श्रद्धालुओं ने स्नान कर, पितरों के लिए तर्पण किया
बृजेश केसरवानी
प्रयागराज। श्रावण पूर्णिमा के अवसर पर श्रद्धालुओं ने संगम में स्नान कर पितरों के लिए तर्पण किया। सावन माह की पूर्णिमा को पितरों के तर्पण के लिए काफी शुभ माना गया है।
मान्यता है कि इस दिन गंगा और नदियों में स्नान कर पितरों को तर्पण करने से पितरों के साथ ही महालक्ष्मी और महादेव की भी विशेष कृपा मिलती है।
सावन पूर्णिमा को पितरों की आत्मा की शांति के लिए महत्वपूर्ण माना जाता है। इस दिन पितरों के लिए विशेष पूजा-अर्चना की जाती है। पितरों को तर्पण किया जाता है। पितरों को तर्पण करने से घर में सुख, शांति और समृद्धि बनी रहती है। सोमवार को संगम सहित गंगा और यमुना के अन्य घाटों पर भारी भीड़ रही। लोगों ने डुबकी लगाने के बाद भगवान शिव और महालक्ष्मी की पूजा अर्चना की। श्री बड़े हनुमान मंदिर में भक्तों की लंबी कतार लगी रही। यहां पर श्रीराम जानकी मंदिर, महादेव मंदिर सहित अन्य मंदिरों में भक्तों ने मत्था टेका।
पौराणिक कथाओं के अनुसार भगवान शिव और भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त करने के लिए श्रावण पूर्णिमा का व्रत रखा जाता है। यह पूर्णिमा सावन के महीने में पड़ती है, इसलिए इसे श्रावणी पूर्णिमा भी कहा जाता है।
कहा जाता है कि धन की देवी लक्ष्मी के रूप गायत्री माता का जन्म भी सावन पूर्णिमा के दिन ही हुआ था, इसलिए इस दिन का महत्व और भी बढ़ गया है। संगम तट पर भोर से ही भक्तों की भीड़ उमड़ने लगी। घाट पर मेले जैसा नजारा रहा। यहां पर पूजन सामग्री के साथ ही सौंदर्य प्रसाधान और खिलौनो के दुकान भी लगे थे। डुबकी लगाने के बाद भक्तों ने गंगा की भी पूजा अर्चना की। साथ ही भगवान सूर्य को जल अर्पित किया।
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