रिपोर्ट-संजय सिंह राणा
चित्रकूट। अन्ना प्रथा रोकने के लिए व गोवंशों की हिफाजत के योगी सरकार द्वारा बड़े बड़े दावे किए जाते हैं व सरकार द्वारा गोवंशों की देखभाल के लिए तमाम नियम-कानून बनाए गए हैं सरकार ने अपने बजट में गोवंश कल्याण के लिए विभिन्न मदों में करोड़ों रुपये की व्यवस्था की थी जिसके कारण उत्तर प्रदेश देश का पहला ऐसा राज्य बन गया है, जहां गोवंश कल्याण के लिए सबसे अधिक बजट का प्रावधान है। इसके अलावा जिले में जिलाधिकारी, ग्राम प्रधान व विभागीय अधिकारियों को सीधे जिम्मेदारी भी तय की गई है व गोवंशों की देखरेख के लिए गौशालाएं बनाई गई है मगर ये गौशालाएं ही गोवंशों के लिए कब्रगाह बन गई हैं l लापरवाही और चारे पानी के अभाव में गोवंशों की मौतों का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा है l सिलसिलेवार गोवंशों की मौतों ने जिला प्रशासन की लापरवाही की पोल खोल कर रख दी है lऐसा ही एक मामला सामने आया है मानिकपुर विकास खण्ड के अंतर्गत आने वाली ग्राम पंचायत बसिला में बनी गौशाला का l
एक जगह पर दो गौशालाओं की धनराशि खर्च होने के बावजूद इस गौशाला में गौवंशों की सुविधाएं देखते ही बनती हैं जहाँ पर गौवंशों के लिए चारे की व्यवस्था नहीं हो पाने के चलते गौवंश भूख से तड़प तड़प कर मर रहे हैं व इन गौवंशों को गौशाला के पास ही बगल में फेंकवा दिया जाता है जहाँ इन गौवंशो को कुत्ते नोंच नोंच कर खाते हुए नजर आते हैं l इस गौशाला में लगभग 80 से 90 गौवंशो का पैसा चारे पानी के लिये दिया जाता है लेकिन इस समय इस गौशाला में लगभग 20 से 25 गौवंश ही रह गए हैं जो बाँकी गौवंश थे वह मौत की भेंट चढ़ चुके हैं लेकिन ग्राम प्रधान व सचिव की मिलीभगत से गौवंशो की हो रही मौत की जानकारी भी किसी को नहीं दी जाती है l सिर्फ मौत की बलि चढ़ी गौवंशो की खानापूर्ति सिर्फ कागजों में की जाती है l इस गौशाला के निर्माण में लगभग 35 लाख रुपये ख़र्च किये गए हैं लेकिन लाखों ख़र्च हो जाने के बाद भी गौशाला में सुविधा का अभाव है l
गौशाला में बनी चरही टूट चुकी हैं व भूसा भंडारण कक्ष ध्वस्त हो रहा है लेकिन निर्माण प्रभारियों पर आज तक कोई कार्यवाही नहीं हो पाई है l पूरे जिले में स्थायी और अस्थायी गौशाला बनाने के नाम पर पानी की तरह पैसा बहाया गया था कि सड़कों पर घूमने वाले अन्ना जानवरों से किसानों को राहत मिलेगी और गौवंशों की भी अच्छी देखरेख हो जाएगी लेकिन लगातार हो रही गोवंशों की मौतों ने उनकी सुरक्षा व्यवस्था पर सवाल खड़ा कर दिया है l
गौशालाओं की स्थिति बदहाल होती जा रही है। भूख व जिम्मेदार अधिकारियों की लापरवाही के चलते गोवंशों की जान पर बन आई है। प्रशासन व जिम्मेदार लोगों की उदासीनता के कारण ग्राम पंचायत बसिला स्थित निराश्रित गोवंश आश्रय स्थल पर गोवंशों की फजीहत कम नहीं हो रही है l खानपान एवं रखरखाव की व्यवस्था उचित न होने के कारण पशुओं का पेट नहीं भर रहा है जिसकी वजह से पशु कमजोर होते जा रहे हैं। साथ ही कमजोरी तथा कैल्शियम के अभाव में बीमार पड़कर दम तोड़ने को मजबूर हैं। इस आश्रय स्थल पर रखे गए गोवंशों की दुर्दशा को देखने और बीमार गोवंशों का समुचित इलाज तथा मृत गोवंशों को तत्काल आश्रय स्थल से हटाने का निर्देश देने का कोई खास असर दिखाई नहीं दे रहा है l
अस्थायी निराश्रित गोवंश आश्रय स्थल पर रखे गये गोवंशों में दुर्व्यवस्था के कारण अधिकांश की तो मौत हो चुकी है। ग्रामीणों ने बताया कि मृत गोवंशों को गौशाला के बगल में ही डाल दिया जाता है l जहां पर इन गौवंशो को कुत्ते नोंच कर खाते हैं l गौवंशों के संरक्षण व चारे पानी की व्यवस्था पर लापरवाही करते हुए बेजुबान गौवंशों की हत्या करने वाले ग्राम प्रधान व सचिव के ऊपर जिला प्रशासन कब शिकंजा कसने का काम करेगा l यह एक बड़ा सवाल है l