महत्व: 24 जून को मनाईं जाएंगी 'योगिनी एकादशी'
सरस्वती उपाध्याय
हिंदू धर्म में एकादशी तिथि का बहुत अधिक महत्व होता है। हर माह में दो बार एकादशी तिथि पड़ती है। एक कृष्ण-पक्ष में और एक शुक्ल-पक्ष में। साल में कुल 24 एकादशी पड़ती हैं। आषाढ़ माह के कृष्ण-पक्ष में पड़ने वाली एकादशी को योगिनी एकादशी के नाम से जाना जाता है। एकादशी तिथि भगवान विष्णु को अतिप्रिय होती है। इस दिन विधि-विधान से भगवान विष्णु की पूजा-अर्चना की जाती है। इस बार 24 जून को योगिनी एकादशी मनाईं जाएंगी। हिंदू पंचांग के अनुसार, आषाढ़ मास के कृष्ण-पक्ष की एकादशी का प्रारंभ 23 जून, गुरुवार को रात 09 बजकर 41 मिनट से हो रहा है। एकादशी तिथि 24 जून, शुक्रवार को रात 11 बजकर 12 मिनट पर समाप्त होगी। उदयातिथि की मान्यता अनुसार, एकादशी व्रत 24 जून, शुक्रवार को रखा जाएगा। भगवान विष्णु की पूजा करने से सभी मनोकामनाएं पूरी हो जाती हैं। आइए जानते हैं, योगिनी एकादशी पूजा-विधि, शुभ मुहूर्त और सामग्री की पूरी लिस्ट...योगिनी एकादशी 2022 का शुभ मुहूर्त...
योगिनी एकादशी के दिन अभिजीत मुहूर्त सुबह 11 बजकर 56 मिनट से दोपहर 12 बजकर 51 मिनट तक रहेगा। इस दिन ज्येष्ठा नक्षत्र सुबह 06 बजकर 32 मिनट तक रहेगा। इस दिन सर्वार्थ सिद्धि योग सुबह 05 बजकर 24 मिनट से सुबह 08 बजकर 04 मिनट तक रहेगा। ब्रह्म मुहूर्त सुबह 04 बजकर 04 मिनट से सुबह 04 बजकर 44 मिनट तक रहेगा।
योगिनी एकादशी 2022 व्रत पारण का समय...
योगिनी एकादशी व्रत का पारण 25 जून, शनिवार को किया जाएगा। व्रत पारण का शुभ समय सुबह 05 बजकर 41 मिनट से सुबह 08 बजकर 12 मिनट के बीच रहेगा।
योगिनी एकादशी की पूजा-विधि...
सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि से निवृत्त हो जाएं।
घर के मंदिर में दीप प्रज्वलित करें।
भगवान विष्णु का गंगा जल से अभिषेक करें।
भगवान विष्णु को पुष्प और तुलसी दल अर्पित करें।
अगर संभव हो तो इस दिन व्रत भी रखें।
भगवान की आरती करें।
भगवान को भोग लगाएं। इस बात का विशेष ध्यान रखें कि भगवान को सिर्फ सात्विक चीजों का भोग लगाया जाता है। भगवान विष्णु के भोग में तुलसी को जरूर शामिल करें। ऐसा माना जाता है कि बिना तुलसी के भगवान विष्णु भोग ग्रहण नहीं करते हैं।
इस पावन दिन भगवान विष्णु के साथ ही माता लक्ष्मी की पूजा भी करें।
इस दिन भगवान का अधिक से अधिक ध्यान करें।
एकादशी पूजा की सामग्री लिस्ट...
श्री विष्णु जी का चित्र अथवा मूर्ति
पुष्प
नारियल
सुपारी
फल
लौंग
धूप
दीप
घी
पंचामृत
अक्षत
तुलसी दल
चंदन