सोमवार, 30 सितंबर 2024

जनपद स्तरीय 'जागरूकता गोष्ठी' का आयोजन

जनपद स्तरीय 'जागरूकता गोष्ठी' का आयोजन 

किसान भाई पराली न जलाएं, पराली प्रबन्धन उपायों को अपनाएं 

सुशील केसरवानी 
कौशाम्बी। मुख्य विकास अधिकारी अजीत कुमार श्रीवास्तव द्वारा उदयन सभागार में कृषि विभाग द्वारा आयोजित पराली प्रबंधन के लिए जनपद स्तरीय जागरूकता गोष्ठी का आयोजन किया गया। 
मुख्य विकास अधिकारी ने गोष्ठी को सम्बोधित करते हुए किसान भाइयों से कहा कि इस गोष्ठी का उद्देश्य आप लोगों को पराली जलाये जाने के दुष्परिणामों एवं पराली प्रबन्धन के उपायों आदि के बारे में जागरूक करना है। उन्होंने कहा कि पराली न जलायें तथा पराली प्रबन्धन के उपायों को अपनाएं। पराली जलाये जाने से प्रदूषण का स्तर बढ़ता है तथा जमीन की उर्वरता घटती है। शासन द्वारा पराली जलाये जाने की घटना को गम्भीरता से लिया जाता है तथा संबंधित के विरूद्ध कार्यवाही के लिए निर्देशित किया जाता है। उन्होंने कहा कि पराली जलाये जाने पर भूमि के आधार पर यदि 02 एकड़ की भूमि का क्षेत्रफल होने पर 1500 रूपये का जुर्माना, 02 एकड़ से अधिक किंतु 05 एकड़ से कम होने पर 5000 रूपये का जुर्माना एवं  05 एकड़ से अधिक भूमि का क्षेत्रफल होने पर दोषी को 15000 रूपये का जुर्माना लगाये जाने की कार्यवाही की जाएगी। 
उप कृषि निदेशक सतेन्द्र कुमार तिवारी ने बताया कि खरीफ की फसलों मुख्य रूप से धान की फसलों की कटाई करने के बाद किसानों द्वारा गेहूं की बुवाई की तैयारी की जल्दबाजी में खेतों में पड़े पुवाल अथवा पराली में आग लगा देते हैं। जिसके कारण शीतकाल का प्रारम्भ होने से वातावरण में नमीं रहने के कारण पराली के धुंए में विद्यमान मीथेन और कार्बन मोनो ऑक्साइड जैसी गैसों से कोलाइन बन जाता है। ऐसा कोलाइन जब हवा में मिल जाता है, तो हमारे श्वास लेने पर हमारे फेफड़े की समस्या जैसे टी.वी, अस्थमा, श्वॉस रोग एवं कैन्सर जैसी बीमारियॉ पैदा होने लगती है। इसके अलावा खेतों में लाभकारी जीव व कीट जैसे गुबरैला, तितली, मकड़ी, केचुवा जलकर मर जाते है। सभी कम्बाइन हार्वेस्टर स्वामियों को निर्देशित किया गया कि आप सभी धान की कटाई के समय में पराली जलाये जाने की घटनाओं द्वारा कृषि अपशिष्ट/पुवाल/पैरा जलाने से हो रहे वायु प्रदूषण की रोकथाम के लिए दिशा-निर्देश जारी किये गए है। उन्होंने श्फसल कटाई के दौरान प्रयोग की जाने वाली कम्बाइन हार्वेस्टर के साथ सुपर स्ट्रा मैनेजमेन्ट सिस्टम अथवा स्ट्रा रेक, स्ट्रा रीपर एवं बेलन अथवा अन्य कोई फसल अवशेष प्रबन्धन यंत्र का उपयोग किया जाना अनिवार्य है। यह सुनिश्चित किया जाये कि उक्त यन्त्रों के बिना जनपद में कोई भी कम्बाइन हार्वेस्टर से कटाई न करने पाएं। यदि कोई भी सुपर स्ट्रा मैनेजमेन्ट सिस्टम अथवा स्ट्रा रेक, स्ट्रा रीपर एवं बेलन अथवा अन्य फसल अवशेष प्रबन्धन यंत्रो के बगैर चलते हुई पाई जाएगी, तो उसको तत्काल सीज कर लिया जाएगा। समस्त ग्राम प्रधानों की जिम्मेदारी होगी कि उनके ग्राम पंचायतों में पराली न जलाई जाएं। यदि कोई पराली जलाता है, तो उसकी सूचना अपने लेखपाल या तहसीलदार को अथवा कृषि विभाग में लिखित रूप से दें सकतें हैं। उप कृषि निदेशक ने कृषकों व कम्बाइन हार्वेस्टर स्वामियों को अवगत कराया कि जनपद के कम्बाइन हार्वेस्टर मालिकों द्वारा हार्वेस्टर मशीनो में लगाएं जाने वाले पूरक यन्त्रों को क्रय करने पर 50 प्रतिशत का अनुदान अनुमन्य है। अनुदान के लिए ऑनलाइन आवेदन पोर्टल के माध्यम से दिनांक 01.10.2024 से चालू हो रहा है। जनपद के किसान भाई पराली प्रबन्धन के यन्त्रों पर अनुदान के लिए ऑनलाइन आवेदन कर सकते हैं। 
मुख्य पशु चिकित्साधिकारी डॉ. ए.के. सिंह द्वारा कृषकों से कहा कि जिनके यहॉ पराली अधिक होती है। वे अपने नजदीकी गौ आश्रय केन्द्र अथवा गौशाला में पराली लें जाएं एवं इसके बदले एक ट्राली गोबर की खाद ला सकतें हैं। इस प्रकार से आप अपने खेतों की उर्वरा शक्ति को बढ़ा सकते हैं व जुर्माना आदि से भी स्वयं को बचा सकतें हैं। 
इस अवसर पर अपर जिलाधिकारी अरूण कुमार गोंड सहित अन्य सम्बन्धित अधिकारीगण उपस्थित रहें। 

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