अधिकारी-नेता पी गए 12 तरह के कीटनाशक
अश्वनी उपाध्याय
गाजियाबाद। नगर पालिका परिषद लोनी सघन आबादी वाला नगर है। जगह-जगह खाली प्लाटों, रास्ते और मुख्य मार्गो में खड़े पानी भरने से जानलेवा मच्छरों की पैदावार बढ़ती हैं। ऐसी स्थिति में मलेरिया का फैलना सुनिश्चित हो जाता है। लेकिन अधिकारी और नेता मच्छरों की अच्छी फसल पैदा करने का काम कर रहे हैं। हालांकि, इसका खामियाजा नगर की जनता को भुगतना ही होगा। पूरी बरसात निकालने के बाद भी, अभी तक नगर में किसी प्रकार के कीटनाशक रासायनिक का छिड़काव अथवा फोगिंग कर इस समस्या के विरुद्ध एक कदम भी नहीं उठाया गया है। लगता है कि 12 प्रकार के कीटनाशकों को अधिकारी और नेता मिलकर पी गए हैं।
आप खुद अनुमान लगाइए मच्छरों की जनसंख्या का घनत्व, मच्छरों से मनुष्यों तक प्रसार और मनुष्यों से मच्छरों तक प्रसार मलेरिया के फैलने के कारक हैं। इन कारकों में से किसी एक को भी बहुत कम कर दिया जाए तो उस क्षेत्र से मलेरिया को मिटाया या कम किया जा सकता है। इसीलिए मलेरिया प्रभावित क्षेत्रों मे रोग का प्रसार रोकने हेतु दवाओं के साथ-साथ मच्छरों का उन्मूलन या उनसे काटने से बचने के उपाय किये जाते हैं। अनेक अनुसन्धान कर्ता दावा करते हैं कि मलेरिया के उपचार की तुलना मे उस से बचाव का व्यय दीर्घ काल मे कम रहेगा। 1956-1960 के दशक मे विश्व स्तर पर मलेरिया उन्मूलन के व्यापक प्रयास किए गए। किंतु उनमें सफलता नहीं मिल सकीं और मलेरिया आज भी उसी स्तर पर मौजूद है।
मच्छरों के प्रजनन स्थलों को नष्ट करके मलेरिया पर बहुत नियन्त्रण पाया जा सकता है। खड़े पानी में मच्छर अपना प्रजनन करते हैं, ऐसे खड़े पानी की जगहों को ढक कर रखना, सुखा देना या बहा देना चाहिये या पानी की सतह पर तेल डाल देना चाहिये, जिससे मच्छरों के लारवा सांस न ले पाएं। इसके अतिरिक्त मलेरिया-प्रभावित क्षेत्रों में अकसर घरों की दीवारों पर कीटनाशक दवाओं का छिड़काव किया जाता है। अनेक प्रजातियों के मच्छर मनुष्य का खून चूसने के बाद दीवार पर बैठ कर इसे हजम करते हैं। ऐसे में अगर दीवारों पर कीटनाशकों का छिड़काव कर दिया जाएं तो दीवार पर बैठते ही मच्छर मर जाएगा, किसी और मनुष्य को काटने के पहले ही। विश्व स्वास्थ्य संगठन ने मलेरिया प्रभावित क्षेत्रों में छिड़काव के लिए लगभग 12 दवाओं को मान्यता दी है। इनमें डीडीटी के अलावा परमैथ्रिन और डेल्टामैथ्रिन जैसी दवाएँ शामिल हैं, खासकर उन क्षेत्रों मे जहाँ मच्छर डीडीटी के प्रति रोधक क्षमता विकसित कर चुके है।
मच्छरदानियां मच्छरों को लोगों से दूर रखने मे सफल रहती हैं तथा मलेरिया संक्रमण को काफी हद तक रोकती हैं। एनोफिलीज़ मच्छर चूंकि रात को काटता है। इसलिए, बड़ी मच्छरदानी को चारपाई/बिस्तर पे लटका देने तथा इसके द्वारा बिस्तर को चारों तरफ से पूर्णतः घेर देने से सुरक्षा पूरी हो जाती है। मच्छरदानियां अपने-आप में बहुत प्रभावी उपाय नहीं हैं, किंतु यदि उन्हें रासायनिक रूप से उपचारित कर दें, तो वे बहुत उपयोगी हो जाती हैं। मलेरिया-प्रभावित क्षेत्रों में मलेरिया के प्रति जागरूकता फैलाने से मलेरिया में 20 प्रतिशत तक की कमी देखी गई है। साथ ही मलेरिया का निदान और इलाज जल्द से जल्द करने से भी इसके प्रसार में कमी होती है।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें
Thank you, for a message universal express.