शनिवार, 19 अक्तूबर 2024

महत्व: आज मनाया जाएगा 'करवा चौथ' का पर्व

महत्व: आज मनाया जाएगा 'करवा चौथ' का पर्व 

सरस्वती उपाध्याय 
करवा चौथ का व्रत सौभाग्यवती महिलाओं के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण माना जाता है। ऐसी मान्यता है कि इस व्रत के बारे में भगवान कृष्ण ने द्रौपदी को बताया था और भगवान शिव ने माता पार्वती को बताया था। करवा चौथ का व्रत कार्तिक कृष्ण-पक्ष की चतुर्थी तिथि को मनाया जाता है। करवा चौथ पर मुख्यतः भगवान गणेश, माता गौरी और चंद्रमा की पूजा की जाती है। इस बार करवा चौथ का व्रत 20 अक्टूबर यानी कल रखा जाएगा। करवा चौथ के दिन चंद्रमा की पूजा करके महिलाएं अपने वैवाहिक जीवन में सुख शांति की कामना करती हैं और पति की लंबी आयु की प्रार्थना भी करती हैं। 

'करवा चौथ' शुभ मुहूर्त 

हिंदू पंचांग के अनुसार, करवा चौथ का व्रत कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को रखा जाता है। इस बार चतुर्थी तिथि की शुरुआत 20 अक्टूबर यानी कल सुबह 6 बजकर 46 मिनट पर होगी और तिथि का समापन 21 अक्टूबर को सुबह 4 बजकर 16 मिनट पर होगा। 
वहीं, करवा चौथ के लिए दो पूजन मुहूर्त मिलेंगे- पहला अभिजीत मुहूर्त सुबह 11 बजकर 43 मिनट से लेकर दोपहर 12 बजकर 28 मिनट तक रहेगा और फिर, दोपहर 1 बजकर 59 मिनट से लेकर 2 बजकर 45 मिनट तक विजय मुहूर्त रहेगा। 

'करवा चौथ' चंद्रोदय का समय 

इस बार करवा चौथ पर चंद्रोदय का समय शाम 7 बजकर 54 मिनट बताया जा रहा है। 

'करवा चौथ' की पूजन-विधि 

सुबह सूर्योदय से पहले उठकर स्नान करें और पूजा घर की सफाई करें। फिर सास द्वारा दिया हुआ भोजन करें और भगवान की पूजा करके निर्जला व्रत का संकल्प लें। यह व्रत सूर्य अस्त होने के बाद चन्द्रमा के दर्शन करके ही खोलना चाहिए और बीच में जल भी नहीं पीना चाहिए। संध्या के समय एक मिट्टी की वेदी पर सभी देवताओं की स्थापना करें। इसमें 10 से 13 करवे (करवा चौथ के लिए ख़ास मिट्टी के कलश) रखें। पूजन-सामग्री में धूप, दीप, चन्दन, रोली, सिन्दूर आदि थाली में रखें। दीपक में पर्याप्त मात्रा में घी रहना चाहिए, जिससे वह पूरे समय तक जलता रहें। 
चन्द्रमा निकलने से लगभग एक घंटे पहले पूजा शुरू की जानी चाहिए। अच्छा हो कि परिवार की सभी महिलाएं साथ पूजा करें। पूजा के दौरान करवा चौथ कथा सुनें या सुनाएं। चन्द्र दर्शन छलनी के द्वारा किया जाना चाहिए और साथ ही दर्शन के समय अर्घ्य के साथ चन्द्रमा की पूजा करनी चाहिए। चन्द्र-दर्शन के बाद बहू थाली में मिष्ठान, फल, मेवे, रुपये आदि रखें और अपनी सास को देकर उनका आशीर्वाद ले और सास उसे अखंड सौभाग्यवती होने का आशीर्वाद दें। 

'करवा चौथ' पर इन बातों का रखें ध्यान 

करवा चौथ की पूजा करने के बाद करवा विवाहित महिलाओं को ही बांट देने चाहिए। 
निराहार रह कर दिन भर गणेश मंत्र का जाप करना चाहिए। 
रात्रि में चंद्र देव के उदय होने के बाद परंपरा अनुसार उनको विधिपूर्वक अर्घ्य प्रदान करें। इसके साथ ही गणेश जी और चतुर्थी माता को भी अर्घ्य देना चाहिए। 
ध्यान रखें कि व्रत करने वाले नमक युक्त भोजन से दूर रहें। 
व्रत कम से कम 12 या 16 साल तक करना चाहिए। इसके बाद उद्यापन कर सकते हैं। 

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