शुक्रवार, 7 मई 2021

खतरे की घंटी कब बजी, मची अफरा-तफरी: मौरिस

जोहानिसबर्ग। दक्षिण अफ्रीका और राजस्थान रॉयल्स के आलराउंडर क्रिस मौरिस ने कहा कि इंडियन प्रीमियर लीग (आईपीएल) के जैव सुरक्षित वातावरण (बायो बबल) में कोविड-19 के मामले पाये जाने के बाद अफरातफरी का माहौल बन गया था और वह स्वदेश लौटकर राहत महसूस कर रहे हैं। आईपीएल को स्थगित किये जाने के बाद मौरिस और 10 अन्य दक्षिण अफ्रीकी खिलाड़ी स्वदेश लौट गये हैं। आईपीएल में कोविड-19 के छह मामले पाये गये थे जिसमें चार खिलाड़ी और दो कोच शामिल थे।अभी अपने घर में 10 दिन के अनिवार्य पृथकवास पर रह रहे मौरिस ने आईओएल.सीओ.जेडए से कहा, ”निश्चित तौर पर मैं राहत महसूस कर रहा हूं।” मौरिस ने कहा कि उन्हें कोलकाता नाइट राइडर्स के दो खिलाड़ियों वरुण चक्रवर्ती और संदीप वारियर के पॉजिटिव पाये जाने के बारे में रविवार की रात को पता चला। उन्होंने कहा, ”जैसा ही हमें इस बारे में पता चला कि बायो बबल के अंदर खिलाड़ी पॉजिटिव पाये गये हैं तो सभी ने सवाल करने शुरू कर दिये। हम सभी के अंदर निश्चित तौर पर खतरे की घंटी बजनी शुरू हो गयी थी। ”

मौरिस ने कहा, ”सोमवार तक जब उन्होंने वह मैच (कोलकाता और रॉयल चैलेंजर्स बेंगलोर) स्थगित किया तब तक हमें पता चल गया था कि टूर्नामेंट जारी रखने के लिये दबाव बना हुआ है। ” सनराइजर्स हैदराबाद के विकेटकीपर बल्लेबाज ऋद्धिमान साहा और दिल्ली कैपिटल्स के अमित मिश्रा के मंगलवार को पॉजिटिव आने के बाद इस टी20 लीग को स्थगित कर दिया गया था। चेन्नई सुपरकिंग्स के गेंदबाजी कोच एल बालाजी और बल्लेबाजी कोच माइकल हसी भी वायरस से संक्रमित पाये गये थे।

मौरिस ने कहा, ”मैं अपनी टीम के डॉक्टर से बात कर रहा था। कुमार संगकारा ने तब इशारा किया और तब हमें पता चला कि अब टूर्नामेंट आगे नहीं बढ़ पाएगा। इसके बाद का माहौल अफरातफरी वाला था। इंग्लैंड के खिलाड़ी विशेषरूप से घबराये हुए थे क्योंकि उन्हें इंग्लैंड में होटलों में अलग थलग रहने की जरूरत थी और जाहिर था कि उनके पास कमरे नहीं थे। ”

आस्ट्रेलियाई एंडूयू टाइ की जगह चुने गये गेराल्ड कोएट्जी पिछले सप्ताह ही भारत पहुंचे थे और मौरिस ने कहा कि वह इस युवा तेज गेंदबाज को धीरज बंधा रहे थे क्योंकि वह अधिक घबराया हुआ था। उन्होंने कहा, ”मैं जानता था कि गेराल्ड अधिक घबराया हुआ है। मेरे कहने का मतलब है कि वह अभी 20 साल का है और उसके सामने यह सब कुछ हो गया। मैंने उसे धीरज बंधाने की कोशिश की। ”

सर्वदलीय बैठक बुलाए सरकार, जवाबदेही तय हो

हरिओम उपाध्याय   

नई दिल्ली। कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने कहा है कि कोरोना महामारी से देश की स्थिति अत्यंत गंभीर हो गयी है और सरकार के लिए इससे निपटना कठिन हो रहा है इसलिए हालत को नियंत्रित करने के लिए तत्काल सर्वदलीय बैठक बुलाई जानी चाहिए। सोनिया ने कहा, ”कांग्रेस स्थायी समिति की बैठक बुलाने की मांग करती है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि महामारी से बेहतर तरीके से लड़ने के लिए सामूहिक कार्रवाई, जवाबदेही तय हो।”

सोनिया गांधी ने शुक्रवार को यहां वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए कांग्रेस संसदीय दल की बैठक को संबोधित करते हुए कहा कि कोरोना महामारी के विकराल रूप के समक्ष व्यवस्था चरमरा गई है और सरकार स्थिति से निपटने में सफल नहीं हो पा रही है। उन्होंने कहा कि स्थिति की गंभीरता को देखते हुए महामारी से निपटने के लिए सर्वदलीय बैठक बुलाई जानी चाहिए और कोरोना से कैसे मुक्ति मिले इस बारे में सब की राय ली जानी चाहिए क्योंकि महामारी से अब जो स्थिति पैदा हो गयी है उससे सामूहिक रूप से ही इस निपटा जा सकता है।कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा कि इस महामारी का मुकाबला सामूहिक रूप से ही किया जा सकता है इसलिए ठोस रणनीति अपनाने के लिए और सामूहिक रूप से कदम उठाने के लिए संसद की स्थाई समिति की बैठक भी बुलाई जानी चाहिए।

सोनिया गांधी ने कहा कि कोरोना को लेकर जो हालात पैदा हुए है उसको लेकर संसद की स्वास्थ्य मंत्रालय से संबद्ध स्थायी समिति ने पहले ही चेतावनी दे दी थी लेकिन सरकार ने समिति की चेतावनी को नजरअंदाज किया जिसके कारण यह संकट पैदा हुआ है। उन्होंने कहा कि विशेषज्ञों ने भी महामारी से लड़ने के लिए ऑक्सीजन, दवाइयों और वेंटिलेटर की पर्याप्त आपूर्ति जारी रखने की सरकार को राय दी थी लेकिन मोदी सरकार ने विशेषज्ञों की राय को भी अनसुना कर दिया।कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा कि सरकार ने कोरोना टीकाकरण को लेकर भी कोई रणनीति नहीं बनाई है। संसद ने केंद्रीय बजट में नागरिकों के निशुल्क टीकाकरण के लिए 35 हजार करोड़ रुपए का प्रावधान किया है लेकिन सरकार अब भी राज्यों पर कोरोना से जुड़े भार को डाल रही है और उसे कम करने के लिए कोई उपाय नहीं कर रही है। उन्होंने अरोप लगाया कि विपक्ष की तरफ से केंद्र सरकार को महामारी से निपटने के लिए जो भी सुझाव दिए जा रहे हैं सरकार उनको गंभीरता से नहीं ले रही है।

केंद्र को एससी की फटकार,आपूर्ति जारी रखनी होगी

अकांशु उपाध्याय   

नई दिल्ली। उच्चतम न्यायालय ने शुक्रवार को केंद्र को स्पष्ट कर दिया कि उसे शीर्ष अदालत के अगले आदेश तक रोजाना दिल्ली को 700 मीट्रिक टन ऑक्सीजन की आपूर्ति जारी रखनी होगी। साथ ही न्यायालय ने कहा कि इसपर अमल होना ही चाहिए तथा इसके अनुपालन में कोताही उसे सख्ती करने पर मजबूर करेगी।

दो दिन पहले, शीर्ष अदालत ने दिल्ली को कोविड के मरीजों के लिए 700 मीट्रिक टन ऑक्सीजन की आपूर्ति के निर्देश का अनुपालन नहीं करने पर केंद्र सरकार के अधिकारियों के खिलाफ दिल्ली उच्च न्यायालय द्वारा शुरू की गई अवमानना की कार्यवाही पर यह कहते हुए रोक लगा दी थी कि ”अधिकारियों को जेल में डालने से” ऑक्सीजन नहीं आएगी और प्रयास जिंदगियों को बचाने के लिए किए जाने चाहिए। हालांकि, न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति एम आर शाह की पीठ ने कहा कि केंद्र को राष्ट्रीय राजधानी को हर दिन 700 मीट्रिक टन तरल चिकित्सीय ऑक्सीजन (एलएमओ) की आपूर्ति सुनिश्चित करनी होगी।वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए हुई कार्यवाही में दिल्ली सरकार की तरफ से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता राहुल मेहरा ने शुक्रवार को पीठ को बताया कि राष्ट्रीय राजधानी को “आज सुबह नौ बजे तक 86 मीट्रिक टन ऑक्सीजन मिली और 16 मीट्रिक टन मार्ग में है।” पीठ ने कहा, “हम चाहते हैं कि दिल्ली को हर दिन 700 मीट्रिक टन ऑक्सीजन की आपूर्ति की जाए और यह होना ही चाहिए, हमें उस स्थिति में आने पर मजबूर न करें जहां हमें सख्त होना पड़े।”

साथ ही कहा कि ऐसा नहीं होना चाहिए कि एक दिन के लिए आपूर्ति की गई और फिर “टैंकर नहीं हैं” और परिवहन में दिक्कतें हैं जैसे कई विरोध-पत्र दायर किए जा रहे हैं। पीठ के लिए न्यायमू्र्ति चंद्रचूड़ ने कहा कि उन्होंने शुक्रवार को सुनवाई से पहले मुद्दे पर न्यायमूर्ति शाह से विचार-विमर्श किया है और दिल्ली को हर दिन 700 मीट्रिक टन एलएमओ दिए जाने को लेकर सर्वसम्मति बनी है। पीठ ने कहा, “हम चाहते हैं कि दिल्ली को 700 मीट्रिक टन एलएमओ दी जाए और हमारा मतलब है कि यह निश्चित तौर पर होना चाहिए। इसकी आपूर्ति करनी ही होगी और हम दंडात्मक कार्रवाई नहीं करना चाहते। हमारे आदेश को अपलोड होने में दोपहर तीन बजेंगे लेकिन आप काम पर लगें और ऑक्सीज का प्रबंध करें।” इससे पहले शीर्ष अदालत ने कहा था कि यह पूरे भारत में वैश्विक महामारी की स्थिति है और हमें राष्ट्रीय राजधानी को ऑक्सीजन आपूर्ति सुनिश्चित करने के तरीके तलाश करने होंगे।

राज्य में हिंसा और झड़प के मामलों पर चिंता जताई

संदीप मिश्र  
लखनऊ। बहुजन समाज पार्टी (बसपा) अध्यक्ष मायावती ने उत्तर प्रदेश में पंचायत चुनाव के बाद जगह-जगह हो हिंसा और झड़प की घटनाओं पर चिंता जताते हुये सरकार से आवश्यक कदम उठाने की मांग की है।बसपा नेता ने शुक्रवार को ट्वीट किया,”उत्तर प्रदेश में पंचायत चुनाव के बाद जिस प्रकार से राजनीतिक हिंसा, झड़प, आगजनी व अन्य आपराधिक घटनाएं लगातार घटित हो रही हैं, यह अति-दुःखद व अति-चिन्ताजनक। राज्य सरकार को इस मामले में गंभीर होकर तत्काल आवश्यक कदम उठाने की सख्त जरूरत। बीएसपी की यह मांग।”उल्लेखनीय है कि उत्तर प्रदेश में हाल ही में संपन्न हुये पंचायत चुनाव के बाद गोरखपुर सहित कई जिलो से हिंसा, झड़प और आगजनी की खबरें आ रही हैं।

अधिक रेट-मुनाफाखोरी पर नकेल कसने की तैयारी

पंकज कपूर  
हल्द्वानी। कोरोनाकाल में कालाबाजारी जोरों पर है। पैसों के लिए लोग मानवता भी भूल चुके है। जब जहां मौका मिल रहा वहां मुनाफखोरी शुरू कर रहे है। दवाईयों से लेकर सब्जी तक के दामों में बेतहासा वृद्धि कर गरीब लोगों को चूना लगाने का काम कर रहे है। लॉकडाउन में घर बैठने के बाद गरीब जनता दो वक्त की सब्जी भी महंगे दामों के चलते खा नहीं पा रही है लेकिन मुनाफाखोरों का दिल फिर भी नहीं पसीज रहा है। ऐसे में प्रशासन ने सख्त कदम उठाते हुए कहा है कि अगर किसी भी सब्जी विक्रेता ने लॉकडाउन में महंगे दामों पर सब्जी बेची तो प्रशासन उनके खिलाफ मुकदमा दर्ज करेगा।
जिला प्रशासन को को लगातार सब्जी महंगे दामों पर बेचने की शिकायत मिल रही थी। जिसके बाद प्रशासन ने सख्त कार्यवाही करने के निर्देश दिये है। एसडीएम विवेक राय ने बताया कि सब्जी के रेट निर्धारित कर दिए हैं और शुक्रवार से जिले भर में चेकिंग अभियान चलाया जाएगा। यदि कोई सब्जी विक्रेता किसी व्यक्ति को महंगे दामों में सब्जी बेचता मिला तो उसके खिलाफ कड़ी कार्यवाही की जायेगी। वही अगर आपकों कोई महंगे दामों पर सब्जी बेचता है तो आप 9411102121 और 9458318888 मोबाइल नंबरों पर शिकायत सकते है।

पूरा देश वायरस की गिरफ्त में, पीएम को पत्र लिखा

अकांशु उपाध्याय   

नई दिल्ली। कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने शुक्रवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से आग्रह किया कि कोरोना वायरस के सभी स्वरूपों का वैज्ञानिक तरीकों से पता लगाने के साथ ही पूरी दुनिया को इस बारे में अवगत कराया जाए तथा सभी भारतीय नागरिकों को जल्द टीका लगाया जाए।

उन्होंने प्रधानमंत्री मोदी को पत्र लिखकर यह आरोप भी लगाया कि सरकार की विफलता के कारण देश एक बार फिर से राष्ट्रीय स्तर के लॉकडाउन के मुहाने पर खड़ा हो गया है और ऐसे में गरीबों को तत्काल आर्थिक मदद दी जाए ताकि उन्हें पिछले साल की तरह पीड़ा से नहीं गुजरना पड़े।पत्र में राहुल गांधी ने कहा, ”मैं आपको एक बार फिर पत्र लिखने के लिए विवश हुआ हूं क्योंकि हमारा देश कोविड सुनामी की गिरफ्त में बना हुआ है। इस तरह के अप्रत्याशित संकट में भारत के लोग आपकी सबसे बड़ी प्राथमिकता होने चाहिए। मैं आपसे आग्रह करता हूं कि आप देश के लोगों को इस पीड़ा से बचाने के लिए जो भी संभव हो, वह करिए।”

उन्होंने कहा, ”दुनिया के हर छह लोगों में से एक व्यक्ति भारतीय है। इस महामारी से अब यही पता चला है कि हमारा आकार, आनुवांशिक विविधता और जटिलता से भारत में इस वायरस के लिए बहुत ही अनुकूल माहौल मिलता है कि वह अपने स्वरूप बदले तथा अधिक खतरनाक स्वरूप में सामने आए। मुझे डर इस बात का है कि जिस ‘डबल म्यूटेंट’ और ‘ट्रिपल म्यूटेंट’ को हम देख रहे हैं, वह शुरुआत भर हो सकती है।” उनके मुताबिक, इस वायरस का अनियंत्रित ढंग से प्रसारित होना न सिर्फ हमारे देश के लोगों के लिए घातक होगा, बल्कि शेष दुनिया के लिए भी होगा।

उन्होंने प्रधानमंत्री को सुझाव दिया, ”इस वायरस एवं इसके विभिन्न स्वरूपों के बारे में वैज्ञानिक तरीके से पता लगाया जाए। सभी नए म्यूटेशन के खिलाफ टीकों के असर का आकलन किया जाए। सभी लोगों को तेजी से टीका लगाया जाए। पारदर्शी रहा जाए और शेष दुनिया को हमारे निष्कर्षों के बारे में अवगत कराया जाए।”

राहुल गांधी ने आरोप लगाया कि केंद्र सरकार के पास कोविड के खिलाफ टीकाकरण को लेकर कोई स्पष्ट रणनीति नहीं हैं और सरकार ने उसी समय इस महामारी पर विजय की घोषणा कर दी जब यह वायरस फैल रहा था। उन्होंने कहा कि भारत सरकार की विफलता के कारण आज राष्ट्रीय स्तर पर लॉकडाउन अपरिहार्य लगता है।

कांग्रेस नेता ने प्रधानमंत्री से आग्रह किया कि इस स्थिति को देखते हुए कमजोर तबकों के लोगों को वित्तीय मदद और खाद्य सामाग्री उपलब्ध कराई जाए ताकि लॉकडाउन के कारण गरीबों को उस पीड़ा को न झेलना पड़े जो उन्हें पिछले साल के लॉकडाउन के समय झेलनी पड़ी थी। उन्होंने कोरोना महामारी के खिलाफ लड़ाई में पूरे सहयोग का भरोसा दिलाते हुए कहा कि इस संकटकाल में विभिन्न पक्षों को विश्वास में लिया जाए ताकि सब मिलकर भारत को सुरक्षित रखने के लिए काम कर सकें।

पेट्रोल 102 रुपये प्रति लीटर की ऊंचाई तक पहुंचा

अकांशु उपाध्याय  

नई दिल्ली। राजस्थान और मध्य प्रदेश के कुछ हिस्सों में पेट्रोल का दाम 102 रुपये प्रति लीटर की ऊंचाई तक पहुंच चुका है। तेल कंपनियों के लगातार चौथे दिन पेट्रोल, डीजल के दाम बढ़ाने से यह स्थिति बनी है। हालांकि, इससे पहले पांच राज्यों में जारी विधानसभा चुनावों के दौरान दो सप्ताह से अधिक समय तक दाम में कोई बदलाव नहीं किया गया।

सार्वजनिक क्षेत्र की तेल कंपनियों द्वारा जारी अधिसूचना के मुताबिक शुक्रवार को पेट्रोल के दाम में 29 पैसे और डीजल के दाम में 31 पैसे प्रति लीटर की तेज वृद्धि की गई। इस वृद्धि के बाद दिल्ली में पेट्रोल का खुदरा मूल्य 91.27 रुपये प्रति लीटर हो गया जबकि डीजल का दाम 81.73 रुपये प्रति लीटर पर पहुंच गया। राजस्थान के गंगानगर जिले में इस वृद्धि के बाद पेट्रोल का दाम 102.15 रुपये लीटर पर पहुंच गया। तेल कंपनियों के मूल्य चार्ट में यह दर्शाया गया है।वहीं मध्यम प्रदेश के अनुपपुर में पेट्रोल का दाम 101.86 रुपये लीटर हो गया है जबकि महाराष्ट्र के परभनी में यह 99.95 रुपये प्रति लीटर पर पहुंच चुका है। इस साल यह दूसरा मौका है जब देश के कुछ हिस्सों में पेट्रोल का दाम 100 रुपये प्रति लीटर से ऊपर निकल गया। इससे पहले फरवरी मध्य में पेट्रोल का दाम इस आंकड़े से ऊपर निकला था।

ईंधन के खुदरा दाम अलग अलग राज्यों में भिन्न होते हैं। राज्यों में मूल्य वर्धित कर (वैट) की दर और माल पहुंचाने का भाड़ा अलग होना इसकी मुख्य वजह होती है। देश में राजस्थान में पेट्रोल पर सबसे अधिक वैट लगता है, उसके बाद मध्य प्रदेश का स्थान आता है। शुक्रवार को लगातार चौथा दिन रहा है जब तेल कंपनियों ने पेट्रोल और डीजल के दाम बढ़ाये हैं।

वहीं इससे पहले विधानसभा चुनावों के दौरान 18 दिन तक इनके दाम में कोई बदलाव नहीं किया गया। चार दिन की वृद्धि में पेट्रोल के दाम 88 पैसे और डीजल के दाम में एक रुपये प्रति लीटर की वृद्धि हो चुकी है।

इस वृद्धि से 24 मार्च से लेकर 15 अप्रैल के बीच दाम में जो कमी आई थी वह समाप्त हो चुकी है। इस दौरान तेल कंपनियों ने पेट्रोल का दाम 67 पैसे और डीजल के दाम में 74 पैसे प्रति लीटर की कटौती की थी। तेल कंपनियों का कहना है कि अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल का दाम लगातार ऊंचा बना हुआ है। कच्चे तेल का दाम 70 डालर प्रति बैरल के आसपास चल रहा है।

10,000 ऑक्सीजन सांद्रक, मेडिकल मास्क भेजें

संयुक्त राष्ट्र। संयुक्त राष्ट्र की कई एजेंसियों ने कोविड-19 महामारी से निपटने के लिए भारत को करीब 10,000 ऑक्सीजन सांद्रक और करीब एक करोड़ मेडिकल मास्क भेजे हैं। संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुतारेस के प्रवक्ता स्टीफन दुजारिक ने बृहस्पतिवार को नियमित संवाददाता सम्मेलन में कहा, ‘‘भारत में संयुक्त राष्ट्र का दल महामारी से निपटने के लिए राष्ट्रीय और स्थानीय दोनों सरकारों का सहयोग कर रहा है।’’

उन्होंने कहा कि यूनीसेफ, विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) और संयुक्त राष्ट्र जनसंख्या निधि (यूएनएफपीए) ने करीब 10,000 ऑक्सीजन सांद्रक, एक करोड़ मेडिकल मास्क और 15 लाख से अधिक फेस शील्ड दी हैं। संयुक्त राष्ट्र के दल ने वेंटीलेटर्स और ऑक्सीजन उत्पादन संयंत्र भी खरीदे हैं। यूनीसेफ कोविड-19 रोधी टीकों को रखने के लिए ‘कोल्ड चेन’ उपकरण भी उपलब्ध करा रहा है। उन्होंने कहा, ‘‘हमारे दल ने जांच मशीनों और किट के साथ ही थर्मल स्कैनर भी दिए हैं।’’

यूनीसेफ और संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम (यूएनडीपी) भारत में 175,000 से अधिक टीकाकरण केंद्रों की निगरानी करने में भी मदद कर रहा है। डब्ल्यूएचओ ने बताया कि पूरी दुनिया में कोरोना वायरस के 46 प्रतिशत मामले भारत में है और पिछले हफ्ते इस महामारी से दुनियाभर में जान गंवाने वाले लोगों में 25 प्रतिशत लोगों की मौत भारत में हुई।

अमेरिका: भारत को मदद की जरूरत, नैतिक दायित्व

हरिओम उपाध्याय  
वाशिंगटन। भारतीय-अमेरिकी सांसद प्रमिला जयपाल ने कहा कि अमेरिका का यह नैतिक दायित्व है कि वह कोरोना वायरस महामारी को हराने में भारत की मदद करें। भारत में बृहस्पतिवार को कोविड-19 के रिकॉर्ड 4,12,262 नए मामले आए और 3,980 लोगों की मौत हुई।
अमेरिका की प्रतिनिधि सभा में पहली और इकलौती भारतीय-अमेरिकी सांसद जयपाल ने कहा, ‘‘भारत में स्थिति गंभीर है। हर दिन कोविड-19 के लाखों मामले आ रहे हैं, अस्पतालों में बिस्तर नहीं हैं या ऑक्सीजन की आपूर्ति खत्म हो गई है और डॉक्टर के पास जाने से पहले ही लोग मर रहे हैं।’’जयपाल ने कहा, ‘‘भारत को हमारी मदद की जरूरत है और यह हमारा नैतिक दायित्व है कि हम स्थानीय, संघीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मदद करें ताकि वैश्विक महामारी को हराया जा सकें। हमें वैश्विक स्तर पर काम करने की आवश्यकता है।’’ जयपाल कोविड-19 से संक्रमित होने के कारण अस्पताल में भर्ती अपने माता-पिता से मिलने हाल ही में भारत आयी थीं। प्रतिनिधि सभा में शक्तिशाली प्रोग्रेसिव कॉकस की अध्यक्ष जयपाल ने बृहस्पतिवार को अमेरिका में भारत के राजदूत तरणजीत सिंह संधू के साथ वर्चुअल बैठक भी की।

जयपाल ने कहा कि उन्होंने बाइडन प्रशासन से टीका निर्माण के लिए कच्चा माल उपलब्ध कराने, अमेरिका में इस्तेमाल न किए गए टीके भारत को भेजने और विश्व व्यापार संगठन में बौद्धिक संपदा अधिकार के नियमों में छूट देने के प्रस्ताव का समर्थन करने के भारत के अनुरोध को स्वीकार करने का बार-बार आग्रह किया है।

उन्होंने कहा, ‘‘बाइडन प्रशासन ने मेरे अनुरोध को जल्द से जल्द स्वीकार करने की इच्छा तब जताई है जब अमीर देशों ने दुनियाभर में 80 प्रतिशत से अधिक टीके ले लिए हैं जबकि कम आय वाले देशों को महज 0.3 प्रतिशत टीके मिले हैं।’’ जयपाल ने कोविड-19 महामारी के बीच अमेरिका में एशियाई विरोधी घृणा बढ़ने की भी निंदा की है।

रिकॉर्ड: 4,14,188 कोरोना के नए मामले मिलें

अकांशु उपाध्याय   
नई दिल्ली। देश में कोविड-19 के एक दिन में रिकॉर्ड 4,14,188 नए मामले सामने आने के बाद कोरोना वायरस संक्रमण के कुल मामले 2,14,91,598 हो गए जबकि देश में 36 लाख से अधिक सक्रीय मरीज अब भी इस बीमारी की चपेट में हैं। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक पिछले 24 घंटे में 3,915 लोगों की मौत होने के बाद मृतक संख्या 2,34,083 हो गई है।लगातार बढ़ते मामलों के बीच उपचाराधीन मरीजों की संख्या 36,45,164 हो गई है जो संक्रमण के कुल मामलों का 16.96 प्रतिशत है जबकि देश में कोविड-19 से स्वस्थ होने की राष्ट्रीय दर घटकर 81.95 प्रतिशत हो गई है।आंकड़ों के मुताबिक, बीमारी से स्वस्थ होने वाले लोगों की कुल संख्या 1,76,12,351 हो गई है जबकि बीमारी से मरने वालों की दर 1.09 फीसदी दर्ज की गई। देश में कोविड-19 के मरीजों की संख्या पिछले साल सात अगस्त को 20 लाख को पार कर गई थी। वहीं कोविड-19 मरीजों की संख्या 23 अगस्त को 30 लाख, पांच सितंबर को 40 लाख और 16 सितंबर को 50 लाख के आंकड़े को पार कर गई थी।

इसके बाद 28 सितंबर को कोविड-19 के मामले 60 लाख, 11 अक्टूबर को 70 लाख, 29 अक्टूबर को 80 लाख, 20 नवंबर को 90 लाख, 19 दिसंबर को एक करोड़ के पार हो गए थे। भारत ने चार मई को गंभीर स्थिति में पहुंचते हुए दो करोड़ का आंकड़ा पार कर लिया था।

भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) के मुताबिक, छह मई तक 29,86,01,699 नमूनों की जांच की गई है जिनमें से 18,26,490 नमूनों की बृहस्पतिवार को जांच की गई। मौत के नये मामलों में, सर्वाधिक 853 मौत महाराष्ट्र में, उत्तर प्रदेश में 350, दिल्ली में 335, कर्नाटक में 328, छत्तीसगढ़ में 212, तमिलनाडु में 195, हरियाणा में 177, पंजाब में 154, उत्तराखंड में 151, झारखंड में 133, गुजरात में 123, पश्चिम बंगाल में 117 लोगों की मौत हो गई।

देश में अबतक हुई कुल 2,34,083 मौत में से 73,515 महाराष्ट्र में, 18,398, दिल्ली में, 17,212 लोगों की कर्नाटक में, 14,974 की तमिलनाडु में, 14,501 उत्तर प्रदेश में, 11,964 लोगों की पश्चिम बंगाल में, 9,979 की पंजाब में, 9,645 लोगों की पंजाब में और 9,950 की छत्तीसगढ़ में मौत हुई है। स्वास्थ्य मंत्रालय ने कहा कि 70 प्रतिशत से अधिक मरीजों की मौत अन्य गंभीर बीमारियों के कारण हुई है।

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