गुरुवार, 7 जुलाई 2022

कई प्रकार के संसाधनों से वंचित, पशु चिकित्सालय

कई प्रकार के संसाधनों से वंचित, पशु चिकित्सालय

अश्वनी उपाध्याय/दीपक राणा
गाजियाबाद/लोनी। राजकीय पशु चिकित्सालय लोनी कई प्रकार के संसाधनों से वंचित हैं। जिसकी वजह से क्षेत्रीय लोगों को पूर्ण रूप से सुविधाएं नहीं मिल पा रही हैं। कई बार तो ऐसी स्थिति हो जाती है कि बीमार पशुओं को कहीं दूसरी जगह रेफर किया जाता है।
जानकारी के अनुसार, लोनी के पशु चिकित्सालय में ना तो आज तक कोई पशुओं को ले जाने लाने के लिए एंबुलेंस की सुविधा है और ना ही पूर्ण रूप से दवाइयों की सुविधाएं हैं।
हालांकि, जो भी बीमार पशु चिकित्सालय में जाते हैं। उन्हें पूरी तरह से दवाई भी वहां से नहीं मिलती और उन्हें बाहर से दवाइयां खरीद कर तब पशुओं का इलाज कराना पड़ता है। जो हर व्यक्ति पर बोझ बना हुआ है। क्षेत्र के निकाय और ग्रामीण क्षेत्रों में भी चिकित्सालय है। लेकिन लोग लोनी पशु चिकित्सालय में ही पशुओं को दवाई दिलवाने के लिए आते हैं और इस उम्मीद से आते हैं कि यहां पूर्ण रूप से चिकित्सा से संबंधित सुविधाएं हमारे पशु को मिल जाएंगी।
लेकिन ऐसा नहीं हो पाता है, लोग निराश होकर मेडिकल स्टोरों से दवाइयां खरीदने के लिए मजबूर हो जाते हैं। यहां पर यह कहावत चरितार्थ हो रही है कि मरता और क्या नहीं करता है।
वहीं इस मामले में बात करते हुए पशु चिकित्सा प्रभारी डॉ अमरदीप सिंह ने बताया कि जो दवाइयां पीछे से आती हैं। वही बीमार पशुओं को दी जाती है। इसके अलावा हमारे पास एंबुलेंस की भी सुविधा नहीं है, ना ही कोई सर्जन है और ऑपरेशन थिएटर की व्यवस्था है। जिससे एक्सीडेंटल पशुओं का ऑपरेशन किया जा सके। ना ही हमारे यहां एक्स-रे मशीन हैं। जिससे पशुओं का एक्स-रे कर उनका सही इलाज किया जा सके। खास बात यह है कि भवन भी हमारे यहां जर्जर है। जिसकी अभी तक किसी भी तरह कोई रिपेयरिंग भी नहीं की गई।

मुनक्का-शहद खून की कमी को करतें हैं दूर

मुनक्का-शहद खून की कमी को करतें हैं दूर

सरस्वती उपाध्याय 
हमारे शरीर में खून की कमी से कई तरह की समस्याएं पैदा होने लगती हैं। बॉडी में दो तरह की रक्त कोशिकाएं होती हैं। एक रेड ब्लड सेल और दूसरे वाइट ब्लड सेल। जब शरीर में रेड ब्लड सेल की कमी होने लगती है, तो इसे खून की कमी कहा जाता है। इस स्थिति को एनीमिया कहते हैं। यह स्थिति बेहद गंभीर होती है। इसके पीछे कई कारण हो सकते हैं, जैसे असंतुलन डाइट, पोषण की कमी आदि। एनीमिया को दूर करने के लिए सप्लीमेंट्स के साथ खाने में ज़रूरी फूड्स का सेवन अहम साबित होता है। कई ऐसी चीज़े हैं जो खून की कमी को पूरा करने में फायदेमंद साबित होती हैं। ऐसी ही एक चीज़ है मुनक्का, जिसे अगर शहद के साथ मिलाकर खाया जाए जो खून की कमी दूर हो सकती है। तो आइए जानें कि मुनक्का और शहद का सेवन खून की कमी दूर करने के अलावा और किन चीज़ों में फायदेमंद होता है।

1. एनिमिया का कारण शरीर में आयरन की कमी होता है, जिसे खून की मात्रा कम होती जाती है। हालांकि, कई ऐसी खाने की चीज़ें हैं जो इस कमी को दूर करती हैं। उदाहरण के तौर पर मुनक्का और शहद का मिश्रण एनीमिया को दूर करता है। मुनक्का और शहद दोनों में आयरन की भरपूर मात्रा होती है, जो शरीर में हीमोग्लोबिन के स्तर को बढ़ाने में फायदेमंद साबित होता है।

बदसलूकी का मामला, अभिनेता को हिरासत में लिया

बदसलूकी का मामला, अभिनेता को हिरासत में लिया

इकबाल अंसारी
तिरुवनंतपुरम। केरल के मशहूर अभिनेता श्रीजीत रवि को लेकर एक चौंकाने वाला वाकया सामने आया है। श्रीजीत रवि को स्‍कूली बच्‍चों के साथ कथित रूप से बदसलूकी करने के मामलें में हिरासत में लिया गया है। लड़कियों ने आरोप लगाया है कि अभिनेता ने उनसे बदसलूकी की और अपने प्राइवेट पार्ट्स भी दिखाए।
पुलिस ने बताया कि आईपीसी की धारा 509 (महिला की मर्यादा भंग करने के इरादे से किया गया कृत्य या हाव-भाव) के तहत उन्हें यहां ओट्टापलन में फिल्म शूटिंग स्थल से गिरफ्तार किया गया। स्कूली छात्राओं ने अपने प्राधानाध्यापक से शिकायत की थी कि अभिनेता ने अपने मोबाइल में उनकी तस्वीरें लीं और कथित तौर पर अभद्र इशारे किये। हालांकि अभिनेता ने आरोपों से इंकार किया है।
श्रीजीत रवि को मलयालम फिल्‍मों में सेकेंड लीड और विलेन के किरदारों के लिए जाना जाता है। सूत्रों के अनुसार पुलिस ने अभिनेता श्रीजीत रवि से पूछताछ की है।

सपा सांसद ने फिर दिया विवादित बयान: यूपी

सपा सांसद ने फिर दिया विवादित बयान: यूपी
अकांशु उपाध्याय 
नई दिल्ली। समाजवादी पार्टी के टिकट पर लोकसभा सदस्य चुने गए शफीकुर्रहमान बर्क अपनी धमकी को लेकर एक बार फिर से सुर्खियां बटोर रहे हैं। सपा सांसद ने बिजली विभाग के अफसरों को धमकी भरे अंदाज में कहा है कि यदि बकरीद के मौके पर बिजली चेकिंग के नाम पर छेड़छाड़ की गई तो इस काम का अंजाम अच्छा नहीं होगा। उन्होंने त्योहार के मौके पर 24 घंटे बिजली देने के लिए भी अफसरों को चेताया है। पूरे,सरकार से दिया इस्तीफा आमतौर पर अपने बयानों को लेकर सोशल मीडिया समेत अखबार के पन्नों की सुर्खियों में बने रहने वाले संभल लोकसभा सीट से समाजवादी पार्टी के सांसद शफीकुर्रहमान बर्क अब अपने नए बयान को लेकर चौतरफा चर्चाएं बटोर रहे हैं। 
सपा सांसद ने बिजली विभाग के अफसरों को धमकी देते हुए कहा है कि ईद उल जुहा के मौके पर अगर विद्युत विभाग द्वारा चेकिंग के नाम पर छेड़छाड़ की गई तो इस काम का अंजाम अच्छा नहीं होगा। उन्होंने बिजली विभाग के कर्मचारियों को भी त्योहार के मौके पर भरपूर मात्रा में बिजली देने के लिए चेताते हुए धमकी देते हुए कहा है कि चेकिंग के नाम पर बिजली आपूर्ति को बंद किया जाये।
सपा सांसद शफीकुर्रहमान बर्क ने कहा है कि बिजली विभाग के अधिकारी जब कई इलाकों में चेकिंग करते हैं तो इस दौरान बिजली आपूर्ति भी बंद कर दी जाती है। बिजली चेकिंग के दौरान चोरी करते हुए पकड़े जाने वाले लोगों के कनेक्शन भी बिजली विभाग द्वारा काट दिए जाते हैं। 10 जुलाई को बकरीद मनाई जाएगी। ऐसे हालातों में जरूरी है कि विद्युत विभाग की ओर से 24 घंटे लोगों को बिजली आपूर्ति की जाए।

असम में बाढ़ से मरने वालों की संख्या-186 हुई

असम में बाढ़ से मरने वालों की संख्या-186 हुई 

इकबाल अंसारी 
दिसपुर। असम में बाढ़ का कहर लगातार जारी है। बाढ़ से मची तबाही के कारण वहां सामान्य जीवन पूरी तरह से अस्त-व्यस्त हो गया है। बाढ़ (Flood) के चलते लाखों लोगों को अपना घर छोड़कर सुरक्षित स्थानों पर जाने के लिए मजबूर होना पड़ा है। वहीं, अब बाढ़ के हालात में कुछ सुधार देखने को मिला है। हांलाकि कि कल भी असम में बाढ़ के चलते दो लोगों को अपनी जान गंवानी पड़ी है।
जिसके बाद असम में बाढ़ से मरने वालों की संख्या बढ़कर अब 186 हो गई है। ताजा जानकारी के मुताबिक असम के 15 जिलों में 9.68 लाख से भी ज्यादा लोग बाढ़ के कारण प्रभावित हुए हैं। वहीं मंगलवार 5 जुलाई को असम के 16 जिलों में 11.17 लाख से अधिक लोग बाढ़ से प्रभावित थे।
असम में बाढ़ का कहर बरकार है। असम राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण  की बाढ़ के हालातों पर जानकारी देते हुए बताया कि, बुधवार को बाढ़ के कारण असम के दो जिलों कामरूप और नगांव  में दो बच्चों की मौत हो गई। बता दें कि असम में बाढ़ से सबसे अधिक प्रभावित जिला कछार है। अकेले कछार जिले  में बाढ़ से 5.7 लाख लोग प्रभावित हैं। कछार के बाद बाढ़ से दूसरा सबसे प्रभावित जिला नगांव है जहां पर 1.89 लाख मुश्किलों का सामना कर रहे हैं। वहीं, बाढ़ से मोरीगांव के 1.58 लाख लोग बुरी तरह प्रभावित हुए हैं।

योगी: सरकार ने संस्कृत भाषा को संजीवनी दी

योगी: सरकार ने संस्कृत भाषा को संजीवनी दी

संदीप मिश्र
लखनऊ। वर्षों से सरकारों के उपेक्षा का शिकार रहीं 'देववाणी संस्कृत भाषा' को उत्तर-प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार ने संजीवनी दी है। सरकार ने इसके प्रोत्साहन के लिए रोजगार परक पाठ्यक्रमों की शुरुआत की हैं। एनसीईआरटी पाठ्यक्रम के जरिए, आधुनिक विषयों का समावेश किया गया है। उत्तर-प्रदेश सरकार ने संस्कृत को लोकप्रिय भाषा बनाने के उद्देश्य से कई कदम उठाये हैं। अब कोई घर बैठे ही ऑनलाइन संस्कृत की शिक्षा ग्रहण कर सकता है। इसके लिए सरकार ने टोल फ्री नंबर जारी किया है। यह पहली सरकार है, जिसने माध्यमिक संस्कृत बोर्ड का गठन किया है। साथ शिक्षकों की कमी दूर करने के लिए मानदेय पर तैनाती की है।
इसमें कोई दो राय नही कि पिछले कुछ वर्षों से संस्कृत सियासी उपेक्षा ओर कान्वेंट स्कूलों के बढ़ते वर्चस्व की वजह से संस्कृत के प्रति विद्यार्थियों की रुचि घटी है। एक वजह विज्ञान और आधुनिक विषयों का विकल्प न होना भी माना जा सकता है। यही वजह रही कि अनिवार्य विषय के रूप में संस्कृत की बाध्यता खत्म होते ही आगे की शिक्षा लेने वाले विद्यार्थियों की तादाद में लगातार गिरावट देखी जा रही है।
स्नातक और परास्नातक की संस्कृत विषय की पूरी सीटें नही भर पा रहीं थी। संस्कृत के प्राथमिक विद्यालय भी काफी उपेक्षा के शिकार रहे हैं। शिक्षकों की कमी और संसाधनों के अभाव में संस्कृत के प्रति युवाओं की रुचि घटती गई। योगी सरकार ने संस्कृत विद्यालयों में बड़े पैमाने पर मानदेय शिक्षकों की नियुक्ति कर शिक्षकों की कमी दूर किया और समय की मांग के अनुरूप संस्कृत को कंप्यूटर, विज्ञान और सामाजिक विषयों से जोड़ा।
संस्कृत से रोजगार की संभावनाओं के मद्देनजर संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय वाराणसी में आनलाइन सर्टिफिकेट और डिप्लोमा पाठ्यक्रम का शुभारंभ किया। इन पाठ्यक्रमों के प्रशिक्षण के बाद युवा पुरोहित, पुजारी और वास्तुविद को रोजगार का जरिया बना सकेंगे।
योगी सरकार ने संस्कृत को जन जन की भाषा बनाने के लिए संस्कृत विद्यालयों में 15 से 25 दिन के प्रशिक्षण की व्यवस्था की है। इस भाषा को सीखने के इच्छुक लोग प्रशिक्षण लेकर लाभ उठा सकते हैं। यदि कोई घर बैठे संस्कृत सीखना चाहता है तो वह घर बैठे ही टोल फ्री नंबर पर संस्कृत सीख सकता है।
संस्कृत शिक्षकों की भारी कमी को देखते हुए सरकार ने मानदेय पर नियुक्ति की है। ग्रैच्युटी और मृतक आश्रित सेवा योजन का प्रावधान कर उन्हें सामाजिक सुरक्षा प्रदान की गयी है। प्रदेश में कुल 1151 संस्कृत माध्यमिक विद्यालयों के जरिये शिक्षा दी जा रही है । इनमें संस्कृत के 973 सहायता प्राप्त और 178 वित्त विहीन संस्कृत माध्यमिक विद्यालय शामिल हैं।

महंगाई से लोग परेशान, पीएम बेपरवाह: बनर्जी

महंगाई से लोग परेशान, पीएम बेपरवाह: बनर्जी

मिनाक्षी लोढी
कोलकाता। देश में बढ़ रही बेतहाशा महंगाई के कारण लोग पहले से ही परेशान है। इसके बावजूद प्रतिदिन दैनिक उपयोग में आने वाले किसी ना किसी वस्तु के दाम बढ़ते रहने से लोगों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। हाल ही में रसोई गैस के दाम बढ़ाए गए थे। इसके बावजूद बुधवार को फिर इसके दाम बढ़ा दिए गए। रसोई गैस के बढ़ते दाम को लेकर पश्चिम बंगाल में सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर निशाना साधते हुए कहा कि लोगों को परेशानी हो रही है, लेकिन उन्हें इसकी कोई परवाह नहीं है। घरेलू रसोई गैस के दाम में बुधवार को 50 रुपये प्रति सिलेंडर की वृद्धि की गई। मई महीने से एलपीजी की दरें तीसरी बार बढ़ाई गई हैं।
तृणमूल ने अपने आधिकारिक ट्विटर अकाउंट पर लिखा कि 14.2 किलोग्राम के घरेलू एलपीजी सिलेंडर की कीमतों में 50 रुपये प्रति सिलेंडर की बढ़ोतरी की गई है। नरेंद्र मोदी देश के लोगों पर एक बार फिर इस तरह से अपना प्यार बरसा रहे हैं। पार्टी ने कहा कि पीएम मोदी के अमृत काल में दुख थमने का नाम नहीं ले रहा है और प्रधानमंत्री को इसकी कोई परवाह नहीं है।
सार्वजनिक क्षेत्र की तेल विपणन कंपनियों की मूल्य अधिसूचना के अनुसार, कोलकाता में बिना सब्सिडी वाले 14.2 किलोग्राम के एलपीजी सिलेंडर की कीमत पहले के 1029 रुपये प्रति सिलेंडर से बढ़कर अब 1,079 रुपये हो गई है। एलपीजी के दाम मई, 2022 से अबतक तीसरी बार और इस साल चौथी बार बढ़ाए गए हैं। सात मई को प्रति सिलेंडर 50 रुपये की वृद्धि की गयी थी। इससे पहले 22 मार्च को भी प्रति सिलेंडर कीमतों में इतनी ही वृद्धि की गयी थी। 19 मई को रसोई गैस सिलेंडर के दाम तीन रुपये बढ़ाए गए थे।

निचली अदालत का सीबीआई को नोटिस जारी

निचली अदालत का सीबीआई को नोटिस जारी 
अकांशु उपाध्याय 
नई दिल्ली। दिल्ली उच्च न्यायालय ने आय के ज्ञात स्रोतों से अधिक संपत्ति (डीए) मामले में हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री ओम प्रकाश चौटाला को दोषी ठहराए जाने और चार साल की सजा देने से संबंधित उनका जेल रिकॉर्ड बृहस्पतिवार को मांगा। न्यायमूर्ति योगेश खन्ना ने इस मामले में चौटाला की दोषसिद्धि और सजा को चुनौती देने के साथ-साथ निचली अदालत में उनकी सजा को निलंबित करने की उनकी याचिका पर केन्द्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) को नोटिस जारी किया।
वरिष्ठ वकील सुधीर नंदराजोग ने अदालत से पूर्व मुख्यमंत्री की चार साल की सजा को निलंबित करने का आग्रह करते हुए दलील दी कि वह पहले ही इस मामले में पांच साल जेल की सजा काट चुके हैं। न्यायमूर्ति खन्ना ने कहा,‘‘ मुझे इस पर विचार करने दें, मैं आपको एक तारीख दूंगा।’’ इसके बाद उन्होंने मामले को 25 जुलाई के लिए सूचीबद्ध कर दिया।
विशेष न्यायाधीश विकास ढल ने 27 मई को 1993 से 2006 तक आय के ज्ञात स्रोतों से अधिक संपत्ति अर्जित करने के मामले में चौटाला को चार साल की सजा सुनाई थी और उन पर 50 लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया था। न्यायाधीश ने संबंधित अधिकारियों को उनकी चार संपत्तियों को जब्त करने का भी निर्देश दिया था। केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) ने चौटाला के खिलाफ 2005 में मामला दर्ज किया था।
एजेंसी ने 26 मार्च 2010 में दाखिल आरोप पत्र में आरोप लगाया था कि चौटाला ने 1993 से 2006 के बीच आय के ज्ञात स्रोतों से अधिक संपत्ति जुटाई। सीबीआई द्वारा दर्ज प्राथमिकी के मुताबिक, चौटाला ने 24 जुलाई 1999 से पांच मार्च 2005 तक हरियाणा का मुख्यमंत्री रहते हुए परिवार और अन्य के साथ साठगांठ कर आय के ज्ञात स्रोत से अधिक चल एवं अचल संपत्ति अर्जित की। यह संपत्ति चौटाला और उनके परिवार के सदस्यों के नाम पर अर्जित की गई।


‘विश्वासघात के घाव’ पर नमक रगड़ने की तरह, बयान

‘विश्वासघात के घाव’ पर नमक रगड़ने की तरह, बयान 

अकांशु उपाध्याय 
नई दिल्ली। कांग्रेस ने न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) के बारे में नीति आयोग के एक सदस्य के बयान को लेकर बृहस्पतिवार को आरोप लगाया कि यह किसानों को सरकार द्वारा दिए गए ‘विश्वासघात के घाव’ पर नमक रगड़ने की तरह है। पार्टी सांसद दीपेंद्र सिंह हुड्डा ने सरकार से यह आग्रह भी किया कि सरकार को संयुक्त किसान मोर्चा से किए गए वादे के मुताबिक, एमएसपी पर तत्काल समिति गठित करनी चाहिए और देश में चल रहे ‘अनाज संकट’ पर श्वेत पत्र लाना चाहिए।
हुड्डा ने संवाददाताओं से बातचीत में दावा किया कि देश में ‘अनाज संकट’ है क्योंकि बड़े पैमाने पर गेहूं निर्यात कर दिया गया और कई भाजपा शासित राज्यों ने भी केंद्र सरकार से गेंहू की मांग की है। उन्होंने एमएसपी की कानूनी गारंटी देने की मांग करते हुए कहा कि कांग्रेस, सरकार के ‘विश्वासघात’ के खिलाफ संयुक्त किसान मोर्चा द्वारा प्रस्तावित कार्यक्रमों का नैतिक समर्थन करती है।
संयुक्त किसान मोर्चा ने पिछले दिनों कहा था कि सरकार द्वारा इस कथित ”विश्वासघात” के विरोध में, 18 जुलाई को संसद के मानसून सत्र की शुरुआत से 31 जुलाई – शहीद ऊधम सिंह के शहादत दिवस तक, देशभर में जिला स्तर पर ”विश्वासघात के खिलाफ विरोध” जनसभाओं का आयोजन किया जाएगा। हुड्डा ने कहा, ‘‘संयुक्त किसान मोर्चा के साथ जो समझौता हुआ था कि उसके तहत न्यूनतम समर्थन मूल्य पर समिति बननी चाहिए थी।
अब तक अजय कुमार मिश्रा को मंत्री से हटाया भी नहीं गया। यह विश्वासघात है।’’ उन्होंने नीति आयोग के एक सदस्य के बयान का हवाला देते हुए कहा कि यह किसानों को दिए गए ‘विश्वासघात के घाव’ पर नमक रगड़ना है। उल्लेखनीय है कि नीति आयोग के सदस्य रमेश चंद ने बुधवार को कहा कि कृषि फसलों पर न्यूनतम समर्थन मूल्य व्यवस्था तब तक जारी रहना चाहिए जब तक कि बाजार प्रतिस्पर्धी और कुशल न हो जाए, लेकिन इसे खरीद के अलावा अन्य किसी माध्यम से दिया जाना चाहिए।
एमएसपी के विषय को लेकर हुड्डा ने दावा किया, ‘‘28 मार्च को सरकार की तरफ से संयुक्त किसान मोर्चा के लोगों के पास फोन आया था कि समिति के लिए दो-तीन नाम दे दो। मोर्चा की तरफ से पूछा गया कि समिति को बनाने का मानदंड और अधिकार क्षेत्र क्या होगा।  सरकार ने कोई जवाब नहीं दिया। सरकार ने धोखा दिया है।
उन्होंने कहा, ‘‘वादा था कि 2022 तक किसानों की आय दोगुना की जाएगी, लेकिन यह तो हुआ नहीं, बल्कि किसानों का कर्ज और खर्च बढ़ गया। अब भाजपा के लोग किसानों की आय दोगुनी करने की बात ही नहीं करते। यह बड़ा धोखा किया गया है।’’ हुड्डा ने सरकार से आग्रह किया, ‘‘तत्काल एमएसपी पर समिति का गठन हो। अनाज संकट पर श्वेत पत्र लाए जाए ताकि पता चल सके कि 10 प्रदेशों के भंडार में कटौती क्यों करनी पड़ी।’’

औद्योगिक घरानों का पोषण, किसान-गरीबों का शोषण

औद्योगिक घरानों का पोषण, किसान-गरीबों का शोषण

अकांशु उपाध्याय 
नई दिल्ली। कांग्रेस ने कहा है कि सरकार की नीति कुछ बड़े औद्योगिक घरानों का पोषण कर किसानों तथा गरीबों का शोषण करना है। इसलिए वह किसानों से किए वादे पूरे करने की बजाय उन्हें धोखा देकर पिछले दरवाजे से कृषि विरोधी कानून ला रही है। कांग्रेस नेता दीपेंद्र सिंह हुड्डा ने गुरुवार को यहां पार्टी मुख्यालय में संवाददाता सम्मेलन में कहा कि मोदी सरकार किसानों के साथ धोखा कर रही है और पिछले दरवाजे से उसी कृषि विरोधी कानून को लाने के प्रयास में है जिसको वापस करने के लिए किसानों को लम्बे समय तक आंदोलन करने को मजबूर होना पड़ा था।
किसान विरोधी मोदी सरकार अब पीछे के दरवाजे से उसी कृषि कानून को दोबारा लाने का प्रयास कर रही है। उन्होंने कहा कि किसान आंदोलन को खत्म करने के लिए सरकार ने संयुक्त किसान मोर्चा से किसानों की आमदनी दोगुना करने, न्यूनतम समर्थन मूल्य-एमएसपी के लिए समिति गठित करने तथा उत्तर प्रदेश के लखीमपुर में किसानों के कुचलने के लिए दोषी युवक के पिता एवं केंद्रीय मंत्री अजय मिश्रा को मंत्रिमंडल से हटाने की बात की थी लेकिन अब वह इन वादों से मुकर गई है और इस दिशा में कोई कदम नहीं उठा रही है।
कांग्रेस नेता ने कहा कि इस सरकार का मकसद एमएसपी को धीरे-धीरे खत्म करना है और किसानों के साथ किये वादों से पीछे हटकर उन्हें धोखा देना है। उनका कहना था कि सरकार के मन में पहले से ही घोखा था इसलिए उसने गत मार्च में किसानों से लिखितरूप से बात करने की बजाय किसान मोर्चा के नेताओं को फोन करके समिति के लिए मौखिक रूप से नाम देने को कहा था लेकिन इस बारे में अब तक कोई कदम नहीं उठाया गया है।
उन्होंने कहा कि यही नहीं सरकार ने किसान की फसल की खरीद को भी कम कर दिया है जबकि वह उनकी आय दोगुना करने की बात करती है। गेहूं का स्टॉक 15 साल में सबसे कम हो गया है और यह 2008 के स्तर पर पहुंच गया है। सरकार को इस साल जितनी खरीद करनी थी वह खरीद नहीं हुई है और इस साल किसान से पहले की तुलना में 56 प्रतिशत कम खरीद हुई है। इस तरह से किसान को मौसम की मार झेलने के साथ ही सरकार की नाकामयाबी का खामियाजा भी भुगतना पड़ रहा है।
कांग्रेस नेता ने कहा कि इस समय यूक्रेन युद्ध के कारण अंतरराष्ट्रीय बाजार में गेहूं की जबरदस्त मांग है। यूक्रेन से बड़े स्तर पर विश्व बाजार में गेहूं की आपूर्ति होती है लेकिन इस बार युद्ध में फंसे होने के कारण वहां से विश्व बाजार में गेहूं नहीं पहुंच रहा है और गेहूं के दाम बहुत ऊंचे स्तर पर पहुंच गये हैं। अंतरराष्ट्रीय बाजार में गेहूं की बढ़ी हुई इन कीमतों का फायदा देश के किसानों की बजाय बिचौलियों और कारोबारियों को मिला है।

ईआरसीपी को लेकर कोई राजनीति नहीं करना चाहतें

ईआरसीपी को लेकर कोई राजनीति नहीं करना चाहतें 

नरेश राघानी 
जयपुर। राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने बृहस्पतिवार को कहा कि वह पूर्वी राजस्थान नहर परियोजना (ईआरसीपी) को लेकर कोई राजनीति नहीं करना चाहतें। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार की रुचि इस परियोजना को समयबद्ध ढंग से पूरी करने में है। गहलोत ने यहां संवाददाताओं से कहा, ‘‘हम ईआरसीपी पर कोई राजनीति नहीं करना चाहते। हम चाहेंगे कि ये योजना समय पर पूरी हो।’
गहलोत ने कहा, हम मांग करते हैं कि केंद्र सरकार को इस योजना को राष्ट्रीय परियोजना घोषित करनी चाहिए। उल्लेखनीय है कि राज्य सरकार व मुख्यमंत्री लगातार ईआरसीपी को राष्ट्रीय परियोजना का दर्जा दिए जाने की मांग कर रहे हैं। परियोजना 37000 करोड़ रुपये से अधिक की है इससे राज्य के 13 जिलों में पेयजल उपलब्धता सुनिश्चित होगी।

कौशाम्बी: 'संपूर्ण समाधान दिवस' का आयोजन

कौशाम्बी: 'संपूर्ण समाधान दिवस' का आयोजन  गणेश साहू  कौशाम्बी। जिले के सभी तहसीलों में शनिवार को संपूर्ण समाधान दिवस का आयोजन किया ग...