'अट्टहास कवि' सम्मेलन का आयोजन किया
इकबाल अंसारी
गाजियाबाद। कवि नगर रामलीला मैदान में कवि नगर रेजिडेंट फेडरेशन द्वारा गत वर्षो की बात इस वर्ष भी अट्टहास कवि सम्मेलन का आयोजन किया गया। जिसमें मुख्य अतिथि के रूप में पी एन अरोड़ा सी एम डी यशोदा हॉस्पिटल,दीप प्रज्वलन के पी गुप्ता अध्यक्ष के पी जी ग्रुप,राम अवतार जिंदल वरिष्ठ समाज सेवी रहे। जिनका स्वागत फ़ेडरेशन के अध्यक्ष दिनेश गोयल एम एल सी,वरिष्ठ उपाध्यक्ष अजय जैन,महामंत्री लाल चन्द शर्मा,संरक्षक ललित जायसवाल आदि ने किया।
आमंत्रित कवियों व अतिथियों का स्वागत फ़ेडरेशन के पदाधिकारियों,सदस्यों के साथ साथ स्वागत अध्यक्ष रामअवतार जिंदल,के पी गुप्ता आदि ने किया। जिनमें डॉ॰हरिओम पंवार,डॉ॰विष्णु सक्सेना, विनीत चौहान,अनिल अग्रवंशी डॉ॰अर्जुन सिसोदिया,सुदीप भोला,चिराग जैन,श्रीमती अंजू जैन,डॉक्टर राजीव राज,गोविंद राठी,सुनहरी लाल तुरंत,पीके आजाद,सुमनेश सुमन,मोहित शौर्य, डॉ. प्रवीण शुक्ला के साथ साथ पूर्व विधायक के के शर्मा,कृष्ण वीर सिंह सिरोही,बाल किशन गुप्ता,पूर्व मंत्री राम किशोर अग्रवाल,कॉंग्रेस नेता बिजेन्द्र यादव समेत दर्जनों अतिथियों का स्वागत किया गया। अट्टहास कवि सम्मेलन के पूरी रात चलकर सुबह 5.30 पर समाप्त हुआ।श्रोताओं के बैठने के लिए कुर्सियों की व्यवस्था की गई। वहीं, पीछे वालों के लिए दो एलईडी लगवाई गई है। जिससे पीछे वाले पीछे से ही देख करके कवि सम्मेलन का आनंद ले सकें।
इस अवसर पर चारों तरफ फॉगिंग व पानी का छिड़काव समुचित मात्रा में करवाया गया। जिससे किसी दर्शक को कोई परेशानी नहीं हुई। दर्शकों ने भारी संख्या में पहुंच करके लगभग 42 वर्षों से हो रहे इस कवि सम्मेलन का भरपूर आनंद लिया।
इस अवसर पर कवियों ने अपने गीतों,वीर रस,श्रंगार रस,हास्य व व्यंग्य से समा बांध दिया और श्रोताओं की तालियॉ वाहवाही लूटी। ऑख खोली तो तुम रुक्मणी सी दिखीं।
बंद की आंख तो राधिका तुम लगीं,
जब भी देखा तुम्हें शांत एकांत में मीराबाई सी इक साधिका तुम लगीं।
डॉ. विष्णु सक्सेना
चेहरे पे हंसी व दिल में खुशी होती है,
सही मायने में यही जिंदगी होती है।
हंसना किसी इबादत से कम नहीं,
किसी ओर को हंसा दो तो बंदगी होती है।
अनिल अग्रवंशी
तू ही मेरी एफ बी है,
तू ही मेरी इंस्टा है।
साइट भी तू ही मेरी और मेरा नेट तू।
डॉ प्रवीण शुक्ल
अजब है माईने,
इस दौर की गूंगी तरक्की के।
हंसी बेजान-सी लब पर बदन टूटे थकानों में।
अंजू जैन
युद्ध नहीं जिनके जीवन में,
वे भी बड़े अभागे होंगें।
या तो प्रण को तोड़ा होगा या फिर रण से भागे होंगें।।
डॉ. अर्जुन सिसौदिया
बन गया मंदिर परमानेंट,
बन गया मंदिर परमानैंट।
वहीं बना है जहां,
लगा था राम लला का टेंट।
कारसेवकों ने दिखलाया था। जहां अपना टैलेंट सुदीप भोला,आदि ने पढ़ा।
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