गुरुवार, 14 जुलाई 2022
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प्रयागराज: पुलिस कस्टडी से भागे, 2 कुख्यात अपराधी
स्ट्रॉबेरी सैंडविच की रेसिपी, 10 मिनट में तैयार करें
अधिनियम 1991 का समर्थन, हलफनामा दाखिल
वजन कम करने में सहायक माना जाता है, देसी घी
मिश्रित वित्त व निजी पूंजी का लाभ, बल दिया
प्राधिकृत प्रकाशन विवरण
बुधवार, 13 जुलाई 2022
जर्जर अवस्था में चक्की मुख्यालय जाने वाली सड़क
वायु प्रदूषण के खतरे को कम करने के लिए नीति तैयार
वायु प्रदूषण के खतरे को कम करने के लिए नीति तैयार
अकांशु उपाध्याय
नई दिल्ली। राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एनसीआर) और आसपास के क्षेत्रों में वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (सीएक्यूएम) ने पृथक करने वाली भौगोलिक पहुंच और कार्य की समयसीमा के माध्यम से राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र की वायु गुणवत्ता के सम्पूर्ण सुधार की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए दिल्ली-एनसीआर में वायु प्रदूषण के खतरे को कम करने के लिए एक व्यापक नीति तैयार की है। इस नीति में उद्योगों, वाहनों/परिवहन, निर्माण और विध्वंस (सी एंड डी), सड़कों और खुले क्षेत्रों से धूल, नगरपालिका के ठोस कचरे को जलाने, फसलों की पराली जलाने आदि सहित एनसीआर में वायु प्रदूषण को रोकने, नियंत्रित करने और कम करने के लिए केन्द्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) और एनसीआर के राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (पीसीबी) के साथ केन्द्र सरकार, एनसीआर राज्य सरकारों और जीएनसीटीडी की एजेंसियों और विभागों के लिए क्षेत्रवार सिफारिशें शामिल हैं। सीएक्यूएम द्वारा बनाई गई नीति में ताप बिजली संयंत्रों (टीपीपी), स्वच्छ ईंधनों और इलेक्ट्रिक मोबिलिटी, सार्वजनिक परिवहन, सड़क यातायात प्रबंधन, डीजल जनरेटरों (डीजी), पटाखे फोड़ने से निपटना तथा हरियाली और वृक्षारोपण के माध्यम से वायु प्रदूषण को कम करना शामिल हैं। सीएक्यूएम द्वारा इस व्यापक योजना का दायरा मुख्य रूप से दिल्ली और एनसीआर में वायु प्रदूषण को कम करना है। एनसीआर के उप-क्षेत्रों में बुनियादी ढांचे और प्रणालियों में कमी के कारण, आधारभूत कार्यों में व्यापक बदलाव और शहरीकरण के विभिन्न स्तरों के कारण, विभिन्न उप-क्षेत्रों के लिए एक अलग दृष्टिकोण और समय-सीमा का सुझाव दिया गया है। इन उप-क्षेत्रों में शामिल हैं:-दिल्ली का राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एनसीटी)।
दिल्ली के पास एनसीआर जिले – गुरुग्राम, फरीदाबाद, सोनीपत, झज्जर, रोहतक, गाजियाबाद, गौतम बुद्ध नगर और बागपत व अन्य एनसीआर जिले।पंजाब के पूरे राज्य और हरियाणा के गैर-एनसीआर जिलों में, मुख्य रूप से पराली जलाने की घटनाओं का समाधान करने के लिए। भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने आदित्य दुबे (नाबालिग) बनाम एएनआर/यूओआई और अन्य के मामले में डब्ल्यूपी (सिविल) संख्या 1135 ऑफ़ 2020 में दिनांक 16.12.2021 के अपने आदेश में सीएक्यूएम को निर्देश दिया था कि “दिल्ली और एनसीआर में हर साल होने वाले वायु प्रदूषण के खतरे का स्थायी समाधान खोजने के लिए, आम जनता के साथ-साथ क्षेत्र के विशेषज्ञों से भी सुझाव आमंत्रित किए जा सकते हैं।” इसके अलावा, सर्वोच्च न्यायालय के निर्देशों के अनुसार, आयोग ने दिनांक 7.1.2022 के आदेश में एक विशेषज्ञ समूह का गठन किया। विशेषज्ञ समूह ने प्राप्त सुझावों पर विचार किया, हस्तक्षेपकर्ताओं और विशेषज्ञों के साथ-साथ विभिन्न हितधारकों और राज्य सरकार के प्रतिनिधियों के साथ बातचीत की। विशेषज्ञ समूह ने प्राप्त सुझावों को ध्यान में रखते हुए विभिन्न क्षेत्रों में केंद्र और राज्य सरकारों के मौजूदा वैज्ञानिक साहित्य, प्रासंगिक नीतियों, विनियमों, कार्यक्रमों और वित्त पोषण रणनीतियों, कार्रवाई की वर्तमान स्थिति और सर्वोत्तम अभ्यास दृष्टिकोण की समीक्षा और जांच की। प्राप्त सुझाव नागरिक समाज, अनुसंधान निकायों, उद्योग, विशेषज्ञों, शिक्षाविदों, व्यक्तियों आदि से थे और वायु प्रदूषण, वायु गुणवत्ता प्रबंधन, निगरानी ढांचे और कार्यान्वयन के लिए संस्थागत सुदृढ़ीकरण के प्रमुख क्षेत्रों में शमन से संबंधित थे।
विशेषज्ञ समूह ने शामिल मुद्दों और जटिलताओं पर विचार करते हुए, अल्पकालिक (एक वर्ष तक), मध्यम अवधि (एक-तीन वर्ष), और दीर्घकालिक (तीन-पांच वर्ष, अधिमानत) कार्यों का सुझाव दिया है। इस समय-सीमा को विभिन्न उप-क्षेत्रों/क्षेत्रों/जिलों/शहरों के लिए अलग-अलग किया गया है ताकि सभी को सामान्य वायु गुणवत्ता लक्ष्य को पूरा करने के लिए परिवर्तन के लिए स्थान प्रदान किया जा सके। मोटे तौर पर, राष्ट्रीय परिवेशी वायु गुणवत्ता मानकों को पूरा करने के उद्देश्य से परिवर्तन के महत्वपूर्ण क्षेत्रों में शामिल हैं:- उद्योग, परिवहन और घरों में किफायती स्वच्छ ईंधन और प्रौद्योगिकी तक व्यापक पहुंच। बड़े पैमाने पर पारगमन, वाहनों के विद्युतीकरण, पैदल चलने और साइकिल चलाने के बुनियादी ढांचे के निर्माण और व्यक्तिगत वाहन के उपयोग को कम करने आदि सहित गतिशीलता परिवर्तन। डंपिंग और जलने को रोकने के लिए कचरे से सामग्री की वसूली के लिए सर्कुलर अर्थव्यवस्था। सी एंड डी कार्यों, सड़कों/मार्गों के अधिकार (आरओडब्ल्यू) और उपयुक्त प्रौद्योगिकी, बुनियादी ढांचे और हरित उपायों के साथ खुले क्षेत्रों से धूल प्रबंधन। सख्त समयबद्ध कार्यान्वयन, बेहतर निगरानी और अनुपालन। आयोग पहले ही इस नीति को केंद्र सरकार के मंत्रालयों/विभागों, एनसीआर राज्य सरकारों, जीएनसीटीडी और विभिन्न एजेंसियों के साथ इस नीति को साझा कर चुका है ताकि एनसीआर में वायु प्रदूषण को रोकने के लिए नीति पर व्यापक कार्य किया जा सके।
सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट प्लांट का औचक निरीक्षण
सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट प्लांट का औचक निरीक्षण
हरिशंकर त्रिपाठी
देवरिया। जिलाधिकारी जितेंद्र प्रताप सिंह ने बुधवार को उसरा में निर्माणाधीन सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट प्लांट का औचक निरीक्षण किया। निरीक्षण के दौरान कई गंभीर खामियां मिली, जिस पर जिलाधिकारी ने गहरी नाराजगी जताई। उन्होंने कहा कि जनपद में व्यापक लोकहित में चल रही शासन की विभिन्न निर्माण परियोजनाओं को मूल भावना के साथ पूरी पारदर्शिता एवं गुणवत्ता के साथ पूर्ण किया जाए।जिलाधिकारी बुधवार को अपराहन उसरा स्थित सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट प्रोजेक्ट का निरीक्षण करने पहुंचे। 1.59 हेक्टेयर में 75 टीपीडी क्षमता के सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट प्लांट का निर्माण नगर पालिका परिषद देवरिया द्वारा कार्य साढ़े सात करोड़ रुपये की लागत से कराया जा रहा है। इस परियोजना में वेब ब्रिज, प्लेटफार्म, कवर्ड कंपोस्ट शेड आदि का निर्माण कार्य चल रहा है।
जिलाधिकारी ने निर्माण कार्य में प्रयुक्त ईंटों की गुणवत्ता एवं जुड़ाई में प्रयुक्त बालू सीमेंट के मसाले के अनुपात को मानक के अनुरूप नहीं पाया। इस पर उन्होंने सीएनडीएस के सहायक अभियंता एके सिंह को ठेकेदार की देयता में से 15% की कटौती करने का निर्देश दिया। खराब वर्कमेनशिप एवं पर्यवेक्षण के लिए उन्होंने सीएनडीएस के अधिकारियों को कड़ी फटकार लगाई। उन्होंने कहा कि परियोजना की गुणवत्ता से किसी भी तरह का समझौता नहीं किया जाएगा। इस दौरान अपर जिलाधिकारी प्रशासन कुँवर पंकज, इओ नगर पालिका रोहित सिंह सहित कई अधिकारी मौजूद थे।
जिलाधिकारी ने परियोजना के भूमि चयन की जांच एडीएम प्रशासन को सौंपी। जिलाधिकारी ने उक्त परियोजना के लिए भूमि चयन पर कई सवाल पूछे, जिनका संतोषजनक उत्तर नहीं मिलने पर उन्होंने एडीएम प्रशासन की अध्यक्षता में एक जांच समिति का गठन किया है। इस समिति में एसडीएम ध्रुव शुक्ला, इओ रोहित सिंह और अधिशासी अभियंता सिंचाई दुर्गेश गर्ग सदस्य होंगे। जिलाधिकारी ने बताया कि उक्त परियोजना हेतु वर्ष 2018 में 2 करोड़ 41 लाख रुपये की भूमि का क्रय किया गया। शहर से इसकी दूरी 13 किलोमीटर की है। मुख्य मार्ग से सॉलिड वेस्ट प्लांट तक पहुंचने के लिए सड़क बनाने के लिए भी जमीन का क्रय करना होगा, जिसकी लागत का बोझ भी नगर पालिका को उठाना होगा। डीएम ने कहा कि भूमि चयन में प्रथम दृष्टया लापरवाही परिलक्षित हो रही है। भूमि चयन की वजह से परियोजना की कुल लागत अंतिम रूप से काफी बढ़ गई है। उन्होंने जांच समिति को 22 जुलाई तक रिपोर्ट सौंपने का निर्देश दिया है।
10वीं-12वीं की परिक्षाओं की तारीखों का ऐलान
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