अकांशु उपाध्याय
नई दिल्ली। 1 अप्रैल से पीएम और काम के घंटों में बड़े बदलाव देखने को मिल रहे हैं। मोदी सरकार काम के घंटे, काम के दिन, ओवरनाइट, ब्रेक का समय और दफ्तर में कैंटीन जैसे नियमों में बदलाव करने वाली हो रही है। कर्मचारी लगातार 5 घंटे से अधिक काम नहीं करेंगें। उन्हें आधे घंटे का ब्रेक देना होगा। इसके अलावा कर्मचारियों को ग्रेच्युटी और भविष्य निधि (पीएफ) मद में वृद्धि होगी। वहीं, हाथ में आने वाला पैसा (टेक होम सैलरी) घट सकता है। यहां तक कि कंपिनियों की बैलेंस शीट भी प्रभावित होगी। इसकी वजह पिछले साल संसद में पास किए गए तीन कल्याण संहिता विधेयक (कोड अन वेजेज बिल) है। इन समर्थकों को सरकार इस साल 1 अप्रैल से लागू करना चाहती है। हालाँकि, अभी भी इस विधेयक के नियमों पर अभी भी हितधारकों के साथ चर्चा चल रही है कि यह कैसे लागू किया जा सकता है, तो ऐसे में इसकी 1 अप्रैल होने की संभावना कम नजर आ रही है। वेज (मजदूरी) की नई परिभाषा के तहत भत्ते कुल सैलेरी के अधिकतम 50 फीसदी होंगे। इसका मतलब है कि मूल वेतन (सरकारी नौकरियों में मूल वेतन और महंगाई भत्ता) अप्रैल से कुल वेतन का 50 फीसदी या अधिक होना चाहिए। गौरतलब है कि देश के 73 साल के इतिहास में पहली बार इस प्रकार से श्रम कानून में बदलाव किए जा रहे हैं। सरकार का दावा है कि नियोक्ता और श्रमिक दोनों के लिए फायदेमंद साबित होंग नए ड्राफ्ट रूल के अनुसार, मूल वेतन कुल वेतन का 50% या अधिक होना चाहिए। इससे ज्यादातर कर्मचारियों की वेतन संरचना बदलेगी, क्योंकि वेतन का गैर-भत्ते वाला हिस्सा आमतौर पर कुल सैलेरी के 50 फीसदी से कम होता है। वहीं कुल वेतन में भत्तों का हिस्सा और भी अधिक हो जाता है। मूल वेतन बढ़ने से आपका पीएफ भी बढ़ेगा। पीएफ मूल वेतन पर आधारित होता है। मूल वेतन बढ़ने से पीएफ बढ़ेगा, जिसका मतलब है कि टेक-होम या हाथ में आने वाला वेतन में कटौती होगी।
ग्रेच्युटी और पीएफ में योगदान बढ़ने से रिटायरमेंट के बाद मिलने वाली राशि में इजाफा होगा। इससे लोगों को रिटायरमेंट के बाद सुखद जीवन जीने में आसानी होगी। उच्च-भुगतान वाले अधिकारियों के वेतन संरचना में सबसे अधिक बदलाव आएगा और इसके चलते वो ही सबसे ज्यादा प्रभावित होंगे। पीएफ और ग्रेच्युटी बढ़ने से कंपनियों की लागत में भी वृद्धि होगी। क्योंकि उन्हें भी कर्मचारियों के लिए पीएफ में ज्यादा योगदान देना पड़ेगा। इन चीजों से कंपनियों की बैलेंस शीट भी प्रभावित होगी। काम के 12 घंटे करने का प्रस्ताव, ओवरटाइम के लिए होंगे नए नियम नए ड्राफ्ट कानून में कामकाज के अधिकतम घंटों को बढ़ाकर 12 करने का प्रस्ताव पेश किया है। ओएसच कोड के ड्राफ्ट नियमों में 15 से 30 मिनट के बीच के अतिरिक्त कामकाज को भी 30 मिनट गिनकर ओवरटाइम में शामिल करने का प्रावधान है। मौजूदा नियम में 30 मिनट से कम समय को ओवरटाइम योग्य नहीं माना जाता है। काम के दिन घटाकर 4 दिन और तीन छुट्टी का भी प्रस्ताव है।