स्वस्थ राष्ट्र के लिए जरूरी मनुष्य का स्वस्थ रहना
अकांशु उपाध्याय
नई दिल्ली। मेडिवेज फाउण्डेशन की ओर से नई दिल्ली में एक सेमीनार का आयोजन किया गया। इस सेमिनार का विषय रहा स्वास्थ्य के क्षेत्र में मोदी सरकार की दस साल की उपलब्धियां और आगे पांच साल के कार्य।
इस सेमिनार में देश के जाने-माने स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने भाग लिया। जिसमें प्रमुख नाम इस प्रकार थे। जीएलए के प्रो चांसलर प्रोफेसर दुर्ग सिंह चौहान, जाने माने हृदय रोग विशेषज्ञ पद्म विभूषण डॉ केके तलवार, मशहूर कैंसर रोग विशेषज्ञ डॉ मीनू वालिया, एसोसिएट्स ऑफ हेल्थकेयर प्रोवाइडर्स के डायरेक्टर जनरल डॉ गिरधर ज्ञानी, डॉ हरसिंह गौर विश्वविद्यालय,सागर की कुलपति डॉ नीलम गुप्ता, किडनी रोग विशेषज्ञ डॉ नेहा सिंह जाधव प्रमुख थे।
इस मौके पर बोलते हुए सभी स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने इस बात पर तो संतोष जताया कि बीते दस सालों में हेल्थ सेक्टर में बहुत अच्छा काम हुआ है। गंभीर रोगों से लोगों को बचाने के लिए मोदी सरकार के स्तर न केवल योजनाएं शुरु की गयी हैं बल्कि जन जन तक स्वास्थ्य सेवाओं को सुलभ बनाने के लिए आयुष्मान जैसी महत्वाकांक्षी योजना शुरु की गयी है।
कासा किडनी क्लिनिक से जुड़ी किडनी रोग विशेषज्ञ डॉ नेहा सिंह जाधव ने कहा कि 2030 तक भारत के डॉइबिटीज कैपिटल होने की बात कही जा रही है इसे देखते हुए हमें आज से ही सतर्क हो जाने की जरूरत है। इसका सीधा असर हमारी किडनी पर होता है और हालात डायलिसिस तक पहुंच जाता है। ऐसे में अगर शुरुआत में हम किडनी रोगों के प्रति सचेत रहें तो दवाइयों से ही इलाज संभव है। आंकड़ों सहित उन्होंने बताया कि 2013 से 2019 के बीच 48 हजार किडनी ट्रांसप्लांट भारत में हुए हैं। लेकिन लोगों में मृत्यु के बाद अंगदान करने की प्रवृत्ति न होने से इस काम में कठिनाई आती है।
लेकिन विशेषज्ञों ने कहा कि अभी सरकार के स्तर पर जितना काम करने की जरूरत है उससे अधिक जरूरत गैर सरकारी संस्थाओं द्वारा लोगों में जनजागरण पैदा करने की है। इस काम में मेडिवेज फाउण्डेशन जैसी संस्थाएं महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती हैं।
मैक्स हॉस्पिटल की कैंसर रोग विशेषज्ञ डॉ मीनू वालिया ने इस मौके पर कहा कि कैंसर एक तरह का दीमक है जो उसको तो खाता ही है जिसे हो जाता है लेकिन इसके इलाज के लिए जो खर्च होता है उसके कारण उसके पूरे परिवार को खा जाता है। भारत में कैंसर रोगों की जांच और इलाज में बहुत अच्छी प्रगति हुई है लेकिन अभी भी लोग लापरवाही करते हैं। अस्पतालों में तब पहुंचते हैं जब कैंसर काफी बढ़ चुका होता है। अगर इसको शुरुआत में ही जांच से पकड़ लिया जाए तो इसका इलाज आसान होता है।
महिलाओं में कैंसर की समस्या पर बात करते हुए उन्होंने कहा कि महिलाओं में ब्रेस्ट और सर्वाइकल कैंसर की समस्या अधिक है। हर दस मिनट में एक महिला सर्वाइकल कैंसर से मर रही है। अब इसकी रोकथाम के लिए टीका उपलब्ध है लेकिन इसकी जानकारी का अभाव होने से लोग सर्वाइकल कैंसर का टीका नहीं लगा पाते। मीडिया को इस बारे में जानकारी देनी चाहिए ताकि अधिक से अधिक महिलाओं की जिन्दगी सर्वाइकल कैंसर से बच सके। उन्होंने जोर देकर कहा कि स्वस्थ्य राष्ट्र के लिए जरूरी है कि वहां के नागरिक स्वस्थ हों।
एसोसिएट्स ऑफ हेल्थकेयर प्रोवाइडर्स के डीजी डॉ गिरधर ज्ञानी ने कहा कि भारत में हेल्थ को लेकर कोई पोलिटिकल प्रोग्राम नहीं था। इसे सबसे पहले 2007 में आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री राजशेखर रेड्डी ने शुरु किया था। लेकिन राष्ट्रीय स्तर पर पब्लिक हेल्थ को पहली बार महत्व मोदी सरकार में मिला। आयुष्मान कार्ड जैसी महत्वाकांक्षी योजना गरीब आदमी को गंभीर रोगों में इलाज की सुविधा देता है। इसके साथ ही नेशनल डिजिटल हेल्थ मिशन भी शुरु किया गया है।
फिर भी देश में स्वास्थ्य सेवाओं की स्थिति अभी बहुत बेहतर नहीं हुई है। देश में प्रति एक हजार व्यक्तियों पर 1.5 हॉस्पिटल बेड हैं। इसमें भी राज्यों और शहरी तथा ग्रामीण क्षेत्रों में बहुत असमानता है। मसलन बिहार में प्रति एक हजार पर 0.3 बेड हैं तो कर्नाटक में सर्वाधिक 4.2 बेड हैं। इसी तरह अधिकांश अस्पताल सिर्फ बड़े शहरों में ही हैं। छोटे शहरों और ग्रामीण इलाकों में आज भी अस्पतालों का घोर अभाव है।
डॉ ज्ञानी ने कहा कि स्वास्थ्य जागरुकता की दिशा में सबसे अधिक काम किये जाने की जरूरत है। अगर स्वास्थ्य जागरुकता पर 1.5 रुपया खर्च किया जाता है तो स्वास्थ्य सेवाओं पर 10 रुपये की बचत होती है।
हृदयरोग विशेषज्ञ पद्मश्री डॉ केके तलवार ने कहा कि सब्सिडाइज्ड इन्श्योरेन्श की शुरुआत होनी चाहिए ताकि आम आदमी के लिए इलाज का खर्च उठाना आसान हो। वातावरण की स्वच्छता और साफ पानी जैसी बुनियादी जरूरतों को पूरा करके हम कई सारे रोगों से बच सकते हैं। उन्होने यह भी बताया कि टेक्नॉलाजी के कारण अब हृदय रोगों का इलाज काफी आसान हो गया है।
इस मौके पर बोलते हुए डॉ नीलिमा गुप्ता ने छात्रों में स्वास्थ्य जागरुकता पर बल दिया। उन्होंने कहा कि छात्रों पर सिर्फ पढाई का दबाव नहीं बनाना चाहिए बल्कि उन्हें खेलकूद के लिए भी प्रोत्साहित करना चाहिए ताकि उनकी शारीरिक गतिविधि भी होती रहे। उन्होने कहा कि आज के विद्यार्थी भविष्य के नागरिक हैं। वो स्वस्थ रहेंगे तो देश विकास करेगा।
इस मौके पर बोलते हुए प्रोफेसर दुर्ग सिंह चौहान ने कहा कि आरोग्य पुरुषार्थ का मूल कारण है। एक बीमार व्यक्ति कोई पुरुषार्थ नहीं कर सकता। स्वस्थ व्यक्ति ही अपनी और समाज की सेवा कर सकता है इसलिए हमारे शास्त्रों में व्यक्ति के स्वस्थ्य रहने पर बहुत बल दिया गया है। विदुर नीति में तो आरोग्य को ही सबसे बड़ा सुख कहा गया है। उन्होंने कहा कि अगर भारतीय जीवन दर्शन और आचरण को अपनाया जाए तो शरीर और मन में बीमारी के लिए कोई जगह नहीं रहेगी।
इस मौके पर मेडिवेज फाउंडेशन की ओर से विभिन्न विभूतियों को उनके सामाजिक कार्य के लिए सम्मानित भी किया गया। लाइफ टाइम अचीवमेंट से जम्मू कश्मीर अध्ययन केन्द्र के पद्म श्री जवाहरलाल कौल, दिव्यांग विभूति रमनलाल माधवलाल पटेल और राष्ट्रगाथा के संस्थापक श्री भारत भूषण,
के नाम शामिल हैं।
समाज में स्वास्थ्य, कला, पत्रकारिता व अन्य क्षेत्र में बदलाव लाने वालों को
दी चैम्पियन आप चेंज से सम्मानित किया गया। इनमें प्रमुख रुप से डा. अनुज सिंघल, संजय चतुर्वेदी, अरविंद, रवि प्रकाश, कन्हैया लाल, सौरभ दुबे, डा नितिन अग्रवाल, डॉ हरीश चन्द्र बर्णवाल, एयर कोमोडोर स्वप्न समाधार, राकेश आर्य, दीपक तोमर, मोनिका अरोड़ा, गीतांजलि शर्मा, नेहा, बिनिता देवी, डा श्वेता श्रीवास्तव, इमर जैदी, अंबर जैदी और अनुज भाटी शामिल रहे।
ज्ञात हो कि मेडिवेज फाउण्डेशन दिल्ली के बृजेश श्रीवास्तव और अनुराग श्रीवास्तव द्वारा शुरु किया गया प्रयास है। यह फाउण्डेशन मुख्य रूप से गरीब महिलाओं के बीच हेल्थ अवेयरनेस के साथ ही स्वास्थ्य से संबंधित नीतियों पर काम रहा है।
मंच का संचालन डाक्टर राजश्री भट्टाचार्य और मोनिका अरोड़ा ने किया। कार्यक्रम में सैकड़ों लोगों की उपस्थिति के साथ ही प्रमुख रुप से साईं शरणागत, पूर्व डीआईजी सचिदानंद राय, राजेश गुप्ता, राकेश मिश्रा, राहुल, पूर्व आईजी बीएसएफ सुधीर कुमार श्रीवास्तव, अंकित सिंह, ज्ञान पाण्डेय रहे। कार्यक्रम के आयोजन में एनआईईईएस, गेल इंडिया, इफ्को, प्रुडेंट स्कूल, कासा किडनी, एआरआर रिक्रुटमेंट, एआरआर मेडि और मीडिया सोशल मीडिया रिसर्च फाउंडेशन का योगदान रहा।
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