नीलमणि पाल
नई दिल्ली। निर्भया मामले में एक दोषी अक्षय ठाकुर कि क्यूरेटिव याचिका को जस्टिस एनवी रमन्ना की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यीय पीठ ने खारिज कर दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि याचिका विचार योग्य नहीं है। इसमें कोई नया आधार नहीं जो विचार करने लायक हो।
इसी मामले में फांसी की सजा पाए विनय शर्मा और मुकेश की क्यूरेटिव याचिकाएं भी 14 जनवरी को खारिज हो चुकी हैं। इसके बाद, इन्होंने राष्ट्रपति के पास दया याचिका लगाई। फांसी की सजा के बाद खुद को बचाने के लिए सिर्फ तीन ही रास्ते होते हैं- पुनर्विचार, क्यूरेटिव और मर्सी पिटीशन (राष्ट्रपति के पास दया याचिका)। इससे पहले दोषियों ने ट्रायल कोर्ट द्वारा दी गई मौत की सजा पर सवाल उठाते हुए याचिकाएं दायर की थी। ट्रायल कोर्ट द्वारा दी गई मौत की सजा को बाद में हाईकोर्ट और शीर्ष अदालत ने भी बरकरार रखा था।
16 दिसंबर, 2012 को दिल्ली के वसंत विहार में चलती बस में 23 वर्षीय निर्भया के साथ बेरहमी के साथ सामूहिक दुष्कर्म किया गया था, जिसके बाद उसकी मौत हो गई थी। इसमें छह लोग शामिल थे, जिसमें राम सिंह ने जेल में फांसी लगा ली थी, जबकि एक नाबालिग सजा पूरी कर चुका है। वहीं चार अन्य दोषियों को निचली अदालत, दिल्ली हाई कोर्ट के बाद सुप्रीम कोर्ट भी फांसी की सजा सुना चुका है।