रविवार, 6 अक्तूबर 2024

स्वास्थ्य विभाग के भ्रष्ट अधिकारियों की करतूत

स्वास्थ्य विभाग के भ्रष्ट अधिकारियों की करतूत 

अश्वनी उपाध्याय 
गाजियाबाद। जनपद में हजारों की संख्या में गली-मोहल्ले में क्लिनिको का संचालन किया जा रहा है। जिनमें चिकित्सा परीक्षण करने वाले व्यक्तियों में एक बड़ा हिस्सा ऐसा है, जिन्हें चिकित्सा की परिभाषा भी ज्ञात नहीं है। एक-दो दिन या महीना नहीं, सालों से चिकित्सा परीक्षण करते आ रहे हैं। उनके विरुद्ध कोई भी दंडात्मक कार्रवाई क्यों नहीं होती है ?
गौरतलब हो लोनी स्थित गांव पाभी में प्रवीण कुमार आदि नामक व्यक्तियों के द्वारा विभाग की आंखों में धूल झोंक कर सालों से चिकित्सा परीक्षण किया जा रहा है। सर्वेक्षण के दौरान स्थिति का स्पष्टीकरण होने के बाद संबंधित अधिकारियों को समाचार के माध्यम से गहरी नींद से जगाया गया। अधिकारियों के द्वारा नोटिस जारी कर दिया गया। मुख्य चिकित्सा अधिकारी कार्यालय पर बुलाकर एक शपथ पत्र चिकित्सा परीक्षण करने वाले वालों से ले लिया गया। आप सभी को प्रस्तुत शपथ पत्र का संक्षेप में विवरण से रूबरू कराते हैं। शपथ पत्र में शपथ कर्ता द्वारा लिखा जाता है कि भविष्य में चिकित्सा परीक्षण करते पाए जाने पर चिकित्सा अधिनियम के अंतर्गत दोषी पाया जाऊंगा और मेरे विरुद्ध विधि अनुरूप कार्रवाई की जाएं। 
इसके बाद भी शपथ करता झोलाछाप चिकित्सा परीक्षण करने वाले ठीक उसी स्थान पर पहले की ही तरह चिकित्सा परीक्षण कर रहे हैं। इससे यह स्पष्ट होता है कि स्वास्थ्य विभाग के भ्रष्ट अधिकारियों का आचरण पूरे स्वास्थ्य विभाग को सवालों के कटघरे में खड़ा करता है। जिस अधिनियम की संहिताओं का स्वयं अधिकारी उचित उपयोग नहीं कर रहे हैं, उसका हथियार बनाकर उपयोग करने का अधिकार भी नहीं होना चाहिए। कार्रवाई की गति इतनी धीमी होने की कोई तो वजह होगी ? भ्रष्ट आचरण के अलावा और किसी संभावना को कोई भी व्यक्ति स्वीकार नहीं कर सकता है। 
झोलाछाप डॉक्टर के विषय से अलग हटकर यदि हम अल्ट्रासाउंड सैंटरो की बात करें, लगभग 35 अल्ट्रासाउंड सेंट्रो में से केवल पांच ऐसे सेंटर है जहां रेडियोलॉजिस्ट (योग्य चिकित्सक) मौजूद रहते हैं। बाकी स्थानों पर ऐसे व्यक्ति रिपोर्ट तैयार करते हैं, जिनको अल्ट्रासाउंड का एबीसीडी भी नहीं पता है। उसके बावजूद भी यह अल्ट्रासाउंड केंद्र संचालित किया जा रहे हैं। स्वास्थ्य विभाग के द्वारा किसी एक अल्ट्रासाउंड, डायग्नोस्टिक सेंटर के विरुद्ध अधिनियम के अंतर्गत कार्रवाई नहीं की गई है। यह कितना बड़ा सवाल है ? इसका भी खुलासा होगा। 

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