बुधवार, 30 अक्तूबर 2024

विशेष: आज मनाया जाएगा 'दिपावली' का पर्व

विशेष: आज मनाया जाएगा 'दिपावली' का पर्व 

सरस्वती उपाध्याय 
दिवाली पर पूजा का शुभ मुहूर्त क्या है ? इस विषय में अगर आप सोच रहे हैं, तो आपको सबसे पहले यह जानना चाहिए कि गृहस्थ लोगों को स्थिर लग्न और मुहूर्त में भगवान गणेश सहित देवी लक्ष्मी और कुबेर की पूजा करनी चाहिए। इस साल दिवाली की तिथि को लेकर भी कन्फ्यूजन की स्थिति बनी हुई है, तो आप अपना कन्फ्यूजन तो सबसे पहले दूर कीजिए कि इस साल दिवाली प्रमुख रूप से 31 अक्टूबर को मनाया जा रहा है। अयोध्या में दिवाली और मथुरा, काशी में भी दिवाली 31 अक्टूबर को ही है। इसलिए सर्वमान्य रूप से दिवाली 31 अक्टूबर को है, और इस दिन दिवाली पूजा के लिए घरों में जो शुभ मुहूर्त है वह शाम के समय प्रदोष काल में है। 

दिवाली पर पूजा का मुहूर्त और शुभ समय, इस समय पूजा से पाएंगे स्थिर लक्ष्मी 

शास्त्रों में अनुसार आपके शहर में सूर्यास्त जिस समय हो उससे 48 मिनट आगे और पीछे का समय प्रदोष काल माना जाता है। इसी समय में स्थिर लग्न यानी वृषभ,सिंह,वृश्चिक और कुंभ में से कोई भी लग्न हो तब गृहस्थ जनों को दिवाली पूजन करना चाहिए इससे स्थिर लक्ष्मी की प्राप्ति होती है। 

दिवाली पूजन का शुभ मुहूर्त और समय 

दिवाली कार्तिक अमावस्या पर होती है और इस साल कार्तिक अमावस्या तिथि का आरंभ 31 अक्टूबर को 3 बजकर 52 मिनट पर हो रहा है। कार्तिक अमावस्या तिथि 1 अक्टूबर को शाम 6 बजकर 16 मिनट पर रहेगी। जबकि 31 अक्टूबर को सूर्यास्त शाम 5 बजकर 36 मिनट पर हो रहा है। ऐसे में दिवाली पूजा का मुहूर्त 31 अक्टूबर को 5 बजकर 36 मिनट से आरंभ हो रहा है। लेकिन स्थिर लग्न वृषभ 6 बजकर 32 मिनट से 8 बजकर 33 मिनट तक रहेगा। लेकिन इस बीच अमृत चौघड़िया शाम 7 बजकर 14 मिनट तक रहेगा। इसलिए दीपावली पर 31 अक्टूबर को लक्ष्मी पूजन का सबसे उत्तम समय शाम 6 बजकर 32 मिनट से 7 बजकर 14 मिनट तक रहेगा। वैसे आप 8 बजकर 32 मिनट तक भी स्थिर लग्न वृषभ में दिवाली पूजन कर सकते हैं। 

दिवाली पर निशिथ काल की पूजा का मुहूर्त 

दिवाली पर निशिथ काल में पूजन करने का भी विधान है। तांत्रिक विधि से जो लोग देवी लक्ष्मी और काली की दिपावली पर पूजा करते हैं उनके लिए शुभ मुहूर्त रात 11 बजकर 39 मिनट से 12 बजकर 30 मिनट तक रहेगा। इस समय सिंह लग्न में पूजन करना अत्यंत लाभकारी और शुभ रहेगा। 

दिवाली पूजा मुहूर्त विवरण 

अमावस्या तिथि आरंभ -31 अक्टूबर दोपहर 3 बजकर 52 मिनट
अमावस्या तिथि समाप्त -1 नवंबर शाम 6 बजकर 15 मिनट
दिवाली पूजन के लिए उत्तम मुहूर्त -शाम 6 बजकर 15 मिनट से 7 बजकर 14 मिनट
दिवाली पूजन के लिए अन्य मुहूर्त -7 बजकर 15 से 8 बजकर 33 मिनट
दिवाली पर निशीथ काल में पूजा का मुहूर्त - रात 11 बजकर 39 मिनट से 12 बजकर 30 मिनट तक। 

वैसे देश के कुछ भागों में 1 अक्टूबर को भी दिवाली का पर्व मनाया जा रहा है। ऐसे में 1 अक्टूबर को दिवाली का पूजा मुहूर्त शाम में 5 बजकर 37 मिनट से 6 बजकर 14 मिनट तक ही रहेगा। इसमें निशीथ काल में पूजा का मुहूर्त नहीं है। 

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