यूपी: लोकसभा चुनाव नहीं लड़ेंगे अखिलेश
संदीप मिश्र
लखनऊ। समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव लोकसभा चुनाव नहीं लड़ेंगे। इसके पीछे सियासी निहितार्थ हैं। वह उत्तर प्रदेश में नेता प्रतिपक्ष की भूमिका निभाना चाहते हैं और 2027 के विधानसभा चुनाव के लिए यूपी में बने रहना चाहते हैं। फ्लैशबैक में जाएं तो अखिलेश यादव ने मैनपुरी के करहल से विधायक बनने के बाद आजमगढ़ लोकसभा सीट से इस्तीफा दे दिया था। उन्होंने नेता प्रतिपक्ष का पद खुद संभाला। चाचा शिवपाल के साथ आने के बाद नेता प्रतिपक्ष के पद को लेकर कयासबाजी शुरू हुई, लेकिन वे अपने फैसले पर अडिग रहे।
लोकसभा चुनाव के दौरान उनके आजमगढ़ अथवा कन्नौज से मैदान में उतरने की संभावना जताई जा रही थी, लेकिन आजमगढ़ से धर्मेंद्र यादव और कन्नौज से तेज प्रताप यादव को उम्मीदवार घोषित कर उन्होंने इन संभावनाओं पर विराम लगा दिया। हालांकि इसके पीछे रणनीति बताई जा रही है। वरिष्ठ पत्रकार नागेंद्र का कहना है कि लोकसभा चुनाव न लड़ कर अखिलेश यादव ने एक तीर से कई निशाने साधे हैं। वह एक लोकसभा सीट पर खुद को बांधने के बजाय पूरे प्रदेश में चुनावी दौरे कर सकेंगे। दूसरी तरफ जनता के बीच मौजूद रहने का संदेश देंगे।
नेता प्रतिपक्ष के पास कैबिनेट मंत्री की तरह कई अधिकार होते हैं। प्रदेश की सियासत के आधार पर भी नेता प्रतिपक्ष का पद अहम माना जाता है। जबकि सांसद के पास निधि और कुछ विशेषाधिकार ही होते हैं। अखिलेश यादव ने कन्नौज से तेज प्रताप यादव को मैदान में उतारकर पार्टी के अंदर किसी तरह के विरोध को उभरने से रोका है। कन्नौज से पहले डिंपल यादव सांसद थीं, लेकिन मुलायम सिंह यादव के निधन के बाद वह मैनपुरी से लोकसभा उपचुनाव लड़ीं, जबकि यहां से तेज प्रताप सांसद रह चुके हैं। ऐसे में मैनपुरी के बदले कन्नौज देकर उन्होंने पारिवारिक एकजुटता का संदेश दिया है।
तेज प्रताप राष्ट्रीय जनता दल के अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव के दामाद हैं, तो सपा से बगावत करने वाले हरिओम के नाती भी हैं। बता दें कि मैनपुरी से डिंपल यादव, बदायूं से आदित्य यादव, फिरोजाबाद से अक्षय यादव, आजमगढ़ से धर्मेंद्र यादव को पहले ही उम्मीदवार घोषित किया जा चुका है। इन सीटों पर पारिवार से इतर किसी उम्मीदवार के उतारने से भितरघात की आशंका थी।
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