राष्ट्रपति ने मिथुन को 'अवॉर्ड' से सम्मानित किया
अकांशु उपाध्याय/कविता गर्ग
नई दिल्ली/मुंबई। 70वें नेशनल फिल्म अवॉर्ड्स समारोह में दिग्गज अभिनेता मिथुन चक्रवर्ती को दादा साहेब फाल्के अवॉर्ड से सम्मानित किया गया। मिथुन चक्रवर्ती हाथ में फ्रैक्चर होने के बावजूद खुद अवॉर्ड लेने पहुंचे और इस मौके पर वह खुद को भावुक होने से नहीं रोक सकें। मिथुन चक्रवर्ती के नाम का ऐलान किए जाने के बाद वह सहारा लेकर अपनी कुर्सी से उठे और फिर मंच पर राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने उन्हें सम्मानित किया। मिथुन चक्रवर्ती की आंखों में खुशी के आंसू छलकते साफ देखे जा सकते थे। मिथुन चक्रवर्ती ने कहा कि शायद जितनी तकलीफें मैंने उठाईं भगवान ने उन्हें सूद समेत वापस कर दिया।
मिथुन चक्रवर्ती ने यह सम्मान पाने के बाद राष्ट्रपति मुर्मू और ऑडियंस में बैठे सभी लोगों का अभिवादन किया। मिथुन चक्रवर्ती ने यह सम्मान पाने के बाद कहा, “मुझे आप सबकी दुआओं से दोबारा इस मंच पर आने का मौका मिला है। मुझे कुछ भी थाली में परोसकर नहीं दिया गया, मैंने बहुत संघर्ष किया है। लेकिन आज यह अवॉर्ड पाने के बाद, मेरी भगवान से सारी शिकायतें दूर हो गईं। भगवान तेरा शुक्रिया, तुमने मुझे सब कुछ सूद समेत वापस कर दिया।”
मिथुन चक्रवर्ती ने अपनी स्पीच में कहा, “मुझे कहा गया कि फिल्म इंडस्ट्री में काला रंग नहीं चलेगा। जितना अपमान हो सकता था हुआ। तब मैंने डांस करने का फैसला किया। मैं चाहता था कि लोग मेरे पांव देखें, ना कि मेरा चेहरा या फिर उसका रंग। सभी फिल्मों में पैरों से डांस किया और लोग मेरे रंग को भूल गए।” मिथुन चक्रवर्ती ने लोगों को हौसला देते हुए कहा कि अगर मैं यह कर सकता हूं, तो कोई भी कर सकता है। मिथुन दा ने अपनी बात खत्म करते हुए कहा कि खुद सो जाना लेकिन अपने सपनों को मत सोने देना।
सेरेमनी से पहले अपनी खुशी जाहिर करते हुए मिथुन बोले, “मैं क्या कहूं, यह बहुत सम्मान की बात है और मैं बस ईश्वर का शुक्रिया अदा कर सकता हूं। मैंने जो संघर्ष किया। ईश्वर ने वो सब मुझे वापस कर दिया है। मैं अभी भी इस हकीकत को स्वीकार करने की कोशिश कर रहा हूं।” मिथुन चक्रवर्ती को दादा साहेब फाल्के अवॉर्ड मिलने की खबर उन्हें पद्मश्री मिलने के कुछ ही महीने बाद आई है।
मिथुन चक्रवर्ती ने इंडिया टुडे के साथ बातचीत में कहा, “शुरुआती दिनों में पैसा मेरे लिए लगातार बनी रहने वाली जरूरत हुआ करती थी, मेरा एक बड़ा परिवार था जिसका मुझे ख्याल रखना होता था। इसलिए यह मेरा एक बहुत बड़ा दायरा होता था। लेकिन अब वक्त बदल चुका है। मैं उन चीजों के बारे में नहीं सोचता हूं। मैं वैसी फिल्में करने के बारे में सोचता हूं जो मुझे रचनात्मक तौर पर संतुष्ट कर पाएं और इससे ज्यादा कुछ भी नहीं।” बता दें कि मिथुन चक्रवर्ती को पद्मश्री सम्मान से अप्रैल में सम्मानित किया गया था।
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