मंगलवार, 24 मार्च 2020

केंद्र शासित राज्यों में कंप्लीट लॉकडाउन

नई दिल्ली। देश के 32 राज्यों और केन्द्रशासित प्रदेशों के 560 जिलों में कोरोना वायरस संक्रमण को रोकने के लिए पूरी तरह लॉकडाउन कर दिया गया। इसी बीच, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश और ओडिशा के कुछ क्षेत्रों ऐसे हैं, जहां धाराएं ही लगाई गई हैं। तीनों राज्यों में कुल 58 जिले बंद हैं।


वहीं लक्षद्वीप में आंशिक लॉकडाउन किया गया है। यात्री जहाजों को द्वीप में प्रवेश करने से प्रतिबंधित किया गया है और आपराधिक प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) की धारा 144 लागू है। भारत में कोविड-19 के कुल मामलों की संख्या अब 500 पर पहुंच चुकी है, जिसमें नौ मौतें भी शामिल हैं।


गरीब-मजदूरों की मदद करेंः कपिल

नई दिल्ली। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता कपिल सिब्बल ने अपनी पार्टी की मांग को दोहराते हुए कहा है कि कोरोना के चलते हुए लॉकडाउन में बेरोजगार गरीबों की आर्थिक मदद करने के लिए प्रत्येक व्यक्ति को कम से कम 10 हजार रुपये दिए जाने चाहिए।


सिब्बल ने कहा, “युद्ध में हों तो प्रतिक्रिया भी युद्ध स्तर पर करें।” कांग्रेस सांसद ने सरकार से आग्रह किया कि वह तेजी से इस बाबत कार्य करे और दरवाजे तक मुसीबत आने का इंतजार न करे। हालांकि, उन्होंने शटडाउन को सकारात्मक कदम बताते हुए कहा कि ढेर सारे लोग बेरोजगार हो गए हैं, जैसे प्रवासी, असंगठित क्षेत्र और अन्य क्षेत्रों में काम करने वाले, कृषि श्रमिक, बेरोजगार और दिहाड़ी मजदूर। इन सभी को संकट से उबारने के लिए प्रत्यक्ष लाभ अंतरण के माध्यम से प्रत्येक को 10 हजार रुपये प्रदान किए जाने चाहिए। कांग्रेस ने पहले ही गरीबों के लिए वित्तीय पैकेज की मांग की है। कोरोना वायरस के संक्रमण से निपटने के लिए कथित तौर पर तैयारियों को लेकर सरकार पर निशाना साधते हुए कांग्रेस ने सोमवार को कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लोगों को बताया कि उन्हें क्या करना चाहिए, लेकिन यह नहीं बताया कि बीमारी को रोकने के लिए सरकार क्या करेगी।कांग्रेस के वरिष्ठ प्रवक्ता अजय माकन ने ट्वीट किया, “हम जानते हैं कि प्रधानमंत्री एक वित्तीय पैकेज की घोषणा कर सकते हैं, और हमें उम्मीद है कि यह उनके पूंजीवादी दोस्तों के लिए नहीं होगा बल्कि गरीबों, दिहाड़ी मजदूरों और अन्य लोगों के लिए होगा, जो बेरोजगार हो गए हैं।


उमर की नजरबंदी का आदेश निरस्त

श्रीनगर। जम्मू-कश्मीर सरकार ने मंगलवार को पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला के सार्वजनिक सुरक्षा अधिनियम (पीएसए) के तहत चल रही नजरबंदी के आदेश को रद्द कर दिया है। जम्मू-कश्मीर सरकार के प्रवक्ता रोहित कंसल ने कहा कि पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला के पीएसए नजरबंदी आदेश को निरस्त कर दिया गया है।


सूत्रों ने कहा कि उमर अब्दुल्ला अब श्रीनगर में हरि निवास जलवायु को छोड़ देंगे। अब्दुल्ला वहां 5 अगस्त, 2019 से नजरबंदी में रह रहे हैं। नेशनल कॉन्फ्रेंस के सूत्रों ने कहा, “वह शीघ्र ही गुपकर रोड स्थित अपने निवास पर पहुंचेंगे, लेकिन कोविड-19 लॉकडाउन को ध्यान में रखते हुए, किसी को भी उमर साहब से मिलने की अनुमति नहीं दी जाएगी।” ऐसे हालातों में उमर के अपनी रिहाई के बाद मीडिया को संबोधित करने की भी संभावना नहीं है। बता दें कि उमर की रिहाई से कुछ दिन पहले ही उनके पिता और पूर्व मुख्यमंत्री फारूक अब्दुल्ला की भी रिहाई हुई थी। उमर की बहन सारा पायलट द्वारा दायर एक याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि जम्मू-कश्मीर सरकार को यह स्पष्ट करना चाहिए कि क्या वे जल्द ही उमर अब्दुल्ला को रिहा करने का इरादा रखते हैं या नहीं। अब केवल एक पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती नजरबंद हैं। सूत्रों ने बताया कि इस सप्ताह के अंत तक उनकी भी रिहाई की संभावना है।


शिवराज के सामने अब ज्यादा चुनौती

मध्य प्रदेश के नए मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के सामने इस बार ज्यादा हैं चुनोतियाँ


शेख़ नसीम 


भोपाल। मध्यप्रदेश में कांग्रेस की सरकार को सत्ता से बेदखल करके प्रदेश के चौथी बार मुख्यमंत्री की शपथ लेने वाले भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ और कद्दावर नेता शिवराज सिंह चौहान के सामने पहले के मुकाबले इस बार ज्यादा चुनोतियाँ हैं सबसे पहले कोरोना वायरस से निपटने की चुनोती इसके बाद कांग्रेस से बगावत करके कांग्रेस की सरकार को गिराने वाले और अब भाजपा में शामिल हुए बागी विधायकों को मंत्रिमंडल में शामिल कर और 25 सीटों पर होने वाले आगामी उपचुनाव में उनको भाजपा के टिकट पर चुनाव लड़वाना एवं भाजपा के पुराने नेता और कार्यकर्ताओं से आपसी तालमेल बिठाना ये वो चुनोतियाँ हैं जिससे मध्यप्रदेश के नए मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को निपटना हैं।


कांग्रेस के बागी विधायकों में से 10 विधायको का मंत्री बनने तय हैं जिसमे से कमलनाथ सरकार में मंत्री रहे 6 पूर्व मंत्री शामिल हैं लेकिन भाजपा सरकार में मंत्री रहे उन विधायको को शिवराजसिंह चौहान कैसे डील करते हैं और किस- किसको मंत्री बनाते हैं ये देखने वाली बात हैं शिवराज सरकार में पहले जो मंत्री थे उनमें से अगर किसी एक को भी मंत्री नही बनाया गया तो ये शिवराज सरकार के लिए घातक होगा। दूसरी और आगामी 25 सीटों पर प्रदेश में होने वाले उपचुनाव में 22 कांग्रेस के विधायक जो कांग्रेस छोड़कर भाजपा में शामिल हुए हैं उनको उन्ही के क्षेत्र से टिकट देना भाजपा के स्थानीय दावेदारों को नाराज़ करने वाला फैसला होगा और हो सकता हैं उस दौरान भाजपा के टिकट के दावेदार बगावत पर उतर जाए बहरहाल शिवराज सिंह चौहान के सामने अबकी बार ज्यादा चुनोतियाँ हैं और शिवराजसिंह इन चुनोतियो से कैसे निपटते हैं ये तो आने वाला समय ही बताएगा।


भारत का सफल प्रयासः डब्ल्यूएचओ

नई दिल्ली। विश्व स्वास्थ्य संगठन ने कोरोना वायरस को लेकर भारत में किए जा रहे अलर्ट और इससे निपटने की गई तैयारियों को लेकर भारत की तारिफ की है। कोरोना वायरस के तेजी से बढ़ते मामले के बीच विश्व स्वास्थ्य संगठन ने कहा है कि कोरोना के प्रसार पर रोक लगाने के लिए भारत को अपनी आक्रामक कार्रवाई जारी रखनी चाहिए। भारत में कोरोना के 499 मामले सामने आए हैं और इसके प्रसार को रोकने के लिए 548 जिलों में लॉकडाउन घोषित कर दिया गया है।


सजा 7 वर्ष से कम तो मिलेगी पैरोल


सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला जेल में बंद कैदियों को 6 सप्ताह के लिए दी जाएगी पैरोल

नई दिल्ली। भारत में कोरोना वायरस के संक्रमण के खतरे के मध्य सुप्रीम कोर्ट ने बड़ा फैसला लिया है। फैसले के मुताबिक देश में मौजूद सभी जेलों में सजा काट रहे वे कैदी जिनकी सजा 7 वर्ष से कम है उन्हें पैरोल दी जाए। सुप्रीम कोर्ट ने कैदियों को 6 सप्ताह के लिए पैरोल देने को कहा है। इस फैसले से जेलों में मौजूद हजारों कैदियों को पैरोल मिलने का रास्ता साफ हो गया है।


ज्ञातव्य है कि कोरोना का खतरा दिन-प्रतिदिन बढ़ रहा है। अब तक देश में 418 मामले सामने आ चुके हैं, यहीं नहीं 8 लोगों की मौत भी हो चुकी है। मामले की सुनवाई के बाद सुप्रीम कोर्ट ने आदेश देते हुए कहा कि राज्य सरकारें हाई पॉवर कमेटी का गठन करें। इस समिति में लॉ सेकेट्ररी, राज्य लीगल सर्विस ऑथोरिटी के चैयरमैन, जेल के डीजी को शामिल किया जाए। कमेटी तय करे कि 7 वर्ष की सज़ा वाले मामलो में किन सजायाफ्ता दोषियो और अंडर ट्रायल कैदियों को पैरोल या अन्तरिम ज़मानत पर छोड़ा जाए। बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में स्वत: संज्ञान लिया है।


राज्यसभा चुनाव किये गये स्थगित

नई दिल्ली। कोरोना वाइरस के मद्देनजर चुनाव आयोग ने बड़ा फैसला लिया है।इलैक्शन कमीशन ने राज्यसभा चुनाव स्थगित कर दिया है।26 मार्च को होने वाला था चुनाव।जैसा कि मालूम है कि राज्यसभा की 55 सीटों के लिए चुनाव की प्रक्रिया चल रही थी। राज्य सभा र चुनाव की प्रक्रिया 6 मार्च को शुरू हुई और 26 मार्च को मतदान होने वाला था। जिन राज्यों में राज्यसभा की सीटों के लिए चुनाव हो रहे थे, उनमें महाराष्ट्र में सबसे ज्यादा सात, तमिलनाडु में छह, पश्चिम बंगाल में 5 सीटें सीटों के लिए चुनाव हो रहे थे।इसी तरह पश्चिम बंगाल में पांच आंध्र प्रदेश में चार, तेलंगाना में दो, असम में 3, बिहार में पांच ,छत्तीसगढ़ में दो ,गुजरात में चार, हरियाणा में दो, हिमाचल प्रदेश में एक, झारखंड में दो ,मध्यप्रदेश में तीन, मणिपुर में एक ,राजस्थान में तीन और मेघालय में एक सीट के चुनाव की प्रक्रिया चल रही थी।


मंत्रीपरिषद की वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से बैठक

रायपुर। कोरोना वायरस के चलते छत्तीसगढ़ मंत्रिपरिषद की बैठक पहली बार वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से आज 24 मार्च को शाम 5 बजे मुख्यमंत्री निवास में आयोजित की जाएगी। कोरोना वायरस संक्रमण से बचाव के चलते राज्य शासन द्वारा यह निर्णय लिया गया है। मुख्य सचिव कार्यालय ने छत्तीसगढ़ इन्फोटेक प्रमोशन सोसाइटी के मुख्य कार्यपालन अधिकारी को छत्तीसगढ़ मंत्रिमंडल के सभी मंत्रियों के निवास और मुख्यमंत्री निवास को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से जोडऩे के लिए सभी जरूरी इंतजाम सुनिश्चित करने के निर्देश दिए हैं।


संक्रमणः अंतिम-संस्कार पर उपजा विवाद

कोलकाता। पश्चिम बंगाल में कोरोना वायरस के कारण जान गंवाने वाले पहले व्यक्ति के अंतिम संस्कार में विलंब से किया गया क्योंकि लोगों ने यह कहते हुए नाकेबंदी कर दी कि क्रिया-कर्म से वायरस फैल सकता है।
पुलिस सूत्रों के अनुसार, वरिष्ठ अधिकारियों ने सोमवार को करीब दो घंटे तक स्थानीय निवासियों को समझाया कि संक्रमण से बचने के लिए आवश्यक कदम उठाए गए हैं। कोलकाता पुलिस केंद्रीय प्रभाग के एक अधिकारी ने कहा, ''हमने उन्हें बताया कि मृतक के शव को लपेटने के दौरान, सरकार के दिशा-निर्देशों के अनुसार सभी जरूरी प्रक्रियाओं का पालन किया गया है। डरने की कोई जरूरत नहीं है। स्वास्थ्य विभाग के एक अधिकारी ने बताया कि शव सौंपने में बहुत विलंब हुआ क्योंकि मृतक के परिवार के सदस्य अस्पताल नहीं आए। इसके अलावा, शव ले जाने के लिए कोई वाहन भी नहीं मिल रहा था। अधिकारी ने बताया कि एक सरकारी अस्पताल के पृथक वार्ड में फिलहाल भर्ती, मृतक की पत्नी ने स्वीकृति दी जिसके बाद विभाग को शव सौंपा गया। अस्पताल के एक अधिकारी ने कहा, ''सरकार के दिशा-निर्देशों के अनुसार, शव पर रसायनों का लेप लगाया गया और फिर उसे निर्दिष्ट तरीके से लपेटा गया। हमने किसी तरह एक शव वाहन का इंतजाम किया और बिधाननगर शहर पुलिस के अधिकारियों के एक दल की निगरानी में शव को नीमताला शवगृह ले जाया गया। 
गौरतलब है कि पश्चिम बंगाल में सोमवार को कोविड-19 से संक्रमित एक व्यक्ति की मौत हो गई थी। पिछले सप्ताह कोरोना वायरस से संक्रमित पाए गए इस व्यक्ति को 16 फरवरी को अस्पताल में भर्ती कराया गया था। 19 फरवरी को इस व्यक्ति की हालत खराब हो गई थी जिसके बाद उसे जीवनरक्षक प्रणाली पर रखा गया था। नॉर्थ 24 परगना के दम दम निवासी इस व्यक्ति ने सोमवार को अपराह्न करीब साढ़े तीन बजे दम तोड़ दिया।
देश में कोरोना मरीजों की संख्‍या 500 पहुंची-
भारत में कोरोना वायरस संक्रमण के अब तक करीब 500 मामले सामने आए हैं। स्वास्थ्य मंत्रालय के मंगलवार तक के आंकड़ों में यह संख्या सामने आई है। मंगलवार सुबह तक के अद्यतन आंकड़ों के मुताबिक देश में कोविड-19 के कुल मामले 492 हो गए हैं जिनमें से 446 लोगों का अभी इलाज चल रहा है।


जरूरी सामान की कमी, मूल्य दर बढ़ी

अकाशुं उपाध्याय


नई दिल्ली। कोरोना वायरस का असर अब लोगों की जेब पर भी पड़ने लगा है। पिछले कुछ दिनों में आम जरूरत की चीजों के साथ खाद्य वस्तुओं के भी दाम बढ़े हैं। खुद सरकार के आंकड़े बताते है कि खाने पीने की चीजो के दाम में पिछले एक सप्ताह और रविवार को जनता कर्फ्यू के बाद बढ़े हैं।
उपभोक्ता मंत्रालय के मुताबिक, पिछले एक सप्ताह के दौरान दाल, सब्जी और खाद्य तेलों की कीमतों में वृद्धि दर्ज हुई है। खुदरा बाजार में यह इजाफा और ज्यादा है। बाजार से जुड़े जानकर मानते हैं।  दिल्ली में 31 मार्च तक बाजार बंद होने से दूसरे प्रदेशों में आपूर्ति और मांग का संतुलन बिगड़ सकता है। इसकी वजह से खाने-पीने की चीजों के दाम और बढ़ सकते हैं। सरकार के मूल्य निगरानी प्रभाग के मुताबिक दालों की कीमतों में अरहर की दाल में पांच से छह रुपये किलो तक वृद्धि हुई है। बाजार में यह इजाफा दस रुपये प्रति किलो तक है। आंकड़े बताते है कि पिछले साल के मुकाबले अरहर या तूर की दाल की कीमत बीस रुपये से अधिक बढ़ी है। सोमवार (23 मार्च) को अरहर की कीमत श्रीनगर और हरिद्वार में 95 रुपये किलो तक पहुंच गई। इसी तरह उड़द और मूंग की दाल की कीमतों में भी काफी इजाफा हुआ है।
खाद्य तेल में जबरदस्त वृद्धि का रुझान
खाद्य तेल की कीमतों में भी जबरदस्त वृद्धि का रुझान है। सरसों और वनस्पति की कीमत पांच रुपये प्रतिकिलो तक सरकारी आंकड़ों में बढ़े है। बाजार में यह इजाफा दस रुपये प्रतिकिलो तक है। शिमला में सरसों का तेल 130 रुपये पर पहुंच गया, जबकि एक सप्ताह पहले तेल की कीमत 117 रुपये प्रति किलो थी। गेंहू के आटा और चावल की कीमत भी बढ़ी है। दूसरी तरफ आवाजाही कम या लगभग बंद होने से स्थानीय स्तर पर दाम कम हुए है।


 


लक्षणः गंद-स्वाद का एहसास ना होना

आकाशुं उपाध्याय


नई दिल्ली। कोरोना वायरस महामारी के संक्रमण को लेकर एक और खौफनाक दावा सामने आया है। डॉक्टरों का कहना है कि गंध और स्वाद का अहसास न होना भी कोरोना वायरस के संक्रमण का एक लक्षण हो सकता है। डॉक्टरों ने इस समस्या का सामना करने वाले लोगों को भी सेल्फ आइसोलेट करने की सख्त जरूरत है। 
डॉक्टरों का मानना है कि संक्रमण के संभावित मरीजों की पहचान के लिए यह भी एक सुराग हो सकता है। डॉक्टरों का कहना है कि स्वाद और गंध नहीं समझ पाने या अहसास खो देने वाले लोगों को खुद को तत्काल प्रभाव से अलग-थलग कर लेना चाहिए। उन्हें जांच भी करवानी चाहिए भले ही उनमें पास कोई अन्य लक्षण न हों।
मरीजों ने बताए एनोस्मिया के अनुभव : दक्षिण कोरिया में 30 प्रतिशत यानी 2,000 रोगियों ने ऐसे अनुभव बताए हैं। ऐसे लोगों में वायरस के संचरण की एक उच्च दर चीन, इटली और ईरान में भी रिपोर्ट की गई है, जिसके परिणामस्वरूप वहां कई मौतें हुई हैं। डॉक्टरों के अनुसार, एक मां जो कोरोना वायरस से संक्रमित थी उसे बच्चों के डायपर की गंध नहीं आ रही थी। वहीं, एक रसोइया जो आमतौर पर हर डिश में से मसाले को पहचान सकते हैं, वह कढ़ी या लहसुन और भोजन का स्वाद नहीं महसूस कर पा रहा था। कुछ का कहना है कि वे शैंपू की खुशबू या कूड़े की दुर्गंध आदि महसूस नहीं कर पा रहे थे। डॉक्टर इसको एनोस्मिया कहते हैं। अन्य देशों की रिपोर्टों में भी कोरोनो वायरस रोगियों की बड़ी संख्या ने एनोस्मिया का अनुभव किया।  
ब्रिटेन में शुरू हुआ विस्तृत अध्ययन : ब्रिटिश राइनोलॉजिकल सोसायटी के अध्यक्ष प्रोफेसर क्लेयर हॉपकिंस ने बताया कि शुक्रवार को, ब्रिटिश कान, नाक और गले के डॉक्टरों ने दुनियाभर के सहयोगियों की रिपोर्टों का हवाला देते हुए इस पर विस्तृत अध्ययन शुरू कर दिया है। डॉक्टरों ने शुक्रवार को उन वयस्कों को सात दिनों के आइसोलेशन के लिए बुलाया, जो अपनी इंद्रियों से गंध और स्वाद को खो चुके हैं, भले ही उनमें संक्रमण के कोई अन्य लक्षण न हों। हालांकि, अभी इसकी प्रमाणिक तौर पर पुष्टि नहीं हुई हो लेकिन डॉक्टर संक्रमण के फैलाव को लेकर चिंतित हैं। साथ ही प्रसार को धीमा करने के लिए आइसोलेशन कर क्वारंटाइन के लिए चेतावनी दे रहे हैं।
अमेरिका में भी देखे गए ऐसे लक्षण : अमेरिकन एकेडमी ऑफ ओटोलर्यनोलोजी (ईएनटी विज्ञान) ने रविवार को अपनी वेबसाइट पर जानकारी दी कि संकेत मिलता है कि गंध की कमी या स्वाद की कमी संक्रमण से जुड़े अहम लक्षण हैं और यह उन रोगियों में देखे गए हैं जिनमें कोरोना परीक्षण सकारात्मक पाए गए हैं। उस दौरान उनमें अन्य लक्षण नहीं थे। 
इटली में इसी से बढ़े मामले : इटली में वायरस से सबसे अधिक प्रभावित क्षेत्रों में डॉक्टरों ने निष्कर्ष निकाला है कि स्वाद और गंध का अहसास खोना एक संकेत है जो एक स्वस्थ व्यक्ति को वास्तव में वायरस के संक्रमण की और ले जा रहा है और इसे दूसरों तक फैला सकता है। वहीं, ब्रसेशिया के मुख्य अस्पताल में कार्डियोलॉजी विभाग के प्रमुख डॉक्टर मार्को मेट्रा ने कहा, अस्पताल में भर्ती होने वाले लगभग हर व्यक्ति की यही कहानी है। 
ब्रिटेन के संक्रमित ईएनटी डॉक्टरों की हालात गंभीर : 
प्रोफेसर हॉपकिंस ने कहा कि ब्रिटेन में दो कान, नाक और गले के विशेषज्ञ जो कोरोनो वायरस से संक्रमित पाए गए थे, वे गंभीर स्थिति में हैं। हॉपकिंस ने कहा कि चीन के वुहान की एक रिपोर्ट में चेतावनी दी थी कि कान, नाक और गले के विशेषज्ञ के साथ-साथ नेत्र चिकित्सक भी संक्रमित थे और बड़ी संख्या में मर रहे थे। 
स्वास्थ्य कर्मियों से सावधानी की अपील : ईएनटी, यूके के अध्यक्ष निर्मल कुमार ने बताया कि ब्रिटेन में कान, नाक और गले के डॉक्टरों का प्रतिनिधित्व करने वाले एक समूह ने एक संयुक्त बयान जारी कर ईएनटी स्वास्थ्य कर्मियों से व्यक्तिगत सुरक्षा उपकरणों का उपयोग करने का आग्रह किया है। विशेष तौर पर जब वे किसी भी ऐसे मरीज का इलाज करते हैं, जो गंध और स्वाद के अहसास को खो चुके हैं।


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