2040 तक इंसान को चांद पर भेजेगा 'भारत'
इकबाल अंसारी
नई दिल्ली। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) एक बार फिर से अपने विज्ञान और तकनीक के अद्वितीय कारनामों से दुनिया को चौंकाने की तैयारी में है। इसरो के अध्यक्ष एस. सोमनाथ ने हाल ही में एक इंटरव्यू में बताया कि भारत 2040 तक इंसान को चांद पर भेजने की दिशा में तेजी से कार्य कर रहा है।
उन्होंने बताया कि यह मिशन चंद्रयान मिशनों की एक अहम कड़ी होगी, जो भारत को अंतरिक्ष अन्वेषण के क्षेत्र में एक नई ऊंचाई पर ले जाएगा।
चंद्रयान-4 लाएगा चंद्रमा से नमूने
पिछले साल, इसरो ने चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव के निकट चंद्रयान-3 को सफलतापूर्वक उतार कर इतिहास रच दिया था। यह उपलब्धि न केवल भारत के अंतरिक्ष मिशनों में मील का पत्थर साबित हुई, बल्कि दुनिया भर में इसरो की वैज्ञानिक क्षमता और तकनीकी कौशल की सराहना भी हुई। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने चंद्रयान-3 की लैंडिंग साइट का नाम 'शिव शक्ति' रखा, जो अब इसरो के आगामी चंद्र मिशनों का एक महत्वपूर्ण बिंदु बनेगा।
एनडीटीवी को दिए एक इंटरव्यू में एस. सोमनाथ ने बताया कि इसरो का लक्ष्य 'शिव शक्ति' प्वाइंट से अगले कुछ वर्षों में चंद्र नमूने को पृथ्वी पर लाना है। इसरो के इस मिशन का उद्देश्य चंद्रमा की संरचना और उसके रहस्यों को और गहराई से समझना है। उल्लेखनीय है कि इससे पहले चीन ने भी सफलतापूर्वक चंद्रमा से नमूने वापस लाने में सफलता प्राप्त की थी, और अब भारत भी इस दिशा में आगे बढ़ रहा है।
2040 तक चांद पर पहुंचेंगे भारतीय
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के 2040 तक चांद पर इंसान को भेजने के आह्वान पर एस. सोमनाथ ने कहा, "हमें चांद पर उतरने के लिए कई चीजों में निरंतरता बनाए रखनी होगी, जिसमें मानव अंतरिक्ष उड़ान और ट्रांस-लूनर मानव अंतरिक्ष उड़ान शामिल हैं। हमें चंद्रयान मिशनों को जारी रखना होगा क्योंकि चांद पर जाना और वापस आना भी हमारी पहुंच में हो। हमें एक ऐसे स्तर तक पहुंचना होगा जहां शायद हमारे लोग चांद पर जा सकें और वापस आ सकें।"
इसरो के अध्यक्ष के अनुसार, चंद्रमा पर भारतीयों को भेजने के लिए कई तकनीकी और वैज्ञानिक चुनौतियों का सामना करना पड़ेगा। इसके लिए अत्याधुनिक अंतरिक्ष यान, जीवन रक्षक प्रणाली, और चंद्रमा पर सुरक्षित लैंडिंग की तकनीक विकसित करनी होगी। इसके अलावा, अंतरिक्ष यात्री के स्वास्थ्य और सुरक्षा को सुनिश्चित करने के लिए विभिन्न परीक्षण और अनुसंधान भी आवश्यक होंगे।
इसरो ने लहराया था परचम
इसरो की इस महत्वाकांक्षी योजना ने भारत के अंतरिक्ष अन्वेषण के क्षेत्र में एक नई उमंग और उत्साह भर दिया है। यह मिशन न केवल भारत के वैज्ञानिक समुदाय के लिए, बल्कि पूरे देश के लिए गर्व और प्रेरणा का स्रोत बनेगा। भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम की यह नई दिशा न केवल चांद की सतह पर भारतीयों की उपस्थिति सुनिश्चित करेगी, बल्कि अंतरिक्ष अन्वेषण में भारत को विश्व गुरु बनने की दिशा में भी एक महत्वपूर्ण कदम होगा।
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