जलदोहन पर उदारवादी नीति जनता के लिए घातक
दीपक राणा
गाजियाबाद। जनपद की खोडा नगर पालिका जल दोहन का दंश झेल रही है। जनता पानी के लिए एक दूसरे से लड़ रही है। इसी तरह लोनी में इसका प्रारंभिक दौर शुरू हो चुका है। इसी वर्ष 10 से 15 फुट पानी सतह से नीचे चला गया है। साल दर साल यदि इसी प्रकार जल स्तर गिरता रहा तो भविष्य कितना खतरनाक सिद्ध हो सकता है ? यदि समय रहते इस स्थिति पर नियंत्रण नहीं पाया गया तो लोनी क्षेत्र भी घातक परिणामों की चपेट में आ जाएगा।
अगर समस्या है, तो उसका समाधान भी निश्चित रूप से होता है। इस समस्या की तह तक पहुंचे और समझे कि पानी की बर्बादी के मुख्य कारण क्या है ? अवैध रूप से जितना भी रंग-रसायन का काम किया जा रहा है। जहां रंग-रसायन का उपयोग होगा, वहां अप्रत्याशित रूप से जल की बर्बादी होगी। कपड़े आदि की धुलाई-रंगाई, गाड़ियों की धुलाई और अवैध रूप से आरओ वॉटर प्लांट के द्वारा हजारों घन मीटर पानी प्रतिदिन बर्बाद किया जा रहा है। इस बर्बादी को रोकने के लिए भारत सरकार ने भू-जल संरक्षण विभाग बनाया और पानी की बर्बादी रोकने के नए आयाम लागू कर दिए गए। जनपद में भूजल संरक्षण और लघु सिंचाई विभाग संयुक्त रूप से इस विषय पर काम कर रहे हैं।
जिला अधिकारी इंद्र विक्रम सिंह इस विभाग के नामित अधिकारी हैं। गत माह 800 से अधिक जल दोहन करने वाले स्थानों को चिन्हित कर, कार्रवाई भी की गई थी। लेकिन लोनी क्षेत्र उस कार्रवाई से वंचित ही रह गया। लोनी क्षेत्र में जरूरी कार्रवाई न होने के कारण जल की बर्बादी का पीड़ा दायक नजारा कोई भी देख सकता है। लोनी क्षेत्र में जल दोहन के प्रति इतनी उदारता जनता के भविष्य को गर्त में ले जाने का काम करेगी।
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