अश्वनी उपाध्याय
गाजियाबाद। असल में दरोगा न बन पाया तो फर्जी दरोगा बन शख्स ने लोगों से अवैध वसूली शुरु कर दी,, मगर मुजफ्फरनगर के शख्स से पांच हजार रुपये की वसूली की कोशिश फर्जी दरोगा पर भारी पड गई। उसके बाद जिस तरह फर्जी दरोगा की गिरफ्तारी हुई वह मामला ओर भी दिलचस्प है।
प्राप्त जानकारी के मुताबिक मुजफ्फरनगर जिले के थाना जानसठ क्षेत्र के गांव चितौड़ा के रहने वाले महेंद्र सिंह शनिवार को कार से दिल्ली जा रहे थे। निवाड़ी थाना क्षेत्र में गंग नहर पटरी मार्ग पर दरोगा की वर्दी में खड़े आरोपी शिवकुमार ने चेकिंग के बहाने कार रुकवा ली। जबरन कार में बैठकर उसने रिश्वत के रूप में पांच हजार रुपये मांगे। इनकार करने पर कार सीज करने की धमकी दी। इस बीच वह आरोपी को पहचान गए। उसने लगभग डेढ़ साल पहले महेंद्र सिंह की बहन को नौकरी दिलाने के नाम पर डेढ़ लाख रुपये की ठगे थे।
उन्होंने चालाकी दिखाते हुए आरोपी को कार में बैठा लिया। इसके बाद कार सौंदा पुलिस चौकी के सामने रोक दी। पुलिस चौकी सामने देख आरोपी घबरा गया और उतरकर भागने का प्रयास करने लगा। शोर मचाने पर पुलिस ने आरोपी को दबोच लिया। पूछताछ में आरोपी ने बताया कि वह वर्दी का रौब दिखाकर लोगों को ठगता था। खासकर उन जगहों पर चेकिंग करता था, जहां पुलिस तैनात नहीं होती थी। एसीपी ने बताया कि आरोपी को कोर्ट में पेश कर जेल भेज दिया गया।
मेरठ के माछरा गांव का रहने वाला आरोपी शिवकुमार दरोगा बनना चाहता था। इसके लिए परीक्षा भी दी थी लेकिन सफलता नहीं मिल सकी। इसके बाद उसने फर्जीवाड़ा शुरू किया और दरोगा की वर्दी तैयार कराई। वह अक्सर दरोगा की वर्दी में ही रहता था। वर्दी पर स्टार लगा था और कैप भी दरोगा वाली थी। गिरफ्तारी के दौरान आरोपी ने कंधे पर लगे स्टार को तोड़कर गंग नहर में फेंक दिया।
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