शुक्रवार, 13 दिसंबर 2024

आरोप: 'सुरक्षा के कवच' को तोड़ने की कोशिश

आरोप: 'सुरक्षा के कवच' को तोड़ने की कोशिश 

अकांशु उपाध्याय 
नई दिल्ली। कांग्रेस की सांसद प्रियंका गांधी वाड्रा ने भारत के संविधान को देश के आम नागरिकों के लिए न्याय, अभिव्यक्ति, अधिकारों का सुरक्षा कवच बताया और सरकार पर आरोप लगाया कि देश में जनता पर सुरक्षा के इस कवच को तोड़ने की कोशिश की जा रही है। लेकिन, देश साहस के साथ फिर से उठेगा और कहेगा कि सत्यमेव जयते। 
लोकसभा में ‘भारत के संविधान की 75 वर्षों की गौरवशाली यात्रा’ पर चर्चा में विपक्ष की ओर से वाड्रा के पहले भाषण को सदन ने पूरी शांति के साथ सुना। वाड्रा ने भी बहुत ही संयत तरीके से अपनी बात रखी। उन्होंने कहा कि देश में विवाद एवं संवाद की परंपरा शुरू से रही है। हमारी आज़ादी की लड़ाई अहिंसा एवं सत्य पर इसी परंपरा के कारण चल सकी। आज़ादी की लड़ाई में देश को लेकर लेकर जो सामूहिक आवाज़ उठी, वही संविधान के रूप में दर्ज हुई। उन्होंने कहा, “हमारा संविधान इंसाफ, उम्मीद, अभिव्यक्ति और आकांक्षा की वो ज्योत है, जो हर हिंदुस्तानी के दिल में जल रही है। इस ज्योत ने हर भारतीय को शक्ति दी है कि उसे न्याय मिलने का अधिकार है। अपने अधिकारों के लिए आवाज उठाने की क्षमता है। इस संविधान ने हर देशवासी को ये अधिकार दिया है कि वो सरकार बना भी सकता है और सरकार बदल भी सकता है। देश के संसाधनों पर उसका अधिकार है। देश बनाने में उसकी भागीदारी है। 
इस ज्योत ने हर हिंदुस्तानी को ये विश्वास दिया कि देश की संपत्ति में उसका भी हिस्सा है। उसे एक सुरक्षित भविष्य का अधिकार है। उम्मीद और आशा की ये ज्योत मैंने देश के कोने-कोने में देखी है।” वाड्रा ने उन्नाव में बलात्कार पीड़िता के मामले, आगरा के अरुण वाल्मीकि के साथ अत्याचार और एक दंगे में एक मुस्लिम दर्जी की गोली लगने से मौत की घटना का उल्लेख किया और कहा कि न्याय की अपेक्षा की जोत संविधान के कारण जल रही है। उन्होंने सरकार पर हमला करते हुए कहा कि दस साल के शासन के दौरान संविधान के इस सुरक्षा कवच को तोड़ने का प्रयास किया। आरक्षण को हटाने के लिए लैटेरल इंट्री लाई गई है। संविधान को बदलने काम करने की कोशिश की। 
उन्होंने कहा कि आज ये संविधान संविधान इसलिए कर रहे हैं। क्योंकि, इस चुनाव में हारते हारते जीतने के बाद उन्हें पता चल गया है कि जनता ने संविधान को बचाया है और जनता ऐसा होने नहीं देगी। उन्होंने कहा कि सरकार की गंभीरता कितनी है ? यह इस बात से पता चलता है कि जब हमने जाति जनगणना की बात कहीं, तो उन्होंने भैंस की चोरी और मंगलसूत्र चुराने की बात कहीं। 
उन्होंने कहा कि हमारे संविधान से आर्थिक न्याय के लिए भूमि सुधार सुनिश्चित किए। उन्होंने पंडित जवाहर लाल नेहरू का नाम लिये बिना कहा कि जिन्होंने इस देश में एचएएल, आईआईटी, आईआईएम बनाएं, सार्वजनिक उपक्रम स्थापित किए। उनका नाम भाषणों एवं पुस्तकों से मिटाने की कोशिश की जा रही है। लेकिन, कृतित्व से मिटाना संभव नहीं है। उन्होंने कहा कि इंदिरा गांधी ने बैंकों, खदानों, का राष्ट्रीयकरण किया। भोजन एवं शिक्षा का अधिकार दिया। कांग्रेस नेता ने कहा कि जनता को लगता है कि कोई आर्थिक नीति बनेगी, तो उसके लाभ के लिए बनेगी। जमीनों के कानून का संशोधन लोगों की भलाई के लिए होगा। 
लेकिन, आज ऐसा सिर्फ एक उद्योगपति के लाभ के लिए हो रहा है। उन्होंने कहा कि नारी शक्ति को वोट बैंक में बदला गया है लेकिन नारी शक्ति को अधिकार दस साल बाद देंगे। दस साल कौन इंतजार करेगा। उन्होंने कहा कि सरकार का हर नेता सालों पुरानी बातें करके कहता है कि नेहरू जी ने ऐसा किया वैसा किया। तो उन्हें आज की बात भी करनी चाहिए कि आज क्या स्थिति है। कृषि कानून एक उद्योगपति के लिए बन रहे हैं। गोदाम एक उद्योगपति के लिए दिये जा रहे हैं। खान, बंदरगाह, हवाईअड्डे सब एक ही उद्योगपति को दिये जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि आमलोगों में धारणा बनती जा रही है कि यह सरकार अडानी के मुनाफे के लिए चल रही है। जो अमीर है वह और अमीर हो रहा है, जो गरीब हैं, वो और गरीब हो रहा है। वाड्रा ने कहा कि सरकार के लोगों को भी अपनी गलती स्वीकार करके माफी मांगनी चाहिए। यदि वे मतपत्रों से चुनाव करा लें तो दूध का दूध पानी का पानी हो जाएगा। महाराष्ट्र, गोवा की सरकारों को पैसे के बल पर गिरा दिया गया। उन्होंने भ्रष्टाचार के आरोपी नेताओं के भारतीय जनता पार्टी में आने पर तंज कसते हुए कहा कि इनके यहां वाशिंग मशीन लगी है। जो जाता है, वह धुल जाता है। कई लोग हमारे यहां थे जो अब उधर बैठे हैं। वे धुल गये हैं। उन्होंने प्रधानमंत्री पर आरोप लगाया कि जो संविधान को माथे से लगाते हैं लेकिन संभल एवं मणिपुर पर न्याय की गुहार को अनसुना कर देते हैं। 
उन्होंने कहा, “ये भारत का संविधान है, संघ का विधान नहीं है।” उन्होंने कहा कि यह संविधान एकता की मोहब्बत की बात करता है। करोड़ों देशवासी एक दूसरे से प्रेम करते हैं, घृणा नहीं। उन्होंने कहा कि सरकार ने अभिव्यक्ति की सुरक्षा को कमजोर करके भय का वातावरण बना दिया है। पहले जनता ने खुल कर सरकार की आलोचना की है, धरने प्रदर्शन किये हैं। सरकार को ललकारा है और न्याय मांगा है। नुक्कड़ों, गली मोहल्लों, चौराहों पर चर्चा बंद नहीं हुई। आज जनता को डराया जाता है। छात्र नेता, प्रोफेसर हो, पत्रकार हो, सरकार के विरोध में बोले तो धमकाया जाता है। इस सरकार ने किसी को नहीं छोड़ा। उत्तर प्रदेश सरकार ने प्रदर्शनकारी महिलाओं को देशद्रोही करार दे दिया। मीडिया की मशीन झूठ फैला रही है। वाड्रा ने कहा, “ये प्रकृति का नियम है कि जो लोग भय फैलाने के आदी हैं, वे खुद भी भयभीत होते हैं और चर्चा से डरते हैं। हम कह रहे हैं कि चर्चा करिये लेकिन उनमें चर्चा करने की हिम्मत नहीं है।” उन्होंने कहा कि जनता में बहुत विवेक है। उसे पता है कि क्या सही है ? यह देश भय से नहीं बल्कि साहस एवं संघर्ष से बना है। गरीब मजदूर, मेहनती मध्य वर्ग रोजाना भयंकर परिस्थितियों का साहस एवं आत्मविश्वास से सामना करते हैं। यह शक्ति उन्हें संविधान से मिलती है।” 
उन्होंने कहा कि भय की एक सीमा होती है। इतना दबाया जाता हैं, तो उसके बाद जनता उठ खड़ी हाेती है। उन्होंने कहा, “ये देश कायरों के हाथों ज्यादा दिन नहीं रहा है। यह देश फिर से उठेगा और कहेगा सत्यमेव जयते।” 

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