शुक्रवार, 1 मई 2020

स्पेन में मृतकों की संख्या 24,824

मैड्रिड। स्पेन में कोरोना वायरस ‘कोविड-19’ महामारी से मौतों का सिलसिला थम नहीं ले रहा है और पिछले 24 घंटों के दौरान 281 लोगों की मौत के बाद देश में मरने वालों की संख्या बढ़कर 24,824 हो गयी है। देश में हालांकि प्रतिदिन हो रही मृतकों की संख्या में कमी आयी है।


स्वास्थ्य मंत्रालय की ओर से गुरुवार की जारी ताजा आंकड़ों के अनुसार मृतकों की संख्या में कमी दर्ज की गयी है। स्वास्थ्य अधिकारियों ने एक बार फिर दोहराते हुए कहा कि देश में सक्रिय मामलों में कमी आ रही है और पिछले 24 घंटों में 1175 मामले सामने आये है जबकि इसी दौरान 2628 लोगों को ठीक होने के बाद अस्पताल से छुट्टी दे दी गयी है। मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार देश में फिलहाल 75,700 सक्रिय मामले है। स्पेन में 14 मार्च से स्टेट ऑफ़ इमरजेंसी लागू है और यह नौ मई तक के लिए बढ़ा दी गयी है।प्रधानमंत्री पेड्रो सांचेज ने पिछले सप्ताह लॉकडाउन उपायों के चौथे चरण की घोषणा की थी। उन्होंने हालांकि देशवासियों को आगाह भी किया कि जून के अंत से पहले देश में स्थिति सामान्य नहीं हो सकेगी।


इटली में 27 हजार लोगों की मौत

रोम। कोरोना वायरस ने इटली में हाहाकार मचा रखा है और लॉकडाउन के कारण लोगों का बुरा हाल है लेकिन ऐसे हालात में भी वहां के कुख्यात माफिया को लोगों पर तरस नहीं आ रहा है। माफिया इस स्थिति का फायदा उठा रहा है और लोगों को लूटकर पैसा बना रहा है। इटली में एक चौंकाने वाला वीडियो सामने आया है जिसमें दिखा रहा है कि एक कुख्यात माफिया ने एक पोस्ट ऑफिस का गेट ब्लॉक कर रखा है और वह पैसे ऐंठने के बाद ही लोगों को अंदर जाने दे रहा है।


स्थानीय मीडिया के मुताबिक माफिया गिरोह कोरोना महामारी का फायदा उठाकर गरीबों को लूट रहे हैं। बीमारी के कारण देश में अफरातफरी का माहौल है जिससे संगठित अपराधों में बढ़ोतरी हुई है। इटली उन देशों में शामिल है जहां कोरोनावायरस ने सबसे अधिक कहर बरपाया है। देश में कोरोनावायरस के 2 लाख से अधिक मामलों की पुष्टि हुई है और 27 हजार लोग मारे गए हैं। सत्ता के लिए मददः एक अन्य वीडियो में लोग सरकार के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे हैं। उनका आरोप है कि सरकार खाना खरीदने के लिए उनकी मदद नहीं कर रही है। इससे पहले खबर आई थी कि माफिया कोविड-19 लॉकडाउन से प्रभावित गरीबों के लिए भोजन की व्यवस्था कर रहा है। संगठित अपराध के बारे में जानकारी रखने वाले सर्जियो नजारो ने कहा कि माफिया गिरोह केवल अपनी सत्ता कायम करने के लिए लोगों की मदद कर रहे हैं।


अमेरिकाः 24 घंटे में 2,000 से अधिक मौतें

वाशिंगटन। अमेरिका में लगातार तीसरे दिन 24 घंटे की अवधि के भीतर कोरोना वायरस के कारण 2,000 से अधिक लोग जान गंवा चुके हैं। अमेरिका के जॉन्स हॉप्किन्स विश्वविद्यालय ने बृहस्पतिवार को यह जानकारी दी। दुनिया के किसी भी देश के मुकाबले अमेरिका में इस संक्रामक रोग से मरने वाले लोगों की संख्या सबसे अधिक है। बृहस्पतिवार को देश में इस संक्रमण के कारण 2,053 लोगों की मौत हुई और उससे पहले बुधवार को 2,502 और मंगलवार को 2,207 लोगों ने इस संक्रमण के कारण जान गंवाई। बाल्टीमोर स्थित विश्वविद्यालय के अनुसार, अमेरिका में कोविड-19 से अब तक कम से कम 62,906 लोगों की मौत हो चुकी है।


लोगों को पुलिस ने लगाई फटकार

बैरिकेडिंग हटाकर निकले लोगों को पुलिस ने लगाई फटकार


एक दर्जन अन्य स्थानों पर भी की गई बैरिकेडिंग


बाजार के अंदर दिखा प्रभाव लोग दूर-दूर दिखे


फतेहपुर। बैरिकेडिंग हटाकर बाइक लेकर अंदर घुसे लोगों को पुलिस ने जमकर फटकार लगाई और कानून का उल्लंघन करने पर मुकदमा दर्ज करने की बात कही पुलिस ने बैरी केडिंग को दोबारा ठीक किया। बैरी कैटिंग का बाजार के अंदर पूरा प्रभाव दिखाई दिया लोग दूर-दूर दिखे सामाजिक दूरी का पालन नजर आया।


कोरोनावायरस संक्रमण से बचाव के लिए पुलिस और प्रशासन लगातार सक्रिय है। लॉक डाउन का पालन कराने और सोशल डिस्टैंसेस बनाए रखने को लेकर पुलिस ने नगर के एक दर्जन से अधिक स्थानों पर बैरिकेडिंग कराई थी जिसका पहले दिन से ही प्रभाव दिखाई पड़ा दूसरे दिन भी 1 दर्जन से अधिक नगर के विभिन्न स्थानों पर बैग केडिंग की गई। जिसका नगर के अंदर बाजार में पूरा प्रभाव दिखाई दिया नगर के मेन बाजार फाटक बाजार किराना गली नेहरू इंटर कॉलेज रोड में बहुत कम भीड़ देखने को मिली लोगों ने अपने वाहन बाइक आदि बाहर ही खड़ा करके अंदर खरीदारी की हालांकि कुछ लोग कानून का उल्लंघन कर बैग केडिंग कि कुछ बल्लिया हटाकर बाइक अंदर ले गए जिस पर कस्बा इंचार्ज अरविंद कुमार ने जमकर फटकार लगाई और बाइक सवारों से कहा कि कानून का उल्लंघन ना करें वरना बड़ी कानूनी कार्रवाई की जाएगी। नगर के अंदर कई स्थानों पर बांस बल्लियों से की गई बैर केडिंग नगर के अंदर बाजार में पूरा प्रभाव दिखाई दिया लोग आवश्यक काम से ही घरों से निकलते दिखाई दिए बेवजह लोगों को पुलिस ने फटकार भी लगाई।


मुकेश ने सैलरी न लेने का फैसला किया

मुंबई। रिलायंस इंडस्ट्रीज के चेयरमैन मुकेश अंबानी ने कोरोनावायरस महामारी के खत्म हो जाने तक कोई सैलरी न लेने का फैसला किया है। अंबानी की सैलरी सालाना 15 करोड़ रुपये है, जिसमें साल 2008-09 के बाद से कोई बढ़ोत्तरी नहीं हुई है।


कंपनी ने एक बयान में कहा, कोविड-19 के प्रभाव के समाप्त होने तक सैलरी न लेने के मुकेश अंबानी के प्रस्ताव को बोर्ड ने मंजूरी दे दी है। भारत में कोविड-19 के प्रकोप के मद्देनजर, जिसने राष्ट्र के सामाजिक, आर्थिक व औद्योगिक क्षेत्र को प्रभावित किया है, अध्यक्ष व प्रबंध निदेशक मुकेश अंबानी ने अपनी तनख्वाह न लेने का फैसला लिया है।
इसमें यह भी कहा गया है कि उन्होंने तब तक सैलरी न लेने का निश्चय किया है, जब तक उनकी कंपनी और इसके सारे बिजनेस सम्पूर्ण तरीके से अपनी कमाई करने की क्षमता को दोबारा हासिल नहीं कर लेते।


फेड कपः पहली भारतीय टेनिस खिलाड़ी

नई दिल्ली। भारत की स्टार टेनिस खिलाड़ी सानिया मिर्जा गुरुवार को फेड कप हर्ट पुरस्कार के लिए नामित होने वाली पहली भारतीय खिलाड़ी बनीं। उन्हें एशिया/ओशियाना क्षेत्र से इंडोनेशिया की प्रिस्का मेडेलिन नुगरोरहो के साथ नामित किया गया है। सानिया ने हाल में चार साल बाद फेड कप टेनिस टूर्नमेंट में वापसी की थी।


दर्शकों के बीच अपने 18 महीने के बेटे इजहान की मौजूदगी में सानिया ने भारत को पहली बार फेड कप के प्ले ऑफ में जगह दिलाने में अहम भूमिका निभाई थी। अखिल भारतीय टेनिस संघ (एआईटीए) की ओर से जारी बयान में सानिया ने कहा, ‘2003 में पहली बार भारतीय पोशाक में कोर्ट पर उतरना मेरे लिए गौरवपूर्ण लम्हा था। तब से मैंने 18 साल का लंबा सफर तय किया है। भारतीय टेनिस की सफलता में योगदान देकर मैं गौरवांवित महसूस कर रही हूं। 
उन्होंने कहा, ‘पिछले महीने फेड कप के एशिया/ओशियाना टूर्नमेंट में मिला नतीजा मेरे करियर की सबसे बड़ी उपलब्धियों में से एक है। एक खिलाड़ी कुछ विशेष लम्हों के लिए खेलता है और मैं फेड कप हर्ट अवॉर्ड के चयन पैनल की आभारी हूं कि उन्होंने मुझे यह मान्यता दी। 
हर्ट पुरस्कारों के विजेता का फैसला प्रशंसकों की ऑनलाइन वोटिंग के आधार पर होगा जो एक मई से शुरू होकर आठ मई तक चलेगी। यह फेड कप हर्ट पुरस्कार का 11वां सत्र है। यूरोप/अफ्रीका क्षेत्र से एस्टोनिया की एनेट कोनटावीट और लग्जमबर्ग की एलोनोरा मोलिनारो जबकि अमेरिका क्षेत्र से मैक्सिको की फर्नांडा कोंट्रेरास गोमेज और पराग्वे की वेरोनिका केपेड रॉयग को नामित किया गया है।


एलपीजी गैस सिलेंडर के दाम हुए सस्ते

नई दिल्ली। लॉकडाउन के बीच आज आम जनता के लिए राहत भरी खबर आई है। आज से 19 किलोग्राम और 14.2 किलोग्राम वाले गैर-सब्सिडी एलपीजी सिलिंडर के दाम सस्ते हो गए हैं। तेल कंपनियां हर महीने की शुरुआत में एलपीजी सिलिंडर के दामों की समीक्षा करती है। हर राज्य में टैक्स अलग-अलग होता है और इसके हिसाब से एलपीजी के दामों में अंतर होता है। 
इतना सस्ता हुआ गैर-सब्सिडी वाला सिलिंडर आईओसीएल की वेबसाइट से प्राप्त जानकारी के अनुसार, दिल्ली में 14.2 किलोग्राम वाला गैर-सब्सिडी एलपीजी सिलिंडर 162.50 रुपये सस्ता हो गया है। इसके बाद इसकी कीमत 581.50 रुपये हो गई है, जो पहले 744 रुपये थी। कोलकाता में इसका दाम 774.50 रुपये से घटकर 584.50 रुपये हो गया है, मुंबई में यह 714.50 रुपये से कम होकर 579 रुपये हो गया है। वहीं चेन्नई में यह पहले 761.50 रुपये का था, जो आज से 569.50 रुपये का हो गया है।
 इतना सस्ता हुआ 19 किलोग्राम वाला सिलिंडर
दिल्ली में 19 किलोग्राम वाला सिलिंडर 256 रुपये सस्ता हो गया है। इसके बाद इसकी कीमत 1029.50 रुपये हो गई है, जो पहले 1285.50 रुपये थी। कोलकाता में इसका दाम 1348.50 रुपये से घटकर 1086 रुपये हो गया है, मुंबई में यह 1234.50 रुपये से कम होकर 978 रुपये हो गया है। वहीं चेन्नई में यह पहले 1402 रुपये का था, जो आज से 1144.50 रुपये का हो गया है। 


सरकार देती है गैस सिलिंडर पर सब्सिडी 
मौजूदा समय में सरकार एक वर्ष में प्रत्येक घर के लिए 14.2 किलोग्राम के 12 सिलिंडरों पर सब्सिडी प्रदान करती है। अगर ग्राहक इससे ज्यादा सिलिंडर लेना चाहते है, तो वे उन्हें बाजार मूल्य पर खरीदते हैं। गैस सिलिंडर की कीमत हर महीने बदलती है। इसकी कीमत औसत अंतरराष्ट्रीय बेंचमार्क और विदेशी विनिमय दरों में बदलाव जैसे कारक निर्धारित करते हैं।
15 दिन के अंतर पर ही होगी बुकिंग
मालूम हो कि आईओसी ने कहा है कि अब 15 दिन के अंतर पर ही ग्राहकों द्वारा रसोई गैस की बुकिंग कराई जा सकेगी। इस संदर्भ में आईओसी के अध्यक्ष संजीव सिंह ने एक वीडियो संदेश में आश्वस्त किया कि देश में रसोई गैस की कोई कमी नहीं है।


संक्रमितो की संख्या बढ़कर 35043 हुई

नई दिल्ली। पिछले 24 घंटों में भारत में कोरोना वायरस के 1993 नए केस रिपोर्ट हुए हैं। इससे हमारी कुल कंफर्म पॉजिटिव केसों की संख्या बढ़कर अब 35043 हो चुकी है। इनमें 25007 एक्टिव केसों का अभी विभिन्न अस्पतालों में इलाज चल रहा है। पिछले 24 घंटों में देखें 554 लोग ठीक हो चुके हैं। जिससे कि हमारे यहां ठीक हुए मरीजों की कुल संख्या बढ़कर 8888 हो चुकी है। इस तरह हम देखते हैं तो पाते हैं कि हमारा रिकवरी रेट निरंतर बढ़ते हुए अब 25.37 प्रतिशत हो चुका है।


गृह मंत्रालय की प्रवक्ता पुण्य सलिला श्रीवास्तव ने कहा कि रेलवे ने 13 लाख वैगन से अधिक आवश्यक वस्तुओं की आपूर्ति सुनिश्चित की है। ट्रक और सामान ढोने की आवाजाही में बढोतरी हो रही है। आर्थिक गतिविधियों के लिए यह जरूरी है कि राज्य की सीमाओं पर ट्रकों को रोका नहीं जाए। अभी भी कई राज्यों में ऐसी समस्या आ रही है। गृह मंत्रालय ने फिर से स्पष्ट किया है ट्रक और मालवाहक वाहनों को किसी पास की जरूरत नहीं है। चाहे वो भरे हों या खाली हों।


कल सुबह होगी रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह की अध्यक्षता वाली जीओएम की छठी बैठक


कोरोना पर रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह की अध्यक्षता वाली जीओएम की छठी बैठक कल सुबह होगी। इस दौरान तीन मई को खत्म हो रहे लॉकडाउन पर चर्चा होगी। चरणबद्ध तरीके से लॉकडाउन को हटाने पर चर्चा की जाएगी। जीओएम के जरिए अपनी सिफारिशें पीएमओ को दी जाएगी, जिस पर पीएम फैसला करेंगे. बैठक में कई मंत्रालयों के मंत्री मौजूद रहेंगे।


गाज़ः फर्जीवाड़े में कई अधिकारी निलंबित

बलरामपुर रामानुजगंज। प्रदेश के बलरामपुर रामानुजगंज ज़िले के वाड्रफनगर इलाक़े में काग़ज़ों पर मनरेगा का काम कर,क़रीब तीस लाख से उपर के फर्जीबाड़े के मसले पर एक साल से लंबित रिपोर्ट पर कार्यवाही करते हुए राज्य सरकार के पंचायत विभाग ने सख़्त कार्रवाई करते हुए SDM ज्योति बबली बैरागी जो कि तत्कालीन प्रभारी सीईओ थीं,तथा सीईओ एस के मरकाम को सस्पेंड कर दिया है,वहीं मनरेगा के कार्यक्रम अधिकारी अश्वनी तिवारी के विरुद्ध FIR के आदेश जारी किए गए हैं


मालूम हो कि वर्ष 2014-15 और 2015-16 में मनरेगा के तहत ग्राम पंचायत गुडरु के चपोता में मिट्टी मुरुम सड़क सह पुलिया निर्माण,ग्राम पंचायत तुगंवा में नदी किनारे तटबंध निर्माण,ग्राम पंचायत जमई में डब्लूबीएम और ग्राम पंचायत पेंडारी में मिट्टी मुरुम सडक सह पुलिया निर्माण किया जाना था,लेकिन SDM वाड्रफनगर की जांच रिपोर्ट में यह पाया गया कि कोई काम हुआ ही नहीं और 38 लाख 58 हज़ार पाँच सौ अठारह रुपए का फ़र्ज़ी भुगतान कर दिया गया


इस मामले को लेकर संभागायुक्त एमिल लकड़ा ने ज़िला पंचायत बलरामपुर से की गई कार्यवाही की जानकारी माँगी थी,संभागायुक्त ईमिल लकड़ा ने तत्कालीन सीईओ एस के मरकाम और मौजुदा SDM ज्योति बबली बैरागी जो कि तत्कालीन प्रभारी सीईओ थीं, उन्हें निलंबित करने के आदेश दिए वहीं एक अन्य अश्वनी तिवारी के विरुद्ध FIR के आदेश जारी किए गए है।


मनरेगा घोटाले की जाँच रिपोर्ट दबाए जाने के मसले को लेकर जानकारी सामने आने पर पंचायत विभाग के आला अधिकारियों ने गहरी नाराज़गी जताई है। उपरोक्त दोनों अधिकारियों के ख़िलाफ़ एक महिने के भीतर विभागीय जाँच प्रतिवेदन प्रस्तुत करने के निर्देश दिए गए हैं।


उद्धव ठाकरे को मिला अभय वरदान

राणा ओबराय

उद्धव ठाकरे को मिल गया अभयदान, चुनाव आयोग ने एमएलसी चुनाव कराने की दी मंजूरी
मुंबई/नई दिल्ली। महाराष्ट्र विधान परिषद की नौ सीटों के लिए चुनाव 21 मई को होंगे। गुरुवार तक मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे की कुर्सी पर मंडरा रहे खतरे के बाद शुक्रवार सुबह पूरी तरह छंट गए। चुनाव आयोग ने राज्य में एमएलसी चुनाव को हरी झंडी दे दी है। देश में कोरोना संक्रमण की रोकथाम के लिए लागू लॉकडाउन के कारण इन सीटों पर चुनाव पर रोक लगा दी गई थी लेकिन कल महाराष्ट्र के राज्यपाल कोश्यारी ने चुनाव आयोग से अनुरोध किया था कि इन सीटों के लिए चुनाव कराने की अनुमति दी जाए।
क्यों खतरे में थी उद्धव की कुर्सी?,,,,,,,
गौरतलब है कि ये सीटें 24 अप्रैल से रिक्त पड़ी हैं। महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे विधानमंडल के किसी सदन के सदस्य नहीं हैं। ऐसी स्थिति में कोई व्यक्ति केवल छह माह तक की मुख्यमंत्री या मंत्री रह सकता है। अब छह माह की अवधि समाप्त हो रही है इसलिए उनका इस अवधि के बाद दोनों में से किसी एक सदन का सदस्य निर्वाचित होना अनिवार्य है। उद्धव ठाकरे बिना चुनाव लड़े ही सीधे सीएम बने हैं, ऐसे में उन पर यह नियम लागू होता है। सूत्रों के अनुसार कोश्यारी के अनुरोध के तर्कों को देखते हुए आयोग ने चुनाव की मंजूरी दे दी। कोश्यारी ने महाराष्ट्र में माैजूदा राजनीतिक अनिश्चितता की स्थिति को समाप्त करने के मद्देनजर विधानपरिषद की उन नौ सीटों पर जल्द से जल्द चुनाव कराने का अनुरोध किया था, जो कि 24 अप्रैल से रिक्त पड़ी हैं। चुनाव आयोग को लिखे अपने पत्र में राज्यपाल ने कहा कि केंद्र सरकार ने देश में लॉकडाउन के दौरान छूट के लिए कई उपायों की घोषणा की है और विधानपरिषद की रिक्त सीटों पर चुनाव कुछ दिशानिर्देशों के साथ संपन्न कराये जा सकते हैं। चुनाव आयोग ने कोरोना संकट के परिप्रेक्ष्य में विधानपरिषद की इन नौ सीटों के लिए चुनाव प्रक्रिया पर रोक लगा दी थी।


बढ़ते तापमान का वायरस पर प्रभाव

कोरोना संक्रमण के चलते देशभर में लॉकडाउन किया गया है। कोरोना को लेकर अब तक कई स्टडी हो चुकी हैं जिसके अलग-अलग नतीजे मिले हैं। पूरी दुनिया इस वक्त कोरोना संक्रमण से डरी हुई है। अब तक कोरोना वायरस को लेकर कोई वैक्सीन तैयार नहीं हुआ है। हालांकि नेशनल एनवाइरॉनमेंटल इंजीनियरिंग रिसर्च इंस्टीट्यूट (NEERI) द्वारा नागपुर में की गई रिसर्च में नया तथ्य सामने आया है। अब तक बढ़ते तापमान और कोरोना संक्रमण को लेकर कोई Corelation सामने नहीं आया था। लेकिन इस स्टडी के मुताबिक ज्यादा तापमान में कोरोना संक्रमण में कमी आने का दावा किया गया है। स्टडी में बताया गया है कि यह कोरिलेशन बहुत मजबूत है जो 85 प्रतिशत तक है जो दिन के तामपान में बढ़ोतरी होने और कोविड संक्रमण में कमी आने के बीच है।


NEERI ने यह रिसर्च मैथेमेटिकल मॉडल के आधार पर की है। स्टडी में लिया गया Covid19 सोर्स डेटा वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन और तापमान का डेटा भारतीय मौसम विभाग से लिया गया है। स्टडी में Average Real Time तापमान और Relative Humidity और उनके बीच संबंधों का अध्यन किया गया, इनका कोविड 19 के महाराष्ट्र और कर्नाटक के मामलों से तुलना की गई। NEERI ने रिसर्च के बाद कहा कि जब तापमान की ग्रॉस वैल्यू और रिलेटिव ह्यूमिडिटी को इन दो राज्यों पर consider किया गया तो यह सामने आया कि जब दिन का औसत तापमान 25 डिग्री या उससे ज्यादा हुआ तो कोविड 19 के मामलों में कमी आई है।
हालांकि, स्टडी में यह भी कहा गया है कि भारत का हॉट क्लाइमेट कोविड 19 संक्रमण की रोकथाम के लिए फायदेमंद साबित हो सकता है, वहीं सोशल डिस्टेंसिंग बनाए रखना भी उतना ही महत्वपूर्ण होगा। NEERI के वैज्ञानिक हेमंत भैरवानी ने कहा 'हम सिर्फ कोरोना संक्रमण और उसके प्रभाव को सिर्फ तापमान और आर्द्रता पर ही फोकस नहीं रखना चाहते हैं। इसलिए, हमने सोशल डिस्टेंसिंग को भी शामिल किया है। कोरोना बहुत खतरनाक बीमारी है और भारत एक बहुजनसंख्या वाला देश है। ऐसे में बिना सोशल डिस्टेंसिंग का पालन किए ज्यादा तापमान का फायदा नहीं उठाया जा सकता है।'


आसान नहीं है प्रवासियों की घर वापसी

नई दिल्ली। देश के अलग-अलग राज्यों में फंसे मजदूरों की घर वापसी के लिए भले ही केंद्र सरकार की हरी झंडी मिल गई हो, लेकिन राज्यों के लिए अब इन मजदूरों का पलायन एक बड़ी चुनौती बन गया है। कोरोना के त्रासदी काल में घर जाने से पहले मजदूरों का पंजीकरण, वाहनों का इंतजाम, स्क्रीनिंग समेत तमाम जरूरी बंदोबस्त अब सरकारों के लिए सिरदर्द बन गए हैं। सबसे बड़ी समस्या ऐसी स्थितियों में सोशल डिस्टेंसिंग का पालन कराने की है, जिसके लिए तमाम राज्य अधिकारियों से मंथन करने में जुटे हैं।
बिहार के उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने गुरुवार को केंद्र से मांग की है कि वह अलग-अलग राज्यों में फंसे मजदूरों को वापस लाने के लिए स्पेशल ट्रेनों का इंतजाम कराए। मोदी ने केंद्र सरकार से असमर्थता जताते हुए कहा है कि बिहार जैसे राज्य खुद अपने 27 लाख मजदूरों को महाराष्ट्र और दक्षिण भारत के राज्यों से घर लाने में सक्षम नहीं हैं।
दूसरी ओर बिहार के प्रमुख सचिव स्वास्थ्य संजय कुमार ने भी यह माना है कि अगर मजदूर राज्य में वापस लौटते हैं तो उनकी स्क्रीनिंग कराई जा सकती है। हालांकि अभी ये स्पष्ट नहीं है कि घर लौटने वाले मजदूरों को क्वारंटीन में रखने की नौबत आई तो इसके लिए कितना बड़ा इंतजाम करना होगा।
मजदूरों की घर वापसी होगी बड़ी चुनौती


 
वहीं यूपी की योगी सरकार ने देश के अलग-अलग हिस्सों में फंसे मजदूरों को तत्काल घर ना आने की सलाह दी है। सीएम योगी ने मजदूरों से अपील करते हुए कहा है कि वह आगे भी उसी धैर्य को बरकरार रखें, जिसका प्रदर्शन उन्होंने अब तक किया है। योगी ने कहा है कि जो भी मजदूर अलग-अलग राज्यों में फंसे हैं, वह अपने राज्य की सरकार से बात कर लें। यूपी की सरकार ऐसे मजदूरों को वापस लाने के लिए सारे इंतजाम कर रही है और प्रदेश के अधिकारी खुद अलग-अलग राज्यों के संपर्क में हैं।
यूपी सरकार बना रही प्लान:-
यूपी सरकार के एक वरिष्ठ अधिकारी के मुताबिक, देश के किसी कोरोना प्रभावित राज्य से वापस यूपी आने वाले लोगों को 14 दिन के अनिवार्य क्वारंटीन में रखने के आदेश दिए गए हैं। हालांकि प्रवासी मजदूरों को लाने के लिए अभी योजना अमल में लाई नहीं गई है। सरकार की तैयारी है कि हम या तो ऐसे मजदूरों को अपने राज्य के बॉर्डर से रिसीव कर लें या फिर अलग-अलग राज्यों में परिवहन निगम की बसों को भेजकर इन्हें वापस लाया जाए।
महाराष्ट्र में DM की अनुमति के बिना ना छोड़ें जिला:-
महाराष्ट्र सरकार ने भी गुरुवार को एक विस्तृत गाइडलाइन जारी करते हुए अंतरराज्यीय मूवमेंट की नियमावली की जानकारी दी है। उद्धव सरकार का आदेश है कि प्रदेश में रहने वाला भी शख्स बिना जिला कलेक्टर के आदेश के अपने जिलों से बाहर नहीं जा सकेगा। इसके अलावा कलेक्टर की अनुमति के बिना किसी भी जिलों में प्रवेश की इजाजत नहीं होगी। अगर किसी को बाहर जाने की इजाजत दी जाती है तो ऐसे लोगों को वाहन पास जारी किए जाएंगे, जिसमें यात्रियों के रूट, नाम और अन्य डिटेल्स लिखे होंगे।
कलेक्टरों को दिए गए हैं कई अधिकार
इसी तरह गुजरात की सरकार ने भी प्रदेश में रहने वाले 5-7 लाख प्रवासी मजदूरों को वापस भेजने के लिए पास की व्यवस्था लागू की है। इसका पूरा प्राधिकार जिला कलेक्टर को दे दिया गया है। सरकार ने कहा है कि जो भी मजदूर घर जाना चाहते हैं, उन्हें सरकार के पोर्टल पर ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन कराना होगा और वेरिफिकेशन के बाद ऐसे लोगों को पास इशू किए जाएंगे। असम और मध्य प्रदेश जैसे राज्यों में भी सरकारों ने ऐसे ही ऑनलाइन सिस्टम का इंतजाम किया है, जिसपर रजिस्ट्रेशन के बिना किसी को बाहर जाने की अनुमति नहीं होगी। भले ही सरकारों ने अलग-अलग योजनाओं के आधार पर मजदूरों को घर भेजने की कोशिश शुरू की है, लेकिन यह जरूर है कि इतनी बड़ी संख्या में मजदूरों की घर वापसी एक चुनौतीपूर्ण स्थिति जरूर बना सकती है।


राहुल ने मंदिर पहुंचकर 'हनुमान' के दर्शन किए

राहुल ने मंदिर पहुंचकर 'हनुमान' के दर्शन किए  संदीप मिश्र  लखनऊ। रायबरेली के दौरे पर पहुंचे लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने...