302 धारा, 301 'संपादकीय'
भारतीय दंड संहिता (इंडियन पेनल कोड) के मुताबिक, आपको बता दें कि अगस्त सन् 2023, में लोकसभा सत्र के दौरान संशोधन के बाद नया विधेयक पारित कर दिया गया है। जिसमें धारा-302 का वास्तविक स्वरूप धारा-301 में निहित कर दिया गया है। जिसका संपूर्ण विवरण आप स्वयं समझ सकते है !
'धारा-301 का विवरण'
भारतीय दंड संहिता की धारा 301 के अनुसार, यदि कोई व्यक्ति कोई ऐसी बात करके, जिसका आशय मॄत्यु कारित करना हो, या जिससे वह जानता हो कि मॄत्यु कारित होना सम्भाव्य है, किसी ऐसे व्यक्ति की मॄत्यु कारित करके, जिसकी मृत्यु कारित करने का न तो उसका आशय हो और न वह यह संभाव्य जानता हो कि वह उसकी मॄत्यु कारित करेगा, आपराधिक मानव वध करे, तो अपराधी द्वारा किया गया आपराधिक मानव वध उस भांति का होगा जिस भांति का वह होता, यदि वह उस व्यक्ति की मॄत्यु कारित करता, जिसकी मॄत्यु कारित करना उसका आशय था या वह जानता था कि उस व्यक्ति की मृत्यु कारित होना सम्भाव्य है।
'धारा-302 का विवरण'
भारतीय दंड संहिता की धारा 302 के अनुसार, जो भी कोई किसी व्यक्ति की हत्या करता है, तो उसे मृत्यु दंड या आजीवन कारावास और साथ ही आर्थिक दंड से दंडित किया जाएगा।
हत्या करना...
सजा- मृत्यु दंड या आजीवन कारावास + आर्थिक दंड
यह एक गैर - जमानती , संज्ञेय अपराध है और सत्र न्यायालय द्वारा विचारणीय है।
यह अपराध समझौता करने योग्य नहीं है।
परिचय...
हमें अक्सर सुनने और पढ़ने को मिलता है कि हत्या के मामले में अदालत ने आई. पी. सी. यानी भारतीय दण्ड संहिता की धारा 302 के तहत मुजरिम को हत्या का दोषी पाया है, ऐसे में न्यायालय दोषी को मृत्यु दंड या फिर आजीवन कारावास की सजा सुनाती है। फिर भी काफी लोगों को अभी भी धारा 302 के बारे में सही ज्ञान नहीं है, आइए चर्चा करते हैं कि क्या है भारतीय दण्ड संहिता की धारा 302 ?
भारतीय दंड संहिता की धारा 302 कई मायनों में महत्वपूर्ण है। हत्या के आरोपी व्यक्तियों पर इस धारा के तहत ही मुकदमा चलाया जाता है।