प्लैटिनम को ज्यादा किफायती बनाने का तरीका, खोजा
सुनील श्रीवास्तव
सिडनी। वैज्ञानिकों ने उत्प्रेरक के तौर पर प्लैटिनम को और ज्यादा किफायती बनाने का तरीका खोज लिया है। इसे कम तापमान वाले तरल में बदलकर ऐसा किया जा सकता है।
सदियों से प्लैटिनम, सोना, रूथेनियम और पैलेडियम जैसी नोबल धातुओं को रासायनिक प्रतिक्रियाओं के लिए बढ़िया कैटालिस्ट माना जाता है। ऐसा इसलिए है क्योंकि अन्य धातुओं की तुलना में वे परमाणुओं के बीच कैमिकल बॉन्ड्स को बेहतर तरीके से तोड़ देते हैं। लेकिन नोबल मेटल दुर्लभ और महंगे होते हैं। इसलिए बड़े पैमाने पर औद्योगिक निर्माता आमतौर पर लोहे जैसे सस्ते विकल्प चुनते हैं।
नेचर केमिस्ट्री जर्नल में प्रकाशित हुए शोध के मुताबिक, ऑस्ट्रेलिया के UNSW सिडनी और RMIT के शोधकर्ताओं ने प्लैटिनम परमाणुओं को विभाजित करके, प्लैटिनम को लिक्विड गैलियम है, ताकि प्लैटिनम की थोड़ी मात्रा में ज्यादा उत्प्रेरक क्षमता हो।
प्लैटिनम का मेल्टिंग तापमान आमतौर पर 1,700 ºC होता है, जिसका मतलब यह है कि जब इसे उत्प्रेरक के तौर पर इस्तेमाल किया जाता है तो यह ठोस होता है। प्लेटिनम को गैलियम मैट्रिक्स में डालकर, इसने गैलियम के मेल्टिंग प्वाइंट अपना लिया।
गैलियम एक नरम, चांदी और नॉन-टॉक्सिक मेटल है जो 29.8 डिग्री सेल्सियस तापमान पर पिघलता है। लिक्विड गैलियम की एक खास बात यह है कि यह हर अणु में अलग-अलग परमाणुओं को अलग करके, धातुओं को घोलता है (जैसे पानी नमक और चीनी को घोलता है।
शोधकर्ताओं का कहना है कि इस आविष्कार से ऊर्जा की लागत बचेगी और औद्योगिक विनिर्माण में उत्सर्जन कम होगा। गैलियम लोहे की तरह सस्ता नहीं है, लेकिन इसे एक ही रिएक्शन के लिए बार-बार इस्तेमाल किया जा सकता है। ऐसा इसलिए है, क्योंकि प्लैटिनम की तरह, गैलियम रिएक्शन के दौरान निष्क्रिय या टूटता नहीं है।
शोधकर्ताओं का कहना है कि गैलियम में प्लेटिनम को घोलने के लिए कुछ घंटों के लिए तापमान 400 डिग्री सेल्सियस तक बढ़ाना होता है। टीम को उम्मीद है कि उनकी इस तकनीक से फर्टिलाइज़र से लेकर ग्रीन फ्यूल सेल्स तक, ज्यादा स्वच्छ और सस्ते प्रॉडक्ट तैयार होंगे।