दुष्यंत टीकम
रायपुर। छत्तीसगढ़ में राजनीतिक खींचतान के बीच मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को कांग्रेस नेतृत्व ने बड़ी जिम्मेदारी सौंपी है। भूपेश बघेल को उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में कांग्रेस का सीनियर ऑब्जर्वर बनाया गया है। चुनाव अभियान में उनकी बड़ी भूमिका होगी। कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव केसी वेणुगोपाल ने शनिवार शाम मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की नियुक्ति का आदेश जारी कर दिया। पार्टी की राष्ट्रीय अध्यक्ष सोनिया गांधी के निर्देश पर यह आदेश तत्काल प्रभाव से लागू कर दिया गया है। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को ऐसी जिम्मेदारी मिलने की संभावना बहुत पहले से जताई जा रही थी। जुलाई में मुख्यमंत्री ने कांग्रेस की राष्ट्रीय महासचिव और उत्तर प्रदेश प्रभारी प्रियंका गांधी से मुलाकात की थी। इसी दौरान इस भूमिका का ताना-बाना तैयार हुआ। इस राजनीतिक घटनाक्रम पर राजनीति के बड़े जानकार यह कहने से भी नहीं चूक रहे कि आलाकमान की इस राजनीतिक फैसले का जो दूरगामी परिणाम सामने आएगा इस फैसले से इसकी बुनियाद रखी गई है।
बताया जा रहा है, मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के चेहरे के जरिए कांग्रेस उत्तर प्रदेश में पिछड़ा वर्ग के मतदाताओं के ध्रुवीकरण की कोशिश भी कर रही है। भूपेश बघेल देश के उन गिने-चुने मुख्यमंत्रियों में से हैं जो ह्रक्चष्ट हैं और सीधे तौर पर कृषक पृष्ठभूमि से आए हैं। ऐसे में उनका चुनाव अभियान में होना कांग्रेस के एजेंडे पर फिट बैठेगा। उत्तरप्रदेश में भाजपा-आरएसएस के जातिय समीकरण को तोडऩे में भूपेश बघेल बड़ी भूमिका निभा सकते हैं। भूपेश कांग्रेस में ओबीसी वर्ग के सबसे बड़े चेहरे हैं और मुख्यमंत्री के रूप में उसकी क्रियाशीलता का पार्टी यहां लाभ उठाने की कोशिश करेगी।
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने ट्वीट कर लिखा कि राष्ट्रीय अध्यक्षा सोनिया गांधी ने उत्तरप्रदेश विधानसभा चुनाव के लिए मुझे पर्यवेक्षक होने का निर्देश दिया है। बड़ी जि़म्मेदारी है। पूरा प्रयास रहेगा कि शीर्ष नेतृत्व की उम्मीदों पर खरा उतर सकूं। परिवर्तन का संकल्प, कांग्रेस ही विकल्प। वहीं सीएम भूपेश बघेल ने बेमेतरा में पत्रकारों से बातचीत की। इस दौरान ढाई-ढाई के सवाल को लेकर कहा कि इस तरह की कोई बात नहीं है। आप कहां पहुंच गए हैं। कहते हुए निकल गए। इस दौरान उनके चेहरे पर एक अलग की मुस्कान देखी गई। इससे पहले असम विधानसभा चुनाव में भी प्रचार-प्रसार की जिम्मेदारी दी गई थी। भूपेश बघेल के बेहद करीबी और सलाहकार को AICC प्रभारी सचिव बनाया गया है। उनकी अगुवाई में उनके दूसरे सलाहकार विनोद वर्मा की टीम यूपी के कार्यकर्ताओं को ट्रेनिंग दे रही है।
कांग्रेस उत्तरप्रदेश में प्रियंका गांधी के नेतृत्व में अपनी खोई हुई जनाधार को वापस पाने के लिए एड़ी चोटी का जोर लगा रही है। उत्तरप्रदेश की राजनीति में जातिय समीकरण का बड़ा फैक्टर काम करता है। सपा-बसपा जहां ब्राम्हण वोटरों को रिझाने के लिए कई दांवपेंच अपनी रही हैं वहीं राज्य में आम आदमी पार्टी ने भी अयोध्या से अपनी चुनावी अभियान की शुरुआत कर भाजपा के हिन्दुत्व के मुद्दे पर अतिक्रमण कर वोटरों को साधने का मुहिम छेड़ दिया है। कांग्रेस को ओबीसी और मुस्लीम वोटरों पर ही भरोसा है इसे देखते हुए वह ओबीसी वर्ग के किसी बड़े नेता को राज्य में चुनावी बागडोर की जिम्मेदारी देना चाहती थी, भूपेश बघेल ही इसके लिए सबसे काबिल चेहरा थे जो छत्तीसगढ़ मुख्यमंत्री के रूप में अपने कार्यों और मुखरता से देश में अपनी अलग पहचान बनाई है। इसे देखते हुए कांग्रेस ने उत्तरप्रदेश के ओबीसी वोटरों को रिझाने के लिए उन्हें चुनाव की अहम जिम्मदारी सौंपने का निर्णय लिया है। प्रियंका के नेतृत्व में कांग्रेस इस चुनाव में राज्य में कम से कम 100 सीट जीतकर अपनी मजबूत उपस्थिति जताने की कोशिश में हैं। इसके लिए भूपेश को बड़ी जिम्मेदारी दी गई है।
उत्तरप्रदेश के आगामी चुनाव में भाजपा के पास कोई मुद्दा नहीं है। धारा 370 हट चुका है। राममंदिर का मामला सुलझ चुका है, लव जिहाद पर कानून बन चुका है, तीन तलाक पर भी कानून पास हो चुका है। यूपी में भाजपा के पास राजनीतिक कोई खास मुद्दा बचा ही नहीं जिसके दम पर जनता से वोट मांगे। उत्तरप्रदेस की जनता अब इन सब मुद्दों से हटकर अपने मूलबूत मसलों पर ध्यान दे रही है। जिसमें विकास, रोजगार, ग्रामीण क्षेत्र में सड़क, पुल-पुलिया के साथ युवा वर्ग को छत्तीसगढ़ सरकार जैसे विकास कार्य चाहिए। यूपी में भूपेश बघेल के नेतृत्व में कांग्रेस को शहरी और ग्रामीण मतदाताओं के साथ जिनका परिवार छत्तीसगढ़ से जुड़ा है उसमें पैठ बनाने में कांग्रेस को का पी मदद मिलेगी। यूपी में 40 प्रतिशत ओबीसी वोटर्स है, मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ओबीसी के साथ किसान पुत्र भी है जिसका यूपी में ओबीसी और किसान वर्ग को लुभाने में लाभ मिलेगा।