सोमवार, 30 मई 2022

31 मई को मनाया जाएगा ‘विश्व तंबाकू निषेध दिवस’

31 मई को मनाया जाएगा ‘विश्व तंबाकू निषेध दिवस’ 

डॉक्टर सुभाषचंद्र गहलोत         

नई दिल्ली/वाशिंगटन डीसी। हर साल 31 मई को ‘विश्व तंबाकू निषेध दिवस’ मनाया जाता है। इस बार भी 31 मई को ही मनाया जाएगा। इस खास दिन पर तंबाकू के खतरे के बारे में दुनियाभर में जागरूकता फैलाई जाती है। तंबाकू का उपयोग किस तरह से शरीर को नुकसान पहुंचा सकता है, इसके बारे में तमाम जानकारियां इस खास दिन पर दी जाती हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अनुसार, हर साल दुनिया भर में लगभग 80 लाख लोग तंबाकू के सेवन से होने वाले रोगों की वजह से मौत के मुंह में चले जाते हैं। इस वजह से इस दिन डब्लूएचओ इस खास दिन पर जनता को तंबाकू के उपयोग के खतरों, तंबाकू कंपनियों के व्यवसाय प्रथाओं, डब्लूएचओ के प्‍लान आदि के बारे में लोगों को सूचना दी जाती है।
विश्व स्वास्थ्य संगठन वैश्विक तंबाकू संकट और महामारी से होने वाली बीमारियों और मौतों के बढ़ते मामलों को देखते हुए साल 1987 में पहला ‘विश्व तंबाकू निषेध दिवस’ बनाया। 1987 में विश्व स्वास्थ्य सभा ने संकल्प WHA40.38 पारित किया, जिसमें 7 अप्रैल को “विश्व धूम्रपान निषेध दिवस” मनाने का प्रस्ताव रखा गया। इसके बाद 1988 में संकल्प WHA42.19 पारित किया गया, जिसमें 31 मई को ‘विश्व तंबाकू निषेध दिवस’ के रूप में जारी किया गया। तब से आज तक इस दिन दुनिया भर में तंबाकू और इसके सेवन के घातक परिणामों के प्रति लोगों में जागरूकता अभियान चलाया जा रहा है।
विश्व तंबाकू निषेध दिवस का महत्‍व
‘विश्‍व तंबाकू निषेध दिवस’ मनाने का मुख्य उद्देश्य तंबाकू के खतरों और स्वास्थ्य पर इसके नकारात्मक प्रभावों के प्रति लोगों में जागरूकता फैलाना है। यही नहीं, इसके साथ-साथ निकोटीन व्‍यावसाय और तंबाकू के सेवन से होने वाली बीमारियों और मौतों को कम करना भी है।
क्‍या है इस बार की थीम
इस बार ‘विश्‍व तंबाकू निषेध दिवस’ की थीम है– ‘पर्यावरण की रक्षा करें। बता दें कि पिछले साल इस दिवस की थीम “कमिट टू क्विट” थी।

कॉर्न पोहा बनाने की आसान रेसिपी, जानिए

कॉर्न पोहा बनाने की आसान रेसिपी, जानिए  

मो. रियाज         
हमारे यहां पोहा नाश्ते के तौर पर काफी पसंद किया जाता है। कई जगहों पर तो स्ट्रीट फूड के तौर पर भी पोहा काफी फेमस है। घरों में भी पोहा बनाकर खाया जाता है। आप भी अगर पोहा खाना पसंद करते हैं और पोहे की अलग वैराइटी ट्राई करना चाहते हैं तो हम आज आपको कॉर्न पोहा  बनाने की आसान रेसिपी बताने जा रहे हैं। कॉर्न पोहा बनाने के लिए पोहे के साथ कॉर्न का प्रयोग किया जाता है। नाश्ते के अलावा दिन में कभी भी कॉर्न पोहा बनाकर खाया जा सकता है। ये फू़ड डिश बच्चों को भी काफी पसंद आती है। आप अगर घर पर इस रेसिपी को ट्राई करना चाहते हैं तो हमारी बताई विधि से स्वादिष्ट कॉर्न पोहा तैयार कर सकते हैं।

कॉर्न पोहा बनाने के लिए सामग्री...
पोहा – 2 कप
कॉर्न 1 कप
प्याज – 1
टमाटर – 2
राई – 1 टी स्पून
लाल मिर्च पाउडर – 1/2 टी स्पून
हल्दी – 1/4 टी स्पून
हरी मिर्च कटी – 2
धनिया पत्ती – 2 टेबलस्पून
अदरक-लहसुन पेस्ट – 1 टी स्पून
नींबू – 1
कढ़ी पत्ते – 15
तेल – 1 टेबलस्पून
नमक – स्वादानुसार

कॉर्न पोहा बनाने की विधि...
कॉर्न पोहा बनाने के लिए सबसे पहले पोहे को लेकर साफ कर लें और उसे पानी में गलाकर आधा घंटे के लिए अलग रख दें। अब मक्के के दानों (कॉर्न) को लें और उन्हें एक बर्तन में डालकर उबाल लें। आप चाहें तो इसके लिए छोटे कुकर का भी इस्तेमाल कर सकते हैं। अब प्याज, टमाटर और हरी मिर्च को बारीक-बारीक काट लें।इसके बाद अदरक और लहसुन को पीसकर पेस्ट तैयार कर लें।
अब एक कड़ाही में 1 टेबलस्पून तेल डालकर उसे मीडियम आंच पर गर्म करने के लिए रख दें। जब तेल गर्म हो जाए तो उसमें राई डालकर चटका लगाएं। इसके बाद इसमें कड़ी पत्ते डालकर एक मिनट तक भून लें। इसके बाद इसमें बारीक कटा प्याज, हरी मिर्च और अदरक-लहसुन का पेस्ट डालकर फ्राई करें। प्याज को तब तक भूने जब तक कि इसका रंग गोल्डन ब्राउन ना हो जाए।
इसके बाद इसमें बारीक कटे टमाटर, लाल मिर्च पाउडर, हल्दी और स्वादानुसार नमक डालकर मिलाएं। अब टमाटर को नरम होने तक पकने दें। जब टमाटर नरम हो जाएं तो इसमें उबले कॉर्न डालकर करछी से चलाते हुए मिक्स कर दें। इसके बाद गले हुए पोहे कड़ाही में डालें और मिश्रण के साथ अच्छी तरह से मिला दें। इसे 1-2 मिनट तक पकाएं फिर गैस बंद कर दें। आपका स्वादिष्ट कॉर्न पोहा बनकर तैयार हो चुका है। इसमें नींबू का रस और कटा हरा धनिया गार्निश कर सर्व करें।

राष्ट्रपति ने गोवा के 'स्थापना दिवस' पर बधाई दी

राष्ट्रपति ने गोवा के 'स्थापना दिवस' पर बधाई दी 

अकांशु उपाध्याय      
नई दिल्ली। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने सोमवार को गोवा के स्थापना दिवस पर राज्य के लोगों को बधाई दी। उन्होंने कहा कि गोवा की समृद्ध संस्कृति सभी भारतीयों के लिए गर्व का विषय है। गोवा को 30 मई 1987 को पूर्ण राज्य का दर्जा मिला था। इससे पहले यह केंद्र-शासित प्रदेश गोवा, दमन एवं दीव का हिस्सा था। कोविंद ने ट्वीट किया, ‘‘गोवा के स्थापना दिवस पर सभी गोवावासियों को बधाई। 
भारत के कुछ सबसे खूबसूरत स्थलों की भूमि गोवा की समृद्ध उदार संस्कृति सभी भारतीयों के लिए गर्व का विषय है।’’ उन्होंने कहा, ‘‘गोवा ने विकास के विभिन्न मानकों में उल्लेखनीय प्रगति की है। राज्य की निरंतर प्रगति और समृद्धि के लिए शुभकामनाएं।

गर्मियों में फिट रहना, व्यक्तिगत-पेशेवर जीवन का हिस्सा

गर्मियों में फिट रहना, व्यक्तिगत-पेशेवर जीवन का हिस्सा

सरस्वती उपाध्याय
गर्मियों में फिट रहना, हमारे व्यक्तिगत और पेशेवर जीवन का हिस्सा होना चाहिए और पोषण उस लक्ष्य का एक अभिन्न अंग है। स्वास्थ्य विशेषज्ञ आमतौर पर मौसम के दौरान भोजन से संबंधित प्रश्नों के शीर्ष पर रहते हैं। लेकिन, क्या 2022 की गर्मी कुछ अलग है? निश्चित रूप से, एक महामारी में दो साल बिताने के बाद, लोग छुट्टियों, सामाजिक समारोहों और सप्ताहांत के रात्रिभोज की योजना बना रहे हैं।
इस शिथिल रवैये के परिणामस्वरूप, वे पोषण के महत्व को खो रहे हैं। यह लेख गर्मियों के दौरान आपके स्वास्थ्य और पोषण को नियंत्रण में रखने में आपकी मदद करने के लिए आसान-से-आसान टिप्स प्रदान करेगा। क्या बदलते मौसम से हमारे खान-पान पर असर पड़ता है। इसका जवाब है हाँ।
जैसे-जैसे मौसम बदलता है, हम अपनी शारीरिक गतिविधि और खाने की आदतों के स्तर को भी बदलते हैं। आमतौर पर गर्मियों की भूख के लिए एक ऊष्मीय प्रकृति होती है। मौसम जितना गर्म होगा, हम उतना ही ठंडा होना चाहेंगे। गर्मियों के दौरान, शरीर पसीने के माध्यम से पानी की कमी से निपटने और स्वस्थ पाचन क्रिया को बनाए रखने के लिए अधिक पानी, तरल और हल्के पके हुए खाद्य पदार्थों की लालसा रखता है।
टोरंटो विश्वविद्यालय के मनोवैज्ञानिक सी पीटर हरमन ने इस दावे का समर्थन किया और उल्लेख किया कि गर्म जलवायु में, लोग कम खाते हैं और ‘कूलर’ खाद्य पदार्थ पसंद करते हैं। 2 मई, 2022 को प्रकाशित एक रिपोर्ट के अनुसार, इस गर्मी में, भारत में दूध आधारित आइसक्रीम और डेयरी-आधारित पेय पदार्थों में 50 प्रतिशत से अधिक की वृद्धि दर्ज की गई है।
लॉकडाउन के परिणामस्वरूप, स्थानीय बाजारों का बंद होना, और मिथक ‘कोल्ड’ को कोविड-19 संक्रमण से जोड़ते हुए, इन पेय पदार्थों और आइसक्रीम की बिक्री में पिछले दो सीज़न में गिरावट देखी गई। हालाँकि, गर्मियों में पोषण केवल आइसक्रीम, फलों के रस और ठंडे पेय से अधिक है। इन खाद्य पदार्थों और पेय पदार्थों में बड़ी मात्रा में परिष्कृत सफेद चीनी भी मौजूद होती है, जो लंबे समय तक सेवन करने पर स्वास्थ्य के लिए हानिकारक होती है।

प्रभावित देशों से लौटकर आए लोगों की स्क्रीनिंग होगी

प्रभावित देशों से लौटकर आए लोगों की स्क्रीनिंग होगी 

संदीप मिश्र
लखनऊ/नई दिल्ली/वाशिंगटन डीसी। उत्तर प्रदेश में मंकी पॉक्स से प्रभावित देशों से बीते 21 दिनों के भीतर लौटकर आए लोगों की स्क्रीनिंग की जाएगी। अगर वह दूसरे देश में मंकी पाक्स से संक्रमित किसी मरीज के संपर्क में आए हैं और उनमें इस रोग के लक्षण हैं तो उन्हें तत्काल आइसोलेट कर दिया जाएगा। ऐसे लोगों के सैंपल जांच के लिए नेशनल इंस्टीट्यूट आफ वायरोलाजी (एनआइवी), पुणे भेजे जाएंगे। संचारी रोग विभाग की ओर से विस्तृत गाइड लाइन जारी कर दी गई है। सभी एयरपोर्ट पर सतर्कता बढ़ा दी गई है। निगरानी कमेटियों को भी अलर्ट कर दिया गया है।
हलांकि, अभी तक भारत में मंकी पाक्स से संक्रमित एक भी व्यक्ति नहीं पाया गया है। महानिदेशक, चिकित्सा एवं स्वास्थ्य डा. वेद ब्रत सिंह ने बताया कि अमेरिका, आस्ट्रेलिया, कनाडा व यूनाइटेड किंगडम आदि देशों में मंकी पाक्स का संक्रमण फैला है। मंकी पॉक्स एक वायरल जूनेटिक बीमारी है। संक्रमित व्यक्ति को बुखार के साथ-साथ शरीर पर चकत्ते पड़ जाते हैं। मंकी पाक्स जानवरों से मानव में अथवा एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में फैल सकता है। यह वायरस कटी-फटी त्वचा, सांस नली या म्यूकोसा (आंख, नाक या मुंह) के माध्यम से शरीर में प्रवेश करता है।
जानवरों से मनुष्यों में संक्रमण जानवरों के काटने या खरोंचने, जंगली जानवरों के मांस,शारीरिक द्रव्यों या घाव के पदार्थ के साथ सीधे संपर्क या फिर उसके दूषित बिस्तर के माध्यम से हो सकता है। वहीं मनुष्य से मनुष्य में यह बड़े आकार के रेस्पायरेटरी ड्रापलेट्स या फिर संक्रमित व्यक्ति के घाव के स्राव के सीधे संपर्क में आने से हो सकता है। इसके लक्षण चेचक से मिलते-जुलते हैं। मनुष्य सात से 14 दिन या फिर 21 दिनों तक भी हो संक्रमित रह सकता है।
संक्रमित व्यक्ति चकत्तों के दिखने से एक-दो दिन पहले से चकत्तों की पपड़ी गिरने तक संक्रमक बना रह सकता है। यानी वह दूसरे व्यक्ति को संक्रमित कर सकता है। सभी जिलों में सर्विलांस टीमें अलर्ट की गई हैं। संदिग्ध मरीज के वेसिकल्स के तरल पदार्थ, रक्त, बलगम इत्यादि के सैंपल जांच के लिए भेजे जाएंगे। इस संक्रामक रोग की मृत्यु दर एक प्रतिशत से 10 प्रतिशत तक है।

'पीएम केयर्स फॉर चिल्ड्रन' योजना की शुरुआत की

'पीएम केयर्स फॉर चिल्ड्रन' योजना की शुरुआत की

अकांशु उपाध्याय
नई दिल्ली। कोरोना काल में अनाथ हुए बच्चों को सशक्त बनाने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार को 'पीएम केयर्स फॉर चिल्ड्रन' योजना की शुरुआत की। इस योजना के तहत अनाथ बच्चों के बैंक खातों में पीएम केयर्स फंड से छात्रवृत्ति भेजी गई। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा, सरकार अनाथ बच्चों के साथ है। हम बच्चों की हर तरह से मदद करेंगे।
पीएम मोदी ने कहा, मैं आपसे परिवार के सदस्य के तौर पर बात कर रहा हूं। मैं जानता हूं कोरोना की वजह से जिन्होंने अपनों को खोया है, उनके जीवन में आया ये बदलाव कितना कठिन है। जो चला जाता है, उसकी हमारे पास सिर्फ चंद यादें ही रह जाती हैं, लेकिन जो रह जाता है उसके सामने चुनौतियां का अंबार लग जाता है।
बच्चों की मुश्किलें कम करने का छोड़ा सा प्रयास
प्रधानमंत्री ने कहा, पीएम केयर्स फॉर चिल्ड्रन्स, कोरोना प्रभावित बच्चों की मुश्किलें कम करने का एक छोटा सा प्रयास है। यह इस बात का भी प्रतिबिंब है कि हर देशवासी पूरी संवेदनशीलता से आपके साथ है। बच्चों की अच्छी पढ़ाई के लिए उनके घर के पास ही सरकारी या प्राइवेट स्कूलों में उनका दाखिला कराया जा चुका है। अगर किसी को प्रॉफेशनल कोर्स के लिए, हायर एजुकेशन के लिए एजुकेशन लोन चाहिए होगा तो पीएम केयर्स उसमें भी मदद करेगा।
हर महीने मिलेंगे चार हजार रुपये...
प्रधानमंत्री ने कहा, रोजमर्रा की दूसरी जरूरतों के लिए अन्य योजनाओं के माध्यम से ऐसे बच्चों के लिए 4 हजार रुपए हर महीने की व्यवस्था भी की गई है। ऐसे बच्चे जब अपने स्कूल की पढ़ाई पूरी करेंगे, तो आगे भविष्य के लिए और भी पैसों की जरूरत होगी। इसके लिए 18-23 साल के युवाओं को हर महीने स्टाइपेंड मिलेगा और जब आप 23 साल के होंगे तब 10 लाख रुपये आपको एक साथ मिलेंगे।
पांच लाख तक मुफ्त इलाज...
पीएम मोदी ने बताया, अगर कोई बच्चा बीमार पड़ता है तो उसे इलाज के लिए पैसे चाहिए। ऐसे में बच्चों को परेशान होने की जरूरत नहीं है। पीएम केयर्स फॉर चिल्ड्रन के माध्यम से आपको आयुष्मान हेल्थ कार्ड दिया जा रहा है, इससे पांच लाख तक इलाज की मुफ्त सुविधा रहेगी।

प्राधिकृत प्रकाशन विवरण

प्राधिकृत प्रकाशन विवरण  

1. अंक-234, (वर्ष-05)
2. मंगलवार, मई 31, 2022
3. शक-1944, ज्येष्ठ, शुक्ल-पक्ष, तिथि-प्रतिपदा, विक्रमी सवंत-2079।
4. सूर्योदय प्रातः 05:33, सूर्यास्त: 07:01।
5. न्‍यूनतम तापमान- 29 डी.सै., अधिकतम-40+ डी.सै.। उत्तर भारत में बरसात की संभावना।
6. समाचार-पत्र में प्रकाशित समाचारों से संपादक का सहमत होना आवश्यक नहीं है। सभी विवादों का न्‍याय क्षेत्र, गाजियाबाद न्यायालय होगा। सभी पद अवैतनिक है।
7.स्वामी, मुद्रक, प्रकाशक, संपादक राधेश्याम व शिवांशु, (विशेष संपादक) श्रीराम व सरस्वती (सहायक संपादक) के द्वारा (डिजीटल सस्‍ंकरण) प्रकाशित। प्रकाशित समाचार, विज्ञापन एवं लेखोंं से संपादक का सहमत होना आवश्यक नहीं हैं। पीआरबी एक्ट के अंतर्गत उत्तरदायी।
8. संपर्क व व्यवसायिक कार्यालय- चैंबर नं. 27, प्रथम तल, रामेश्वर पार्क, लोनी, गाजियाबाद उ.प्र.-201102।
9. पंजीकृत कार्यालयः 263, सरस्वती विहार लोनी, गाजियाबाद उ.प्र.-201102
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रविवार, 29 मई 2022

कच्चे आम का पुलाव बनाने की रेसिपी, जानिए

कच्चे आम का पुलाव बनाने की रेसिपी, जानिए  

सरस्वती उपाध्याय      

कच्चे आम के मौसम में आम पना और चटनी तकरीबन हर घर में बनाई जाती है। कई लोग आम के जायके को साल भर चखते रहने के लिए आम का अचार और कुच्चा जैसी खट्टी-मीठी चीज़ें बनाते हैं। आम की ही अगर इन सबसे अलग कोई डिश बनाना चाहते हैं, तो आज हम आपके लिए लेकर आए हैं, रॉ मैंगो राइस यानी, कच्चे आम का पुलाव। दक्षिण भारत में इस डिश को ख़ास तौर पर बनाया जाता है। इस डिश को बनाने के लिए आपको न ज़्यादा सामान की ज़रूरत होती है न ही अधिक समय की. बस कच्चा आम करी पत्ते हैं, तो इस डिश को झटपट बनाकर तैयार किया जा सकता है। जिस दिन कुछ हल्का खाने की इच्छा हो या फिर बढ़ती गर्मी की वजह से रसोई में वक्त गुज़ारना मुश्किल हो रहा हो, तो खट्टे स्वाद वाले इस चावल को बनाने और गर्मा-गर्म सर्व करें। आइए जानते है, कच्चे आम का पुलाव बनाने के लिए किन चीज़ों की ज़रूरत होती है और यह कैसे बनता है।

सामग्री...

चावल – 2 कटोरी
कच्चा आम – 1 बड़े आकार का
सरसों – ½ टीस्पून
जीरा – 1 टीस्पून
मूंगफली – 2 टेबलस्पून
चना दाल – 1 टेबलस्पून
उड़द दाल – 1 टेबलस्पून
करी पत्ते – 8-10
साबुत लाल मिर्च – 2
हरी मिर्च – 2 बारीक कटी हुई
हल्दी – 1 टीस्पून
सरसों तेल – 2 टेबलस्पून
नमक – स्वादानुसार

कच्चे आम का पुलाव बनाने की विधि...
चावल को भगोने में पकाकर इसका माड़ निकाल लें। एक पैन में तेल गर्म करें और इसमें सरसों-जीरा चटकाए। 1 मिनट बाद इसमें लाल मिर्च, मूंगफली, करी पत्ते, उड़द और चना की दाल डालकर धीमी आंच पर दो से तीन मिनट तक भूनें। अब इसमें कद्दूकस किया हुआ कच्चा आम, हल्दी, नमक डालकर तेज आंच पर 5 मिनट के लिए आम को अच्छी तरह भूनें।

अब इसमें पके हुए चावल डालकर चलाएं। जब चावल और तड़के वाला मिश्रण अच्छी तरह से मिल जाए, तब गैस बंद कर दें। इस राइस के साथ टमाटर,प्याज और खीरे का रायता सर्व कर सकते हैं। खट्टापन के ज़ायके से भरपूर कच्चे आम के पुलाव का बेहतर स्वाद पाने लिए इसे गर्मा-गर्म ही खाएं।

'महिला व्यापार मंडल' सदस्यता अभियान को बढ़ाया

'महिला व्यापार मंडल' सदस्यता अभियान को बढ़ाया 

बृजेश केसरवानी         
प्रयागराज। अखिल भारतीय महिला व्यापार मंडल की मंडल प्रभारी लक्ष्मी बहुगुणा जोशी, जिला प्रभारी स्मृति श्रीवास्तव के नेतृत्व में महिला व्यापार मंडल सदस्यता अभियान को आगे बढ़ाते हुए 20 सदस्य बनाएं। जिसमें ब्यूटी पार्लर संचालक, बुटीक, के अलावा व्यापार कर रही महिलाओं को जोड़कर संगठन को आगे बढ़ाया और स्वच्छता अभियान को तेजी लाने के लिए संगठन को मजबूत करने के लिए 5 महिलाओं को स्मृति चिन्ह देकर प्रदेश संगठन जिला अध्यक्ष रमेश केसरवानी, नगर प्रभारी नीरज जायसवाल ने देकर उनका सम्मान किया। 
सम्मान होने वालों में प्रमुख रूप से जिला प्रभारी स्मृति श्रीवास्तव, लक्ष्मी बहुगुणा जोशी, कल्याणी बक्स, अंजना गुप्ता, रीता वर्मा,शालिनी सिन्हा, उषा गुप्ता, स्वरिका भरद्वाज , अनुराधा त्रिपाठी का सम्मान किया गया। जिला अध्यक्ष रमेश केसरवानी, नगर प्रभारी नीरज जायसवाल, ने सभी महिलाओं को संगठन को मजबूत करने के लिए डोर-टू-डोर पहुंच कर महिलाओं को जोड़ने के लिए और संगठन को मजबूती प्रदान करने के लिए अपील किया है। इसके अलावा उत्तर प्रदेश सरकार के माननीय मुख्यमंत्री योगी आदिनाथ द्वारा पूरे प्रदेश में अतिक्रमण अभियान के तहत चौराहा जनपद प्रयागराज में स्मार्ट सिटी के तहत मंडला आयुक्त संजय गोयल, जिलाधिकारी प्रयागराज संजय खत्री द्वारा अभियान में महिला व्यापार मंडल, एवं अखिल भारतीय उद्योग व्यापार मंडल ने अपना पूर्ण योगदान देने का शपथ लिया और निगरानी समिति में महिलाओं का भी योगदान रहेगा।

सेवा 'शिक्षा प्रशिक्षण' वर्ग के पांचवे दिन का उद्घाटन

सेवा 'शिक्षा प्रशिक्षण' वर्ग के पांचवे दिन का उद्घाटन 

बृजेश केसरवानी                  
प्रयागराज। रानी रेवती देवी सरस्वती विद्या निकेतन इंटर कॉलेज, राजापुर प्रयागराज के संगीताचार्य एवं मीडिया प्रभारी मनोज गुप्ता की सूचना अनुसार, विद्यालय के प्रधानाचार्य बांके बिहारी पांडे के संयोजन में विद्या भारती काशी प्रांत द्वारा संचालित सेवा बस्तियों में चल रहे संस्कार केंद्रों के संयोजको के सात दिवसीय सेवा शिक्षा प्रशिक्षण वर्ग के पांचवे दिन का उद्घाटन, मुख्य अतिथि सचिव, भारतीय शिक्षा परिषद पूर्वी उत्तर प्रदेश एवं प्रशिक्षण प्रमुख दिनेश सिंह ने किया तथा विशिष्ट अतिथि के रूप में क्षेत्रीय शिशु वाटिका प्रमुख विजय उपाध्याय का मार्गदर्शन प्राप्त हुआ।
कार्यक्रम का प्रारंभ संगीताचार्य मनोज गुप्ता के निर्देशन में मां सरस्वती की सुमधुर वंदना से हुआ। अतिथियों का सम्मान माल्यार्पण स्मृति चिन्ह एवम अंगवस्त्रम से किया गया। प्रधानाचार्य बांके बिहारी पांडे ने अतिथियों सहित आए हुए समस्त केंद्र संयोजको का स्वागत किया।
मुख्य अतिथि के रूप में अपना उद्बोधन देते दिनेश सिंह ने बताया कि आप सब का जीवन त्याग और तपोमय है, समता और समानता की लहर पूरे देश में दौड़ रही है और पूरे देश में नारी का सम्मान भी बढ़ रहा है। भारतीय जीवन मूल्यों में नारी की संस्कृति फलती-फूलती है। हमारे भारतीय महापुरुषों ने अनेकों बुराइयों एवं कुरीतियों को दूर करने का प्रयास तथा जिसे समाज ने ठुकराया उसे अपनाने का कार्य किया है। वर्तमान समय में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ सर्व समाज के साथ-साथ हिंदुओं को जगाने का प्रयास तथा इसको परम वैभव तक पहुंचाने का कार्य कर रहा है। क्योंकि हिंदू जगे तो देश जगेगा, तभी मानव का विश्वास जगेगा, भेद भावना तमस हटेगा, समरसता अमृत बरसेगा।
विशिष्ट अतिथि के रूप में अपना उद्बोधन देते हुए विजय उपाध्याय ने बताया कि सीमा क्षेत्रों में कार्य करने से हमारे लक्ष्य की पूर्ति संभव है। आप सभी बंधु ,भगिनी श्रेष्ठ कार्य कर रहे हैं और प्रेरणास्रोत हैं सेवा कार्य ईश्वरीय कार्य है। जो स्वयं ईश्वर की कृपा से पूर्ण हो जाता है। सीमा क्षेत्र नेपाल में संस्कार केंद्रों के 28000 स्वयंसेवकों का कार्यक्रम संपन्न हुआ। जिसमें दूरदराज के अनेकों स्वयंसेवकों ने बढ़-चढ़कर कार्यक्रम में भाग लेकर इसे सफल बनाया, उक्त कार्यक्रम में काशी प्रांत से लगभग 100 सेवा केंद्र के संयोजक भाग ले रहे है।
 इस अवसर पर राष्ट्रीय सेवा शिक्षा संयोजक रामस्वरूप, प्रांतीय सेवा प्रमुख कमलाकर तिवारी, क्षेत्रीय सीमा सेवा संयोजक राघव , सह शिक्षा सेवा संयोजक नरसिंह नारायण सिंह, सुनील कुमार गुप्ता, अवधेश कुमार, प्रवीण कुमार तिवारी, कुंदन सिंह, अभिषेक शर्मा ,दीपक दयाल ,सचिन सिंह परिहार, विशाल कुमार सहित विद्यालय के समस्त आचार्य बंधु एवं आचार्या दीदियां उपस्थित रहे। संचालन दिनेश कुमार शुक्ला ने किया।

दक्षिण एशियाई देशों के लिए समस्‍या बना, वायु प्रदूषण

दक्षिण एशियाई देशों के लिए समस्‍या बना, वायु प्रदूषण 

डॉक्टर सुभाषचंद्र गहलोत         
नई दिल्ली/वाशिंगटन डीसी। वायु प्रदूषण खासकर दक्षिण एशियाई देशों के लिए बहुत विकट समस्‍या बन गया है। इस विपत्ति की सबसे ज्‍यादा तपिश दक्षिण एशियाई देशों भारत, पाकिस्‍तान, बांग्‍लादेश और नेपाल को सहन करनी पड़ रही है। वायु प्रदूषण संपूर्ण दक्षिण एशियाई क्षेत्र के लिए बहुत बड़ी समस्या है और इस क्षेत्र में स्थित कोई भी देश इससे अकेला नहीं लड़ सकता। भारत और पाकिस्‍तान के सांसदों ने इन देशों का एक ऐसा मंच तैयार करने की जरूरत बतायी है, जहां पर वायु प्रदूषण से निपटने के लिये विशेषज्ञताओं और अनुभवों का आदान-प्रदान किया जा सके।
पर्यावरण थिंक टैंक ‘क्‍लाइमेट ट्रेंड्स’ ने वायु प्रदूषण, जन स्‍वास्‍थ्‍य और जीवाश्‍म ईंधन के बीच अंतर्सम्‍बंधों को तलाशने और सभी के लिये स्‍वस्‍थ धरती से सम्‍बन्धित एक विजन का खाका खींचने के लिये शनिवार को एक ‘वेबिनार’ का आयोजन किया। 
वेबिनार में असम की कलियाबोर सीट से सांसद गौरव गोगोई ने कहा कि वायु प्रदूषण के मामले में पूरी दुनिया की नजर दक्षिण एशिया पर होती है, क्‍योंकि ये विशाल भूभाग प्रदूषण की समस्‍या का सबसे बड़ा शिकार है, लिहाजा हमें अपने मानक और अपने समाधान तय करने होंगे। हमें एक ऐसा मंच और ऐसे मानक तैयार करने होंगे जिनसे इस सवाल के जवाब मिलें कि हमने स्टॉकहोम और ग्लास्गो में जो संकल्प लिए थे उन्हें दिल्ली, लाहौर, ढाका और दिल्ली में कैसे लागू किया जाएगा। यह मंच विभिन्न विचारों के आदान-प्रदान का एक बेहतरीन प्लेटफार्म साबित होगा। उन्‍होंने कहा कि जब हम वायु प्रदूषण के एक आपात स्थिति होने के तौर पर बात करते हैं तो इस बात को भी नोट करना चाहिए कि हम इस मुद्दे पर कितना ध्‍यान केन्द्रित करते हैं। इन मामलों में सांसद बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। ऐसे में बहुत जरूरी है कि हम इस क्षेत्र में अपने सांसदों की क्षमता को और बढ़ाएं। उन्हें इस बात की जानकारी होनी चाहिए कि वायु प्रदूषण उनके अपने राज्य को किस तरह प्रभावित कर रहा है ताकि वे अपने क्षेत्र में सर्वे कर सकें और लोगों को जागरूक बना सकें। इससे यह भी पता लगेगा कि वायु प्रदूषण की समस्या को लेकर हमारे स्‍थानीय निकाय कितने तैयार हैं।
पाकिस्‍तान के सांसद रियाज फतयाना ने वायु प्रदूषण को दक्षिण एशिया के लिये खतरे की घंटी बताते हुए महाद्वीप के स्‍तर पर मिलजुलकर काम करने की जरूरत पर जोर दिया। उन्‍होंने कहा कि दक्षिण एशियाई सांसदों का एक फोरम बनाया जाना चाहिए जहां इन विषयों पर बातचीत हो सके। पाकिस्तान में वायु प्रदूषण की समस्या बहुत ही खतरनाक रूप लेती जा रही है। जहां एक तरफ दुनिया कह रही है कि नए कोयला बिजलीघर न लगाए जाएं लेकिन दक्षिण एशिया के विभिन्न देशों में अब भी इन्‍हें लगाए जाने का सिलसिला जारी है। इनकी वजह से होने वाला वायु प्रदूषण जानलेवा साबित हो रहा है।
उन्‍होंने कहा कि हमें वैकल्पिक ऊर्जा और एनवायरमेंटल एलाइनमेंट दोनों पर ही काम करना होगा। एक दूसरे के अनुभवों का आदान-प्रदान करना भी बहुत महत्वपूर्ण है। हमें और भी ज्यादा प्रभावी कानून बनाने होंगे। क्‍लाइमेट ट्रेंड्स की निदेशक आरती खोसला ने कहा कि वायु की गुणवत्ता का मसला अब सिर्फ भारत की समस्या नहीं रहा, बल्कि यह पूरे दक्षिण एशिया की भी समस्या बन चुका है। दुनिया वर्ष 1972 में स्टॉकहोम में ह्यूमन एनवॉयरमेंट पर हुई संयुक्‍त राष्‍ट्र की पहली कॉन्फ्रेंस की 50वीं वर्षगांठ अगले महीने मनाने जा रही है। यह इस बात के आकलन के लिए एक महत्वपूर्ण वर्ष है कि किस तरह से जैव विविधता तथा पर्यावरण से जुड़े अन्य तमाम पहलू मौजूदा स्थिति से प्रभावित हो रहे हैं। वायु प्रदूषण एक प्राथमिक सार्वजनिक स्वास्थ्य इमरजेंसी है। दक्षिण एशिया यह मानता है कि जलवायु परिवर्तन सिर्फ राजनीतिक मसला नहीं है बल्कि सामाजिक और आर्थिक समस्या भी बन चुका है।
बांग्लादेश के सांसद साबेर चौधरी ने कहा कि जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिये राजनीतिक इच्‍छाशक्ति की जरूरत बेहद महत्‍वपूर्ण है। हमें पूरी दुनिया में सांसदों की ताकत का सदुपयोग करना चाहिये। वायु प्रदूषण एक पर्यावरणीय आपात स्थिति नहीं बल्कि प्लेनेटरी इमरजेंसी है। इसकी वजह से वॉटर स्ट्रेस और खाद्य असुरक्षा समेत अनेक आपदाएं जन्म ले रही हैं। वायु प्रदूषण दक्षिण एशिया के लिये एक साझा चुनौती है। यह किसी एक देश की सेहत का सवाल नहीं है। यह पूरे दक्षिण एशिया का प्रश्न है। सांसद के रूप में मैं जन स्‍वास्‍थ्‍य पर ध्‍यान केन्द्रित करना चाहता हूं। हमें नये सिरे से विकास की परिकल्पना करनी होगी।
नेपाल की सांसद पुष्पा कुमारी कर्ण ने काठमांडू की दिन-ब-दिन खराब होती पर्यावरणीय स्थिति का विस्‍तार से जिक्र करते हुए कहा कि वायु प्रदूषण दुनिया की सभी जानदार चीजों की सेहत पर प्रभाव डाल रहा है। काठमांडू नेपाल की राजधानी है और यह दुनिया के सबसे प्रदूषित शहरों में से एक है। हर साल सर्दियों के मौसम में काठमांडू में वायु की गुणवत्ता बहुत खराब हो जाती है। ऑटोमोबाइल्स और वाहनों की बढ़ती संख्या की वजह से समस्या दिन-ब-दिन विकट होती जा रही है। काठमांडू में पीएम 2.5 का स्तर डब्ल्यूएचओ के सुरक्षित मानकों के मुकाबले 5 गुना ज्यादा है। हालांकि नेपाल सरकार ने इलेक्ट्रिक मोबिलिटी के लिए एक योजना तैयार की है। इसी तरह की योजनाएं दक्षिण एशिया के अन्य देशों में भी लागू की जानी चाहिए।
वायु प्रदूषण खासकर दक्षिण एशियाई क्षेत्रों के लिये एक स्‍वास्‍थ्‍य सम्‍बन्‍धी आपात स्थिति बन गया है। मेदांता हॉस्पिटल के ट्रस्‍टी डॉक्‍टर अरविंद कुमार ने कहा कि भारत, पाकिस्तान, बांग्लादेश और नेपाल को यह सवाल पूछने की जरूरत है कि जलवायु परिवर्तन कितना प्रभावी है। इन चारों देशों में वायु प्रदूषण के स्तर खतरनाक रूप ले चुके हैं। वायु प्रदूषण सिर्फ पर्यावरणीय और रासायनिक मुद्दा नहीं है बल्कि यह विशुद्ध रूप से स्‍वास्‍थ्‍य से जुड़ा मसला है।
फेफड़े के विशेषज्ञ के तौर पर वह अपने 30 साल के अनुभव से कहते हैं कि फेफड़े के कैंसर के लगभग 50 प्रतिशत मरीज ऐसे आ रहे हैं जो धूम्रपान नहीं करते। इसके अलावा 10 प्रतिशत मरीज 20 से 30 साल के बीच के होते हैं। भारत के 30% बच्चे यानी हर तीसरा बच्‍चा दमा का मरीज है। वायु प्रदूषण सिर्फ हमारे फेफड़ों को ही नुकसान नहीं पहुंचा रहा है बल्कि इसकी वजह से दिल की बीमारियां, तनाव, अवसाद और नपुंसकता समेत अन्य अनेक रोग पैदा हो रहे हैं। गर्भ में पल रहे बच्चे को भी समस्याएं हो रही हैं। यानी पैदाइश से पहले से लेकर मौत तक वायु प्रदूषण हमें प्रभावित कर रहा है। हमारे पास वायु प्रदूषण को समाप्त करने के अलावा और कोई चारा नहीं है। हमें अपनी जिम्मेदारी समझनी होगी और इस दिशा में काम करने का सबसे सही समय आज ही है।
नेपाली रेस्पिरेटरी सोसाइटी के अध्‍यक्ष डॉक्‍टर रमेश चोखानी ने दक्षिण एशिया के पर्वतीय देश नेपाल में वायु प्रदूषण की चिंताजनक स्थिति का जिक्र करते हुए कहा कि नेपाल जीवाश्म ईंधन का प्रमुख उपयोगकर्ता है और वह ज्यादातर जीवाश्म ईंधन को भारत से आयात करता है। नेपाल में अन्य वैकल्पिक ऊर्जा स्रोतों की कमी की वजह से मजबूरन बायोमास और लकड़ी का इस्तेमाल किया जाता है। नेपाल की ज्यादातर आबादी परंपरागत बायोमास पर निर्भर करती है। नेपाल में बायोमास जलने के कारण उत्‍पन्‍न वायु प्रदूषण की वजह से हर साल तकरीबन 7500 लोगों की मौत होती है।
उन्‍होंने बताया कि वायु प्रदूषण को लेकर आपात स्थिति से गुजरने के बावजूद पिछले पांच सालों में नेपाल में पेट्रोल की खपत लगभग दोगुनी हो गयी है। डीजल का उपयोग भी लगभग 96% बढ़ा है। हाल ही में 69 किलोमीटर की पेट्रोलियम पाइपलाइन बिहार के मोतिहारी से नेपाल के बीच तैयार की गई है। इसका मतलब यह है कि नेपाल सरकार का अक्षय ऊर्जा में रूपांतरण का कोई भी इरादा नहीं है। हालांकि नेपाल के पास अक्षय ऊर्जा स्रोतों से बड़े पैमाने पर ऊर्जा उत्पादन करने की क्षमता है। उसके पास वायु, हाइड्रो और सोलर पावर उत्पन्न करने की काफी संभावना है लेकिन अभी उन पर ज्यादा काम नहीं किया गया है। अगर हाइड्रो पावर की तमाम संभावनाओं का सर्वश्रेष्ठ दोहन किया जाए तो इससे नेपाल की अर्थव्यवस्था को बढ़ाने में काफी मदद मिल सकती है। नेपाल के पास काफी प्राकृतिक संपदा है लेकिन उसका सही उपयोग नहीं हो रहा है। बांग्लादेश लंग फाउंडेशन के काजी बेन्नूर ने कहा कि जीवाश्म ईंधन यानी कोयला, तेल और प्राकृतिक गैस की वजह से अनेक पर्यावरणीय तथा स्‍वास्‍थ्‍य सम्‍बन्‍धी नुकसान होते हैं।
इससे जीवाश्म ईंधन की आपूर्ति श्रृंखला के हर चरण में अतिरिक्‍त भार पैदा होता है। जब जीवाश्म ईंधन को जलाया जाता है तो उससे कार्बन डाइऑक्साइड जैसी ग्रीनहाउस गैस उत्पन्न होती है जो जलवायु परिवर्तन को बढ़ावा देती है। जीवाश्म ईंधन से पैदा होने वाली गैसों की वजह से समुद्रों का अम्‍लीकरण, अत्यधिक बारिश और समुद्र के जल स्तर में वृद्धि होती है। जीवाश्म ईंधन जलाने के कारण उत्पन्न वायु प्रदूषण की वजह से दमा, कैंसर, दिल की बीमारी और असामयिक मौत हो सकती है। वैश्विक स्तर पर हर पांच में से एक मौत वायु प्रदूषण की वजह से होती है। वहीं, प्रदूषण दुनिया में चौथा सबसे बड़ा मानव स्वास्थ्य संबंधी खतरा है।
उन्‍होंने कुछ आंकड़े देते हुए बताया कि वायु प्रदूषण एक अदृश्य हत्यारा है। दक्षिण एशिया में 29% लोगों की मौत फेफड़े के कैंसर से होती है, 24% लोगों की मौत मस्तिष्क पक्षाघात से, 25% लोगों की मौत दिल के दौरे से और 43 प्रतिशत लोगों की मौत फेफड़े की बीमारी से होती है। दक्षिण पूर्व एशियाई क्षेत्र में वायु प्रदूषण की वजह से 20 लाख से ज्यादा लोगों की मृत्यु होती है।
फॉसिल फ्यूल ट्रीटी के हरजीत सिंह ने वायु प्रदूषण के लिये मौजूदा आर्थिक ढर्रे को काफी हद तक जिम्‍मेदार ठहराया। उन्‍होंने कहा कि हम मौजूदा आर्थिक मॉडल के साथ आगे नहीं बढ़ सकते। हमें एक ऐसे विकास मॉडल की जरूरत है जो हमारे पर्यावरण को संरक्षण देता हो।
कोई भी देश मौजूदा आर्थिक ढर्रे से हटना नहीं चाहता है, लेकिन ऐसा किए बगैर दुनिया को सुरक्षित नहीं बनाया जा सकता। इसके लिए हमें अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सहयोग की भी जरूरत होती है। क्योंकि इसके बिना कुछ नहीं हो सकता।

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