हारी हुई सीटों पर कांग्रेस का मंथन प्रारंभ
दुष्यंत टीकम
बिलासपुर। कांग्रेस पार्टी मिशन 2023 की तैयारी में जुट चुकी है। पार्टी इस बार उन सीटों पर फोकस कर रही है जहां पिछली बार विधानसभा चुनाव में हार मिली थी, कांग्रेस संगठन के कार्यकर्ताओं को चुनावी मैदान में उतारने से पहले बूथ प्रबंधन पर तकनीकी तैयारी के साथ भाजपा आरएसएस के प्रोपेगंडा से बचने, राज्य सरकार की उपलब्धियों को घर घर पहुंचाने सहित अन्य विषयों पर तकनीकी प्रशिक्षण के माध्यम से कार्यकर्ताओं को तैयार कर रही है, खास कर जहां कांग्रेस के विधायक नही है।
बिलासपुर जिले से बीजेपी को जड़ से उखाड़ने के तगड़ी तैयारी कर रही है, कांग्रेस की रणनीति के तहत बीजेपी की जीती हुई तीनों सीटों पर कब्जे का बड़ा गेम प्लान तैयार किया जा रहा है। सत्ता के सिहासन पर कायम रहने के लिए कांग्रेस ने एक बार फिर युद्ध स्तर से तैयारी करना तेज कर दी है। इसके लिए कांग्रेस अपने कार्यकर्ताओं को प्रशिक्षित कर रही है, प्रदेश के आला नेता और मंत्री अपने-अपने क्षेत्रों का दौरा कर जनता को अपने पाले में करने की कोशिश तेज करती दिखाई दे रही है। खास कर बिलासपुर जिले की हारी हुई सीटों पर कांग्रेस की पैनी नजर है कांग्रेस इस बार इन जोगी कांग्रेस की एक और भाजपा की तीन सीटों को भी छीन लेना चाहती है।
बिलासपुर विधानसभा के बिल्हा, मस्तूरी, बेलतरा और कोटा इन तीन सीटों पर बीजेपी तो वही एक सीट पर जोगी कांग्रेस का कब्जा है। इस बार कांग्रेस चाहती है की इन चारों सीटों को किसी तरीके से आपने पाले में लाया जाए इसी लिए कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष मोहन मरकाम समय-समय पर कांग्रेस मंत्री, नेता और कार्यकर्ताओं के साथ इन चारों विधानसभा सीटों का दौरा करते रहते है इतना ही नहीं मुख्यमंत्री भूपेश बघेल भी समय-समय पर सभी सीटों का रिपोर्ट लेते रहते है।
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल केवल बीजेपी के कब्जे वाले सीटों पर ही नही बल्कि कांग्रेस के कब्जे वाली सीटों पर भी अपनी पैनी नजर लगाए हुए है, जिससे की जीती हुई सीटों के साथ हारी हुई सीटों पर भी कब्जा जमाया जा सके।
प्रदेश प्रवक्ता अनिल सिंह चौहान ने बताया की कांग्रेस इस बार 2018 से बेहतर 2023 में तकनीक रूप से तैयार है और पहले जिन 4 सीटों पर कांग्रेस हारी थी उन सीटों पर प्रशिक्षण पूरी हो चुकी है और पदाधिकारी और कार्यकर्ताओं को चार्ज कर दिया गया है। रही बात प्रदेश की तो बस्तर संभाग के सभी सीटों की लगभग प्रशिक्षण पूरी हो चुकी है। सरगुजा के बाद लगातार जोन, सेक्टर स्तर, फिर ब्लाक लेबल की भी प्रशिक्षण का काम किया जाएगा।
छत्तीसगढ़ राज्य बनने के बाद अविभाजित बिलासपुर में कांग्रेस ने 7 सीटों पर जीत का परचम लहराया था तब बीजेपी की झोली में महज 3 सीटें आई थी। वहीं 2008 में विधानसभा चुनाव हुए थे तो नतीजे एकदम उलट थे इस दौरान बीजेपी को 6 सीटों का जीत हासिल हुई थी और कांग्रेस के खाते में केवल 3 सीटें आई थी 2013 के विधानसभा चुनाव में मुंगेली जिला अलग हुआ था उस वक्त सात विधानसभा की सीटें थी उस वक्त कांग्रेस ने चार पर जीत का परचम लहराया था और तीन सीटों पर बीजेपी ने जीत हासिल की थी।
लेकिन पिछले विधान सभा चुनाव में कांग्रेस की जबरदस्त लहर थीं उसके बाद भी बिलासपुर जिले में कांग्रेस केवल दो सीटों पर जीत हासिल कर पाई थी। लेकिन इस बार कांग्रेस उन तामाम सीटों पर भी फोकस कर रही है जिन सीटों पर हार मिली थी। 2023 के विधानसभा चुनाव के कांग्रेस का जोर इस बात पर है, कि किसी तरह से बिलासपुर जिले से बीजेपी को जड़ से उखाड़ सके।
छत्तीसगढ़ में इस बार कौन मैदान मारेगा यह आने वाला वक्त ही बताएगा लेकिन जिस तरह से कांग्रेस यहां सियासी दांव खेल रही है, उससे बीजेपी को सचेत रहने की जरूरत है, नही तो उसकी इस बार लुटिया डूब सकती है।