चलो गोपाल-गोडसे
"तुम सारे मुसलमानों को मार दो और देश के बाहर कर दो। शरजील-अफज़ल तुम जितने हिंदुओं को मार सकते हो मार दो और कर लो मनमानी एक बार। फिर उसके बाद क्या ? उसके बाद क्या योजना है तुम्हारे पास मेरे देश की प्रगति और सुरक्षा के लिए ? क्या उसके बाद भारत विश्व की तीसरी सबसे बड़ी ताक़त का दावेदार बन जाएगा ? क्या बाकी बचे ज़िंदा भारतीयों को रोजगार, शिक्षा और स्वास्थ्य व्यवस्था मिल जाएंगे ? क्या उसके बाद भारत का कोई बच्चा भूख से भात-;भात कहते नहीं मरेगा ? क्या उसके बाद बिना आधार दिखाए गरीबों को राशन मिलने लगेगा ? क्या उसके बाद गिरती GDP और रुपए की कीमत पर चिंता नहीं करनी पड़ेगी ?
यदि तुम्हारे इन आंतकी कारनामों से मेरे देश की एक भी समस्या का समाधान है तो तुम बेशक़ खुलकर आगे आओ। और अगर नहीं है तो साम्प्रदायिकता में लिपटी हुई अपनी घटिया सोच लेकर कहीं जाकर डूब मरो। क्योंकि तुम्हारे दिमाग़ में कचरा भरा हुआ है।
तुम क्या गाँधी ,नानक और अब्दुल कलाम के देश को न्याय दे पाओगे। तुम सब औंधी खोपड़ी के पपेट हो जिनको राजनेताओं ने अपना खिलौना बनाया हुआ है।
जहां मेरे देश में एक बस कंडक्टर बिना किसी कोचिंग के IAS की परीक्षा पास कर लेता है और MP के कक्षा 11 के बच्चे पॉलीथिन से पेट्रोल बनाने की विधि पर शोध कर रहे हैं । वहीं तुम जैसे कमअक्ल देश में दहशत का माहौल बना कर सबको मुख्य मुद्दों से भटका रहे हैं। फेसबुक फुरसतिये , व्हाट्सएप फुरसतिये सब बेसिर पैर के ऊल जुलूल मेसेज और पोस्ट शेयर कर रहे हैं। जिनको ढंग से महात्मा गाँधी लिखना नहीं आता वो गाँधी का चरित्र चित्रण कर रहे हैं।
ये आईटी सेल वालों को तो कोढ फूटेगा , कोढ़ी होकर गल-गल के मरेंगे। इन्होंने मेरे देश के मूल इतिहास को ऐसा तोड़ा मरोड़ा है कि आज लोगों को वही सच लगने लगा है।
जो ये नाशुकरे दिखा रहे हैं। देश की जड़ों से इस खिलवाड़ का ख़ामियाज़ा पुश्तें भोगेंगी और जो आज बहुत बढ़-चढ़ कर बिना जांच-तांच के पोस्ट-शेयर कर रहे हैं। वे खुद अपनी आने वाली पीढ़ी के आगे महामूर्ख साबित होंगे। क्योंकि बहुत जल्दी आज की पढ़ी- लिखी पीढ़ी पूरी सही परख और तथ्यों के साथ तुम सभी धर्मों के सभी मूर्ख ठेकेदारों से धर्म,जात , राष्ट्रवाद और देशभक्ति पर सवाल करने के लिए सड़कों पर होगी ।
तब तक छोटी सोच के सभी धर्मों के ठेकेदारों सावधान हो जाओ क्योंकि तुम्हारा खून ही सबसे पहले तुमसे सवाल पूछने खड़ा होने वाला है।
कि "विरासत में हमें कौन सी सम्पन्न संस्कृति ,स्वस्थ सोच , विकासशील विचार , भरे पेट और भारतीय होने पर गर्व करने का कारण देने वाले हैं आप लोग "और हाँ तब तक इस्लाम को आतंकवादी और कट्टर क़ौम कहने वाले जान लें कि वो भी हिंदुत्व के इस्लामीकरण की ओर बढ़ चुके हैं।
गोपाल - गोडसे को स्वीकार करने वालो अब बोलो कि आतंकवाद का धर्म होता है । मुसलमान आतंकी और हिन्दू दूध का धुला होता है। ये डर फैलाने वाले इस्लाम में कहते हैं तुम्हारा मज़हब ख़तरे में है हथियार उठा लो । वैसे ही हिन्दूओं में डर पैदा करने वाला कहता है कि तुम्हारा धर्म ख़तरे में हैं हथियार उठा लो। सब डर का धंधा है वोट का धंधा है। वो तुमसे कहते हैं अपने बाप दादा के दिखाए बताए भारत पर भरोसा मत करो हमारी ज़ुबान पर भरोसा करो। और तुमको अपने बाप दादा से अधिक इन मुफ्तखोरों पर भरोसा है।
अभी तुमने देखा क्या है प्यारों ?? तुम यदि प्यारा भारत बना पाए तो वो अगली लड़ाई सावर्ण और दलित की कराएंगे । वो भी तुममें से एक जीत गया तो अगली लड़ाई भूख और बेरोजगारी से होगी और कल उससे तुममें से कोई जीत नहीं पाएगा क्योंकि भूख और बेरोजगारी से निपटने के लिए आज शिक्षा और स्वास्थ्य की ज़रूरत है जो आज भी तुम्हारे लिए प्राथमिकता नहीं है।
तो मूढ़ों कल राष्ट्रवाद , धार्मिक कट्टरता , साम्प्रदायिकता, भगवा , इस्लाम , स्वरण , दलित और आरक्षण की खिचड़ी बना कर खा लेना। पर आज अच्छे से जान लो उस से भी पेट कतई ना भरेगा। पेट भरने के लिए तब भी अनाज चाहिए होगा इसलिए आज समझ लो !
"इंडिया वाकई किसी के बाप का नहीं , और ना हिन्दू का ना मुसलमान का । India सिर्फ उसका है जो हिन्द से प्यार करता है ।
निधि नित्या
(जिनके कमेंट पर प्रतिक्रिया ना मिले समझ लीजियेगा बक़वास की है उन्होंने और किसी भी बक़वास को ज़रा भी तवज़्ज़ो नहीं दी जानी है )जिनको लगता है कि गोपाल और कसाब की तुलना गलत है तो वो जान लें कसाव तो फिर भी सही हो सकता था क्योंकि वो दूसरे देश में घुसकर दूसरे मुल्क के लोगो को मार रहा था जबकि वो जानता था कि मरने वालों में मुस्लिम भी हो सकते हैं पर उसने ज़ेहाद के नाम पर गैर मुल्क के मुसलमानों को भी नहीं बक्शा पर गोपाल ? गोपाल तो अपने ही देश में धर्म के नाम पर अपने ही देशवासियों पर हमला कर रहा था। इसलिए मेरे लिए ज़्यादा ग़लत गोपाल है। क्योंकि वो अपने ही देश में अपने ही लोगों पर हमला कर रहा था।