और बीमार ने इलाज नहीं मिलने पर दम तोड़ दिया जब कि उसका पुत्र चिकित्सकों को पुकारता रहा, किंतु किसी ने उसकी गुहार नहीं सुनी और पुत्र के सामने पिता की सांसें थम गई।