सोमवार, 30 दिसंबर 2024

मुजफ्फरनगर: कार्यशाला का समापन किया गया

मुजफ्फरनगर: कार्यशाला का समापन किया गया 

भानु प्रताप उपाध्याय 
मुजफ्फरनगर। जनपद के प्रतिष्ठित श्री राम कॉलेज के ललित कला विभाग में तकरीबन एक सप्ताह तक आयोजित की गई हैंड पेंटिंग ऑन टेक्सटाइल फैब्रिक कार्यशाला में स्टूडेंट्स को कपड़ों पर चित्रकारी और डिजाइन बनाना सिखाए गए। 
सोमवार को श्री राम कॉलेज के ललित कला विभाग में तकरीबन एक सप्ताह तक आयोजित की गई हैंड पेंटिंग ऑन टेक्सटाइल फैब्रिक कार्यशाला का भव्य रूप से समापन किया गया। 
श्री राम कॉलेज के ललित कला विभाग में आयोजित की गई इस कार्यशाला का उद्देश्य पारंपरिक कला शैलियों एवं आधुनिक डिजाइनों के माध्यम से कपड़ा सज्जा के क्षेत्र में नई संभावनाओं को उजागर करना था। कार्यशाला में शामिल हुई हैंड प्रिंटिंग में सिद्धहस्त रेखा पुंडीर सेवानिवृत्त प्रधानाचार्य एसडी कॉलेज ऑफ पॉलिटेक्निक के मार्गदर्शन में सभी विद्यार्थियों ने उत्साह के साथ भाग लिया। 
इस दौरान पर शिक्षकों ने छात्र-छात्राओं को न केवल डिजाइन और रंगों की तकनीकी जानकारी दी। बल्कि, कपड़ों पर पेंटिंग के लिए आवश्यक सामग्री का सही उपयोग और रखरखाव किस तरह से किया जाए, इस संबंध में विस्तार से जानकारी दी। प्रतिभागियों ने ब्लॉक प्रिंटिंग, फ्रीहैंड डिजाइन, मधुबनी, वर्ली, और फ्लोरल मोटिफ्स जैसी शैलियों पर काम किया। इसके अलावा, उन्होंने रंग संयोजन, ब्रश टेक्निक्स और फैब्रिक पेंट्स के साथ काम करने की बारीकियों को भी सीखा। फाइन आर्ट्स की हेड मीनाक्षी काकरान ने डिजाइन शैलियों के बारें में स्टूडेंट को विस्तार से बताया। पारंपरिक मधुबनी, वर्ली, आधुनिक जियोमेट्रिक पैटर्न, एब्स्ट्रैक्ट आर्ट, और कंटेम्पररी मोटिफ्स और फ्लोरल डिजाइन पर ये कार्यशाला केन्द्रित रहीं। 
प्रतिभागियों ने कहा कि इस कार्यशाला ने उन्हें न केवल एक नई कला सीखने का मौका दिया, बल्कि अपने विचारों और रचनात्मकता को प्रस्तुत करने का मंच भी दिया। इस अवसर पर ललित कला विभाग के निदेशक डॉ. मनोज धीमान ने भविष्य में भी इस तरह की कार्यशालाएं आयोजित करने का आश्वासन दिया। उन्होंने कहा कि इस तरह की पहल न केवल कला और शिल्प को प्रोत्साहित करती है। बल्कि, स्थानीय कलाकारों को नई पहचान देने में भी कारगर होती है। कार्यशाला के अन्तिम दिवस पर प्रतिभागियों द्वारा तैयार की गई कपड़ा पेंटिंग की एक प्रदर्शनी लगाई गई एवं विद्यार्थियों ने अपने-अपने कार्यो की समीक्षा भी की। 
इस कार्यशाला को सफल बनाने में ललित कला विभाग के प्रवक्ताओं एवं सदस्यों रजनीकांत, बिन्नू पुंडीर, डॉ अनु, रीना त्यागी, मयंक सैनी, अजित कुमार मन्ना, सोनी श्रीवास्तव, सिद्धार्थ, शहजादी एवं करुणाकर शर्मा आदि का योगदान रहा। 

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