राजनीति में उतरने के लिए तैयार है हसीना का बेटा
सुनील श्रीवास्तव
ढाका। बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना के बेटे सजीब वाजेद जॉय ने कहा है कि वह राजनीति में उतरने के लिए तैयार है। जॉय का ये बयान ऐसे समय में आया है, जब उनकी मां शेख हसीना ने कई सप्ताह के उग्र प्रदर्शन के बाद सोमवार 5 अगस्त को प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया और देश छोड़कर भारत आ गई थीं। इसके बाद से बांग्लादेश में उनकी पार्टी अवामी लीग के नेताओं पर हमले हो रहे हैं, जिनमें कई मारे गए हैं। जॉय ने पहले कहा था कि उनका राजनीति में उतरने का कोई इरादा नहीं है। वॉशिंगटन डीसी में रह रहे जॉय ने हमारे सहयोगी टॉइम्स ऑफ इंडिया से फोन पर बात करते हुए कहा, ‘मैं पार्टी और उसके कार्यकर्ताओं को बचाने के लिए जो भी करना पड़ेगा, करूंगा। अगर मुझे राजनीति में उतरने की जरूरत पड़ी तो मैं पीछे नहीं हटूंगा।’
वाजेद ने आगे कहा कि ‘मेरी मां (शेख हसीना) मौजूदा कार्यकाल के बाद राजनीति से संन्यास ले लेतीं। मेरी कभी कोई राजनीतिक महत्वाकांक्षा नहीं रही और मैं अमेरिका में बस गया था, लेकिन पिछले कुछ दिनों के बांग्लादेश के घटनाक्रम से पता चलता है कि नेतृत्व शून्य है। मुझे पार्टी की खातिर सक्रिय होना पड़ा और अब मैं सबसे आगे खड़ा हूं।’ वाजेद का बयान उसी दिन आया है, जिस दिन मोहम्मद यूनुस के नेतृत्व में बांग्लादेश में अंतरिम सरकार का गठन हुआ है। इस बीच अवामी लीग की मुख्य प्रतिद्वंद्वी बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (बीएनपी) की नेता खालिदा जिया की रिहाई के बाद उनके बेटे और पार्टी के कार्यवाहक अध्यक्ष तारिक रहमान ढाका लौट आए हैं।
अवामी लीग जीत सकती है चुनाव
सजीब वाजेद जॉय ने कहा, मुझे यकीन है कि अवामी लीग चुनाव में हिस्सा लेगी और हम जीत भी सकते हैं। बांग्लादेश में हमारे पास सबसे बड़ा समर्थक आधार है। उन्होंने यह भी दावा किया कि उनकी मां की किसी देश में शरण लेने की योजना नहीं है। जॉय ने कहा, ‘वह फिलहाल भारत में हैं। अंतरिम सरकार के देश में चुनाव कराने का फैसला किए जाने के बाद वह बांग्लादेश वापस चली जाएंगी। मैं इतने कम समय में अपनी मां की जान बचाने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का शुक्रगुजार हूं।’
आत्मनिरीक्षण करेगी अवामी लीग
जॉय ने आत्मनिरीक्षण पर जोर देते हुए कहा, ‘निश्चित रूप से गलतियां थीं। जब आप एक देश चलाते हैं, तो हर दिन बहुत सारे फैसले लिए जाते हैं। अवामी लीग आत्मनिरीक्षण में विश्वास करती है और हम इसके लिए तैयार थे। लेकिन हमें इस बार ऐसा करने का मौका नहीं मिला। हमें कभी नहीं लगा कि उनकी मांगों को स्वीकार करने के बाद भी स्थिति इतनी तेजी से बढ़ जाएगी।’ उन्होंने यह भी कहा कि बीएनपी और जमात का गठबंधन अल्पसंख्यकों को नहीं बचा पाएगा।
भारत के लिए बताया खतरा
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