इंदौर। हमारा समाज नैतिक मूल्यों के पतन की ओर बढ़ रहा है। वेदांत वह दर्शन और चिंतन है जो मानव को महामानव बनने की ओर प्रवृत्त करता है। वेदांत की महत्ता हर युग में प्रासंगिक है। ब्रम्हलीन स्वामी अखंडानंद महाराज ने अपने जप-तप, तेज और साधना से वेदांत को घर-घर पहुंचाया। महापुरूषों के सदकर्मों की सुगंध कभी नष्ट नहीं होती। वेदांत का दर्शन संस्कारों की विकृति को रोकता है। संत-विद्वान चलते फिरते तीर्थ होते हैं लेकिन उनका चयन हमारे विवेक पर निर्भर होना चाहिए। बिजासन रोड स्थित अखंड धाम आश्रम पर चल रहे 53वें अ.भा. अखंड वेदांत संत सम्मेलन के समापन प्रसंग पर मुंबई के महामंडलेश्वर स्वामी चिदंबरानंद सरस्वती ने उक्त प्रेरक विचार व्यक्त किए। संत सम्मेलन के समापन अवसर पर देश के विभिन्न तीर्थस्थलों से आए संत-विद्वानों ने भी सैकड़ों भक्तों के साथ आश्रम के संस्थापक ब्रम्हलीन स्वामी अखंडानंद महाराज के चित्र के समक्ष उनकी 53वीं पुण्यतिथि पर पुष्पांजलि-दीपांजलि समर्पित की। गत 1 जनवरी से चल रहे इस सम्मेलन के समापन सत्र में महामंडलेश्वर स्वामी डॉ. चेतन स्वरूप की अध्यक्षता में वृंदावन के स्वामी जगदीश्वरानंद, गोराकुंड रामद्वारा के संत अमृतराम रामस्नेही, स्वामी नारायणानंद, स्वामी राजानंद, स्वामी दुर्गानंद, ईश्वर प्रेम आश्रम प्रयागराज की साध्वी भक्तिप्रिया, सांरगपुर की साध्वी अर्चना दुबे, गोधरा की साध्वी परमानंदा सरस्वती, डाकोर के वेदांताचार्य स्वामी देवकीनंदन दास, धार के स्वामी भक्तानंद, रतलाम के संत देवस्वरूप महाराज तथा भक्तों की ओर से ठा. विजयसिंह परिहार, मोहनलाल सोनी, सुश्री किरण ओझा, साध्वी कृष्णा प्रेम ने भी स्वामी अखंडानंदजी के जीवनकाल के प्रेरक संस्मरण सुनाए। पंचकुइया राम मंदिर के महामंडलेश्वर स्वामी लक्ष्मणानंद एवं खातीपुरा राममंदिर के महामंडलेश्वर स्वामी रामगोपालदास सहित अनेक संत-विद्वानों ने भी पुष्पांजलि समर्पित की। प्रारंभ में आयोजन समिति की ओर से हरि अग्रवाल, दीपक जैन टीनू, मन्नूलाल गर्ग (देवास), राजेंद्र गर्ग, चंगीराम यादव, वासुदेव चावला, लालसिंह ठाकुर, ओमप्रकाश कछवाहा, सचिन सांखला आदि ने सभी संत-विद्वानों का स्वागत किया। मंच का संचालन स्वामी नारायणानंद ने किया। गुरूवंदना स्वामी राजानंद एवं स्वामी दुर्गानंद ने प्रस्तुत की। सुश्री किरण ओझा ने स्वामी अखंडानंद पर केंद्रित भावपूर्ण कविता प्रस्तुत की। आश्रम के महामंडलेश्वर स्वामी डॉ. चेतन स्वरूप ने सभी संतों एवं भक्तों के प्रति आभार व्यक्त करते हुए 54वां अ.भा. संत सम्मेलन 19 से 25 दिसंबर 2021 तक आयोजित करने का संकल्प व्यक्त किया। सभी भक्तों ने विश्व को कोरोना से जल्द से जल्द मुक्ति दिलाने के लिए सामूहिक प्रार्थना भी की।