रविवार, 18 अगस्त 2024

महत्व: आज मनाया जाएगा 'रक्षाबंधन' का पर्व

महत्व: आज मनाया जाएगा 'रक्षाबंधन' का पर्व 

सरस्वती उपाध्याय 
आज रक्षाबंधन का पवित्र त्योहार है। हिंदू धर्म में रक्षाबंधन के त्योहार का विशेष महत्व होता है। वैदिक पंचांग के अनुसार हर वर्ष श्रावण माह के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि को रक्षाबंधन का त्योहार मनाया जाता है। इस साल रक्षाबंधन पर भद्रा का साया रहेगा। ऐसी मान्यता है, जब भी भद्रा होती है तो इस दौरान राखी बांधना शुभ नहीं होता है। राखी हमेशा भद्राकाल के बीत जाने के बाद ही बांधी जाती है। 

दोपहर बाद राखी बांधने का समय

इस वर्ष रक्षाबंधन पर भद्रा का साया रहने के कारण दोपहर बाद राखी बांधी जाएगी। दोपहर 01 बजकर 30 मिनट के बाद से राखी बांधी जा सकती है। 

भद्रा काल की शुरुआत-  19 अगस्त सुबह 2 बजकर 21 मिनट पर
भद्रा काल का अंत- 19 अगस्त दोपहर 01 बजकर 31 मिनट पर
भद्रा काल पूंछ- सुबह 09 बजकर 51 मिनट से 10 बजकर 53 मिनट पर
भद्रा काल मुख- सुबह 10 बजकर 53 मिनट से दोपहर 12 बजकर 37 मिनट पर।

सावन पूर्णिमा तिथि कब है ? 

सावन पूर्णिमा 19 अगस्त को देर रात 03.04 बजे से आरंभ होगी। 19 अगस्त की रात ही 11.55 बजे पूर्णिमा तिथि का समापन होगा। ऐसे में उदया तिथि के आधार पर रक्षाबंधन 19 अगस्त दिन सोमवार को ही मनाया जाएगा।

क्या है राखी बांधने का मुहूर्त ? 

इस बार रक्षाबंधन पर भाई को राखी बांधने के दो शुभ मुहूर्त रहेंगे। पहला मुहूर्त अपराह्न काल में और दूसरा मुहूर्त सायंकाल में रहेगा। आप इनमें से किसी भी शुभ मुहूर्त में भाई की कलाई पर राखी बांध सकती हैं।

पहला मुहूर्त- रक्षाबंधन पर राखी बांधने का पहला शुभ मुहूर्त दोपहर 01.46 बजे से शाम 04.19 बजे तक रहेगा। यानी राखी बांधने के लिए पूरे 2 घंटे 33 मिनट का समय मिलेगा।
दूसरा शुभ मुहूर्त- इसके अलावा आप शाम के समय प्रदोष काल में भी भाई की कलाई पर राखी बांध सकती हैं। इस दिन शाम 06.56 बजे से रात 09.07 बजे तक प्रदोष काल रहेगा।

कैसे मनाएं रक्षाबंधन ? 

रक्षाबंधन के दिन सुबह-सुबह स्नानादि के बाद भाई को एक चौकी पर बैठाएं। उसके सिर पर कोई कपड़ा या रुमाल रखें। ध्यान रहे कि राखी बांधते वक्त भाई का मुंह पूरब दिशा की ओर बहन का मुख पश्चिम दिशा में होना चाहिए। राखी बांधने के लिए सबसे पहले अपने भाई के माथे पर रोली-चंदन और अक्षत का टीका लगाएं। इसके बाद भाई को घी के दीपक से आरती करें। उसके बाद राखी बांधकर उनका मुंह मीठा कराएं। इसके बाद अगर संभव हो तो सप्रेम भोजन के लिए आग्रह करें। 
भाई को राखी बांधते हुए बहनें एक चमत्कारी मंत्र का जाप जरूर करें। रक्षाबंधन का मंत्र है- " येन बद्धो बलि राजा, दानवेन्द्रो महाबल: तेन त्वाम् प्रतिबद्धनामि रक्षे माचल माचल:।'

रक्षाबंधन की परंपरा और महत्व 

भारत में रक्षाबंधन मनाने की परंपरा सदियों पुरानी है। एक पौराणिक कथा के अनुसार, जब राजा बलि ने भगवान विष्णु से वचन लेकर उन्हें अपने साथ पाताल लोक में रख लिया था। तब मां लक्ष्मी ने रक्षा राजा बलि की कलाई पर राखी बांधकर उनसे भगवान विष्णु की घर वापसी मांगी थी। 
वहीं, महाभारत से जुड़ी कथा के अनुसार, एक बार द्रौपदी ने कृष्ण की चोट को ठीक करने के लिए उनकी कलाई पर अपनी पोशाक से एक कपड़ा फाड़ कर बांध दिया था। भगवान श्री कृष्णा इस बात से इतनी ज्यादा खुश और प्रभावित हुए कि उन्होंने द्रौपदी को अपनी बहन बना लिया और उनकी रक्षा करने की जिम्मेदारी ली। कहते हैं, कि तभी से रक्षाबंधन का त्योहार मनाने की परंपरा चली आ रही है।

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