भारत में लोकतंत्र की हत्या: जयराम
अकाशुं उपाध्याय
नई दिल्ली। पिछले 13 दिसम्बर को भारतीय संसद में सुरक्षा चूक मामले को लेकर केंद्र की मोदी सरकार और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से बयान देने की मांग लेकर दोनों सदनों में हंगामा जारी है।
हंगामे के बाद कांग्रेस के अधीर रंजन चौधरी, डीएमके के टीआर बालू और दयानिधि मारन और तृणमूल कांग्रेस के सौगत रॉय सहित कुल 33 विपक्षी सदस्यों को सोमवार को सदन की कार्यवाही में बाधा डालने के लिए लोकसभा से निलंबित कर दिया गया। वहीं, राज्यसभा से भी कुल 45 सांसदों को शीतकालीन सत्र के शेष समय के लिए ध्वनि मत से निलंबित कर दिया गया। इस तरह सोमवार को दोनों सदनों से कुल 78 सांसदों को निलंबित किया गया और गुरुवार 14 दिसम्बर से अब तक दोनों सदनों से निलंबित किए गए कुल विपक्षी सांसदों की संख्या 92 हो गई है जिसमें 46 लोकसभा और 46 राज्यसभा के सांसद हैं।
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, मार्च 1982 के बाद से यह निलंबन की सबसे अधिक संख्या है जब राजीव गांधी शासन के तहत 63 सांसदों को निलंबित किया गया था। ज्ञात रहे कि संसद की सुरक्षा में सामने आई चूक के मामले में गृहमंत्री अमित शाह से बयान की मांग करने पर विपक्ष के 13 लोकसभा और एक राज्यसभा सांसद को बीते 14 दिसम्बर को सदन की कार्यवाही से निलंबित कर दिया गया था, विपक्षी सांसद इस मामले पर चर्चा करना चाहते थे, लेकिन राज्यसभा के सभापति और लोकसभा अध्यक्ष सहमत नहीं हुए थे।
राज्यसभा सांसद और कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने निलंबन पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि तानाशाह मोदी सरकार द्वारा अभी तक 92 विपक्षी सांसदों को निलंबित कर सभी लोकतांत्रिक प्रणालियों को कूड़ेदान में फेंक दिया गया है।
राज्यसभा में सांसदों के निलंबन को ‘खूनखराबा’ करार देते हुए कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने कहा कि ‘यह भारत में लोकतंत्र की हत्या है। कांग्रेस के लोकसभा सांसद शशि थरूर ने कहा कि संसदीय प्रणाली में सरकार से जवाबदेही की मांग करने पर सांसदों को निलंबित किया जाना’ चौंकाने वाला है।
राजद सांसद मनोज कुमार झा ने कहा कि लोकतंत्र के आज के काले दौर में निलंबन सम्मान का प्रतीक है, निलंबन किस लिए? क्योंकि हम गृह मंत्री से एक आधिकारिक बयान मांग रहे हैं? पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कहा कि भाजपा के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार ‘लोकतंत्र का मज़ाक’ बना रही है।
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