गुरुवार, 22 फ़रवरी 2024

गन्ने के 'एफआरपी' में 25 रुपये का इजाफा किया

गन्ने के 'एफआरपी' में 25 रुपये का इजाफा किया 

सत्येंद्र पंवार 
मेरठ। किसान आंदोलन के बीच नरेंद्र मोदी ने गन्ने की एमएसपी बढ़ाकर नया दांव चल दिया है। केंद्र सरकार ने गन्ने के (एफआरपी) में 25 रुपये का इजाफा किया है। सरकार के इस फैसले के बाद गन्ने की एमएसपी 340 रुपये प्रति क्विंटल हो गई है। पिछले साल इसकी कीमत 315 रुपये प्रति क्विंटल हो गई है। चुनाव से पहले उचित और लाभकारी मूल्य (एफआरपी) में 25 रुपये की बढ़ोतरी कर सरकार ने गन्ना किसानों को सीधे तौर पर साधने की कोशिश की है। 2019 में गन्ना उत्पादक बड़े राज्य उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र और कर्नाटक की 150 सीटों में से बीजेपी ने 128 सीटों पर कब्जा किया था। बीजेपी ने पिछले चुनाव में यूपी में 62, महाराष्ट्र में 23 और कर्नाटक में 25 सीटें जीती थीं। अगर बिहार और मध्यप्रदेश जैसे चीनी उत्पादक छोटे राज्य को शामिल कर दिया जाए तो बीजेपी के पक्ष में 173 सीटें आईं थीं।
मार्च 2024 में लोकसभा चुनाव की अधिसूचना जारी हो जाएगी। इससे पहले बीजेपी ने हर मोर्चे को मजबूत करना शुरू किया है। जो नाराज हैं, उन्हें खुश करने की कोशिश की जा रही है। हरियाणा-पंजाब के किसान आंदोलन पार्ट-2 से निपटने के लिए केंद्र सरकार ने गन्ने के खरीदी मूल्य बढ़ाने का ऐलान कर दिया। गन्ने की खेती में यूपी, कर्नाटक और महाराष्ट्र अव्वल है। इसके अलावा बिहार और मध्यप्रदेश में भी गन्ना किसानों की बड़ी तादाद है। इस फैसले से देश के पांच करोड़ से अधिक गन्ना किसानों का सीधा फायदा होगा।
अगर पंजाब और हरियाणा के किसानों से तुलना करें तो यह आंकड़ा दोगुना है। यूपी में लोकसभा की 40 सीटों पर गन्ना किसानों का दखल है। इनमें वेस्टर्न यूपी की 28 और पूर्वांचल की 9 सीटें शामिल हैं। यूपी में 119 चीनी मिलें चल रही हैं, जिनमें से 94 प्राइवेट और 24 सहकारी चीनी मिलें हैं। राज्य की योगी सरकार चीनी मिलों से किसान का बकाया दिलाने में काफी हद तक सफल रही है। अभी मिलों पर न्यूनतम बकाया है। सिर्फ यूपी में दो करोड़ गन्ना किसान हैं। राष्ट्रीय लोकदल से गठबंधन के बाद बीजेपी वेस्टर्न यूपी की 28 सीटों पर जीत के लिए आश्वस्त है। अब गन्ने की एमएसपी का दांव चलकर अपने दावे को और पुख्ता कर लिया है।
यूपी की तरह महाराष्ट्र और कर्नाटक में गन्ने की राजनीति मायने रखती है। महाराष्ट्र की कुल 48 लोकसभा सीटें हैं, जिनमें में 15 पश्चिमी महाराष्ट्र में हैं। पश्चिमी महाराष्ट्र और मराठवाड़ा राज्य का गन्ना बेल्ट माना जाता है। मराठावाड़ा में 8 लोकसभा सीटे हैं। यानी महाराष्ट्र की आधी लोकसभा सीटों पर गन्ना पॉलिटिक्स मायने रखता है। महाराष्ट्र में कुल 195 चीनी मिले हैं, जिनमें 54 मराठवाड़ा में है।
गन्ना मिलों से दो करोड़ से अधिक किसान और लाखों कामगार जुड़े हैं। ऐसा ही हाल कर्नाटक का है, जहां बेलगाम, विजयपुरा, यदागिरी, उत्तर कन्नड़ा, शिमोगा, मैसूर, बेल्लारी, बगलकोट, बीदर, कलबुर्गी और मांडया में गन्ने की राजनीति ही सांसद और विधायकों का भविष्य तय करती है। कर्नाटक की 20 लोकसभा सीट पर गन्ना मूल्य बढ़ाने का असर दिख सकता है। इसके अलावा बिहार और मध्यप्रदेश के किसानों को बढ़े एमएसपी का फायदा मिल सकता है।

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