सोमवार, 29 जुलाई 2019

स्वयंभू-शिव का अभिषेक (शिवरात्रि)

इस अवसर पर भगवान शिव का अभिषेक अनेकों प्रकार से किया जाता है। जलाभिषेक, जल से और दुग्‍धाभिषेक ,दूध से। बहुत जल्दी सुबह-सुबह भगवान शिव के मंदिरों पर भक्तों, जवान और बूढ़ों का ताँता लग जाता है वे सभी पारंपरिक शिवलिंग पूजा करने के लिए आते हैं और भगवान से प्रार्थना करते हैं। भक्त सूर्योदय के समय पवित्र स्थानों पर स्नान करते हैं जैसे गंगा, या (खजुराहो के शिव सागर में) या किसी अन्य पवित्र जल स्रोत में। यह शुद्धि के अनुष्ठान हैं, जो सभी हिंदू त्योहारों का एक महत्वपूर्ण हिस्सा हैं। पवित्र स्नान के बाद स्वच्छ वस्त्र पहने जाते हैं, भक्त शिवलिंग स्नान करने के लिए मंदिर में पानी का बर्तन ले जाते हैं महिलाओं और पुरुषों दोनों सूर्य, विष्णु और शिव की प्रार्थना करते हैं मंदिरों में घंटी और "शंकर जी की जय" ध्वनि गूंजती है। भक्त शिवलिंग की तीन या सात बार परिक्रमा करते हैं और फिर शिवलिंग पर पानी या दूध भी चढाते हैं।


शिव पुराण के अनुसार, महाशिवरात्रि पूजा में छह वस्तुओं को अवश्य शामिल करना चाहिए!


शिव लिंग का पानी, दूध और शहद के साथ अभिषेक। बेर या बेल के पत्ते जो आत्मा की शुद्धि का प्रतिनिधित्व करते हैं!
सिंदूर का पेस्ट स्नान के बाद शिव लिंग को लगाया जाता है। यह पुण्य का प्रतिनिधित्व करता है!
फल, जो दीर्घायु और इच्छाओं की संतुष्टि को दर्शाते हैं!
जलती धूप, धन, उपज (अनाज)!
दीपक जो ज्ञान की प्राप्ति के लिए अनुकूल है!
और पान के पत्ते जो सांसारिक सुखों के साथ संतोष अंकन करते हैं।
भगवान शिव की अन्य पारंपरिक पूजा 
मुख्य लेख: ज्योतिर्लिंग
बारह ज्योतिर्लिंग (प्रकाश के लिंग) जो पूजा के लिए भगवान शिव के पवित्र धार्मिक स्थल और केंद्र हैं। वे स्वयम्भू के रूप में जाने जाते हैं, जिसका अर्थ है "स्वयं उत्पन्न"। बारह स्‍थानों पर बारह ज्‍योर्तिलिंग स्‍थापित हैं।


1. सोमनाथ यह शिवलिंग गुजरात के काठियावाड़ में स्थापित है।


2. श्री शैल मल्लिकार्जुन मद्रास में कृष्णा नदी के किनारे पर्वत पर स्थापित है श्री शैल मल्लिकार्जुन शिवलिंग।


3. महाकाल उज्जैन के अवंति नगर में स्थापित महाकालेश्वर शिवलिंग, जहां शिवजी ने दैत्यों का नाश किया था।


4. ॐकारेश्वर मध्यप्रदेश के धार्मिक स्थल ओंकारेश्वर में नर्मदा तट पर पर्वतराज विंध्य की कठोर तपस्या से खुश होकर वरदाने देने हुए यहां प्रकट हुए थे शिवजी। जहां ममलेश्वर ज्योतिर्लिंग स्थापित हो गया।


5. नागेश्वर गुजरात के द्वारकाधाम के निकट स्थापित नागेश्वर ज्योतिर्लिंग।


6. बैजनाथ बिहार के बैद्यनाथ धाम में स्थापित शिवलिंग।


7. भीमाशंकर महाराष्ट्र की भीमा नदी के किनारे स्थापित भीमशंकर ज्योतिर्लिंग।


8. त्र्यंम्बकेश्वर नासिक (महाराष्ट्र) से 25 किलोमीटर दूर त्र्यंम्बकेश्वर में स्थापित ज्योतिर्लिंग।


9. घुमेश्वर महाराष्ट्र के औरंगाबाद जिले में एलोरा गुफा के समीप वेसल गांव में स्थापित घुमेश्वर ज्योतिर्लिंग।


10. केदारनाथ हिमालय का दुर्गम केदारनाथ ज्योतिर्लिंग। हरिद्वार से 150 पर मिल दूरी पर स्थित है।


11. काशी विश्वनाथ बनारस के काशी विश्वनाथ मंदिर में स्थापित विश्वनाथ ज्योतिर्लिंग।


12. रामेश्वरम्‌ त्रिचनापल्ली (मद्रास) समुद्र तट पर भगवान श्रीराम द्वारा स्थापित रामेश्वरम ज्योतिर्लिंग।


मृत्युलोक से मोक्ष तक (आस्था)

एक बार पार्वती जी ने भगवान शिवशंकर से पूछा, 'ऐसा कौन-सा श्रेष्ठ तथा सरल व्रत-पूजन है, जिससे मृत्युलोक के प्राणी आपकी कृपा सहज ही प्राप्त कर लेते हैं?' उत्तर में शिवजी ने पार्वती को 'शिवरात्रि' के व्रत का विधान बताकर यह कथा सुनाई- 'एक बार चित्रभानु नामक एक शिकारी था। पशुओं की हत्या करके वह अपने कुटुम्ब को पालता था। वह एक साहूकार का ऋणी था, लेकिन उसका ऋण समय पर न चुका सका। क्रोधित साहूकार ने शिकारी को शिवमठ में बंदी बना लिया। संयोग से उस दिन शिवरात्रि थी।'


शिकारी ध्यानमग्न होकर शिव-संबंधी धार्मिक बातें सुनता रहा। चतुर्दशी को उसने शिवरात्रि व्रत की कथा भी सुनी। संध्या होते ही साहूकार ने उसे अपने पास बुलाया और ऋण चुकाने के विषय में बात की। शिकारी अगले दिन सारा ऋण लौटा देने का वचन देकर बंधन से छूट गया। अपनी दिनचर्या की भांति वह जंगल में शिकार के लिए निकला। लेकिन दिनभर बंदी गृह में रहने के कारण भूख-प्यास से व्याकुल था। शिकार करने के लिए वह एक तालाब के किनारे बेल-वृक्ष पर पड़ाव बनाने लगा। बेल वृक्ष के नीचे शिवलिंग था जो विल्वपत्रों से ढका हुआ था। शिकारी को उसका पता न चला।


पड़ाव बनाते समय उसने जो टहनियां तोड़ीं, वे संयोग से शिवलिंग पर गिरीं। इस प्रकार दिनभर भूखे-प्यासे शिकारी का व्रत भी हो गया और शिवलिंग पर बेलपत्र भी चढ़ गए। एक पहर रात्रि बीत जाने पर एक गर्भिणी मृगी तालाब पर पानी पीने पहुंची। शिकारी ने धनुष पर तीर चढ़ाकर ज्यों ही प्रत्यंचा खींची, मृगी बोली, 'मैं गर्भिणी हूं। शीघ्र ही प्रसव करूंगी। तुम एक साथ दो जीवों की हत्या करोगे, जो ठीक नहीं है। मैं बच्चे को जन्म देकर शीघ्र ही तुम्हारे समक्ष प्रस्तुत हो जाऊंगी, तब मार लेना।' शिकारी ने प्रत्यंचा ढीली कर दी और मृगी जंगली झाड़ियों में लुप्त हो गई।


कुछ ही देर बाद एक और मृगी उधर से निकली। शिकारी की प्रसन्नता का ठिकाना न रहा। समीप आने पर उसने धनुष पर बाण चढ़ाया। तब उसे देख मृगी ने विनम्रतापूर्वक निवेदन किया, 'हे पारधी! मैं थोड़ी देर पहले ऋतु से निवृत्त हुई हूं। कामातुर विरहिणी हूं। अपने प्रिय की खोज में भटक रही हूं। मैं अपने पति से मिलकर शीघ्र ही तुम्हारे पास आ जाऊंगी।' शिकारी ने उसे भी जाने दिया। दो बार शिकार को खोकर उसका माथा ठनका। वह चिंता में पड़ गया। रात्रि का आखिरी पहर बीत रहा था। तभी एक अन्य मृगी अपने बच्चों के साथ उधर से निकली। शिकारी के लिए यह स्वर्णिम अवसर था। उसने धनुष पर तीर चढ़ाने में देर नहीं लगाई। वह तीर छोड़ने ही वाला था कि मृगी बोली, 'हे पारधी!' मैं इन बच्चों को इनके पिता के हवाले करके लौट आऊंगी। इस समय मुझे शिकारी हंसा और बोला, सामने आए शिकार को छोड़ दूं, मैं ऐसा मूर्ख नहीं। इससे पहले मैं दो बार अपना शिकार खो चुका हूं। मेरे बच्चे भूख-प्यास से तड़प रहे होंगे। उत्तर में मृगी ने फिर कहा, जैसे तुम्हें अपने बच्चों की ममता सता रही है, ठीक वैसे ही मुझे भी। इसलिए सिर्फ बच्चों के नाम पर मैं थोड़ी देर के लिए जीवनदान मांग रही हूं। हे पारधी! मेरा विश्वास कर, मैं इन्हें इनके पिता के पास छोड़कर तुरंत लौटने की प्रतिज्ञा करती हूं।


मृगी का दीन स्वर सुनकर शिकारी को उस पर दया आ गई। उसने उस मृगी को भी जाने दिया। शिकार के अभाव में बेल-वृक्षपर बैठा शिकारी बेलपत्र तोड़-तोड़कर नीचे फेंकता जा रहा था। पौ फटने को हुई तो एक हृष्ट-पुष्ट मृग उसी रास्ते पर आया। शिकारी ने सोच लिया कि इसका शिकार वह अवश्य करेगा। शिकारी की तनी प्रत्यंचा देखकर मृगविनीत स्वर में बोला, हे पारधी भाई! यदि तुमने मुझसे पूर्व आने वाली तीन मृगियों तथा छोटे-छोटे बच्चों को मार डाला है, तो मुझे भी मारने में विलंब न करो, ताकि मुझे उनके वियोग में एक क्षण भी दुःख न सहना पड़े। मैं उन मृगियों का पति हूं। यदि तुमने उन्हें जीवनदान दिया है तो मुझे भी कुछ क्षण का जीवन देने की कृपा करो। मैं उनसे मिलकर तुम्हारे समक्ष उपस्थित हो जाऊंगा।


मृग की बात सुनते ही शिकारी के सामने पूरी रात का घटनाचक्र घूम गया, उसने सारी कथा मृग को सुना दी। तब मृग ने कहा, 'मेरी तीनों पत्नियां जिस प्रकार प्रतिज्ञाबद्ध होकर गई हैं, मेरी मृत्यु से अपने धर्म का पालन नहीं कर पाएंगी। अतः जैसे तुमने उन्हें विश्वासपात्र मानकर छोड़ा है, वैसे ही मुझे भी जाने दो। मैं उन सबके साथ तुम्हारे सामने शीघ्र ही उपस्थित होता हूं।' उपवास, रात्रि-जागरण तथा शिवलिंग पर बेलपत्र चढ़ने से शिकारी का हिंसक हृदय निर्मल हो गया था। उसमें भगवद् शक्ति का वास हो गया था। धनुष तथा बाण उसके हाथ से सहज ही छूट गया। भगवान शिव की अनुकंपा से उसका हिंसक हृदय कारुणिक भावों से भर गया। वह अपने अतीत के कर्मों को याद करके पश्चाताप की ज्वाला में जलने लगा।


थोड़ी ही देर बाद वह मृग सपरिवार शिकारी के समक्ष उपस्थित हो गया, ताकि वह उनका शिकार कर सके, किंतु जंगली पशुओं की ऐसी सत्यता, सात्विकता एवं सामूहिक प्रेमभावना देखकर शिकारी को बड़ी ग्लानि हुई। उसके नेत्रों से आंसुओं की झड़ी लग गई। उस मृग परिवार को न मारकर शिकारी ने अपने कठोर हृदय को जीव हिंसा से हटा सदा के लिए कोमल एवं दयालु बना लिया। देवलोक से समस्त देव समाज भी इस घटना को देख रहे थे। घटना की परिणति होते ही देवी-देवताओं ने पुष्प-वर्षा की। तब शिकारी तथा मृग परिवार मोक्ष को प्राप्त हुए'।


मैथुनी सृष्टि का निर्माण (शिव-महापुराण)

जब ब्रह्मा जी की रची हुई प्रजा बढ़ने से रूक गई! तब उन्होंने पुन: मैथुनी सृष्टि करने का विचार किया! इसके पहले ईश्वर से नारियों का समुदाय प्रकट नहीं हुआ था! इसलिए तब तक मैथिली सृष्टि नहीं कर सकते थे! तब उन्होंने मन में ऐसे विचार को स्थान दिया जो निश्चित रूप से उनके मनोरथ की सिद्धि में सहायक था! उन्होंने सोचा कि वृद्धि के लिए परमेश्वर से ही पूछना चाहिए! क्योंकि उनकी कृपा के बिना नहीं बढ़ सकते, ऐसा सोचकर विश्वात्मा ब्रह्मा ने तपस्या करने की तैयारी की! तब जो आदि-अनंता लोकभावनी, सुख-संपदा, सुधा-भावना, मनोहरा,निर्गुण इस ससांर शब्‍द था, सदा ईश्वर के पास रहने वाली जो उनकी परम शक्ति है! उसी से युक्त भगवान त्रिलोचन का अपने हृदय में चिंतन करते हुए! ब्रह्माजी बड़ी भारी तपस्या करने लगे! तपस्या में लगे हुए परमेष्ठी ब्रह्म पर उनके पिता महादेव जी थोड़े ही समय में संतुष्ट हो गये ! तदनंतर अपने निर्वचन से किसी अद्भुत मूर्ति में अष्ट हो भगवान महादेव आधे शरीर से नारी और आधे शरीर से ईश्वर होकर स्वयं ब्रह्मा जी के सामने प्रकट हो गए! उन सभी सब कुछ देने वाले शिव-शक्‍ति सहित समस्त उपमा के स्‍वामी, शरणागत वत्सल और सनातन शिव को दंडवत प्रणाम करके ब्रह्माजी उठे और हाथ जोड़कर महादेव जी तथा महादेव पार्वती की स्तुति करने लगे! देव महादेव आपकी जय हो ईश्वर, ईश्वर आपकी जय हो, सर्वश्रेष्ठ शिव आपकी जय हो, संपूर्ण देवताओं के स्वामी शिव शंकर आपकी जय हो! प्रकृति, रुक्मणी, कल्याणमयी उमा आपकी जय हो! प्रकृति की नायिका आपकी जय हो, प्रकृति से दूर रहने वाली देवी आपकी जय हो, प्रकृति सुंदरी आपकी जय हो! हम लोग महामाया और सफल मनोरथ वाले देव आपकी जय हो जय हो! महान लीला और कभी व्यर्थ न जाने वाले महान बल से युक्त परमेश्वर आपकी जय हो! संपूर्ण जगत् की माता उमा आपकी जय हो! संसार की सखी सहायका आपकी जय हो! आपका ऐश्वर्या तथा धाम दोनों सनातन है !आपकी सदा जय हो आपका रूप और अनुचर वर्ग भी ,आपकी बात ही सनातन है! आपने तीनरूपो द्वारा तीनों लोको का निर्माण,पालन और संहार करने वाले देवी आपकी जय हो! जगत के कारण तत्वों का प्रादुर्भाव और विस्तार आपकी कृपा दृष्टि के अधीन है! प्रलय काल में आप की उपेक्षा युक्त कटाक्ष पूर्ण दृष्टि से जो भयानक आग प्रकट होती है उसके द्वारा सारा भौतिक जगत भष्‍म हो जाता है! आपके रूप का सम्मान देवता आदि के लिए भी असंभव है! आप आत्म तत्व के सूक्ष्म ज्ञान से प्रकाशित होती है! आपने स्थूल आत्मशक्ति से चराचर जगत् को व्याप्त कर रखा है!विश्व के तत्वों का समुदाय अनेक और एक रूप में आपके ही आधार पर स्थित है! आपके श्रेष्ठ सेवकों का समूह बड़े-बड़े असुरों के मस्तक पर पांव रखता है! शरणागत की रक्षा करने में समर्थ परमेश्वरी संसार रूपी वृक्ष के उगने वाले अंकुरओं का उन्मूलन करने वाली उमा, प्रादेशिक ऐश्वर्या वीर्य और शौर्य का विस्तार करने वाले देव विमान देव ने अपने वैभव से दूसरे के वैभव को तिरस्कृत कर दिया है! पाश्चात्य रूप पुरुषार्थ के प्रयोग द्वारा परम आनंद में अमृत की प्राप्ति करने वाले परमेश्वर आपकी जय हो! विविध पुरुषार्थ के विज्ञान रूप अमृत से परिपूर्ण रूप परमेश्वरी अत्यंत भयानक रोग को दूर करने वाले वेद शिरोमणि अनादि कर्म फल एवं अज्ञान रूपी अंधकार को दूर करने वाली चंडीका रूप में सिरपुर का विनाश करने के लिए काल अग्नि समरूप महादेव त्रिपुर भैरवी आपकी जय हो तीनों गुणों से मुक्त महेश्वर आपकी जय हो!


रविवार, 28 जुलाई 2019

'मन की बात' विषय जल-संरक्षण

नई दिल्ली ! प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के द्वारा अपने रेडियो कार्यक्रम 'मन की बात' में जल संरक्षण से लेकर,कश्मीर तक कई मुद्दों पर बात की। पीएम मोदी ने कहा कि मेरे कहने से पहले भी जल संरक्षण आपके दिल को छूने वाला विषय था! सामान्य मानव की पसंद का विषय रहा हैं! मैं अनुभव कर रहा हूं कि पानी के विषय ने इन दिनों हिन्दुस्तान के दिलों को झकझोर दिया है। कई राज्यों में बाढ़ के जैसे हालात बने हुए हैं ! जहां राहत और बचाव कार्य किए जा रहे हैं! वहीं, कश्मीर पर बोलते हुए पीएम मोदी ने कहा, ये साफ है कि जो लोग विकास की राह में नफरत फैलाना चाहते हैं! अवरोध पैदा करना चाहते हैं, वो कभी अपने नापाक इरादों में कामयाब नहीं हो सकते।


सरकारी धन का किया जा रहा दुरूपयोग

महाराष्ट्र विधानसभा में 15 दिन के अंदर फोटो कॉपी पर खर्च हुए 50 लाख रुपये


नागपुर विधायक हॉस्टल से विधान भवन आने-जाने के लिए कुल 20 लाख रुपये खर्च हुए! विधायक की गाड़ियों में पेट्रोल डीज़ल का खर्चा करीब 20 लाख के आसपास रहा! जिस विधायक ने निजी गाड़ी का अधिवेशन के दौरान इस्तेमाल किया, उन सभी को मिलकर 10 लाख रुपये खर्च किए गए



मुंबई ! महाराष्ट्र के पुणे के आरटीआई एक्टिविस्ट प्रफुल्ल सारडा ने आरटीआई के जरिए महाराष्ट्र सरकार द्वारा मॉनसून अधिवेशन पर किए जाने वाला खर्चा का लेखा-जोखा पूछा! इस आरटीआई एक्टिविस्ट के मुताबिक जो जानकारी उसे सरकार की ओर से अधिकारिक रूप में मिली है, वो चौंकाने वाली है! प्रफुल्ल ने 16 विषयों से संबंधित जानकारी सरकार से मांगी थी! इस आरटीआई में जिन 5 खर्चों का जिक्र गया है, वे हैरान करने वाले हैं! सरकारी धन का ऐसा बेजा इस्तेमाल देखकर किसी के माथे पर बल आ सकता है!


15 दिनों के लिए- दो करोड़ 22 लाख रुपये महेश ट्रेवल को अदा किया गया!


नागपुर विधायक हॉस्टल से विधान भवन आने-जाने के लिए कुल 20 लाख रुपये खर्च हुए! विधायक की गाड़ियों में पेट्रोल डीज़ल का खर्चा करीब 20 लाख के आसपास रहा! जिस विधायक ने निजी गाड़ी का अधिवेशन के दौरान इस्तेमाल किया, उन सभी को मिलकर 10 लाख रुपये खर्च किए गए! कुल मिलाकर 16 पटल में से 6 घटक मिलाकर रुपये 3.15 करोड़ रुपये खर्च किये गए!


नागपुर की महेश ट्रेवल कंपनी से इस आरटीआई एक्टिविस्ट ने 50 सीटर एसी लक्जरी बस प्रति दिन के हिसाब से कोटेशन की मांग की! जानकारी मिली कि महेश ट्रेवल कंपनी एक दिन के लिए 12 हजार रुपये में एसी लक्जरी बस उपलब्ध कराती है! अगर इन बसों को 15 दिन के लिए इस्तेमाल किया जाए तो करीब 15 लाख रुपये ही खर्च होंगे!


इसके अलावा इस आरटीआई एक्टिविस्ट ने 2004 से 2018 तक हुए सभी अधिवेशन के खर्चे का हिसाब मांगा था! 2004 से 2012 तक के आंकड़े नहीं हैं उपलब्ध !आरटीआई कमिश्नर ने जानकारी दी कि 2004 से 2012 तक की जानकारी मंत्रालय में लगी आग में जलकर नष्ट हो गए हैं! 2013 और 2014 यानी कांग्रेस-एनसीपी के राज में चौंकाने वाले खर्चे हुए हैं! किराए पर ली गई जिरॉक्स मशीन पर 70 लाख रुपए खर्च किए हैं! 2013 और 2014 जब कांग्रेस-एनसीपी सत्ता में रही प्राइवेट बस सेवा के लिए कोई भी खर्च नहीं किया गया!


एनआईए ने किया टेरर फंडिंग पर प्रहार

कश्मीर: टेरर फंडिंग पर एनआईए का प्रहार


नई दिल्ली ! नेशनल इंन्वेस्टिगेशन एजेंसी की जम्मू कश्मीर में अलग-अलग जगह पर छापेमारी कर रही है। यह छापेमारी नॉर्थ कश्मीर के बारामूला जिले के चार अलग-अलग ठिकानों पर चल रही है। एनआईए सीआरपीएफ और स्थानीय पुलिस के साथ यह छापेमारी कर रही है।


एजेंसी को शक है कि हवाला नेटवर्क के जरिए पाकिस्तान से टेटर फंडिंग की साजिश की जा रही है। इसी सिलसिले में एनआईए यह छापेमारी कर रही है। इससे पहले एनआईए ने 23 जुलाई को दक्षिण कश्मीर के पुलवामा जिले में एक बिजनेसमैन अहमद वानी के घर पर छापेमारी की थी। उसपर शक है कि वह पाकिस्तान से टेरर फंडिंग करता है।


विश्व का सबसे बड़ा अर्धसैनिक-बल

देश की सुरक्षा में अहम है सीआरपीएफ का योगदान



मेदिनीनगर ! केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल भारत का ही नहीं, बल्कि विश्व का सबसे बड़ा अर्धसैनिक बल है। देश की आंतरिक सुरक्षा में इस बल का सबसे अहम योगदान रहा है। ये बातें 134 सीआरपीएफ के कमांडेंट अरूण देव शर्मा ने कही। वे शनिवार को स्थानीय जीएलए कॉलेज परिसर स्थित शिविर मुख्यालय में आयोजित 81 वें स्थापना दिवस कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे। कहा कि सीआरपीएफ उग्रवादियों के विरूद्ध अभियान, कानून व व्यवस्था बनाए रखने, वीआइपी व वीवीआइपी की सुरक्षा, देश के महत्वपूर्ण संस्थानों की सुरक्षा व चुनावों के दौरान शांति व्यवस्था बनाए रखने के लिए संकल्पित रहते हैं। इससे पहले शहीदों को श्रद्धांजलि दी गई।


इस क्रम में कमांडेंट ने क्वार्टर गार्ड में सलामी के बाद सभी कर्मियों को संबोधित किया। साथ ही बल की गौरवमयी उपलब्धियों के साथ गरिमा को भविष्य में भी बनाए रखने का दृढ़ संकल्प लिया। शिविर परिसर में आयोजित सैनिक सम्मेलन में कर्मियों की समस्याओं से रूबरू हुए। अधिकारियों ने सप्तनीक पौधारोपण कर पर्यावरण संरक्षण का संदेश भी दिया। मौके पर सीआरपीएफ के कई अधिकारी व कर्मी उपस्थित थे।


नवरात्रि का तीसरा दिन मां 'चंद्रघंटा' को समर्पित

नवरात्रि का तीसरा दिन मां 'चंद्रघंटा' को समर्पित  सरस्वती उपाध्याय  हिंदू धर्म में, चंद्रघंटा देवी महादेवी का तीसरा नवदुर्गा रूप है।...