गुरुवार, 14 जुलाई 2022

ब्राजील: डिलीवरी के दौरान प्रेग्नेंट महिला से रेप किया

ब्राजील: डिलीवरी के दौरान प्रेग्नेंट महिला से रेप किया

अखिलेश पांडेय
ब्रासीलिया। ब्राजील में डिलीवरी के दौरान एक डॉक्टर ने प्रेग्नेंट महिला से रेप किया। सीक्रेट कैमरा में यह वारदात रिकॉर्ड हो गई। इसके बाद उसे गिरफ्तार कर लिया गया। अब इस बात की आशंका जताई जा रही है कि उसी दिन उसने डिलीवरी के लिए आए दो और महिलाओं के साथ भी यौन शोषण किया होगा। इन घटनाओं की जांच जारी है।
मामला ब्राजील के रियो डी जिनेरियो का है। यहां में डिलीवरी के लिए आई एक प्रेग्नेंट महिला को डॉक्टर ने बेहोश कर दिया। इसके बाद उसका ओरल रेप किया।32 साल के आरोपी डॉक्टर का नाम जियोवानी क्विंटेला बेजर्रा है।
डिलीवरी के दौरान महिला के पति को रूम से बाहर जाने को कहा गया था। उन्हें इस घटना की जानकारी घर जाकर मिली, जब उन्होंने टीवी पर डॉक्टर के अरेस्ट की खबर देखी। केस के इंवेस्टिंगेटिंग इनचार्ज डेलीगेट बारबरा लोम्बा ने कहा- मैंने इस तरह के मामले के बारे में पहले कभी नहीं सुना।
वीडियो में बेजर्रा, प्रेग्नेंट महिला को रेप करते दिखता है। वह भी तब जब सर्जिकल पर्दे के दूसरी तरफ कुछ ही फीट की दूरी पर दूसरे डॉक्टर्स मरीज की सी-सेक्शन सर्जरी कर रहे थे।
जिन स्टाफ मेंबर्स ने रेप का वीडियो रिकॉर्ड किया उन्होंने कहा कि उस दिन डॉक्टर ने दो और महिलाओं को पूरी तरह से बेहोश किया था। अब पुलिस मामले की जांच कर पता लगाने की कोशिश कर रही है कि क्या उन दो महिलाओं का भी डॉक्टर ने रेप किया है। बता दें कि ब्राजील में रेप का दोषी पाए जाने पर 8 से 15 साल के जेल की सजा हो सकती है।

प्रयागराज: पुलिस कस्टडी से भागे, 2 कुख्यात अपराधी

प्रयागराज: पुलिस कस्टडी से भागे, 2 कुख्यात अपराधी 

बृजेश केसरवानी 
प्रयागराज। प्रयागराज में बृहस्पतिवार को दो कुख्यात अपराधी पुलिस की कस्टडी से भाग गए। ये अपराधी दिल्ली पुलिस की कस्टडी से भागे हैं। पुलिस कर्मी अपराधियों को ट्रेन से ले जा रही थी और बीच में प्रयागराज में ही ये अपराधी फरार हो गए। दिल्ली पुलिस की कस्टडी से भागे दोनों अपनाधी कुख्यात हैं। हैरानी की बात है कि दिल्ली पुलिस की मुस्तैद सोती आखों के नीचे से बिहार के कुख्यात बदमाश भाग निकले। दिल्ली पुलिस इन अपराधियों को दिल्ली ले जा रही थी। दिल्ली में कई मामलों में ये अपराधी वांछित हैं। इन्हें पुलिस ने बिहार से गिरफ्तार किया था और वहां से ट्रेन के जरिए इन्हें डिब्रूगढ़ राजधानी से दिल्ली ले जा रहे थे।
प्रयागराज जंक्शन के निकलने के बाद जब दिल्ली पुलिस के सोते हुए सिपाहियों की आंख खुली तो उन्हें पता चला कि अपराधी तो फरार हो गए। संभावना जताई जा रही है कि प्रयागराज जंक्शन पर मौका देखकर और सिपाहियों को सोता देखकर वो अपराधी वहीं उतरकर फरार हो गए। नींद से जागने के बाद से दिल्ली पुलिस प्रयागराज और उसके आसपास के क्षेत्रों में सघन तलाशी कर रही है। इसकी जानकारी स्टेशन पर मौजूद रेलवे पुलिस के साथ प्रयागराज पुलिस को भी दे दी गई है।
जानकारी के मुताबिक जिन अपराधियों को पुलिस ट्रेन से दिल्ली ले जा रही थी ये कई बड़े मामलों के मास्टरमाइंड है। पुलिस ने बताया कि बिहार के कटिहार के रहने वाले नसीब शेख और मोहम्मद दिलशाद को दिल्ली पुलिस डिब्रूगढ़ राजधानी से दिल्ली ला रही थी। रास्ते में दोनों शातिर अपराधी फरार हो गए। दोनों दिल्ली के ग्रेटर कैलाश थाने के आरोपी बताया जा रहे हैं।

स्ट्रॉबेरी सैंडविच की रेसिपी, 10 मिनट में तैयार करें

स्ट्रॉबेरी सैंडविच की रेसिपी, 10 मिनट में तैयार करें 

सरस्वती उपाध्याय  
स्ट्रॉबेरी का स्वाद काफी पसंद किया जाता है।स्ट्रॉबेरी से बनने वाला सैंडविच भी काफी टेस्टी होता है। लगभग हर घर में रोज ये सवाल खड़ा होता है कि आखिर ब्रेकफास्ट में ऐसा क्या बनाया जाए तो टेस्टी और हेल्दी हो, साथ ही बेहद कम वक्त में तैयार हो जाए। अगर आप भी इस समस्या का सामना करते हैं तो इस बार ब्रेकफास्ट में स्ट्रॉबेरी सैंडविच ट्राई कर सकते हैं।
आमतौर पर घरों में नाश्ते में सैंडविच बनाना बेहद कॉमन होता है। आप इस रेसिपी में थोड़ा सा ट्विस्ट देते हुए स्ट्रॉबेरी से सैंडविच तैयार कर सकते हैं।
स्ट्रॉबेरी का स्वाद बेहतरीन होने के साथ ही इसमें कई पोषक तत्व भी होते हैं। आप इस रेसिपी को सिर्फ 10 मिनट में तैयार कर सकते हैं। अब तक अगर स्ट्रॉबेरी सैंडविच की रेसिपी को आपने ट्राई नहीं किया है तो हमारी बताई विधि से इसे बेहद आसान तरीके से तैयार किया जा सकता है।

स्ट्रॉबेरी सैंडविच बनाने के लिए सामग्री...
ब्रेड स्लाइस – 4
स्ट्रॉबेरी – 1 कप
मलाई – 1 कप
शहद – 1 टेबलस्पून

अधिनियम 1991 का समर्थन, हलफनामा दाखिल

अधिनियम 1991 का समर्थन, हलफनामा दाखिल

अकांशु उपाध्याय
नई दिल्ली। उपासना स्थल (विशेष उपबंध) अधिनियम 1991 या धर्मस्थल कानून-1991 के समर्थन में ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दाखिल किया है। ये कानून काशी, मथुरा समेत सभी विवादित धर्मस्थलों के लिए अहम है। बोर्ड ने आज सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दाखिल कर कहा है की 1991 के धर्मस्थल कानून का पालन करना सरकार और न्यायपालिका की जिम्मेदारी है।
‘उपासना स्थल (विशेष उपबंध) अधिनियम-1991’ के तहत हर धर्मस्थल का मूल कैरेक्टर वही रहेगा जो 15 अगस्त 1947 में था। यानी उस दिन जो जगह मस्जिद या मंदिर थी वो आगे भी मस्जिद या मंदिर ही रहेगी। बोर्ड का ये हलफनामा बीजेपी नेता अश्विनी उपाध्याय की याचिका के जवाब में आया है। अश्विनी उपाध्याय ने इस कानून को रद्द करने की मांग की है।
‘उपासना स्थल (विशेष उपबंध) अधिनियम-1991’ काशी और मथुरा समेत सभी धर्मस्थलों के लिए अहम है, जहां कहीं भी उस जगह को ले कर विवाद हो रहा है। इन सभी मामलों में इस कानून की संवैधानिकता अहम रहेगी।इसीलिए इस कानून को लेकर दोनों पक्ष आमने-सामने आ गए हैं। कुछ लोगों का तर्क है कि अगर सुप्रीम कोर्ट अयोध्या के रामजन्म भूमि-बाबरी मस्जिद विवाद पर अपना फैसला दे सकता है, तो इसी तरह के और भी विवादों पर कोर्ट क्यों नहीं विचार कर सकता है।
‘उपासना स्थल (विशेष उपबंध) अधिनियम-1991’ को तत्कालीन प्रधानमंत्री पी.वी. नरसिंहाराव की सरकार ने बनाया था। इसका उद्देश्य सभी विवादित धार्मिक स्थलों के बारे में सरकार के रूख को साफ करना और सभी समुदायों को सरकार की मंशा के बारे में एक साफ संदेश देना था। वाराणसी की ज्ञानवापी मस्जिद में कोर्ट के सर्वे के आदेश के बाद से इस कानून की प्रासंगिकता बढ़ गई है। इसके दायरे में धार्मिक महत्व की इमारतों के साथ ही कुछ ऐतिहासिक महत्व की इमारतें भी शामिल हैं।

वजन कम करने में सहायक माना जाता है, देसी घी

वजन कम करने में सहायक माना जाता है, देसी घी 

सरस्वती उपाध्याय 
देसी घी हमेशा से सेहत के लिए अच्छा माना जाता है। क्योंकि, इसमें ढेर सारे पौष्टिक तत्व पाए जाते हैं। हर फिटनेस फ्रीक इंसान के लिए देसी घी फायदेमंद है। इससे मसल्स को बढ़ाने में मदद मिलती है। लेकिन, इसमें मौजूद हेल्दी फैट को लेकर कुछ लोगों में असमंजस की स्थिति है कि क्या देसी घी का सेवन वाकई इतना फायदेमंद है कि ये वजन घटाने में मदद कर सकता है ?
आज हम आपको बताएंगे कैसे घी डाइटिंग के समय वजन घटाने में कारगर होता है ?

घी के फायदे...
नेटमेड्स के अनुसार घी में अंदर लिनोलिक एसिड की भरपूर मात्रा पाई जाती है, जो वजन कम करने में सहायक माना जाता है। देसी घी में पाए जाने वाला सैचुरेटेड फैट शरीर के जिद्दी फैट को कम करने में मदद करता है। साथ ही घी के सेवन से मेटाबॉलिज्म भी बूस्ट होता है, जिसके कारण आपको वजन घटाने में मदद मिलती है।
घी में ओमेगा-3 फैटी एसिड, विटामिन ए, विटामिन सी पाया जाता है जो आपके शरीर के लिए जरूरी पोषक तत्वों को सोखने और एनर्जी देने में मदद करता है। घी में एंटी इन्फ्लेमेटरी गुण भी होते हैं जो शरीर में इन्फ्लेमेशन को रोकते हैं। साथ ही यह हार्मोन संतुलन के लिए बहुत जरूरी माने जाते हैं।
घी डोकोसैक्सिनोइक एसिड का एक अच्छा स्रोत माना जाता है। डोकोसैक्सिनोइक एसिड के अंदर ओमेगा 3 फैटी एसिड पाया जाता है। यह हमारे शरीर में नहीं बनता है, इसलिए इसे खाने के जरिए लेना आवश्यक होता है। डीएचए कैंसर, हार्ट अटैक, इंसुलिन प्रतिरोध, अर्थराइटिस और अटेंशन डेफिशिट हाइपरएक्टिविटी डिसऑर्डर जैसी समस्याओं के खतरे को कम करने में सहायक है। घी दिमाग को भी शांत कर मेमोरी को बढ़ाने में मदद कर सकता है। कुछ लोगों को हिचकी आने की शिकायत रहती है। जिनको बार-बार और लगातार हिचकी आने से परेशानी होती है, वे हिचकी को दूर करने के लिए एक चम्मच घी खा सकते हैं।

मिश्रित वित्त व निजी पूंजी का लाभ, बल दिया

मिश्रित वित्त व निजी पूंजी का लाभ, बल दिया 

अकांशु उपाध्याय 
नई दिल्ली। वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने बृहस्पतिवार को सतत विकास लक्ष्यों (एसडीजी) को प्राप्त करने के लिए मिश्रित वित्त और निजी पूंजी का लाभ उठाने की जरूरत पर बल दिया। सीतारमण इंडोनेशिया के बाली में आयोजित वित्त मंत्रियों और केंद्रीय बैंकों के गर्वनरों की तीसरी जी20 बैठक में ‘जलवायु परिवर्तन के लिए सतत वित्त गोलमेज सम्मेलन’ को संबोधित कर रही थीं।
वित्त मंत्रालय ने एक ट्वीट में इसकी जानकारी देते हुए कहा, केंद्रीय वित्त मंत्री ने टिकाऊ वित्त को बढ़ाने तथा सतत विकास लक्ष्यों को हासिल करने में बहुपक्षीय विकास बैंकों (एमडीबी) की भूमिका, मिश्रित वित्त और निजी पूंजी का लाभ उठाने की जरूरत पर बल दिया। सीतारमण ने ऊर्जा बदलाव के लिए भारत की द्विपक्षीय योजनाओं का उल्लेख करते हुए कहा कि ऊर्जा सम्मिश्रण में नवीकरणीय घटकों को बढ़ावा देना और ऊर्जा सक्षमता एवं सुरक्षा बढ़ाने के लिए नवोन्मेषी नीतिगत कदमों को अपनाने पर जोर दिया जाएगा।
मंत्रालय ने एक अन्य ट्वीट में कहा, वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए ‘पंचामृत’ रणनीति पर जोर दिया जिसकी संकल्पना प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रखी है। प्रधानमंत्री ने पिछले साल ग्लासगो में आयोजित जलवायु परिवर्तन शिखर सम्मेलन में जलवायु परिवर्तन के खिलाफ भारत की लड़ाई में ‘पंचामृत’ तत्वों के इस्तेमाल का संकल्प लिया था। सीतारमण ने इंडोनेशिया की वित्त मंत्री मुल्यानी इंद्रावती के साथ द्विपक्षीय बैठक भी की। उन्होंने सिंगापुर के उप प्रधानमंत्री एवं वित्त मंत्री लॉरेंस वांग से भी मुलाकात की।

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प्राधिकृत प्रकाशन विवरण

प्राधिकृत प्रकाशन विवरण  

1. अंक-279, (वर्ष-05)
2. शुक्रवार, जुलाई 15, 2022
3. शक-1944, श्रावण, कृष्ण-पक्ष, तिथि-दूज, विक्रमी सवंत-2079।
4. सूर्योदय प्रातः 05:22, सूर्यास्त: 07:15।
5. न्‍यूनतम तापमान- 29 डी.सै., अधिकतम-38+ डी.सै.। उत्तर भारत में बरसात की संभावना।
6. समाचार-पत्र में प्रकाशित समाचारों से संपादक का सहमत होना आवश्यक नहीं है। सभी विवादों का न्‍याय क्षेत्र, गाजियाबाद न्यायालय होगा। सभी पद अवैतनिक है।
7.स्वामी, मुद्रक, प्रकाशक, संपादक राधेश्याम व शिवांशु, (विशेष संपादक) श्रीराम व सरस्वती (सहायक संपादक) संरक्षण-अखिलेश पांडेय, ओमवीर सिंह, वीरसेन पवार, योगेश चौधरी आदि के द्वारा (डिजीटल सस्‍ंकरण) प्रकाशित। प्रकाशित समाचार, विज्ञापन एवं लेखोंं से संपादक का सहमत होना आवश्यक नहीं हैं। पीआरबी एक्ट के अंतर्गत उत्तरदायी।
8. संपर्क व व्यवसायिक कार्यालय- चैंबर नं. 27, प्रथम तल, रामेश्वर पार्क, लोनी, गाजियाबाद उ.प्र.-201102।
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बुधवार, 13 जुलाई 2022

जर्जर अवस्था में चक्की मुख्यालय जाने वाली सड़क

जर्जर अवस्था में चक्की मुख्यालय जाने वाली सड़क

अरक चक्की प्रखंड मुख्यालय मुख्य मार्ग जर्जर अवस्था में
अविनाश श्रीवास्तव
पटना/बक्सर/बेगूसराय। अरक से चक्की प्रखंड मुख्यालय जाने वाली सड़क जर्जर अवस्था में है। आलम यह है, कि सड़क मैं आने जाने में बहुत परेशानी हो रही है। शासन-प्रशासन वहीं से गुजरता है, लेकिन उस पर कोई ध्यान नहीं रहता। ग्रामीणों का कहना है, कि सड़क निर्माण होने के बाद कभी भी उसका सही ढंग से मरम्मत नहीं किया गया। पास में ही धर्मावती नदी होने के कारण बरसात के समय में जब बाढ़ आती है, तब नदी का सारा पानी सडक पर चल जाता है और सडक डूब जाता है। जिससे वह रास्ता बंद हो जाता है और नौका के द्वारा लोग इस पार से उस पार जाते हैं।
पानी में डूबे होने के कारण उस रास्ते का जर्जर स्थिति बना हुआ है। शासन प्रशासन के कई नुमाइंदे आते-जाते हैं, लेकिन किसी की नजर नहीं है। उस सड़क पर अगर इस बार भी बरसात हुई, तो धर्मावती नदी का जल स्तर बढ़ जाएगा और फिर से सडक डूब जाएगी। आने-जाने वाले ग्रामीणों का कहना है कि सरकार इस पर ध्यान नहीं दे रही है।

वायु प्रदूषण के खतरे को कम करने के लिए नीति तैयार

वायु प्रदूषण के खतरे को कम करने के लिए नीति तैयार

अकांशु उपाध्याय

नई दिल्ली। राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एनसीआर) और आसपास के क्षेत्रों में वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (सीएक्यूएम) ने पृथक करने वाली भौगोलिक पहुंच और कार्य की समयसीमा के माध्यम से राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र की वायु गुणवत्ता के सम्पूर्ण सुधार की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए दिल्ली-एनसीआर में वायु प्रदूषण के खतरे को कम करने के लिए एक व्यापक नीति तैयार की है। इस नीति में उद्योगों, वाहनों/परिवहन, निर्माण और विध्वंस (सी एंड डी), सड़कों और खुले क्षेत्रों से धूल, नगरपालिका के ठोस कचरे को जलाने, फसलों की पराली जलाने आदि सहित एनसीआर में वायु प्रदूषण को रोकने, नियंत्रित करने और कम करने के लिए केन्द्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) और एनसीआर के राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (पीसीबी) के साथ केन्द्र सरकार, एनसीआर राज्य सरकारों और जीएनसीटीडी की एजेंसियों और विभागों के लिए क्षेत्रवार सिफारिशें शामिल हैं। सीएक्यूएम द्वारा बनाई गई नीति में ताप बिजली संयंत्रों (टीपीपी), स्वच्छ ईंधनों और इलेक्ट्रिक मोबिलिटी, सार्वजनिक परिवहन, सड़क यातायात प्रबंधन, डीजल जनरेटरों (डीजी), पटाखे फोड़ने से निपटना तथा हरियाली और वृक्षारोपण के माध्यम से वायु प्रदूषण को कम करना शामिल हैं। सीएक्यूएम द्वारा इस व्यापक योजना का दायरा मुख्य रूप से दिल्ली और एनसीआर में वायु प्रदूषण को कम करना है। एनसीआर के उप-क्षेत्रों में बुनियादी ढांचे और प्रणालियों में कमी के कारण, आधारभूत कार्यों में व्यापक बदलाव और शहरीकरण के विभिन्न स्तरों के कारण, विभिन्न उप-क्षेत्रों के लिए एक अलग दृष्टिकोण और समय-सीमा का सुझाव दिया गया है। इन उप-क्षेत्रों में शामिल हैं:-दिल्ली का राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एनसीटी)।

दिल्ली के पास एनसीआर जिले – गुरुग्राम, फरीदाबाद, सोनीपत, झज्जर, रोहतक, गाजियाबाद, गौतम बुद्ध नगर और बागपत व अन्य एनसीआर जिले।पंजाब के पूरे राज्य और हरियाणा के गैर-एनसीआर जिलों में, मुख्य रूप से पराली जलाने की घटनाओं का समाधान करने के लिए। भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने आदित्य दुबे (नाबालिग) बनाम एएनआर/यूओआई और अन्य के मामले में डब्ल्यूपी (सिविल) संख्या 1135 ऑफ़ 2020 में दिनांक 16.12.2021 के अपने आदेश में सीएक्यूएम को निर्देश दिया था कि “दिल्ली और एनसीआर में हर साल होने वाले वायु प्रदूषण के खतरे का स्थायी समाधान खोजने के लिए, आम जनता के साथ-साथ क्षेत्र के विशेषज्ञों से भी सुझाव आमंत्रित किए जा सकते हैं।” इसके अलावा, सर्वोच्च न्यायालय के निर्देशों के अनुसार, आयोग ने दिनांक 7.1.2022 के आदेश में एक विशेषज्ञ समूह का गठन किया। विशेषज्ञ समूह ने प्राप्त सुझावों पर विचार किया, हस्तक्षेपकर्ताओं और विशेषज्ञों के साथ-साथ विभिन्न हितधारकों और राज्य सरकार के प्रतिनिधियों के साथ बातचीत की। विशेषज्ञ समूह ने प्राप्त सुझावों को ध्यान में रखते हुए विभिन्न क्षेत्रों में केंद्र और राज्य सरकारों के मौजूदा वैज्ञानिक साहित्य, प्रासंगिक नीतियों, विनियमों, कार्यक्रमों और वित्त पोषण रणनीतियों, कार्रवाई की वर्तमान स्थिति और सर्वोत्तम अभ्यास दृष्टिकोण की समीक्षा और जांच की। प्राप्त सुझाव नागरिक समाज, अनुसंधान निकायों, उद्योग, विशेषज्ञों, शिक्षाविदों, व्यक्तियों आदि से थे और वायु प्रदूषण, वायु गुणवत्ता प्रबंधन, निगरानी ढांचे और कार्यान्वयन के लिए संस्थागत सुदृढ़ीकरण के प्रमुख क्षेत्रों में शमन से संबंधित थे।

इस बहु-क्षेत्रीय मूल्यांकन के दायरे में उद्योग, बिजली संयंत्र, वाहन और परिवहन, डीजल जनरेटर सेट, निर्माण/विध्वंस परियोजनाएं/सड़कें और खुले क्षेत्रों जैसे नगरपालिका का ठोस कचरा/बायोमास जलाना, पराली जलाने, पटाखे जलाने, अन्य बिखरे हुए स्रोत जैसे धूल के स्रोत, शामिल हैं। हितधारक परामर्श की एक श्रृंखला में प्राप्त इनपुट और सुझावों को संबंधित वर्गों में उचित रूप से शामिल किया गया था और इस भागीदारी दृष्टिकोण ने दिल्ली-एनसीआर में वायु प्रदूषण को रोकने के लिए एक व्यापक नीति का सुझाव देने की कवायद को समृद्ध किया है।

विशेषज्ञ समूह ने शामिल मुद्दों और जटिलताओं पर विचार करते हुए, अल्पकालिक (एक वर्ष तक), मध्यम अवधि (एक-तीन वर्ष), और दीर्घकालिक (तीन-पांच वर्ष, अधिमानत) कार्यों का सुझाव दिया है। इस समय-सीमा को विभिन्न उप-क्षेत्रों/क्षेत्रों/जिलों/शहरों के लिए अलग-अलग किया गया है ताकि सभी को सामान्य वायु गुणवत्ता लक्ष्य को पूरा करने के लिए परिवर्तन के लिए स्थान प्रदान किया जा सके। मोटे तौर पर, राष्ट्रीय परिवेशी वायु गुणवत्ता मानकों को पूरा करने के उद्देश्य से परिवर्तन के महत्वपूर्ण क्षेत्रों में शामिल हैं:- उद्योग, परिवहन और घरों में किफायती स्वच्छ ईंधन और प्रौद्योगिकी तक व्यापक पहुंच। बड़े पैमाने पर पारगमन, वाहनों के विद्युतीकरण, पैदल चलने और साइकिल चलाने के बुनियादी ढांचे के निर्माण और व्यक्तिगत वाहन के उपयोग को कम करने आदि सहित गतिशीलता परिवर्तन। डंपिंग और जलने को रोकने के लिए कचरे से सामग्री की वसूली के लिए सर्कुलर अर्थव्यवस्था। सी एंड डी कार्यों, सड़कों/मार्गों के अधिकार (आरओडब्ल्यू) और उपयुक्त प्रौद्योगिकी, बुनियादी ढांचे और हरित उपायों के साथ खुले क्षेत्रों से धूल प्रबंधन। सख्त समयबद्ध कार्यान्वयन, बेहतर निगरानी और अनुपालन। आयोग पहले ही इस नीति को केंद्र सरकार के मंत्रालयों/विभागों, एनसीआर राज्य सरकारों, जीएनसीटीडी और विभिन्न एजेंसियों के साथ इस नीति को साझा कर चुका है ताकि एनसीआर में वायु प्रदूषण को रोकने के लिए नीति पर व्यापक कार्य किया जा सके।

सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट प्लांट का औचक निरीक्षण

सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट प्लांट का औचक निरीक्षण

हरिशंकर त्रिपाठी

देवरिया। जिलाधिकारी जितेंद्र प्रताप सिंह ने बुधवार को उसरा में निर्माणाधीन सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट प्लांट का औचक निरीक्षण किया। निरीक्षण के दौरान कई गंभीर खामियां मिली, जिस पर जिलाधिकारी ने गहरी नाराजगी जताई। उन्होंने कहा कि जनपद में व्यापक लोकहित में चल रही शासन की विभिन्न निर्माण परियोजनाओं को मूल भावना के साथ पूरी पारदर्शिता एवं गुणवत्ता के साथ पूर्ण किया जाए।जिलाधिकारी बुधवार को अपराहन उसरा स्थित सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट प्रोजेक्ट का निरीक्षण करने पहुंचे। 1.59 हेक्टेयर में 75 टीपीडी क्षमता के सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट प्लांट का निर्माण नगर पालिका परिषद देवरिया द्वारा कार्य साढ़े सात करोड़ रुपये की लागत से कराया जा रहा है। इस परियोजना में वेब ब्रिज, प्लेटफार्म, कवर्ड कंपोस्ट शेड आदि का निर्माण कार्य चल रहा है।

जिलाधिकारी ने निर्माण कार्य में प्रयुक्त ईंटों की गुणवत्ता एवं जुड़ाई में प्रयुक्त बालू सीमेंट के मसाले के अनुपात को मानक के अनुरूप नहीं पाया। इस पर उन्होंने सीएनडीएस के सहायक अभियंता एके सिंह को ठेकेदार की देयता में से 15% की कटौती करने का निर्देश दिया। खराब वर्कमेनशिप एवं पर्यवेक्षण के लिए उन्होंने सीएनडीएस के अधिकारियों को कड़ी फटकार लगाई। उन्होंने कहा कि परियोजना की गुणवत्ता से किसी भी तरह का समझौता नहीं किया जाएगा। इस दौरान अपर जिलाधिकारी प्रशासन कुँवर पंकज, इओ नगर पालिका रोहित सिंह सहित कई अधिकारी मौजूद थे।

जिलाधिकारी ने परियोजना के भूमि चयन की जांच एडीएम प्रशासन को सौंपी। जिलाधिकारी ने उक्त परियोजना के लिए भूमि चयन पर कई सवाल पूछे, जिनका संतोषजनक उत्तर नहीं मिलने पर उन्होंने एडीएम प्रशासन की अध्यक्षता में एक जांच समिति का गठन किया है। इस समिति में एसडीएम ध्रुव शुक्ला, इओ रोहित सिंह और अधिशासी अभियंता सिंचाई दुर्गेश गर्ग सदस्य होंगे। जिलाधिकारी ने बताया कि उक्त परियोजना हेतु वर्ष 2018 में 2 करोड़ 41 लाख रुपये की भूमि का क्रय किया गया। शहर से इसकी दूरी 13 किलोमीटर की है। मुख्य मार्ग से सॉलिड वेस्ट प्लांट तक पहुंचने के लिए सड़क बनाने के लिए भी जमीन का क्रय करना होगा, जिसकी लागत का बोझ भी नगर पालिका को उठाना होगा। डीएम ने कहा कि भूमि चयन में प्रथम दृष्टया लापरवाही परिलक्षित हो रही है। भूमि चयन की वजह से परियोजना की कुल लागत अंतिम रूप से काफी बढ़ गई है। उन्होंने जांच समिति को 22 जुलाई तक रिपोर्ट सौंपने का निर्देश दिया है।

10वीं-12वीं की परिक्षाओं की तारीखों का ऐलान

10वीं-12वीं की परिक्षाओं की तारीखों का ऐलान  संदीप मिश्र  लखनऊ। यूपी बोर्ड ने 10वीं और 12वीं की परिक्षाओं की तारीखों का ऐलान कर दिया गया है।...