रविवार, 3 जनवरी 2021

नाइजर में बडा आतंकी हमला, 56 लोगों की मौत

नाइजर में बड़ा आतंकी हमला, कम से कम 56 लोगों के मारे जाने की खबर
माली। अफ्रीकी देश नाइजर में हुए एक आतंकवादी हमले में 56 लोगों के मारे जाने की खबर है। रिपोर्ट के अनुसार, आतंकवादियों ने माली की सीमा पर स्थित एक गांव पर हमला कर 56 लोगों की हत्या कर दी। इस हमले में 20 से ज्यादा लोग घायल बताए जा रहे हैं। हमले वाले इलाके में हिंसा और गृहयुद्ध के कारण साल 2017 से ही आपातकाल लगा हुआ है।
एएफपी ने नाइजर के अधिकारियों के हवाले से बताया है। कि आतंकवादियों ने दो गांवों को निशाना बनाया है। इस हमलें में मरने वाले लोगों की तादाद 70 से भी अधिक हो सकती है। आतंकवादियों ने नाइजर के जिन दो गांवों पर हमला बोला वे टिल्लाबेरी इलाके के चोमोबांगोऊ और जारोमदारेय के नाम से जाने जाते हैं। यह गांव माली की सीमा के पास स्थित है।
इस इलाके मे कई आतंकी संगठन सक्रिय
नाइजर की सरकार का आरोप लगाती रहती है। कि माली के सशस्त्र गुट उसकी राज्य की सीमा में घुसकर आतंकी वारदातों को अंजाम देते हैं। हालांकि, इस हमले पर अभी तक कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है। इस क्षेत्र में अल कायदा और इस्लामिक स्टेट से जुड़े कई आतंकी संगठन सक्रिय हैं।

अधिवक्ता के पदों पर जल्द ही की जाएगी नियुक्ति

शासकीय अधिवक्ता के रिक्त पद, मांगे गए आवेदन

लखनऊ। जिला शासकीय अधिवक्ता (राजस्व) मण्डलीय न्यायालय तथा सहायक जिला शासकीय अधिवक्ता के रिक्त एक-एक पदों पर जल्द ही नियुक्ति की जाएगी। इसके लिए जिलाधिकारी की ओर से योग्य अधिवक्ताओं से आवेदन मांगे गए हैं।
यह जानकारी देते हुए जिलाधिकारी ने बताया कि आगामी 25 जनवरी तक जिलाधिकारी कार्यालय में आवेदन जमा किए जा सकते हैं तथा अधिक जानकारी के लिए जिलाधिकारी कार्यालय में सम्पर्क किया जा सकता है।

एशिया के सबसे अमीर व्यक्ति बने मुकेश 'अंबानी'

मुकेश अम्बानी ने मारी बाजी, बने एशिया के सबसे अमीर व्यक्ति, शीर्ष पर रहा चीनी कारोबारी टाप टेन से हुआ बाहर

नई दिल्ली। किसान आन्दोलन के नाम पर रिलायंस समूह के मालिक मुकेश अम्बानी पर तरह तरह के आरोप लगाने के साथ उनके मोबाइल टावरो को नुकसान पहुचाया जा रहा है। वही दूसरी ओर उन्होेंनें एक बार फिर भारत का सिर उंचा किया है। एशिया के सबसे अमीर व्यक्तियों की सूची में उनहोेने पहला स्थान हासिल किया है।
एशिया के सबसे अमीर व्यक्तियों की सूची जारी करने वाले फोब्र्स रियल टाइम बिलेनियर्स इन्डेक्स के अनुसार रिलांयस प्रमुख मुकेश अम्बानी इस समय एशिया के सबसे अमीर कारोबारी हेैं इतना ही नही उन्होेनें विश्व मे सबसे अमीन लेागों की सुूची में नवां स्थान भी प्राप्त किया है। खास बात तो यह है। कि वर्ष 2020 के समाप्त होने के समय इस सूची से मुकेश अम्बानी को जिस शख्स ने बाहर किया था। बवह व्यक्ति इस सूची कें टाप टेन से ही बाहर हो गया हैं। ज्ञात हो कइस इन्डेक्स में वर्ष 2020 के अन्तिम समय में मुकेश अम्बानी टाप पर थे। परन्तु उन्हें चीन के कारोबारी झोंग शानशान ने दूसरे नम्बर पर ला दिया था।
फोबर््स के ताजा आंकडों के मुताबिक मुूकेश अम्बानी की कुल दौलत इस समय 76.8 अरब डालर है। जबकि झोंग शानशान की कुल सम्पत्ति इस समय 71.6 अरब डालर आंकी गयी है। जिसके अनुसार उन्है इस इन्डेक्स की टाप टेन की सूची से भी बाहर होना पडा है।
फोब्र्स ने विश्व के टाप टेन अमीरों की सूची भी जारी की है जिसमें मुकेश अम्बानी नौवें नम्बर पर हैं। तथा अमेजन के जेफ बेजोस 189.7 अरब डालर के साथ विश्व के सबसे अमीर व्यक्ति बने हुए है।

चंद्रमा की गति पर आधारित सबसे पुराना कैलेंडर

 पूरी दुनिया ने अपने कैलेंडर बदलकर सोच लिया कि आज से दुनिया में सब कुछ बदल जाएगा ,लेकिन ये इतना आसान नहीं है। आसान इसलिए नहीं है क्योंकि सब कुछ केलेण्डर बदलने से नहीं बदलता । बदलाव की पहल न केवल सामूहिक स्तर पर करना पड़ती है बल्कि निजी स्तर पर भी करना पड़ती है। साल 2021 इस लिहाज से बेहद महत्वपूर्ण है। क्योंकि साल 2020 नए साल के जिम्मे ढेर सारी चुनौतियाँ छोड़कर रफूचक्कर हो गया है।
दुनिया में जबसे कैलेंडर बने हैं। तभी से शायद नया साल मनाने की प्रथा शुरू हुई होगी । मै तो नहीं मानता लेकिन दुनिया के पुरातत्वविद दावा करते हैं। कि एडर्बीनशायर इलाके में चंद्रमा की गति पर आधारित दुनिया का सबसे पुराना कैलेंडर खोजा है।उनका कहना है। कि कार्थेस किले में एक खेत की खुदाई में 12 गड्ढ़ों की एक श्रृंखला मिली है। जो चंद्रमा की अवस्थाओं और चंद्र महीने की तरफ संकेत करती है।बर्मिंघम विश्वविद्यालय के नेतृत्व वाली एक टीम के मुताबिक़ इस प्राचीन स्मारक को क़रीब 10 हज़ार साल पहले शिकारियों ने बनवाया था।
दुनिया ने कब कौन सा कैलेंडर ईजाद किया इसकी जानकारी आपको कम्प्यूटर महाशय एक क्लिक पर दे देंगे,मै तो आपसे ये कह रहा हों कि कैलेंडर बदलने से चुनौनियाँ नहीं बदलतीं,वे कोशिशों से ही बदलती हैं और बदली जाती हैं। आजकल पूरी दुनिया के सामने सबसे बड़ी चुनौती जानलेवा विषाणु कोरोना और उसके नए स्ट्रेन से निबटने की ह।। दुनिया के अनेक देशों ने इस विष्णु से निबटने के लिए ठीके ईजाद कर लिए हैं।उनके इस्तेमाल का श्रीगणेश हो गया है। लेकिन बात यहीं समाप्त नहीं होती।
नए साल में कोरोना और उसके नए स्ट्रेन के खिलाफ बनाये गए दुनिया के तमाम प्रतिरोधी टीकों की अग्निपरीक्षा होगी। यदि टीके कामयाब होते हैं। तो दुनिया में एक बार फिर जनजीवन मामूल पर आ जाएगा ,अन्यथा जो बदहवासी कल तक थी वो आगे भी रहेगी। अच्छी बात ये है। कि दुनिया उम्मीदों की तिपाई पर खड़ी रहती है। ये उम्मीदें ही हैं। जो जीवन को गति देती है। कोरोना के खिलाफ भी हमारी उम्मीद कमजोर नहीं हुई है। हालांकि हम अभी तक कोरोना और उसके स्ट्रेन के मूल की खोज नहीं कर पाए हैं। नए साल में हमें टीके के साथ ही इस बीमारी की जड़ की भी तलाश करना चाहिए।
नए साल की बात काटते हुए हमें हर हाल में गए साल की बात करना ही पड़ती है। दुनिया की छोड़िये ,हम अपने देश की बात करते है। हमारे देश में गया साल जिसक अभूतपूर्व किसान आंदोलन का प्रत्यक्षदर्शी बना था,नया साल भी उसके साथ ही खड़ा है। आने वाले दिनों में सरकार और किसान किसी सहमति के बिंदु पर आ जाएँ तो देश का तनाव कम हो। हम जैसे लेखक और साहित्यकार रोजाना एक से बढ़कर एक दुखद विषय पर लिखते है। अनेक बार तो हमें लिखने के बाद न्यायधीशों की तरह अपनी कलम के पाते तोड़ देना पड़ते हैं।क्योंकि जिस ह्रदय विदारक मांमले पर हम लोग लिखते हैं। उस पर दोबारा नहीं लिखना चाहते।
सूरज उगने के साथ ही हमलोग अक्सर सोचते हैं कि लिखने के लिए अब कोई विसंगति नहीं चुनना पड़ेगी ,लेकिन ऐसा नहीं हो पाता क्योंकि ,विसंगतियों का सिलसिला अंतहीन है। विसंगतियों की संगत में रहे बिना हम रह नहीं सकते। शायद ही ऐसा कोई क्षेत्र हो जिसमें विसंगतियां न हों। हमारे देश में तो विसंगतियों की इतनी प्रजातियाँ है कि गिनना मुश्किल हो जाए।
हम लेखकों की सबसे बड़ी विसंगति ये है। कि हम सबके मन का नहीं लिख पाते। सबके मन का न लिखा जा सकता है। और न कहा जा सकता ह। हमारे प्रधानमंत्री जी के मन की बात भी इसी तरह की विसंगतियों का जीवंत प्रमाण है। प्रधान जी जब अपने मन की बात करते हैं। तो शायद ही कोई माध्यम ऐसा होगा जिससे उसका प्रसारण न होता हो ,इस तरह उनके मन की बात तो सब तक पहुँच जाती है। लेकिन उन्हें सुनने वालों के मन की बात प्रधान जी तक नहीं पहुँच पाती।
बहरहाल नए साल में हम सब मिलकर देश,समाज और परिवार की समृद्धि और सुदृढ़ता के लिए प्रयत्नशील रहें तो ही कोई सार्थक परिणाम हासिल हो सकते हैं। अन्यथा नया साल भी गए साल की तरह अनपेक्षित दंश देकर हुआ आगे निकल जाएगा। हमें समय के साथ कदमताल करना होगी। दुनिया और हम सब इन्हीं विसंगतियों के साथ आगे बढ़कर खुशहाली तक अवश्य पहुंचेंगे। हमारे पास सभी समस्याओं के हल होना चाहिए । किसानों,मजदूरों,छात्रों,बेरोजगारों की समस्यायों के हल लम्बे आरसे से अनुत्तरित हैं। हमारा प्रयास होना चाहिए की हम नए साल में अपने निर्वाचित सदनों की गरिमा की रक्षा के लिए कृत संकल्प रहें। एक बार फिर नए साल की शुभकामनाएं एवं बधाइयाँ।

ऐलान: मकर संक्रान्ति तक वैक्सीन हो जायेगी उपलब्ध

योगी ने किया ऐलान, मकर संक्रान्ति तक कोरोना वैक्सीन हो जायेगी उपलब्ध
हरिओम उपाध्याय
लखनऊ। उत्तर-प्रदेश वासियों के लिए बडी खुशखबरी आ रही है। प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इस बात की घोषणा कर दी है, कि जनवरी में पडने वाले मकर संक्रान्ति तक प्रदेश के निवासियों के लिए कोरोना वैक्सीन उपलब्ध करा दी जायेगी।
अधिवक्ताओ के लिए भवन का शिलान्यास करने अपने दो दिवसीय दौरे पर पहुचें योगी आदित्यनाथ ने जहा कलेक्ट्ट एंव सदर तहसील में लगभग 9 करोड की लागत से बनने वाले अधिवक्ता भवन की आधारशिला रखी वही इस अवसर पर आयोजित कार्यक्रम में लोगों को सम्बोधित भी किया। उन्होनें कहा कि अधिवक्ताओं संहित सभी का धन्यवाद करते हुए कहा कि आप सभी के सहयोग के चलते ही आज कोरोना उत्तर प्रदेश कोरोना की जगं में सबसे आगे चल रहा है।
उन्होनें कार्यक्रम में बडी घोषणा करते हुए कहा कि यदि सबकुछ ठीकठाक रहा तो मकंर संक्र्रान्ति तक प्रदेश वासियों के लिए कोरोना वैक्सीन उपलब्ध हो जायेगी। श्री योगी अपने दो दिवसीय दौरे में जिले के कैम्पियरगंज, सहजनवा तथा बांसगांव में भी अधिवक्ता भवन का शिलान्यास करेगें।

यूपी: अखिलेश ने वैक्सीन लगवाने से किया इनकार

अखिलेश ने दिया बचकाना बयान, वैक्सीन को बताया भाजपा की वैक्सीन, लगवाने से किया इन्कार
हरिओम उपाध्याय
लखनऊ। रविवार को पत्रकारों से बातचीत में सपा मुखिया अखिलेश यादव ने अपनी अपरिपक्वता का पूरा पूरा परिचय आखिर दे ही दिया। उन्होनें वैक्सीन को भाजपा का बताते हुए लगवाने से इन्कार कर दिया। माना जा रहा है। उनका यह बयान एक खास वर्ग को खुश करने के लिए दिया गया है। जिन्होनें अफवाहों को फैलाते हुए वैक्सीन लगवाने से इन्कार किया है।
जहां एक तरफ पूरा विश्व पिछले एक वर्ष से कोरेाना महामारी से मुक्ति पाने के लिए आ रही वैक्सीन को लेकर पूरी तरह आशान्वित है। ओैर जल्द से जल्द वैक्सीन लगवाने को लेकर आतुर है। वही भारत और खासकर उत्तर प्रदेश के राजनेता इस पर भी राजनीति करने से बाज नही आ रहे। इतना ही नही वे इस भंयकर बीमारी के प्रति अपनी बचकाना सोंच को भी जगजाहिर कर रहे है। कुछ इसी तरह का बयान समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव ने उस समय दिया जब वे एक कार्यक्रम में पत्रकारो से वार्ता कर रहे थे। अखिलेश ने वैक्सीन को भाजपा का बताते हुए इसे लगवाने से यह कहते हुए साफ इन्कार कर दिया कि यह वैक्सीन भाजपा की है जब उनकी सरकार 2022 में सत्ता में आयेगी तब वे वैक्सीन लगवायेगे। उन्होनें यह भी कहा कि उनकी सरकार आने पर सभी को फ्री वैक्सीन उपलब्ध करायी जायेगी। उन्होनें यह भी कहा कि यह भाजपा की वैक्सीन है मेैं इस पर विश्वास नही कर सकता, हम भाजपा वालों की वैक्सीन नही लगवायेगें।
अखिलेश के इस बयान के मायने यह भी लगाये जा रहे हेै कि उनका यह बयान उन लोगों को अपना परोक्ष समर्थन देने के लिए दिया गया है जो अफवाह फैलाने के साथ साथ वैक्सीन न लगवाने की अपील कर रहे हैं और यह अफवाह ओैर अपील एक खास वर्ग के धर्मगुरूओं द्वारा फैलाया जा रहा है। जिसे समाजवादी पार्टी का भरोसेमंद वोटर माना जाता है। 

देश की शान व खाद सुरक्षा का आधार है किसान

हरिओम उपाध्याय  
नई दिल्ली। यह प्रमाणित हो गया है। कि पिछले ३८ दिनों से दिल्ली की सीमा पर जुटे किसान देश सबसे संपन्न किसान हैं| वे लंबे समय से देश की शान और इसकी खाद्य सुरक्षा के आधार रहे हैं। इसके साथ ही वे देश के अन्य किसानों की भांति प्रकृति के सबसे नजदीक होने से अन्य शहरियों के मुकाबले ज्यादा सम्पन्न हैं। सबके पेट भरने वाले किसान और किसानी की सूरत बदलने के लिए कुछ तथ्य और कथ्य ।
वर्ष १९५१ में रोजाना अन्न और दाल की प्रति व्यक्ति उपलब्धता क्रमशः ३३४.७ और ६०.७ ग्राम थी। अब यह आंकड़ा क्रमशः ४५१,७ और ५४.४ ग्राम है। साल २००१ में तो दालों की प्रति व्यक्ति उपलब्धता मात्र २९.१ ग्राम रह गयी थी| इससे इंगित होता है कि हमारे देश के किसान ने कितना परिश्रम किया है और हमारी राष्ट्रीय खाद्य नीति एक दिशा विशेष में चली है। इस प्राथमिकता का सबसे बड़ा उत्प्रेरक न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की नीति रही है। हालांकि एमएसपी के तहत २३ चीजें सूचीबद्ध हैं। पर व्यवहार में यह मुख्य रूप से धान और गेहूं के लिए है। ऐसे मूल्य दलहन और तिलहन के लिए हमेशा नहीं दिये जाते जिनके कारोबार में भारतीय आयातक विदेशी विक्रेताओं व उत्पादकों के साथ निकटता से जुड़े हुए हैं।
सबको यह मालूम होना चाहिए कि गेहूं व धान के अलावा अन्य अनाजों और कपास के लिए कोई समर्थन मूल्य नहीं है, केवल बातें होती हैं। एमएसपी कई तरह से भारत की खाद्यान्न प्रणाली की जड़ प्रकृति को प्रतिबिंबित करता है। जिसमें खरीद सबसे अधिक दाम पर होती है। और उसे सार्वजनिक वितरण प्रणाली (पीडीएस) के तहत सबसे काम दाम पर बेचा जाता है। पीडीएस के अंतर्गत ८०.९ करोड़ भारतीय लाभार्थी हैं। यह संख्या कुल अनुमानित आबादी का ५९ प्रतिशत है। इसके बावजूद १० करोड़ से अधिक लोग इससे वंचित हैं। जिन्हें यह लाभ मिलना चाहिए| यह पूर्ति तभी हो सकती है। जब किसान संतुष्ट हो 
अभी तो एमएसपी मूल्य समुचित दाम पाने का अंतिम विकल्प होने की जगह पहला विकल्प है। इसका यह असर हुआ कि पंजाब, हरियाणा, उत्तरी तेलंगाना और तटीय आंध्र प्रदेश जैसे कुछ क्षेत्रों में अनाज का बहुत अधिक उत्पादन होने लगा और इस उत्पादन का बड़ा हिस्सा एमएसपी के तहत खरीदा जाने लगा इस साल पंजाब और अन्य राज्यों में बहुत अच्छी पैदावार होने से यह समस्या और भी बढ़ गयी
बहुत कम चावल खानेवाले राज्य पंजाब में इस साल धान का कुल उत्पादन पिछले साल की तुलना में लगभग ४० लाख मीट्रिक टन बढ़कर २१० लाख मीट्रिक टन से अधिक सम्भावित है|पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, तेलंगाना और आंध्र प्रदेश आदि अनेक राज्यों में एमएसपी पर खरीद २३ प्रतिशत से अधिक बढ़ गयी है। इसबार केंद्र ने दिसंबर के दूसरे सप्ताह तक ४११.५ लाख मीट्रिक टन धान की खरीद की है
देशभर में हुई इस खरीद में से अकेले पंजाब से ४९.३३ प्रतिशत यानी २०२,७७ लाख मीट्रिक टन की खरीद ३० नवंबर तक हुई है| सरकारी गोदामों में अनाज रखने की जगह नहीं है, पंजाब के लगभग ९५ प्रतिशत किसान एमएसपी प्रणाली के दायरे में हैं| इस कारण औसत पंजाबी किसान परिवार देश में सबसे धनी है| एक आम भारतीय किसान परिवार की सालाना आमदनी ७७,१२४ रुपये है, जबकि पंजाब में यह २,१६, ७०८ रुपये है।
उत्पादकता और सिंचाई की अच्छी व्यवस्था के साथ यह तथ्य भी अहम है कि पंजाब और हरियाणा में खेती की जमीन का औसत आकार क्रमशः ३.६२ और २.२२ हेक्टेयर है।| इसके मुकाबले भारत का राष्ट्रीय औसत १.०८ हेक्टेयर है।.हालांकि देश की ५५ प्रतिशत आबादी अभी भी खेती पर निर्भर है, लेकिन सकल घरेलू उत्पादन (जीडीपी) में इसका हिस्सा घटकर केवल १३ प्रतिशत रह गया है। और इसमें लगातार गिरावट आ रही है|
किसानों की आत्महत्या भारतीय किसान की स्थिति का परिचायक बन चुका है आबादी में ६० प्रतिशत किसान हैं, पर कुल आत्महत्याओं में उनका अनुपात मात्र १५.७ प्रतिशत है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार, कृषि अर्थव्यवस्था के देश भारत में एक लाख आबादी में १३ आत्महत्याओं का अनुपात है, जो औद्योगिक धनी देशों के समान या उनसे कम है|भारत में उत्तर प्रदेश और बिहार जैसे गरीब राज्यों में आत्महत्या की दर कम है। जबकि अपेक्षाकृत धनी राज्यों, जैसे- गुजरात और पश्चिम बंगाल, में यह दर अधिक है। इससे स्पष्ट है। कि आत्महत्या और आमदनी का कोई संबंध नहीं है। कृषि में सरकारी आवंटन का बड़ा हिस्सा अनुदानों में जाता है। जो आज वृद्धि में बहुत मामूली योगदान देते हैं।उनसे सर्वाधिक लाभ धनी किसानों को होता है।

कोवैक्सीन-कोविशील्ड के आपात इस्तेमाल को मंजूरी

डीजीसीआई का बड़ा ऐलान, कोवैक्सीन और कोविशील्ड के आपात इस्तेमाल को मंजूरी
अकांशु उपाध्याय
नई दिल्ली। भारतीय औषधि महानियंत्रक (डीसीजीआई) ने भारत बायोटेक की स्वदेश निर्मित कोरोना वैक्सीन‘ कोवैक्सीन’ और पुणे के सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया (एसआईआई) द्वारा निर्मित कोविशील्ड के भारत में आपात इस्तेमाल पर आज अपनी मुहर लगा दी।
डीसीजीआई डॉ. वेणुगोपाल जी सोमानी ने रविवार को नेशनल मीडिया सेंटर में संवाददताओं को यह जानकारी दी कि विशेषज्ञ समिति की सिफारिशों को स्वीकार करते हुए केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रक संगठन (सीडीएससीओ) ने कोवैक्सीन और कोविशील्ड के आपात इस्तेमाल को मंजूरी दी है।
कोविशील्ड वास्तव में ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी और दवा कंपनी एस्ट्राजेनेका द्वारा विकसित है और एसआईआई ने एक समझौते के तहत भारत में इसका दूसरे और तीसरे चरण का मानव परीक्षण किया है और साथ ही इसे यहां तैयार भी किया है। देश में कोरोना वैक्सीन के इस्तेमाल को लेकर बनायी गयी सीडीएससीओ की सब्जेक्ट एक्सपर्ट कमिटी ने शुक्रवार और शनिवार को बैठक की थी। इस समिति ने बैठक में कोविशील्ड और कोवैक्सीन के आपात इस्तेमाल को लेकर अपनी सिफारिशें डीसीजीआई के समक्ष पेश किया
समिति ने साथ ही दवा कंपनी कैडिला हेल्थकेयर के तीसरे चरण के मानव परीक्षण को लेकर भी सिफारिश की। भारत बायोटेक ने भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) के साथ मिलकर कोवैक्सीन को विकसित किया है। भारत बायोटेक ने शनिवार को यह जानकारी दी कि कोवैक्सीन के तीसरे चरण के मानव परीक्षण में शामिल वालंटियर की संख्या जल्द ही उसके लक्ष्य के मुताबिक 26,000 हो जायेगी।
कोरोना वैक्सीन 110 प्रतिशत सुरक्षित: डीसीजीआई
भारतीय औषधि महानियंत्रक (डीसीजीआई) डॉ वेणुगोपाल जी सोमानी ने कहा कि देश में जिन दो कोरोना वैक्सीन के आपात इस्तेमाल को मंजूरी दी गयी है, वे 110 प्रतिशत सुरक्षित हैं। डॉ सोमानी ने आज पत्रकाराें से कहा कि अगर किसी वैक्सीन के विषय में सुरक्षा संबंधित कोई भी चिंता होगी, तो उसे कभी भी अनुमोदित नहीं किया जायेगा। उन्होंने कहा कि इस वैक्सीन के साइड इफेक्ट बिल्कुल अन्य वैक्सीन के समान हैं। इससे हल्का बुखार होना, हल्का दर्द होना और एलर्जी होना सामान्य बात है। डीसीजीआई ने कहा कि कोरोना वैक्सीन से नपुंसक होने की बात बिल्कुल ही बकवास है।

आफत: बरसात ने किसानों की मुश्किलें बढ़ाई

दिल्ली की सीमाओं पर डटे किसानों की बारिश ने बढ़ाईं मुश्किलें
अकांशु उपाध्याय  
नई दिल्ली। केंद्र के नए कृषि कानूनों के खिलाफ पिछले एक महीने से भी अधिक समय से प्रदर्शन कर रहे तथा दिल्ली की सीमाओं पर डटे किसानों की मुश्किलें रातभर हुई बारिश ने बढ़ा दीं। लगातार बारिश होने से आंदोलन स्थलों पर जलजमाव हो गया है।
संयुक्त किसान मोर्चा से जुड़े किसान नेता अभिमन्यु कोहर ने रविवार को कहा कि किसान जिन तंबूओं में रह रहे हैं। वह वॉटरप्रूफ हैं। लेकिन ये ठंड और जलभराव से उनका बचाव नहीं कर सकते। उन्होंने कहा कि बारिश की वजह से प्रदर्शन स्थलों पर हालात बहुत खराब हैं।.यहां जलभराव हो गया है। बारिश के बाद ठंड बहुत बढ़ गई है। लेकिन सरकार को किसानों की पीड़ा नजर नहीं आ रही।
सिंघु बॉर्डर पर डटे गुरविंदर सिंह ने कहा कि कुछ स्थानों में पानी भर गया है। और समुचित जन सुविधाएं नहीं हैं। उन्होंने कहा कि अनेक समस्याओं के बावजूद भी हम यहां से तब तक नहीं हिलने वाले जब तक कि हमारी मांगे पूरी नहीं हो जातीं। मौसम विभाग के अनुसार दिल्ली के कई इलाकों में भारी बारिश हुई तथा बादल छाए रहने और पूर्वी हवाओं के चलते न्यूनतम तापमान में वृद्धि हुई है।
विभाग के एक अधिकारी ने कहा कि सफदरजंग वेधशाला में न्यूनतम तापमान 9.9 डिग्री सेल्सियस तथा 25 मिमी बारिश दर्ज की गई। पालम वेधशाला में न्यूनतम तापमान 11.4 डिग्री तथा 18 मिमी बरसात दर्ज की गई। छह जनवरी तक बारिश के साथ ओले गिरने का अनुमान है।

हरियाणा बॉर्डर पर किसानों का धरना-प्रदर्शन जारी

चंडीगढ़। दिल्ली-हरियाणा बॉर्डर पर किसानों का धरना प्रदर्शन एक महीने से अधिक समय से जारी है। प्रदर्शन करने वालों में ज्यादातर किसान पंजाब और हरियाणा से हैं। जींद जिले के ईटल कलाँ गावं से 38 दिनों से लगातार किसानों के लिए संघर्ष कर रहे किसान जगबीर की मौत हुई। इसके साथ ही कुंडली बॉर्डर पर किसान आंदोलन में हिस्सा लेने आए दो और किसानों की मौत हो गई है और एक किसान की हालत काफी गंभीर। पुलिस की शुरूआती जांच में पता चला है कि किसान आंदोलन में हिस्सा लेने आए दोनों किसान बलवीर सिंह गोहाना क्षेत्र व किसान निर्भय सिंह पंजाब के गांव लिदवा के रहने वाले हैं। रविवार सुबह को गोहाना के गांव गंगाना के रहने वाले किसान बलवीर सिंह की मौत की सूचना आई। मृत किसान के साथ मौजूद अन्य किसानों ने बताया कि शनिवार रात तक स्वस्थ्य थे, केवल थोड़ी थकान महसूस कर रहे थे।

हर किसान अपना हक लेकर रहेगा: राहुल

अकांशु उपाध्याय  
नई दिल्ली। कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने केंद्र सरकार के तीन नए कृषि कानूनों के खिलाफ जारी किसान आंदोलन की तुलना अंग्रेजों के शासन में हुए चंपारण आंदोलन से की और कहा कि आंदोलन में भाग ले रहा हरेक किसान एवं श्रमिक सत्याग्रही है, जो अपना अधिकार लेकर ही रहेगा।राहुल गांधी ने ट्वीट किया, ‘‘देश एक बार फिर चंपारण जैसी त्रासदी झेलने जा रहा है। तब अंग्रेज ‘कम्पनी बहादुर’ था, अब मोदी-मित्र ‘कम्पनी बहादुर’ हैं।’’ उन्होंने कहा, ‘‘लेकिन आंदोलन में भाग ले रहा हर एक किसान-मजदूर सत्याग्रही है जो अपना अधिकार लेकर ही रहेगा।

महात्मा गांधी ने 1917 में चंपारण सत्याग्रह का नेतृत्व किया था और इसे भारत के स्वतंत्रता संग्राम में ऐतिहासिक आंदोलन माना जाता है। तीनों नए कृषि कानूनों को रद्द करने की मांग कर रही कांग्रेस ने आरोप लगाया है कि इससे खेती और किसानों पर प्रतिकूल असर पड़ेगा। किसानों ने ब्रिटिश शासनकाल में नील की खेती करने संबंधी आदेश और इसके लिए कम भुगतान के विरोध में बिहार के चंपारण में यह आंदोलन किया था। उल्लेखनीय है कि गत बुधवार को छठे दौर की औपचारिक वार्ता के बाद सरकार और प्रदर्शनकारी किसान संगठनों के बीच बिजली के दामों में बढ़ोतरी एवं पराली जलाने पर जुर्माने के मुद्दों पर सहमति बनी थी, लेकिन विवादित कृषि कानूनों को वापस लेने एवं न्यूनतम समर्थन मूल्य की गारंटी को लेकर गतिरोध बना हुआ है। हजारों किसान कड़ाके की ठंड के बावजूद एक महीने से अधिक समय से राष्ट्रीय राजधानी की विभिन्न सीमाओं पर प्रदर्शन कर रहे हैं।

फिल्म 'जानू आई लव यू' का फर्स्ट लुक रिलीज

फिल्म 'जानू आई लव यू' का फर्स्ट लुक रिलीज  कविता गर्ग  मुंबई। निर्माता रत्नाकर कुमार, सुपरस्टार अक्षरा सिंह और विक्रांत सिंह राजपूत ...