बुधवार, 22 जून 2022
सरकारों को गिराने की साजिशें कर रहा विपक्ष
उपमुख्यमंत्री के खिलाफ 100 करोड़ की मानहानि का केस
उपमुख्यमंत्री के खिलाफ 100 करोड़ की मानहानि का केस
इकबाल अंसारी
दिसपुर। असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्व सरमा की पत्नी रिनिकी भूयान सरमा ने दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया के खिलाफ मंगलवार को 100 करोड़ रुपए की मानहानि का केस दर्ज किया है। यह केस गुवाहाटी के सिविल जज कोर्ट में दर्ज हुआ है। आप नेता मनीष सिसोदिया ने 4 जून को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान आरोप लगाया था कि असम की सरकार ने मुख्यमंत्री की पत्नी की कंपनी को कॉन्ट्रैक्ट दिए हैं। कंपनी को पीपीई किट बाजार भाव से अधिक रेट पर सप्लाई करने का कॉन्ट्रैक्ट दिया था, जब देश में 2020 में कोरोना की लहर थी। रिनिकी सरमा के वकील पद्माधर नायक ने कहा कि हमे उम्मीद है कि यह केस आज 22 जून को कोर्ट में लिस्ट होगा।
इससे पहले हिमंत बिस्व सरमा ने कहा था कि वह मनीष सिसोदिया के खिलाफ कानूनी कार्रवाई करेंगे। हालांकि अपने बयान पर सफाई देते हुए मनीष सिसोदिया ने कहा था कि एक समय जब पूरा देश महामारी से लड़ रहा था, असम में पीपीई किट की किल्लत थी, मेरी पत्नी ने आगे आने की हिम्मत दिखाई और 1500 पीपीई किट दान में दिया, इसके लिए कोई पैसे नहीं लिए, ताकि लोगों की जिंदगी बच सके। उन्होंने इसके लिए एक भी पैसा नहीं लिया। ये पीपीई किट्स सरकार को तोहफे में दी गई थी, मेरी पत्नी की कंपनी ने इसके लिए कोई बिल नहीं दिया था। बता दें कि मनीष सिसोदिया ने इस मुद्दे को लेकर ट्वीट किया था। उन्होंने लिखा था कि मुख्यमंत्री हिमंत बिस्व सरमा जी, आपकी पत्नी की कंपनी जेसीपी इंडस्ट्रीज ने 5000 किट 990 रुपए के दाम से दिए हैं, मुझे बताइए क्या ये गलत पेपर है। क्या ये भ्रष्टाचार नहीं है, अपनी ही पत्नी की कंपनी को बतौर स्वास्थ्य मंत्री कॉन्ट्रैक्ट देना क्या भ्रष्टाचार नहीं है। इस ट्वीट पर हिमंत बिस्व सरमा की पत्नी ने प्रतिक्रिया देते हुए कहा महामारी के पहले हफ्ते में असम में एक भी पीपीई किट नहीं थी। इसका संज्ञान लेते हुए मैंने 1500 पीपीई किट एनएचएम को दी। बाद में मैंने एनएचएम को लिखा कि इसमे मेरे सीएसआर के तहत देखा जाए। मैंने इसके लिए एक भी पैसा नहीं लिया। मैं हमेशा अपने विश्वास को लेकर पारदर्शी रही हूं, फिर चाहे वह मेरे पति की राजनीतिक पहचान ही क्यों ना हो।
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प्राधिकृत प्रकाशन विवरण
मंगलवार, 21 जून 2022
योगेश्वर 'संपादकीय'
111 गैर मान्यता प्राप्त पंजीकृत दलों को सूची से हटाया
111 गैर मान्यता प्राप्त पंजीकृत दलों को सूची से हटाया
अकांशु उपाध्याय
नई दिल्ली। चुनावी सुधारों को लेकर गंभीर चुनाव आयोग ने देश के और 111 गैर मान्यता प्राप्त पंजीकृत राजनीतिक दलों को अपनी सूची से हटा दिया है। साथ ही इनके चुनाव चिन्ह और मिलने वाली सभी तरह की सुविधाएं भी छीन ली हैं। बता दें कि निर्वाचन आयोग इससे पहले भी 87 गैर मान्यता प्राप्त पंजीकृत राजनीतिक दलों के खिलाफ ऐसी कार्रवाई कर चुका है। बता दें कि चुनाव आयोग ने गैर मान्यता प्राप्त पंजीकृत राजनीतिक दलों के खिलाफ सख्त कदम उठाने के संकेत पिछले दिनों ही दिए थे। इसमें 21 सौ से ज्यादा दलों को नियमों का पालन नहीं करने का आरोपित पाया गया था। आयोग ने इन सभी दलों को नोटिस भी जारी किया था।इनमें से तीन ऐसे दल भी थे, जो गंभीर वित्तीय अनियमितताओं में शामिल पाए गए है। यह कार्रवाई वित्तीय वर्ष 2017-18, 2018-19 और 2019-20 की रिपोर्ट के आधार पर की है। इसमें बड़ी संख्या में आयोग को चंदे से जुड़ी कोई जानकारी नहीं दी है। अकेले वर्ष 2019-20 में ऐसे दलों की संख्या 23 सौ से अधिक है। जिसके बाद से चुनाव आयोग सभी दलों की जांच पड़ताल में लग गई है।
चुनाव सुधार की इस मुहिम में चुनाव आयोग ने अब राजनीतिक दलों को मिलने वाले छोटे-छोटे चंदे पर भी नजर रखने की रणनीति तैयार करने में जुटा है। इसमें राजनीतिक दलों को ऐसे सभी चंदे का ब्योरा भी देना होगा, जो भले ही 20 हजार से कम होगा।आयोग के मुताबिक राजनीतिक दल 20-20 हजार से कम की राशि में कई किस्तों में लेकर ब्योरा देने से बच जाते है। आयोग से जुड़े सूत्रों के मुताबिक कानून मंत्रालय को इस संबंध में प्रस्ताव भेजा गया है। जैसे ही इसकी मंजूरी मिल जाएगी, इसे लागू कर दिया जाएगा।इसके इसके अलावा एक व्यक्ति से एक सीट से ही चुनाव लड़ने की व्यवस्था करने पर भी विचार किया जा रहा है। अगर कोई प्रत्याशी दो जगहों से लड़ेगा और एक सीट छोड़ेगा, तो चुनाव का पूरा खर्च उससे लिए जाने आदि का प्रस्ताव शामिल है।
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