अकांशु उपाध्याय
नई दिल्ली। राज्यसभा ने देश में ढांचागत विकास को गति देने के लिए राष्ट्रीय अवसंरचना और विकास वित्त पोषण बैंक विधेयक-2021 बृहस्पतिवार को ध्वनिमत से पारित कर दिया। इसके साथ ही इस पर संसद की मुहर लग गयी। लोकसभा इसे पहले ही पारित कर चुकी है।
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने विधेयक पर हुई चर्चा का जवाब देते हुए कहा कि बैंक के संचालन के लिए एक बोर्ड का गठन होगा जिसके निर्देश पर बैंक के प्रबंध निदेशक और उप प्रबंधक महानिदेशक की नियुक्ति होगी। बैंक की इक्विटी एक लाख करोड़ रुपए की होगी जिसमें केंद्र सरकार और अन्य संस्थानों की हिस्सेदारी होगी। बाद में केंद्र सरकार की हिस्सेदारी घटाकर 26 प्रतिशत कर दी जाएगी। शुरुआत में शत प्रतिशत हिस्सेदारी सरकार की होगी। बैंक अपनी जरुरतें पूरी करने के लिए सरकार, भारतीय रिजर्व बैंक, वाणिज्यिक बैंकों, एशियाई विकास बैक और विश्व बैंक से ऋण ले सकेगा। केंद्र सरकार शुरूआत में बैंक को 5000 करोड़ रुपए का अनुदान उपलब्ध करायेगी।
उन्होंने कहा कि ढांचागत विकास क्षेत्र बहुत जोखिम भरा है। और वाणिज्यिक बैंक लंबी अवधि तक इस जोखिम को उठाने के लिए तैयार नहीं है। इसलिए ढांचागत विकास को गति देने के लिए और जोखिम को कम करने के लिए अलग संस्थान की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि इस बैंक का गठन रिजर्व बैंक की देखरेख में होगा और यह संस्थान ढांचागत विकास के लिए वित्तीय प्रबंधन का काम करेगा।
इससे प्रतिस्पर्धा बढ़ेगी और विकास को गति मिलेगी। बैंक का स्वामित्व पूरी तरह से सरकार का होगा और सरकार ही इसके लिए जवाबदेह होगी। इस विधेयक में राष्ट्रीय अवसंरचना वित्त विकास बैंक की स्थापना का प्रावधान है। जिसका उद्देश्य लम्बी अवधि की अवसंरचना परियोजनाओं के वित्त पोषण की व्यवस्था करना है।
सीतारमण ने कहा कि इस बैंक के बनने से देश में बुनियादी ढांचा क्षेत्र की परियोजनाओं के लिए सस्ती दरों पर लम्बी अवधि के लिए वित्त पोषण की सुविधा उपलब्ध होगी। इसके गठन से बुनियादी ढांचागत क्षेत्र में सरकारी तथा निजी क्षेत्र की भागीदारी को भी सुनिश्चित किया जा सकेगा।
राष्ट्रीय अवसरंचना वित्त पोषण और विकास बैंक विधेयक,2021 पर चर्चा में शामिल होते हुए राष्ट्रीय जनता दल के मनोज कुमार झा ने कहा कि विधेयक में निगरानी और पर्यवेक्षण का प्रावधान नहीं किया गया है। जो किसी संस्थान के लिए बहुत आवश्यक होता है। उन्होंने विधेयक को प्रवर समिति को भेजने की मांग की जिससे सभी स्टेकहोल्डर के विचार जाने जा सकें।
उन्होंने बिहार में विकास का मुद्दा उठाते हुए कहा कि आजादी के बाद से ही राज्य को उसका हिस्सा नहीं मिला है। उन्होंने वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण से बिहार के विकास के लिए विशेष प्रावधान करने की मांग की। आम आदमी पार्टी के नारायण दास गुप्ता ने कहा कि नये बनने वाले बैंक की कार्यप्रणाली की नियमित समीक्षा की जानी चाहिए।
उन्होंने कहा कि एकतरफ सरकार बैंकों का निजीकरण कर रही है। दूसरी तरफ एक और सरकारी बैंक स्थापित कर रही है। बहुजन समाज पार्टी के सतीश चन्द्र मिश्र ने कहा कि बैंक की कार्यप्रणाली की समीक्षा प्रत्येक पांच वर्ष में किये जाने का प्रावधान समझ से परे है। इसकी समीक्षा प्रत्येक वर्ष की जानी चाहिए।