सूर्य ग्रहण आने से पहले सूरज में शांति देखी
अखिलेश पांडेय
8 अप्रैल को पूर्ण सूर्य ग्रहण लगने वाला है। यह सूर्य ग्रहण मेक्सिको, अमेरिका और कनाडा में दिखेगा। इस सूर्य ग्रहण का इंतजार आम लोगों के साथ साथ वैज्ञानिकों को भी है। ऐसा इसलिए क्योंकि पूर्ण सूर्य ग्रह के दौरान सूर्य का कोराना देखा जा सकता है। कोरोना को सूर्य के वायुमंडल की तरह समझ लीजिए। क्योंकि इस समय सूर्य अपने 11 वर्षों के चक्र के चरम पर हैं। इसलिए उसमें ज्यादा गतिविधि देखी जा रही है। लेकिन सूर्य ग्रहण आने से ठीक पहले वैज्ञानिकों ने अचानक से सूरज में शांति देखी है।
सूर्य ग्रहण के दौरान एक ऐसा समय आता है जब चंद्रमा पूरी तरह से सूर्य को ढक लेता है। इसे समग्रता कहते हैं जो कुछ मिनटों का होता है। इस दौरान सूर्य का कोई भी प्रकाश हमें नहीं दिखता है। लेकिन चंद्रमा के ठीक पीछे हमें सूर्य का वायुमंडल यानी उसका कोरोना दिखाई देता है। लेकिन अचानक अप्रत्याशित तरीके से सूर्य में शांति देखी गई है। कुछ दिनों पहले ही सौर गतिविधि बहुत ज्यादा देखी जा रही थी। इस कारण उम्मीद की जा रही थी कि समग्रता के दौरान सूर्य से निकलने वाले तूफान और भी विशाल होंगे, जिन्हें देखा जा सकेगा।
लेटेस्ट अंतरिक्ष मौसम पूर्वामुमान के मुताबिक जितने विशाल और ऊर्जा वाले कोरोना की उम्मीद थी अब वह असंभव लगता है। हालांकि एक्सपर्ट्स का कहना है कि समग्रता के पथ पर यह किसी भी अन्य सूर्य ग्रहण की तुलना में अधिक प्रभावशाली दिखना चाहिए। सौर चक्र 11 वर्षों का होता है। इस चक्र के दौरान सौर गतिविधियां कम से ज्यादा की ओर जाती हैं और फिर कम होती हैं। ऐसे ही यह चक्र चलता रहता है। इस समय सूर्य अपनी गतिविधि के चरम पर है, जिसे सोलर मैक्सिमम कहते हैं। सौर गतिविधियों के चरम पर होने से काले सनस्पॉट सूर्य की सतह पर फैल जाते हैं। इनमें से अक्सर शक्तिशाली तूफान निकलते हैं।
सूर्य को अचानक क्या हुआएक्सपर्ट्स का मानना है कि सोलर मैक्सिमम का चरण पूर्वानुमान से एक साल पहले ही शुरू हो चुका है। लेकिन जब तक यह पूरी तरह खत्म नहीं हो जाता तब तक हम कुछ नहीं कह सकते। पिछले दो महीनों से सौर गतिविधियां बहुत ज्यादा बढ़ी हुई थीं। सूर्य पर विशाल सनस्पॉट थे जो लगातार एक्स श्रेणी की सौर लपटें निकाल रहे थे, जो सबसे शक्तिशाली सौर विस्फोट होते हैं। 23 मार्च को प्लाज्मा और रेडिएशन का एक बादल पृथ्वी से टकराया, जिसे कोरोनल मास इजेक्शन (CME) कहा जाता है। यह पृथ्वी पर छह साल का सबसे बड़ा सौर तूफान था। लेकिन अब सूर्य में पृथ्वी की ओर कुछ ही एक्टिव सनस्पॉट हैं। यह भी बहुत छोटे हैं। इसमें से ग्रहण के दौरान बेहद कम सौर ज्वाला निकलने की संभावना है।
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