मंगलवार, 13 फ़रवरी 2024

मौर्य ने राष्ट्रीय महासचिव पद से इस्तीफा दिया

मौर्य ने राष्ट्रीय महासचिव पद से इस्तीफा दिया 

विजय भाटी 
गौतमबुद्ध नगर। स्वामी प्रसाद मौर्य ने पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव पद से इस्तीफा दिया है। उन्होंने पार्टी का साथ नहीं छोड़ा है। इसको लेकर उन्होंने लिखा भी है कि ‘पद के बिना भी पार्टी को सशक्त बनाने के लिए मैं तत्पर रहू़ंगा’।
अपने बयानों को लेकर अक्सर चर्चा में रहने वाले समाजवादी पार्टी (सपा) के राष्ट्रीय महासचिव स्वामी प्रसाद के त्याग-पत्र ने यूपी की राजनीति में हलचल पैदा कर दी है। स्वामी प्रसाद मौर्य ने अपने एक्स अकाउंट पर त्यागपत्र को साझा करते हुए संज्ञानार्थ लिखा है और सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव व समाजवादी पार्टी को टैग किया है। स्वामी प्रसाद मौर्य ने पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव पद से इस्तीफा दिया है, उन्होंने पार्टी का साथ नहीं छोड़ा है। इसको लेकर उन्होंने लिखा भी है कि ‘पद के बिना भी पार्टी को सशक्त बनाने के लिए मैं तत्पर रहू़ंगा’।
स्वामी प्रसाद मौर्य ने त्यागपत्र में लिखा, ‘जबसे में समाजवादी पार्टी में सम्मिलित हुआ, लगातार जनाधार बढ़ाने की कोशिश की। सपा में शामिल होने के दिन ही मैंने नारा दिया था “पच्चासी तो हमारा है, 15 में भी बंटवारा है”। हमारे महापुरूषों ने भी इसी तरह की लाइन खींची थी। भारतीय संविधान निर्माता बाबा साहब डॉक्टर आंबेडकर ने “बहुजन हिताय बहुजन सुखाय” की बात की तो डॉ. राम मनोहर लोहिया ने कहा कि “सोशलिस्टो ने बांधी गांठ, पिछड़ा पावे सो में साठ”, शहीद जगदेव बाबू कुशवाहा व मा. रामस्वरूप वर्मा जी ने कहा था “सौ में नब्बे शोषित हैं, नब्बे भाग हमारा है”, इसी प्रकार सामाजिक परिवर्तन के महानायक काशीराम साहब का भी वही था नारा “85 बनाम 15 का”।
किंतु पार्टी द्वारा लगातार इस नारे को निष्प्रभावी करने एवं वर्ष 2022 के विधानसभा चुनाव में सैकड़ों प्रत्याशियों का पर्चा व सिंबल दाखिल होने के बाद अचानक प्रत्याशियों के बदलने के बावजूद भी पार्टी का जनाधार बढ़ाने में सफल रहे, उसी का परिणाम या कि सपा के पास जहां मात्र 45 विधायक थे वहीं पर विधानसभा चुनाव 2022 के बाद यह संख्या 110 विधायकों की हो गई थी। तद्नतर बिना किसी मांग के आपने मुझे विधान परिषद् में भेजा और ठीक इसके बाद राष्ट्रीय महासचिव बनाया, इस सम्मान के लिए आपको बहुत-बहुत धन्यवाद।
त्यागपत्र में स्वामी प्रसाद मौर्य ने आगे लिखा, पार्टी को ठोस जनाधार देने के लिए जनवरी-फरवरी 2023 में मैंने आपके पास सुझाव रखा कि जातिवार जनगणना कराने, अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और पिछड़ो के आरक्षण को बचाने, बेरोजगारी व बढ़ी हुई महंगाई, किसानों की समस्याओं व लाभकारी मूल्य दिलाने, लोकतंत्र व संविधान को बचाने, देश की राष्ट्रीय संपत्तियों को निजी हाथ में बेचे जाने के विरोध में प्रदेश व्यापी भ्रमण कार्यक्रम हेतु रथ यात्रा निकालने का प्रस्ताव रखा था, जिस पर आपने सहमति देते हुए कहा था “होली के बाद इस यात्रा को निकाला जायेगा” आश्वासन के बाद भी कोई सकारात्मक परिणाम नहीं आया। नेतृत्व की मंशा के अनुरूप मैंने पुनः कहना उचित नहीं समझा।
स्वामी प्रसाद ने लेटर में कहा है कि ‘पार्टी का जनाधार बढ़ाने का क्रम मैंने अपने तौर-तरीके से जारी रखा, इसी क्रम में मैंने आदिवासियों, दलितों व पिछड़ो को जो जाने-अनजाने भाजपा के मकड़जाल में फंसकर भाजपा मय हो गए थे उनके सम्मान व स्वाभिमान को जगाकर व सावधान कर वापस लाने की कोशिश की तो पार्टी के ही कुछ छुटभइये व कुछ बड़े नेता “मौर्य जी का निजी बयान है” कहकर इस धार को कुंठित करने की कोशिश की, मैंने अन्यथा नहीं लिया। मैंने ढोंग-ढकोसला, पाखंड व आडंबर पर प्रहार किया तो भी यही लोग फिर इसी प्रकार की बात कहते नजर आये, हमें इसका भी मलाल नहीं, क्योंकि मैं तो भारतीय संविधान के निर्देश के क्रम में लोगों को वैज्ञानिक सोच के साथ खड़ा कर लोगों को सपा से जोड़ने की अभियान में लगा रहा’।
स्वामी प्रसाद मौर्य ने कहा कि सपा को मजबूत करने के लिए खुद की परवाह नहीं की। उन्होंने कहा, दलितों और पिछड़ों को जोड़ने के अभियान के दौरान, मुझे गोली मारने, हत्या कर देने, तलवार से सिर कलम करने, जीभ काटने, नाक-कान काटने, हाथ काटने आदि-आदि लगभग दो दर्जन धमकियों व हत्या के लिए 51 करोड़, 51 लाख, 21 लाख, 11 लाख, 10 लाख आदि भिन्न-भिन्न रकम देने की सुपारी भी दी गई, अनेको बार जानलेवा हमले भी हुए, यह बात दीगर है कि प्रत्येक बार में बाल-बाल बचता चला गया। उल्टे सत्ताधारियों द्वारा मेरे खिलाफ अनेको एफआईआर भी दर्ज कराई गई, लेकिन अपनी सुरक्षा की बिना चिंता किये हुए में अपने अभियान में निरंतर चलता रहा।

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