बीजेपी: तीसरी बार जिलाध्यक्ष बनें सैनी
भानु प्रताप उपाध्याय
मुजफ्फरनगर। बीजेपी हाईकमान ने एक बार फिर से जिले की कमान सुधीर सैनी के हाथों में सौंप दी है। इस बार उनका तीसरा कार्यकाल शुरू हुआ है, जो न केवल उनके व्यक्तिगत राजनीतिक करियर की ओर इशारा करता है, बल्कि पार्टी के भीतर की अंदरूनी राजनीति, गुटबाजी और आगामी चुनावों के प्रति पार्टी की रणनीति पर भी महत्वपूर्ण प्रभाव डालता है। इस ताजपोशी के पीछे कई महत्वपूर्ण राजनीतिक और रणनीतिक कारण हैं, जो इस निर्णय को और भी दिलचस्प बना देते हैं। सुधीर सैनी का पहला कार्यकाल 15 सितंबर 2018 से 27 दिसंबर 2019 तक रहा, लेकिन यह मात्र सवा साल ही चला। इसके बाद उनका दूसरा कार्यकाल 15 सितंबर 2023 से शुरू हुआ, जो कल रविवार 2025 तक चला। चुनाव अधिकारी पूरण सिंह लोधी दावा करते हैं कि उनके पिछले दोनों कार्यकाल पूरी तरह से कार्यान्वित नहीं हो सकें। इसके बावजूद, अब पार्टी ने उन्हें तीसरी बार जिलाध्यक्ष बनाने का फैसला लिया।
चुनाव अधिकारी पूरण सिंह लोधी ने इस निर्णय का खुलासा करते हुए कहा कि सुधीर सैनी को तीसरी बार यह जिम्मेदारी दी गई है, क्योंकि उन्होंने इस दौरान पार्टी के प्रति अपनी निष्ठा और कार्यकुशलता को साबित किया है। लोधी के अनुसार, यह भी एक कारण है कि सैनी को इस बार पूरी तरह से अपना कार्यकाल पूरा करने का अवसर मिलेगा, क्योंकि पिछले दोनों कार्यकालों में चुनावी व्यवस्था की बाधाएं थीं, जिससे उन्हें अपनी टीम में बदलाव तक करने का मौका नहीं मिला।
इस बार सुधीर सैनी को तीसरी बार जिलाध्यक्ष बनाने के पीछे पार्टी के वरिष्ठ नेताओं का भी महत्वपूर्ण योगदान है। पूरण सिंह लोधी की मानें तो “मुजफ्फरनगर जिले से जुड़े बीजेपी के कई वरिष्ठ नेता, जिनमें पूर्व और वर्तमान मंत्री, विधायक, सांसद और अन्य प्रमुख नेता शामिल हैं। उन्होंने उनके नाम की सिफारिश की।“ यह राजनीतिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है, क्योंकि पार्टी के अंदर ऐसा प्रचलन है कि जिलाध्यक्ष का चयन करते वक्त क्षेत्रीय और राज्य स्तरीय नेताओं की राय को प्राथमिकता दी जाती है।
पार्टी के भीतर सैनी की स्वीकार्यता और उनके प्रति नेताओं का समर्थन उन्हें तीसरी बार जिलाध्यक्ष बनाने में निर्णायक साबित हुआ है। सुधीर सैनी की तीसरी ताजपोशी के पीछे सबसे बड़ा कारक उनकी पूर्व केंद्रीय राज्यमंत्री संजीव बालियान से नजदीकी माना जा रहा है। ये मानना है कि संजीव बालियान के समर्थन से ही सैनी ने अपने विरोधियों को मात दी और तीसरी बार जिलाध्यक्ष बनने में सफलता हासिल की। मुजफ्फरनगर में बीजेपी के अंदर दो प्रमुख गुटों के बीच लगातार राजनीतिक तनाव बना हुआ है। एक गुट बालियान के समर्थन में है, जबकि दूसरा गुट सरधना के पूर्व विधायक संगीत सोम के नेतृत्व में सक्रिय है। पिछले लोकसभा चुनाव के बाद से इन दोनों गुटों के बीच खींचतान और शक्ति संघर्ष ने पार्टी की रणनीति को प्रभावित किया। हालांकि, इस बार संजीव बालियान का गुट भारी पड़ा और उनकी मदद से सैनी को अपना पद बनाए रखने में सफलता मिलीं।
बीजेपी में राजनीतिक समीकरण को विक्रम सैनी और सुधीर सैनी के बीच की तकरार और जटिल बनाती है। खुद को सूबे के मुखिया योगी आदित्यनाथ के करीबी होने का दावा करने वाले विक्रम सैनी ने पूर्व में कई बार सुधीर सैनी पर आरोप लगाए और उन्हें पद से हटाने की कोशिश की। इस बार सुधीर सैनी की तीसरी ताजपोशी ने विक्रम सैनी के प्रयासों को एक झटका दिया। हालांकि, विक्रम सैनी इस मुद्दे पर सार्वजनिक रूप से चुप्पी साधे रहे, लेकिन यह स्पष्ट था कि इस बार भी सैनी की स्थिति मजबूत रही। चुनाव अधिकारी पूरण सिंह लोधी ने विक्रम सैनी पर एक कड़ी टिप्पणी करते हुए कहा कल बीजेपी कार्यालय में था कि उनके प्रभाव से कोई भी कुर्सी हिल नहीं सकती। यह बयान राजनीतिक हलकों में एक गहरे संदेश के रूप में माना गया, क्योंकि इससे साफ हो गया कि पार्टी हाईकमान विक्रम सैनी के प्रयासों से अधिक संतुष्ट नहीं था।
सुधीर सैनी की तीसरी ताजपोशी के साथ ही यह संकेत मिलता है कि बीजेपी आगामी जिला पंचायत और विधानसभा चुनावों को लेकर अपने पदाधिकारियों को बदलने के बजाए उन्हें मजबूत करना चाहती है। यह दिखाता है कि पार्टी के भीतर की गुटबाजी और परस्पर विरोधी विचारों के बावजूद बीजेपी की नजर आगामी चुनावों पर है। सैनी की नियुक्ति से पार्टी यह संदेश देना चाहती है कि जो नेता कार्यकुशल हैं और जिनकी स्थानीय जड़ें मजबूत हैं, उन्हें सम्मान और अवसर मिलेगा।
पूर्व केंद्रीय मंत्री डॉ. संजीव बालियान ने अपने संबोधन में इस बारे में इशारा किया था कि सभी पुराने गिले-शिकवे अब खत्म हो जाने चाहिए और पार्टी को नए जोश और एकता के साथ आगे बढ़ना चाहिए। यही पार्टी की रणनीति को समझने की कुंजी है।