शुक्रवार, 11 अक्तूबर 2024

महत्व: आज मनाया जाएगा 'विजयदशमी' का पर्व

महत्व: आज मनाया जाएगा 'विजयदशमी' का पर्व 

सरस्वती उपाध्याय 
दुर्गा पूजन के 10वें दिन मनाई जाने वाली विजयदशमी को बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक माना जाता है। इस पर्व को हर साल अश्विन माह के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि पर मनाया जाता है। इस बार 12 अक्तूबर 2024 को विजयदशमी है, जिसे दशहरा भी कहते हैं। इस दिन भगवान राम और मां दुर्गा की पूजा की जाती है। 
मान्यता है कि इस दिन मां दुर्गा ने महिषासुर राक्षस का वध किया था, और इसी दिन प्रभु श्री राम ने लंका के राजा रावण का भी वध किया था। इसलिए, इसे विजयदशमी कहा जाता है। क्योंकि, इसका अर्थ है ‘विजय का दसवां दिन’। 
इस दिन देशभर में जगह-जगह रावण, कुंभकर्ण और मेघनाथ के पुतलों का दहन किया जाता है। साथ ही मंदिरों व पंडालों में धार्मिक कार्यक्रम का आयोजन होता है। इस दिन शस्त्रों की पूजा भी की जाती हैं। माना जाता है कि रावण का वध करने से पहले प्रभु श्री राम ने शस्त्रों की पूजा की थी। इस साल विजयदशमी पर कई शुभ संयोग बन रहे हैं। ऐसे में शस्त्र पूजन करना और भी लाभकारी माना जा रहा है। ऐसे में आइए इस दिन के शुभ मुहूर्त और पूजा विधि के बारे में विस्तार से जानते हैं। 
पंचांग के अनुसार इस साल दशमी तिथि का आरंभ 12 अक्तूबर को प्रातः 10 बजकर 58 मिनट पर होगा। तिथि का समापन 13 अक्तूबर 2024, प्रातः 09 बजकर 08 मिनट पर है। ऐसे में दशहरा 12 अक्तूबर 2024 को मनाया जाएगा। 
इस साल दशहरा पर श्रवण नक्षत्र का निर्माण हो रहा है। ये नक्षत्र 12 अक्तूबर को सुबह 5:00 बजकर 25 मिनट से प्रारंभ होकर 13 अक्तूबर को सुबह 4:27 मिनट पर समाप्त हो रहा है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार दशहरा पर श्रवण नक्षत्र का होना अति शुभ माना जाता है। 
इस वर्ष दशहरा पूजन के लिए मुहूर्त दोपहर 2 बजकर 2 मिनट से शुरू हो रहा है, जो दोपहर 2: 48 तक रहेगा। इस दौरान मुहूर्त की कुल अवधि लगभग 46 मिनट तक रहेगी। ऐसे में आप शस्त्र पूजन कर सकते हैं। 
इस साल दशहरा पर रावण दहन मुहूर्त शाम 5 बजकर 54 मिनट के बाद से शुरू हो रहा है। ये शुभ मुहूर्त लगभग ढाई घंटे तक रहेगा। इस अवधि में आप रावण, कुंभकर्ण और मेघनाथ के पुतलों का दहन कर सकते हैं। 

दशहरा के दिन पूजा करने के लिए सुबह जल्दी उठकर स्नान कर लें। 
इसके बाद साफ वस्त्रों को धारण करें। 
फिर गेहूं या चूने से दशहरे की प्रतिमा बना लें। 
अब गाय के गोबर से 9 गोले और 2 कटोरियां बना लें। 
इस दौरान पहली कटोरी में सिक्के रखें। 
वहीं दूसरी कटोरी में रोली, चावल, जौ व फल रख दें। 
अब आप प्रतिमा के पास कुछ फल, जौ, गुड़ और मूली को रख दें। साथ ही दान-दक्षिणा से जुड़ी चीजें भी रखें। फिर दीया जलाकर प्रतिमा की पूजा करें। 
अंत में सभी बड़ों के पैर छूकर आशीर्वाद लें। 

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