शुक्रवार, 26 जुलाई 2024

जुमला और खुद की सरकार को बचाने वाला बजट

जुमला और खुद की सरकार को बचाने वाला बजट
पूर्व मेज़र जनरल ने दी केंद्र सरकार के बजट पर अपनी प्रतिक्रिया
मुस्कान खान
भोपाल। पूर्व मेजर जनरल श्याम श्रीवास्तव (सेवानिवृत्त)
अध्यक्ष,मप्र भूतपूर्व सैनिक विभाग,कांग्रेस के वरिष्ठ नेता ने केंद्र सरकार के पेश बजट को जुमला बजट करार दिया। उनके सहयोगियों को रेवड़ियां बांटने वाला, देश की जनता की गाढ़ी कमाई को अपने पूंजीपति मित्रो को बांटने वाला बजट करार दिया है। ताकि केंद्र में भाजपा की सरकार बची रहे। इस बजट से मध्यप्रदेश को सिर्फ निराशा हाथ लगी है।
पूर्व मेज़र जनरल ने कहा कि कांग्रेस के न्याय के एजेंडे को ठीक तरह से कॉपी भी नहीं कर पाया है,, साफ तौर पर मोदी सरकार का नकलची बजट है। मोदी सरकार का बजट अपने गठबंधन के साथियों को ठगने के लिए आधी-अधूरी "रेवड़ियां" बाँट रहा है, ताकि एनडीए बची रहे। उन्होंने कहा कि ये "देश की तरक्की" का बजट नहीं, "मोदी सरकार बचाओ" वाला बजट है। भारत के सैनिकों के लिए इस बजट में क्या है? सेना में अधिकतर हथियार बहुत पुराने हो गए हैं। नए हथियार खरीदने या सेनाओ को आधुनिक बनाने के लिए बजट मे कोई प्रावधान नहीं है."जो सीमाओं पर वतन के लिए शहीद हो रहें हैं। उनके लिए कुछ नहीं। 10 साल बाद उन युवाओं के लिए सीमित घोषणाएं हुईं हैं, जो सालाना दो करोड़ नौकरियों के जुमले को झेल रहे हैं। किसानों को लिए केवल सतही बातें हुईं हैं। डेढ़ गुना एमएसपीऔर आय दो गुना करना, ये सब चुनावी धोखेबाज़ी निकली। ग्रामीण वेतन को बढ़ाने का इस सरकार का कोई इरादा नहीं है। बजट में दलित,आदिवासी, पिछड़े वर्ग,अल्पसंख्यक, माध्यम वर्ग और गाँव-ग़रीब लोगों के लिए कोई भी क्रांतिकारी योजना नहीं है। जैसी कांग्रेस- यूपीए ने लागू की थी। "ग़रीब" शब्द केवल स्वयं की ब्रांडिंग करने का ज़रिया बन गया है, ठोस कुछ भी नहीं है। उन्होंने कहा कि
महिलाओं के लिए इस बजट में ऐसा कुछ नहीं है, जिससे उनकी आर्थिक क्षमता बढ़े और वो वर्क फॉर्स में अधिक से अधिक शामिल हों। उल्टा महँगाई पर सरकार अपनी पीट थपथपा रही है, जनता की गाढ़ी कमाई लूट कर वो पूंजीपति मित्रों में बाँट रही है। कृषि, स्वास्थ्य, शिक्षा, जन-कल्याण और आदिवासियों पर बजट में आवंटन से कम खर्च किया है, क्योंकि ये भाजपा की प्राथमिकताएँ नहीं हैं।
इसी तरह कैपिटल एक्सपेंडिचर पर 1 लाख करोड़ कम खर्च किया है, तो फिर नौकरियाँ कहा से बढ़ेंगी। शहरी विकास, ग्रामीण विकास, इंफ्रास्ट्रक्चर, मैनुफैक्चरिंग, एम एस एम ई, आदि की बात की गई है, पर कोई बड़ी घोषणा नहीं की गई है। आए दिन रेल हादसे हो रहें हैं, ट्रेनों को बंद किया गया है, कोच की संख्या घटी है, आम यात्री परेशान हैं, पर बजट में रेलवे के बारे में कुछ नहीं कहा गया है, कोई जवाबदेही नहीं है।  
जातिगत जनगणना पर भी कुछ नहीं बोला गया है, जबकि ये पाँचवा बजट है,जो बिना सेनसस के प्रस्तुत किया जा रहा है। ये हैरान कर देने वाली अप्रत्याशित नाकामी है, जो लोकतंत्र और संविधान के ख़िलाफ़ है। 20 मई 2024, यानि चुनाव के दौरन ही, मोदी जी ने एक साक्षात्कार में दावा किया था कि "100 दिनों का एक्शन प्हलान हमारे पास पहले से ही है, जब Action Plan, दो महीने पहले था, तो कम से कम बजट में ही बता देते है। कुल मिलाकर इस बजट में न कोई प्लान है और भाजपा केवल जनता से धोखेबाज़ी करने के एक्शन में व्यस्त है।

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