एससी ने एसबीआई को कड़ी फटकार लगाई
इकबाल अंसारी
नई दिल्ली। चुनावी बॉन्ड मामले में सुप्रीम कोर्ट ने भारतीय स्टेट बैंक (SBI) को कड़ी फटकार लगाई है। कोर्ट ने SBI से कहा कि बॉन्ड का पूरा डाटा सार्वजनिक करने के आदेश के बावजूद बैंक ने ऐसा नहीं किया और यूनिक नंबर नहीं जारी किए। कोर्ट ने बैंक को आदेश दिया कि वो हर बॉन्ड पर छपे यूनिक नंबर भी जारी करे। इस नंबर की मदद से ये पता चल सकेगा कि किस कंपनी ने किस पार्टी को कितना चंदा दिया।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा, "हमने आदेश दिया था कि आप पूरा सार्वजनिक करेंगे, लेकिन आपने पूरा डाटा नहीं दिया। आपने बॉन्ड नंबर नहीं बताए हैं, हमने सब जानकारी देने को कहा था। वास्तव में कहें तो SBI ने जो खुलासा किया है, हम उस पर आपत्ति जता सकते हैं। आपने हमारे आदेश के बाद भी यूनिक नंबर क्यों सार्वजनिक क्यों नहीं किए।" कोर्ट ने SBI को नोटिस भी जारी किया है। मामले की अगली सुनवाई अब 18 मार्च को होगी।
दरअसल, अभी SBI ने चुनावी बॉन्ड की 2 अलग-अलग सूची दी हैं। एक में बॉन्ड खरीदने वाली कंपनियों की जानकारी और दूसरी में बॉन्ड भुनाने वाली राजनीतिक पार्टियों के नाम हैं। इससे ये पता चल रहा है कि किस कंपनी ने कितने का बॉन्ड खरीदा और किस पार्टी को कितना चंदा मिला, लेकिन ये नहीं पता चल रहा है कि किसने किस पार्टी को कितना चंदा दिया। अब बॉन्ड का नंबर जारी होने से ये जानकारी भी सामने आ सकेगी।
15 फरवरी को सुप्रीम कोर्ट की संवैधानिक पीठ ने ऐतिहासिक फैसले में चुनावी बॉन्ड योजना को असंवैधानिक करार दिया था। कोर्ट ने SBI को चुनावी बॉन्ड के माध्यम से राजनीतिक पार्टियों को मिले दान और चुनावी बॉन्ड खरीदने वालों का विवरण चुनाव आयोग को देने को कहा था। आयोग को 13 मार्च तक ये जानकारी अपनी वेबसाइट पर सार्वजनिक करनी थी। बाद में SBI ने अतिरिक्त समय मांगा था, जिससे कोर्ट ने इनकार कर दिया था।
क्या थे चुनावी बॉन्ड?
चुनावी बॉन्ड एक सादा कागज होता था, जिस पर नोटों की तरह उसकी कीमत छपी होती थी। इसे कोई भी व्यक्ति या कंपनी खरीदकर अपनी मनपंसद राजनीतिक पार्टी को चंदे के तौर पर दे सकती थी। बॉन्ड खरीदने वाले की जानकारी केवल SBI के पास रहती थी। हर तिमाही में SBI 10 दिन के लिए चुनावी बॉन्ड जारी करता था। केंद्र सरकार ने 2017 के बजट में इसकी घोषणा की थी, जिसे लागू 2018 में किया गया।
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