सोमवार, 27 जनवरी 2020

गणतंत्र दिवस समारोह में 2 छात्रों की मौत

भोपाल।।गणतंत्र दिवस पर मध्यप्रदेश में दो बड़े हादसे हो गए। एक तरफ जहां उमरिया में पीटी परेड के दौरान ठंड लगने से एक 12 वर्षीय मासूम की मौत हो गई। वही सुसनेर में रैली के दौरान एक 14 वर्षीय छात्र की अचानक मौत हो गई। छात्र की मौत के बाद एसडीएम मनीष जैन ने मुख्य कार्यक्रम को निरस्त कर श्रदांजलि दी।घटना के बाद से ही परिजनों का रो-रोकर बुरा हाल है।


पहली घटना उमरिया के संजय गांधी थर्मल पावर के विद्युत मंडल हायरसेकंडरी स्कूल की है।यहां रविवार सुबह गणतंत्र दिवस के अवसर पर प्रत्येक वर्ष की भांति स्कूल के मैदान पर पीटी का कार्य क्रम चल रहा था । कार्यक्रम में पांच विद्यालयों के छात्र और छात्राओं ने हिस्सा लिया था। इसमें आयुष पांडे पिता शशिकांत पांडे जूनियर वर्ग को कमांड कर रहा था। इसी दौरान वह बेहोश होकर वह गिर गया। जब उसे शहडोल ले जाया गया तो वहां डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया।शहडोल के डॉक्टरों का कहना है कि संभवतः ठंड लगने के कारण छात्र की मौत हुई है हालांकि अभी पोस्टमार्टम रिपोर्ट नहीं आई है । पोस्टमार्टम रिपोर्ट में ही सच्चाई का खुलासा होगा।


वही दूसरी घटना आगर मालवा। जिले के सुसनेर के प्रायवेट संतोष कैथोलिक कान्वेंट स्कूल की है। यहां कक्षा 8 वी के छात्र सूरज पिता बद्रीलाल ओसारा उम्र 14 वर्ष जाती मेघवाल निवासी परसुलिया कला को अचानक चक्कर आने लगे उसके बाद अस्पताल में ले जाया गया जंहा पर डॉक्टर ने छात्र को मृत घोषित कर दिया।इस घटना की जानकारी मिलते ही क्षेत्र के विधायक राणा विक्रमसिंह सहित जनप्रतिनिधि गण और अधिकारी गण अस्पताल पहुंचे गए थे। छात्र की मौत के बाद एसडीएम मनीष जैन ने मुख्य कार्यक्रम को निरस्त कर श्रदांजलि दी।


साबित करो, आपका बाप हिंदुस्तान का है

मुंबई। बॉलीवुड अभिनेता परेश रावल उन सितारों में शुमार हैं जो किसी भी मुद्दे पर अपनी बात खुलकर रखते हैं। ऐसे में में एक बार परेश रावल ने सीएए, एनपीआर और एनआरसी पर अपनी बात रखते हुए ट्वीट किया है। परेश रावल का ट्वीट वायरल हो रहा है और सोशल मीडिया यूजर्स जमकर उनके ट्वीट पर रिएक्ट कर रहे हैं।


दरअसल 25 जनवरी को परेश रावल ने एक ट्वीट किया। इस ट्वीट में अभिनेता ने लिखा, ‘दोस्तों, आपको यह साबित नहीं करना कि हिंदुस्तान आपके बाप का है। बल्कि आपको यह साबित करना है कि आपका बाप हिंदुस्तान का है।’ परेश का ये ट्वीट चर्चा में आ गया है। ये बात तो साफ है कि सीएए और एनआरसी को लेकर न सिर्फ आम लोग बल्कि बॉलीवुड सितारे भी दो धड़ों में बिखर गए हैं। एक धड़ जहां इसके पक्ष में है तो वहीं दूसरा धड़ सीएए और एनआरसी के विरोध में। ऐसे में परेश रावल इसके पक्ष में लंबे वक्त से अपनी बात सोशल मीडिया पर रखते आ रहे हैं।


पहली ट्रांस महिला जर्नलिस्ट सादिया की शादी

एर्नाकुलम। देश की पहली महिला ट्रांस वुमेन जर्नलिस्ट हिदी सादिया ने आज केरल के एर्नाकुलम में अथर्व मोहन के साथ शादी की। केरल में स्पेशल मैरिज ऐक्ट के तहत यह चौथे ट्रांसजेंडर की शादी हुई। सादिया के शादी में बड़ी संख्या में लोग उपस्थित थे। एर्नाकुलम में धूमधाम से शादी समारोह का आयोजन हुआ।


बता दें कि हिदी सादिया केरल की पहली ट्रांसजेंडर पत्रकार हैं। उन्‍होंने कैराली न्‍यूज टीवी से अपने करियर की औपचारिक शुरुआत की है। ऐसा करने वाली सादिया राज्‍य की पहली ट्रांसजेंडर हैं।
सादिया ने 31 अगस्‍त 2019 को अपनी जॉब की औपचारि‍क शुरुआत की थी। उन्‍हें पहले असाइनमेंट में चंद्रयान-2 की यात्रा में हो रहे घटनाक्रम को कवर करना था। जिसे उन्होंने पूरा किया। उस समय सादिया ने कहा था कि मुझे खुशी है कि लोग अब एलजीबीटी समुदाय के लोगों को उनकी जगह दे रहे हैं।


सादिया ने बताया कि त्रिवेंद्रम इंस्‍टीट्यूट ऑफ जर्नलिज्‍म से इलेक्‍ट्रॉनिक मीडिया में पोस्‍टग्रेजुएशन करने के बाद मैं केरली टीवी के साथ बतौर इंटर्न जुड़ गई। इंटर्न ज्‍वाइन करने के एक सप्‍ताह बाद ही चैनल ने मेरे काम को देखते हुए मुझे न्‍यूज ट्रेनी की पोस्‍ट ऑफर की। इतना ही नहीं सादिया ने बताया कि इस प्रोफेशन में मैंने कोई भेदभाव महसूस नहीं किया। मेरा ऑफिस मुझे दूसरा घर लगता है। मुझे उम्‍मीद है कि भविष्‍य में एलजीबीटी समुदाय के लोगों को दूसरी जगहों पर इसी तरह का सम्मान मिलेगा।


सादिया ने 18 साल की उम्र में अपना घर छोड़ दिया था। क्‍योंकि उनके माता पिता उन्‍हें स्‍वीकार नहीं कर पा रहे थे। सादिया कहती हैं कि उन्‍हें उनसे कोई शिकायत नहीं है। मैं बस इतना चाहती हूं कि वह देखें कि मैं आज ये कर रही हूं। केरल की स्‍वास्‍थ्य मंत्री केके शैलजा ने उस समय फेसबुक पर सादिया को बधाई देते हुए लिखा था कि ये सभी भारतीयों के लिए एक गर्व का क्षण है। शैलजा के अनुसार, सादिया ट्रांसजेंडर कम्‍यूनिटी के लिए एक प्रेरणा हैं।


भीड़ का मंदिर पर हमला, मूर्ति को नुकसान

सिंध में एक और हिंदू मंदिर पर भीड़ का हमला, मूर्ति को नुकसान पहुंचाया


सिंध। पाकिस्तान में हिंदू और अन्य धर्म स्थलों को नुकसान पहुंचाने का सिलसिला थम नहीं रहा। सिंध में एक मंदिर पर कुछ लोगों ने हमला कर दिया और तोड़फोड़ की। प्रधानमंत्री इमरान खान आए दिन कश्मीर को लेकर भारत सरकार पर निशाना साधते रहते हैं जबकि खुद उनके देश में अल्पसंख्यकों के साथ उत्पीड़न की खबरें कम होती नहीं दिख रही हैं। कुछ दिन पहले ही ननकाना साहिब गुरुद्वारे पर हुई पत्थरबाजी की निंदा पूरे विश्व में हुई थी। अब इससे पहले सितंबर महीने में भी सिंध में ही एक और हिंदू मंदिर में कट्टरपंथियों ने तोड़फोड़ की थी।


मंदिर और मूर्ति को भीड़ ने नुकसान पहुंचाया


एक पत्रकार ने घटना की तस्वीरें शेयर करते हुए ट्वीट किया, ‘सिंध में अब एक और हिंदू मंदिर में तोड़फोड़ की गई। थारपरकर के चाचरो में भीड़ ने माता रानी भातियानी मंदिर में पवित्र मूर्ति और ग्रंथों को नुकसान पहुंचाया।’ पाकिस्तान में धार्मिक अल्पसंख्यकों के प्रार्थना स्थल और उत्पीड़न की घटनाएं आए दिन मीडिया में सुर्खियां बटोरती रहती हैं। सिंध प्रांत से हिंदू लड़कियों को अगवा कर जबरन धर्म परिवर्तन कराने की कुछ घटनाएं भी चर्चा में रही थीं।


80 से ज्यादा मौत, हाथ मिलाने पर रोक

बीजिंग। चीन में फैले जानलेवा करॉना वायरस से अब और ज्यादा खतरनाक रूप लेता जा रहा है और इसका फैलना लगातार जारी है। चीन के स्वास्थ्य विशेषज्ञ इसे बेहद खतरनाक श्रेणी में रख रहे हैं। सबसे चिंताजनक बात यह है कि इस बीमारी में लक्षण नहीं दिखते हैं और यह लोगों को अपनी जकड़ में ले ले रहा है। चीन में खौफ का आलम ये है कि वुहान में लोगों को उनके घरों में ‘कैद’ कर दिया गया है और इस शहर से किसी के निकलने की अनुमति तक नहीं है। पेइचिंग ने लोगों को एक-दूसरे से हाथ न मिलाने की सलाह दी है। बता दें कि चीन में अब तक इस बीमारी से 80 से ज्यादा लोग मारे जा चुके हैं। दुनियाभर की स्वास्थ्य एजेंसियां चीन के बाहर थाइलैंड, ऑस्ट्रेलिया, अमेरिका और फ्रांस तक पहुंच चुके इस वायरस को रोकने के लिए जीतोड़ कोशिश में लगी हुईं हैं।


नए वायरस से दुनिया सतर्कः इस अनजान नए वायरस से पूरी दुनिया सतर्क हो गई है। सबसे खतरनाक बात तो यह है कि स्वास्थ्य एजेंसियों को इसके फैलने के तरीके बारे तक में भी पता नहीं है। इस बीमारी के कारण न्यूमोनिया हो सकता है जो कुछ मामलों में बेहद खतरनाक है।


लक्षण का भी नहीं चल रहा है पताः चीन ने स्वास्थ्य मंत्री मा शीहावे ने बताया कि इस वायरस का असर 14 दिन तक का है। इस दौरान, यह वायरस संक्रमण फैला सकता है लेकिन खास बात यह है कि इस वायरस के संक्रमण का पता ही नहीं चल पाता है। सेवरे एक्यूट रेस्पेरिटरी सिंड्रोम (SARS) की तरह का मामला नहीं है। करॉना वायरस बेहद खतरनाक है और इसपर काबू पाना मुश्किल हो रहा है। बता दें कि SARS ने 2002-2003 में चीन में कहर बरपाया था और इससे करीब 800 लोगों की मौत हुई थी। चीन की राष्ट्रीय स्वास्थ्य आयोग ने रविवार को बताया कि करीब 2000 लोग इस वायरस से पीड़ित हैं और अब तक 80 लोगों की मौत हो चुकी है।


WHO लगातार रख रहा है निगरानीः इधर, विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के महानिदेशक टेडरोस धानम गैब्रियेसस ने रविवार को बताया कि वह चीन के अधिकारियों और हेल्थ एक्सपर्ट से इस वायरस पर बात करने के लिए चीन पहुंच रहे हैं। उन्होंने कहा कि वह चीन के साथ इस बीमारी से निपटने के लिए मजबूत सहयोग करना चाहते हैं।


हाथ मिलाने तक पर भी रोकः चीन में स्वास्थ अधिकारियों ने लोगों को एक-दूसरे से हाथ नहीं मिलाने का आग्रह किया है। चीनी नववर्ष के बाद खुलने वाले स्कूल-कॉलेज अभी नहीं खुलेंगे। हॉन्ग कॉन्ग में भी स्कूल अब 17 फरवरी को खुलेंगे। चीन ने बाजार, रेस्तरा और ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म प जंगली जानवरों के मांस की बिक्री पर भी रोक लगा दी है। बता दें कि इस वायरस के इंसानों में फैलने का मुख्य जानवरों के मांस को ही माना जा रहा है।


परिजनों के सामने, दो बहनों से गैंगरेप

पंकज राघव


हापुड़। पुल‍िस की ड्रेस में कुछ बदमाश लूटपाट के इरादे से घर में घुसते हैं और जब घर में कुछ नहीं म‍िलता तो वह हैवान‍ियत भरा कदम उठाते हैं। बदमाश घर के मुख‍िया के साथ उनकी दोनों बेट‍ियों का अपहरण कर जंगल में ले जाते हैं और प‍िता के स‍िर पर तमंचा रख उसके सामने ही दोनों बेट‍ियों का गैंगरेप करते हैं। दर‍िंदगी की हद पार करने वाली यह घटना उत्तर प्रदेश के संभल ज‍िले की है। यूपी के संभल में एक बार फिर बेटियों की सुरक्षा को लेकर ऐसा मामला सामने आया है जिसने संभल में बेटियों की सुरक्षा के दावों की पोल खोलकर रख दी है। आपको बता दें क‍ि देर रात कुछ बदमाश नकली पुलिस बनकर एक ग्रामीण के घर में घुसते हैं और उस पर शराब बेचने का आरोप लगाते हुए उसके साथ मारपीट करते हैं। उसके बाद कार में ग्रामीण और उसकी दो बेटियों को अगवा कर जंगल में ले जाकर दोनों सगी बहनों से गैंगरेप करते हैं। वहीं संभल पुल‍िस ने गैंगरेप की जगह छेड़छाड़ की धाराओं में मुकदमा दर्ज क‍िया।


यह पूरा मामला संभल ज‍िले के बहजोई थाना क्षेत्र के एक गांव का है। दो सगी बहनों और उसके पिता ने मीडिया को बताया कि कुछ बदमाश देर रात नकली पुलिस बनकर उसके घर आते हैं और उसके पिता पर शराब बेचने का आरोप लगाते हैं। इसके बाद चारों ही बदमाश घर में दाखिल हो जाते हैं और सभी को बंधक बनाकर लूटपाट करने की कोशिश करते हैं। जब बदमाशों को घर में कुछ नहीं मिला तो बदमाश हथियारों के बल पर ग्रामीण और उसकी दो बेटियों को कार में बैठा कर जंगल में ले जाते हैं। जंगल में चारों बदमाशों ने ग्रामीण के सिर पर तमंचा रख करके दोनों बेटियों के साथ गैंगरेप किया।


करीब 2 घंटे बाद तीनों को छोड़कर वहां से चारों बदमाश फरार हो गए। लाचार पिता अपनी दोनों बेटियों को घर लेकर आता है और सुबह ही कुछ रिश्तेदारों के साथ थाने पहुंचता है। इसके बाद पुलिस को पूरे मामले की जानकारी विस्तार से दी लेकिन यूपी पुलिस अपहरण और गैंगरेप की बजाय अपहरण और छेड़छाड़ की धाराओं के तहत मुकदमा दर्ज करती है।


शादी कर सकते हैं रणबीर-आलिया

मुंबई। बॉलीवुड एक्टर रणबीर कपूर और आलिया भट्ट इन दिनों अपनी फिल्म से ज्यादा अपनी शादी की चर्चा के चलते सुर्खियों में हैं। पिछले दिनों खबर आयी थी की ये जोड़ी इस साल शादी के बंधन में बंधने वाली हैं इतना ही नहीं कपूर फैमिली इस शादी की तैयारियों में लगी हुई है। वहीं अब इस कपल को लेकर एक और खबर सामने आई हैं। रणबीर कपूर और आलिया भट्ट ने हनीमून के लिए बेस्ट जगह देख रहे हैं। दोनों ने कुछ लेविश जगह को अपनी लिस्ट में जोड़े है जिसमें बहामास, फिनलैंड और स्विट्जरलैंड शामिल है।


'मन की बात' का विषय हिंसा-अहिंसा

नई दिल्ली। गणतंत्र दिवस के अवसर पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने शाम छह बजे 'मन की बात' की। गणतंत्र दिवस समारोह की वजह से इस रविवार प्रधानमंत्री मोदी के रेडियो कार्यक्रम के समय में यह बदलाव किया गया। कार्यक्रम का समय सुबह 11 बजे की बजाय शाम छह बजे का तय किया गया था।  नए साल की शुरुआत के बाद  'मन की बात' कार्यक्रम का यह पहला आयोजन था।


पीएम मोदी ने कहा कि - हिंसा से किसी समस्या का समाधान नहीं हो सकता है और शांति हर सवाल के जवाब का आधार होना चाहिए। उन्होंने लोगों से अपील करते हुए कहा कि एकजुटता से हर समस्या के समाधान का प्रयास हो और भाईचारे के जरिए हर विभाजन और बंटवारे की कोशिश को नाकाम करें। आकाशवाणी पर प्रसारित ‘मन की बात’ कार्यक्रम में प्रधानमंत्री ने कहा कि हम इक्कीसवीं सदी में हैं, जो ज्ञान-विज्ञान और लोकतंत्र का युग है। क्या आपने किसी ऐसी जगह के बारे में सुना है जहां हिंसा से जीवन बेहतर हुआ हो ?
 
प्रधानमंत्री मोदी के 'मन की बात':-
देश और समाज के लिए कुछ कर गुजरने की भावना, हर दिन, पहले से अधिक मजबूत होती जाती है।
दिन बदलते हैं, हफ्ते बदल जाते हैं, महीने भी बदलते हैं, साल बदल जाते हैं, लेकिन, भारत के लोगों का उत्साह और हम भी कुछ कम नहीं हैं, हम भी कुछ करके रहेंगे  ‘कर सकते हैं’...ये ‘कर सकते हैं’ का भाव, संकल्प बनता हुआ उभर रहा है।
इस बार ‘गणतंत्र दिवस’ समारोह की वजह से आपसे ‘मन की बात’, उसके समय में परिवर्तन करना, उचित लगा। और इसीलिए, एक अलग समय तय करके आज आपसे ‘मन की बात’ कर रहा हूं।
हम इक्कीसवीं सदी में हैं, जो ज्ञान-विज्ञान और लोकतंत्र का युग है। क्या आपने किसी ऐसी जगह के बारे में सुना है जहां हिंसा से जीवन बेहतर हुआ हो? हिंसा, किसी समस्या का समाधान नहीं करती।
वर्ष 2022 में हमारी आजादी के 75 साल पूरे होने वाले हैं और उस मौके पर हमें गगनयान मिशन के साथ एक भारतवासी को अंतरिक्ष में ले जाने के अपने संकल्प को सिद्ध करना है।
स्वच्छता के बाद जन भागीदारी की भावना एक और क्षेत्र में तेजी से बढ़ रही है और वह है जल संरक्षण। इसके लिए कई व्यापक और नवोन्मेषी प्रयास देश भर में चल रहे हैं। समाज के हर क्षेत्र के लोग इसमें भागीदारी कर रहे हैं।
जब हर भारतवासी एक कदम चलता है तो हमारा भारतवर्ष 130 करोड़ कदम आगे बढ़ता है।
दिन बदलते हैं, हफ्ते बदल जाते हैं, महीने भी बदलते हैं, साल बदल जाते हैं, लेकिन भारत के लोगों का उत्साह कायम है कि , हम कुछ करके रहेंगे। हम कुछ कर के रहेंगे का भाव, संकल्प बनता हुआ उभर रहा है।
देशवासियों को यह जानकर बहुत प्रसन्ता होगी कि पूर्वोत्तर में अलगाववाद बहुत कम हुआ है और इसकी सबसे बड़ी वजह यह है कि इस क्षेत्र से जुड़े हर एक मुद्दे को शांति के साथ, ईमानदारी से चर्चा करके सुलझाया जा रहा है।
विश्व, भारत से जो अपेक्षा करता है, उन अपेक्षाओं को पूर्ण करने का सामर्थ्य, भारत प्राप्त करके रहेगा , इस विश्वास के साथ आइये- नए दशक की शुरुआत करते हैं और नए संकल्पों के साथ मां भारती के लिए जुट जाते हैं।
मोदी ने कहा कि हिंसा, किसी समस्या का समाधान नहीं करती। दुनिया की किसी भी समस्या का हल, कोई दूसरी समस्या पैदा करने से नहीं बल्कि अधिक-से-अधिक उसका समाधान ढूंढकर ही हो सकता है।
आइये, हम सब मिल कर,एक ऐसे नए भारत के निर्माण में जुट जाएं, जहां शांति हर सवाल के जवाब का आधार हो। एकजुटता से हर समस्या के समाधान के प्रयास हो और, भाईचारा, हर विभाजन और बंटवारे की कोशिश को नाकाम करे।
पिछले वर्ष, त्रिपुरा में भी 80 से अधिक लोग, हिंसा का रास्ता छोड़ मुख्य-धारा में लौट आए हैं जिन्होंने यह सोचकर हथियार उठा लिए थे कि हिंसा से समस्याओं का समाधान निकाला जा सकता है, उनका यह विश्वास दृढ़ हुआ है कि शांति और एकजुटता ही, किसी भी विवाद को सुलझाने का एक-मात्र रास्ता है।
देश के किसी भी कोने में अब भी हिंसा और हथियार के बल पर समस्याओं का समाधान खोज रहे लोगों से आज, इस गणतंत्र-दिवस के पवित्र अवसर पर अपील करता हूं कि वे वापस लौट आएं। मुद्दों को शांतिपूर्ण तरीके से सुलझाने में, अपनी और इस देश की क्षमताओं पर भरोसा रखें। 
ब्रू-रियांग शरणार्थियों का जिक्र करते हुए मोदी ने कहा कि दिल्ली में एक महत्वपूर्ण समझौते पर हस्ताक्षर किये गए | इसके साथ ही, लगभग 25 वर्ष पुरानी ब्रू-रियांग शरणार्थी समस्या के एक दर्दनाक अध्याय का अंत हुआ। यह समस्या 90 के दशक की है | 1997 में जातीय तनाव के कारण ब्रू रियांग जनजाति के लोगों को मिजोरम से निकल करके त्रिपुरा में शरण लेनी पड़ी थी | इन शरणार्थियों को उत्तर त्रिपुरा के कंचनपुर स्थित अस्थाई कैम्पों में रखा गया था। यह बहुत पीड़ादायक है कि ब्रू रियांग समुदाय के लोगों ने शरणार्थी के रूप में अपने जीवन का एक महत्वपूर्ण हिस्सा खो दिया था। 23 साल तक - न घर, न जमीन, न परिवार के लिए , बीमारी के लिए इलाज का प्रबंध और ना बच्चों के शिक्षा की सुविधा।
 सरकारें आईं और चली गईं, लेकिन इनकी पीड़ा का हल नहीं निकल पाया। लेकिन इतने कष्ट के बावजूद भारतीय संविधान और संस्कृति के प्रति उनका विश्वास अडिग बना रहा।
इसी विश्वास का नतीजा है कि उनके जीवन में आज एक नया सवेरा आया है। समझौते के तहत, करीब 34000 ब्रू-शरणार्थियों को त्रिपुरा में बसाया जाएगा। इतना ही नहीं, उनके पुनर्वास और सर्वांगीण-विकास के लिए केंद्र सरकार लगभग 600 करोड़ रुपये की मदद भी करेगी। प्रत्येक विस्थापित परिवार को घर बनाने में उनकी मदद की जाएगी। इसके साथ ही, उनके राशन का प्रबंध भी किया जाएगा। ये समझौता कई वजहों से बहुत खास है। ये सहकारी संघवाद की भावना को दर्शाता है।


तमाम बड़े वादों की हकीकत खोकली

चंद्र वती वर्मा


नई दिल्ली। कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा ने घटती नौकरियों के एक आंकड़े के बहाने मोदी सरकार पर निशाना साधा है। प्रियंका ने कहा कि नौकरियां देने के तमाम बड़े वादों की हकीकत यही है। देश के सात बड़े क्षेत्रों में करीब साढ़े तीन करोड़ लोग बेरोजगार हो गए हैं। बड़े-बड़े नामों और विज्ञापनों का नतीजा है 3 करोड़ 64 लाख बेरोजगार लोग। तभी तो सरकार नौकरी पर बात करने से कतराती है।


दोषी की याचिका सुनने को एससी तैयार

नई दिल्ली। कोर्ट निर्भया मामले में मौत की सजा पाने वाले चारों दोषियों में से एक दोषी मुकेश की आखिरी याचिका सुनने को सुप्रीम कोर्ट राजी हो गया है। सुप्रीम कोर्ट ने दोषी मुकेश के वकील से कहा कि वह शीर्ष अदालत के सक्षम अधिकारी के समक्ष आज ही याचिका का उल्लेख करें। दोषी मुकेश की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अगर किसी को फांसी दी जाने वाली है तो सुनवाई से ज्यादा जरूरी कुछ नहीं हो सकता। बता दें कि मुकेश कुमार सिंह ने शनिवार को राष्ट्रपति द्वारा दया याचिका खारिज करने के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अपील की थी।
बता दें कि बीते हफ्ते निर्भया गैंगरेप और हत्याकांड मामले में चारों दोषियों में एक दोषी मुकेश सिंह की दया याचिका राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने खारिज कर दी। राष्ट्रपति ने दया याचिका खारिज करते हुए दोषियों की फांसी की सजा बरकरार रखने की सिफारिश की है। केंद्रीय गृह मंत्रालय 16 जनवरी 2020 की रात दोषी मुकेश सिंह की दया याचिका राष्ट्रपति को भेजी थी। दोषी मुकेश ने सुप्रीम कोर्ट से क्यूरेटिव पिटिशन खारिज होने के बाद राष्ट्रपति को दया याचिका भेजी थी।


गृह मंत्रालय ने मुकेश सिंह की दया याचिका राष्ट्रपति के पास 16 जनवरी की रात को भेजी थी। मंत्रालय ने याचिका को अस्वीकार करने की दिल्ली के उप राज्यपाल की सिफारिश दोहराई थी। दिल्ली के उप राज्यपाल ने गुरुवार को मुकेश सिंह की दया याचिका गृह मंत्रालय को भेजी थी। इसके एक दिन पहले दिल्ली सरकार ने याचिका अस्वीकार करने की सिफारिश की थी।


दोषी मुकेश ने सुप्रीम कोर्ट से क्यूरेटिव पिटिशन खारिज होने के बाद राष्ट्रपति को दया याचिका भेजी थी। दिल्ली पटियाला कोर्ट ने चारों दोषियों।। मुकेश सिंह (32), विनय शर्मा (26), अक्षय कुमार सिंह (31) और पवन गुप्ता (25) को सुनाई गई मौत की सजा पर अमल का आदेश ‘डेथ वॉरंट’ सात जनवरी को जारी किया था। हालांकि, दोषी मुकेश की दया याचिका राष्ट्रपति के पास लंबित होने के कारण गुरुवार को दिल्ली कोर्ट ने कहा कि 22 जनवरी को फांसी नहीं दी जा सकती है।


चूहों बचा रहे जान, बारूदी सुरंग खोजी

कंबोडिया। चूहों से अक्सर हमें किसी न किसी तरह की दिक्कत होती है। कभी वे कुछ काट देते हैं। कभी कोई सामान चोरी कर लेते हैं। कभी खाने-पीने की चीजें बर्बाद कर देते हैं लेकिन कंबोडिया में चूहे हीरो (Hero Rats) होते हैं। क्योंकि यहां चूहे हजारों लोगों की जान बचा रहे हैं।


अभी हाल ही में कंबोडिया के सियेम रीप प्रांत के त्रापियांग क्रासांग गांव में इन चूहों ने 788,257 वर्ग मीटर की जमीन से बारूदी सुरंगें (Landmines) खोजकर उन्हें नष्ट करने में मदद की है। इसके बाद ये जमीन 19 कंबोडियाई परिवारों को वापस दी गई। इन चूहों ने 170 बारूदी सुरंगों को खोजा। ये सुरंगे कई सालों से दबी हुई थीं और फटी भी नहीं थी। इनके फटने से लोगों और जानवरों के मरने का डर बना रहता था। इन सुरंगों को खोजकर नष्ट करने में चूहों को मात्र तीन महीने लगे।


इन चूहों को बारूदी सुरंगें खोजने की ट्रेनिंग देती है एंटी पर्सनल लैंडमाइंस डिटेक्शन प्रो़डक्ट डेवलपमेंट (APOPO)। इस संस्था की शुरुआत 1997 में हुई थी। लेकिन बतौर अंतरराष्ट्रीय गैर-सरकारी संस्था के तौर पर इसका पंजीकरण 2017 में किया गया। इस संस्था की शुरुआत की थी बार्ट वीटजेंस ने। इन्होंने देखा कि अफ्रीका के पाउच्ड रैट किसी भी तरह के बारूदी सुरंगों को खोजने में सक्षम हैं तो इन्होंने चूहों से बारूदी सुरंगें खोजने का प्रस्ताव रखा।


APOPO ने अपने चूहों की मदद से कंबोडिया, अंगोला, जिम्बाब्वे और कोलंबिया में बारूदी सुंरगों को खोजकर लोगों की जान बचाई है। अब तक इन चूहों ने इन देशों में करीब 1.38 लाख से ज्यादा बारूदी सुरंगें खोजी हैं। जनवरी 2019 में जारी किए गए APOPO के आंकड़ों को देखें तो इनके पास अभी 151 चूहे हैं। इनमें से 26 सिर्फ प्रजनन का काम करते हैं। 53 चूहे बारूदी सुरंगों को खोजने के लिए प्रशिक्षित हैं। 39 चूहे रिसर्च और डेवलपमेंट के लिए हैं। 10 रिटायर हो चुके हैं।10 चूहों को अमेरिका के चिड़ियाघरों में शांतिदूत बनाकर भेजा जा रहा है।


हर चूहे को हफ्तें में पांच दिन बारूदी सुरंगें खोजने की ट्रेनिंग जी जाती है। एक दिन में ये सिर्फ आधे से डेढ़ घंटे की ट्रेनिंग करते हैं। आखिरी के दो दिन ये सिर्फ पार्टी करते हैं। एक चूहे की ट्रेनिंग पर हर महीने करीब 400 रुपए का खर्च आता है। इन चूहों की उम्र 8 से 10 साल होती है। ये अपने जीवन में से 6 से 7 साल काम कर सकते हैं इन चूहों के जरिए आप एक टेनिस कोर्ट के बराबर की जगह में बारूदी सुरंगें सिर्फ 20 मिनट में खोज सकते हैं। जबकि, मेटल डिटेक्टर से खोजने में करीब एक से चार दिन लग सकते हैं। चूहे बारूदी सुरंगे खोजने में 100 फीसदी सफल होते हैं।


दिल्ली में 'एक्यूआई' 391 पर दर्ज किया गया

दिल्ली में 'एक्यूआई' 391 पर दर्ज किया गया  अकांशु उपाध्याय  नई दिल्ली। राजधानी दिल्ली और एनसीआर इलाके में प्रतिबंध के बावजूद जमीन से...