शुक्रवार, 24 मई 2024

मेधा को मानहानि के मामलें में दोषी ठहराया

मेधा को मानहानि के मामलें में दोषी ठहराया

इकबाल अंसारी 
नई दिल्ली। दिल्ली की अदालत ने 'नर्मदा बचाओ' आंदोलन की नेता मेधा पाटकर को एक मानहानि के मामलें में दोषी ठहराया है। यह मामला दिल्ली के मौजूदा उपराज्यपाल एलजी वीके सक्सेना से जुड़ा हुआ है। दरअसल वी. के. सक्सेना ने ही मेधा पाटकर के खिलाफ मानहानि का केस दर्ज कराया था। मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट राघव शर्मा ने पाटकर को आपराधिक मानहानि का दोषी पाया है। इसके लिए मेधा पाटकर को सजा के रूप में दो साल की जेल या जुर्माना या दोनों मिल सकते हैं।
बता दें, साल 2000 में मेधा पाटकर ने वीके सक्सेना के खिलाफ उनके और नर्मदा बचाओ आंदोलन (एनबीए) के खिलाफ विज्ञापन छापने के आरोप में केस दर्ज किया था। तब से ही दोनों के बीच कानूनी लड़ाई चल रही थी। उस समय वीके सक्सेना अहमदाबाद स्थित एनजीओ नेशनल काउंसिल फॉर सिविल लिबर्टीज के प्रमुख थे। इसके बाद वीके सक्सेना ने भी साल 2001 में उनके खिलाफ अपमानजनक प्रेस नोट जारी करने के आरोप में मानहानि का मामला दर्ज किया था। यह प्रेस नोट 25 नवंबर 2000 को जारी किया गया था।
पाटकर ने कहा था, ”हवाला लेनदेन से आहत वीके सक्सेना खुद मालेगांव आए, एनबीए की प्रशंसा की और 40 हजार रुपये का चेक दिया। लोक समिति ने भोलेपन में तुरंत रसीद और पत्र भेज दिया, जो ईमानदारी और अच्छे रिकॉर्ड रखने को दर्शाता है। लेकिन चेक भुनाया नहीं जा सका और बाउंस हो गया। पूछताछ करने पर, बैंक ने बताया कि ऐसा कोई अकाउंट मौजूद ही नहीं है। मेधा पाटकर ने अपने इस प्रेस नोट में कहा था, वीके सक्सेना देशभक्त नहीं कायर थे।
फैसला सुनाते हुए कोर्ट ने कहा कि पाटकर ने जो भी किया, वो जानबूझकर और वीके सक्सेना की छवि खराब करने के मकसद से किया। इससे उनकी प्रतिष्ठा और साख को काफी नुकसान पहुंचा है। कोर्ट ने कहा, सक्सेना को देशभक्त नहीं कायर कहना और हवाला लेनदेन में शामिल होने का आरोप लगाने वाले मेधा पाटकर के बयान न केवल मानहानिकारक थे, बल्कि नकारात्मक धारणाओं को भड़काने के लिए भी तैयार किए गए थे। मामले की सुनवाई कर रहे जज ने कहा, शिकायतकर्ता को ‘देश भक्त नहीं कायर’ कहना उनके व्यक्तिगत चरित्र और राष्ट्र के प्रति वफादारी पर सीधा हमला था। कोर्ट ने कहा, सार्वजनिक क्षेत्र में ऐसे आरोप काफी गंभीर हैं खास तौर पर वहां जहां देशभक्ति को अत्यधिक महत्व दिया जाता है, और किसी के साहस और राष्ट्रीय निष्ठा पर सवाल उठाने से उनकी सार्वजनिक छवि और सामाजिक प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंच सकता है।

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